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ये चमन में देखूँ
कविता

ये चमन में देखूँ

असमा सबा ख़्वाज लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) ******************** फिर से तारी है सितम अपने वतन में देखूँ इस वबा को तू मिटा दे, ये चमन में देखूँ ढेर लाशों का बना रूह लरज़ जाती है ज़िन्दगानी है फ़ना, मौत जिसे आती है ख़ून के अश्क हैं ग़मगीन बयाँबानी है फ़िक्र उसको है कहाँ जिसकी ये सुल्तानी है वो निगहबान है लेकिन वो हयादार नहीं जान लेवा है मगर वो तो वफ़ादार नहीं मेरे अल्लाह सबा, की ये दुआ है सुन ले ज़ालिमों को तू बना नेक, सदा है सुन ले परिचय :- असमा सबा ख़्वाज निवासी : लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, क...