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Tag: आरती यादव “यदुवंशी”

मैं भारत की बेटी हूँ
गीत

मैं भारत की बेटी हूँ

आरती यादव "यदुवंशी" पटियाला, पंजाब ******************** मैं भारत की बेटी हूँ, भारत का गीत सुनाती हूँ गाँधी, बोस और चंद्रशेखर की कुर्बानी को गाती हूँ, भगत सिंह भारत माँ की ममता का कर्ज चुकता है इसके दामन की रक्षा हेतु सूली पर चढ़ जाता है, लड़ी लड़ाई झांसी वाली, दुश्मन उससे हार गए जाने कितने देश भक्त, जो शीश भारत पर वार गए, स्वतंत्र, समृद्ध और सबल भारत की आज़ादी को गाती हूँ मैं भारत की बेटी हूँ, भारत का गीत सुनाती हूँ ।। जब अंग्रेजी सत्ता की तानाशाही ना बर्दाश्त हुई भारत की भोली जनता जब उनसे बहुत हताश हुई, भड़क उठी ज्वाला हर दिल में, स्वतंत्रता संग्राम की गली-गली फिर लहर चली इक आज़ादी के नाम की, भारत के लालों के आगे दुशमन देखो हार गए, भारत के लालों को देखो, भारत पर शीश वो वार गए, सींचा जिसको रक्त बूँद से, मैं वो किस्सा बतलाती हूँ, मैं भारत की बे...
किस्मत
कविता

किस्मत

आरती यादव "यदुवंशी" पटियाला, पंजाब ******************** इक दिन खुदा से ये पूछेंगे जरूर कि आख़िर किस्मत क्यों बनाई है? किस्मत से ही किस्मत मिलती है यहां ये बात अब समझ में आई है। किसी को बेशुमार दौलत देती है ये तो किसी से भीख भी मँगवाती है, किसी को मख़मली गद्दों पर ये तो किसी को फुटपाथ पर सुलाती है। कोई हँसते-हँसते थकता नहीं यहाँ तो किसी को भर-भर आँख रूलाती है, किसी को थाल भर कर देती है ये तो किसी को भूखे पेट सुलाती है। कोई सर उठा के चलता है यहाँ तो किसी का शर्म से सिर झुकाती है, ये किस्मत भी कितनी अजीब होती है किसी को मिलकर भी नहीं मिलती तो किसी को ना मिलकर भी मिल जाती है। क्यूँ ढूंढते हो हाथों की लकीरों में इसे याद रखना !!!! किस्मत की कोई लकीर नहीं होती, मंजिलों को पाने की चाह होती है जिन में वो खुद ही रास्तों से मिल जाया करते हैं, रखते नहीं कि...
सावन का आगमन
कविता

सावन का आगमन

आरती यादव "यदुवंशी" पटियाला, पंजाब ******************** आगमन सावन का देख है हर्षचित्त सारा वन हुआ, खिल उठी हैं पुष्प कलियां है प्रमुदित हमारा मन हुआ। भवरों की गुंजा शोर करती चढ़ा पत्तियों पर नव-यौवन है, तितलियां नित्य नृत्य हैं करतीं आया झरता देख सावन है। मयूरी की नुपुरें छम हैं करती देखो झूमें ये सारा उपवन है, पंछियों के मीठे स्वरों से देखो हुई सुगंधित ये शीतल पवन है। सरिता की धारा बहती वेग से उल्लासित हुआ ये गगन है, आकाश से देखो धरा मिल गई कैसे इक होकर लागे मगन है। मेढ़कों की गुंजा है सुनती कोयल की कू-कू को नमन है, बगियों में झूले पड़ गए हैं देखो झूमता ये सावन है। परिचय :- आरती यादव "यदुवंशी" निवासी : पटियाला, पंजाब घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आ...
मिट्टी के खिलौनें
कविता

मिट्टी के खिलौनें

आरती यादव "यदुवंशी" पटियाला, पंजाब ******************** बचपन में खेला जिन मिट्टी के खिलौनों से मैंने आज जाकर उन मिट्टी के खिलौनों से मैंने जीवन की असली सीख पाई है, सपनों की टूटी इस दुनियाँ में मैंने फिर से जीवन जीने की आस जगाई है।। नन्हीं सी होती थी तब मैं जब मिट्टी के खिलौनें बनाती थी, उन गीले कच्ची मिट्टी के खिलौनों को मैं आँगन की दीवार पे रखकर सूखाती थी, रोज़ सुबह जल्दी उठ कर "वो सूखे या नहीं " ये देखनें मैं छत पर फिर चढ़ जाती थी।। तस्तरी, गिलास, बेलन, चौका, भगौना, चूल्हा बाल्टी और मैं कई बर्तन नए बनाती थी, नन्हीं सी इक गुड़िया थी मेरी मैं उस गुड़िया का ब्याह रचाती थी।। पंडित,नाऊ और धोबी भी बनते थे हम सब उस प्यारी गुड़िया के ब्याह में, नन्हीं प्यारी गुड़िया की बारात भी इक दिन आई थी, कुछ नन्हें दोस्त मेरे बने थे बराती वहां खेल-खेल में उस दिन हमनें, सब...