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Tag: आकाश सेमवाल

आ ज़िंदगी बैठ
कविता

आ ज़िंदगी बैठ

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** आ ज़िंदगी बैठ, समझा के रहुंगा। जो भी मसला है, सुलझा के रहुंगा। जितना भी क़र्ज़ है, वक्त से पूछुंगा, आज,सारा कर्ज चुका के रहूंगा ।। फिर न जिऊंगा दोहरी जिंदगी। न वक़्त की चौकसी करूंगा। जिऊंगा तुझे मैं अपने ढंग से, जिंदगी! और न बेकसी करूंगा । रखुंगा ताउम्र, अपने ही दायरे में, तुझे उंगलियों पर नचा के रहुंगा, आ ज़िंदगी बैठ, समझा के रहूंगा। फिर न मसौदा, न समझौता होगा। अपने ही उसूलों पर सौदा होगा । बहुत कर दी, जी हुजूरी या चापलूसी, अब महकमा अपना, अपना ही ओहदा होगा। लिखुंगा किरदार, हर एक का अपने ढंग से, हर एक को कहानी में बैठाकर रहुंगा। आ ज़िंदगी बैठ, समझा के रहुंगा। जो भी मसला है सुलझा के रहुंगा। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्...
रिश्ते कारोबारों से…
कविता

रिश्ते कारोबारों से…

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** हुनर नहीं, नहीं चरित्र नहीं। नहीं भावना विचारों से। अब रिश्ते होते देखें हैं, मैंने, कारोबारों से । कितना है? क्या ओहदा है ? सबका लेखा-जोखा है। छानबीन कर बात करेंगे, घर-घर में ये सौदा है । लगते हैं दामों पर दाम, जैसे, वस्तु खरीदें बजारों से, अब रिश्ते होते देखें हैं, मैंने, कारोबारों से । इल्म नहीं, गठबंधन क्या है ? कीकर क्या चन्दन क्या है ? अब तो है बस, शानो-शौकत, आखिर, रिश्तों का मंथन क्या ? किसको वक्त है? समझौते का, कौन लड रहा मझधारों से? अब रिश्ते होते देखें हैं, मैंने, कारोबारों से ।। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
पुरानी बातें
कविता

पुरानी बातें

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** कागज़ के एक टुकड़े पर, कुछ लिखी पुरानी बातें हैं। जो स्वर्णिम आखर सी अंकित, नटखटी-नटखटी यादें हैं। जिसमें है उल्लेख वही। अखियां जिसमें देख वही। उस से ही, आखर, शब्द बना, हाँ-हाँ, पूरा है आलेख वही। उसका रूठा, उसका पूछा, वो हंसती, गाती रातें हैं। कागज़ के एक टुकड़े पर, कुछ लिखी पुरानी बातें हैं। उसकी हया, अदाएं हैं। वो फूल सी नाज़ुक बांहें हैं। वो नज़्म मोहब्बती गानों का, जो मिलकर गुन-गुनाएं है। वो चुपके-चुपके मिलने का, अधुरी मुलाकातें हैं।। कागज़ के एक टुकड़े पर, कुछ लिखी पुरानी बातें हैं। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
दीप जलाएं बैठा हूं
कविता, भजन, स्तुति

दीप जलाएं बैठा हूं

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। संगीत-गीत न तंत्र-मंत्र न, जय माता दी कहता हूं।। स्वर्ण कलश न, न स्वर्ण मूर्ति, न स्वर्णजड़ित सिंघासन है। काष्ठ आड में रखा है तुझको, जर्जर वस्त्र का आसन है। नैवेद्य नहीं फल-फूल नहीं मां,, मैं, गुड चढ़ाएं बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। कर्पूर नहीं मां धूप नहीं, न कर पाऊं श्रृंगार तेरा। नूपुर नहीं, करधनी नहीं, ना भोगने योग्य आहार तेरा। इत्र नहीं, सिन्दूर नही मां, सर झुकाए बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
सावन
कविता

सावन

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** रिमझिम-रिमझिम बरसे बादल। झिलमिल-झिलमिल दामिनी ये। सर-सर-सर-सर झोंका हवा का दर=दर नहा रही यामिनी ये। टपक=टपक कर टपका पानी। झन-झन झरनों की झनकार। टिटुर-टिटुर कर मेंढक बोले, आयी‌ सावन की बौछार।। गड-गड-गड-गड करता अम्बर, घिर-घिर-घिर-घिर जाते मेघ। दिखे दिशाऐ चांवर जैसी, मोर मगन है मोरनी देख। चहल-पहल कलियों मन में, छन-छन घुंघरू की छनकार। चूं-चूं-चूं-चूं बोली चिडिया, आयी सावन की बौछार।। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशि...
संघर्ष लिखूं
कविता

संघर्ष लिखूं

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** मैं भाग्य नहीं संघर्ष लिखूं। जीवन का उत्कर्ष लिखूं। टप-टप बहता जिसमें श्रम है, जीवन का वो दर्श लिखूं। मैं भाग्य नहीं संघर्ष लिखूं। जहां पाऊं कांटों से छलनी। जहां बिखरी अमा की हो रजनी। जहां पग दो पग बढना दुष्कर, जहां दूर-दूर तक न हो पुष्कर।। जहां काल खड़ा हो अभिमुख प्रतिपल, उन पल पल का मैं वर्ष लिखूं। मैं भाग्य नहीं संघर्ष लिखूं। जहां पथिक एक हो, पथ अनेक। जहां पूंजी, उमंग,धीरज, विवेक। जहां हस के टाले मुश्किल को, जहां आंखें प्यासी मंजिल को। जहां भूख प्यास या थक नहीं, उस जीवन का निष्कर्ष लिखूं। मैं भाग्य नहीं संघर्ष लिखूं।। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित ए...
दीप जलाएं बैठा हूं
स्तुति

दीप जलाएं बैठा हूं

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। संगीत-गीत न तंत्र-मंत्र न, जय माता दी कहता हूं।। स्वर्ण कलश न स्वर्ण मूर्ति न, न स्वर्णजड़ित सिंघासन है। काष्ठ आड में रखा है तुझको, जर्जर वस्त्र का आसन है। नैवेद्य नहीं फल-फूल नहीं मां, मैं गुड चढ़ाएं बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। कर्पूर नहीं मां धूप नहीं, न कर पाऊं श्रृंगार तेरा। नूपुर नहीं, करधनी नहीं, ना भोगने योग्य आहार तेरा। इत्र नहीं, सिन्दूर नही मां, सर झुकाए बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
नाविक
कविता

नाविक

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** हर और निहारे नाविक तट को, हर और भरा जल ही जल है। कौन दिशा ले चलूं मैं अविरल, कहां दिखेगा भूतल ये। देखे,परखे रवि किरणों को, किस ओर बढ रहा दिनकर है। जांख रहा, हिल्लोर कहां है? कहां सुपथ, सलर है? कहां स्वच्छन्द, हवा का झौंका, किस ओर, सब का हल है? हर और निहारे नाविक तट को, हर और भरा जल ही जल है। अशांत, व्यथित,संतप्त हृयद ये, रोम रोम में हलचल है। दूर दूर तक तनहा दिखता, हर भाव-भंगिमा दूभर है। किस ओर बढूं, किस ओर मुडू? उर में ही उथल पुथल है। हर और निहारे नाविक तट को, हर और भरा जल ही जल है। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
चांद पर पग
कविता

चांद पर पग

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** करने वाले कर गये। चांद पर पग धर गये। थी विफलता अनगिनत, पर अंततः,उतर गये। चांद पर पग धर गये। क्या भला उनका नहीं, ऊंचाईयों से मन कांपा होगा? जब धरा के सब समंदर, पर्वतों को लांघा होगा। पर संभाला उर को निज, नित नया कुछ कर गये। चांद पर पग धर गये।। जब आसमां की गोद ने, उनका पथ, भटकाया होगा। क्या उमडते, मेघों से, मन उनका न, घवराया होगा? पर धरा धीरज हृदय में, धीर होकर चल गये। चांद पर पग धर गये।। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र क...