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Tag: अशोक कुमार यादव

रोशनी का त्यौहार
कविता

रोशनी का त्यौहार

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** अज्ञान अंधकार को दूर करके, ज्ञान की ज्योति मन में जलानी है। जिंदगी हर पल एक महा उत्सव, मिलजुल कर दिवाली मनानी है।। जगमग-जगमग जल रहे नन्हें दीये, धरती में मणि प्रकाश की आभा है। पटाखे की ध्वनि से गूँज रहा संसार, नीले नभ को छूने की आकांक्षा है।। सत्य के सामने असत्य की हार होगी, तू सत्य की राह में निरंतर कदम बढ़ा। जीत तुम्हारे इंतजार में राह देख रही, हताशा और निराशा को सुदूर भगा।। रोशनी का त्यौहार, खुशियों की बहार, होती रहे धन वर्षा, होती रहे तरक्की। जीवन में सफलता चुमे आपके कदम, दीपावली में मिलती रहे खूब समृद्धि।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत...
भ्रष्टाचारी दानव
कविता

भ्रष्टाचारी दानव

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** कुर्सी पर बैठकर तू बन गया है भ्रष्टाचारी दानव। धन के लालच में फर्ज भूल कर बना है अमानव।। हड़प लेता है गरीब-दुबरों के मेहनत की कमाई। जनता से रिश्वत लेते हुए तुमको शर्म नहीं आई।। खटमल बनकर चूस रहा है कामगारों का खून। भेड़िया बन मांस को नोच रहा है अंधाधुंध।। तू अंग्रेज है: स्वतंत्र भारत के निर्दयी अत्याचारी। तू कुष्ठ रोग है: जीवाणु युक्त संक्रामक बीमारी।। जन सेवक, रक्षक बनकर, बन गया है भक्षक। फन फैला कर डस रहा, जहरीला नाग तक्षक।। दुनिया में चारों तरफ लागू है जंगल का कानून। मानसिक हिंसक छिन लिया चैन और सुकून।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुर...
भारत के सिपाही
कविता

भारत के सिपाही

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** तिरंगा आन-बान-शान है वतन के। इसके वास्ते, मर मिटूँगा कसम से।। सीमा में जान की आहुति देने मैं चला। मेरे रहते माँ तू फिक्र करती क्यों भला? वर्दी खून से लाल-लाल लथपथ है। मातृभूमि की रक्षा करूँगा शपथ है।। तेरे लिए गोलियाँ खा लूँगा बदन पे। तिरंगा आन-बान-शान है वतन के।। न कभी हारा था, न ही अब हारूँगा। न कभी रूका था, न ही अब रूकूँगा।। मन में साहस भर के मैं लड़ता रहूँगा। लेकर हाथ में तिरंगा आगे बढ़ता रहूँगा।। मर जाऊँ तो, राष्ट्र ध्वज हो कफन के। तिरंगा आन-बान-शान है वतन के।। नव जीवन पा फिर जिंदा हो जाऊँगा। जन्म लेकर मैं भारत भूमि में आऊँगा।। सिपाही बन प्राण अर्पित करने तत्पर। तुम्हारी सेवा करने के लिए आगे सत्वर।। वंदे मातरम बोलूँगा गीत देश सदन के। तिरंगा आन-बान-शान है वतन के।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगे...
नारी उत्पीड़न
कविता

नारी उत्पीड़न

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** भारत के गाँव, शहर, गली-गली में, नारी पर अत्याचार हो रहा है माधव। चीख, पुकार रही बेबस, असहाय स्त्री, कहाँ हो लाज बचाने वाले प्रभु राघव? कोई रावण बन अपहरण कर रहा है, फिर से अग्नि परीक्षा दिलाने सीता को। कोई दुशासन बन चीर हरण कर रहा है, लज्जित करने द्रौपदी की अस्मिता को।। सरकार खामोश बैठी है राजसिंहासन, न्याय की आँखों में काली पट्टी बंधी है। जनता मोमबत्ती जलाकर शोकाकुल, पीड़िता इंसाफ की गुहार लगा रही है।। युग अंधा है या फिर हम सब अंधे हैं, कलियुग में राक्षसों का मचा हाहाकार। फिर से किसी देवता को आना पड़ेगा? क्या कोई नहीं जो रोक सके बलात्कार? परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री श...
गुलामी से आजादी
कविता

गुलामी से आजादी

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** गरीबी, दरिद्रता और बेबसी जन मन का प्रतीक, समर्पण, चाटुकारिता, दासता, हैं उनके साथी। सलाहकार बन बैठे हैं निराशा और असत्य दल, अब कब मिलेगी मानसिक गुलामी से आजादी? असफलताओं की बेड़ियों में जकड़ी है जीवन, नकारात्मक मनोभाव अंग्रेजों से परतंत्रता है। कर्म, साहस और उत्साह वतन रक्षक फौजी, सफलता और मंजिल की प्राप्ति स्वतंत्रता है।। दिव्य शक्ति का संचार कर अंतर्मन में हिलोर, धर्म चक्र आत्म शांति जन-जन का सहारा। मन, वचन में मातृभूमि की समृद्धि, पवित्रता, प्रगति पथ अशोक चक्र निर्मित तिरंगा प्यारा।। सत्य और अहिंसा सिद्धांत राष्ट्रपिता गाँधी जी, भगत सिंह की देश भक्ति ने कोहराम मचाया‌। वीरांगना झाँसी की रानी ने गोरों से लोहा ली, बाबा साहेब ने समानता का संविधान बनाया।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) ...
महूं जाहूं स्कूल
आंचलिक बोली, कविता

महूं जाहूं स्कूल

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी रचना) सुन ना दाई ओ, सुन गा मोर ददा। महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।। पेन, कापी हा, मोर संगी-साथी ए। पुस्तक मनी हा, जिनगी के थाती ए।। पढ़-लिख के चलहूं गियान के रद्दा। महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।। गुरु जी हा सुनाही, बब्बर शेर के कहानी। पढ़बो हमन कबिता, मछली जल के रानी।। हिन्दी हवय मोर महतारी के भाखा। महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।। जोड़-घटाव बर खुलही गणित के पिटारा। गुणा-भाग बर गिनबो पहाड़ा गिनतारा।। आकृति नापबो ता आहय खूब मजा। महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।। जम्मों जिनिस के नाव ला अंग्रेजी म बोलबो। सतरंगी इंद्रधनुष के निसैनी बनाके चढ़बो।। सीखबो पोयम जॉनी-जॉनी यस पापा। महूं जाहूं स्कूल, ले दव ना बस्ता।। खेलबो खेलगढ़िया के हमन खेल। कभू कबड्डी, खो-खो, कभू रेलमरेल।। नाचा अऊ गाना म...
गर्मी का हाहाकार
कविता

गर्मी का हाहाकार

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** नौतपा में सूरज उगल रहा आग अंगार। दुनिया में चारों तरफ मचा है हाहाकार।। गर्म हवाएँ बहती हैं, कहते हैं इसको लू। अब छाँव चाहे छाँव, रवि का है जादू।। व्याकुल हैं कर्म पुरुष मजदूर और किसान। रोटी के लिए मेहनत करते लगा जी-जान।। गाड़ियों के टायर में हो रहा बम विस्फोट। अग्नि की वर्षा से निरीह जन हुए अमोक।। झुलस गए पेड़-पौधे, सूखे सभी जल स्रोत। जलीय जीव दुखी, जो थे आनंद ओत-प्रोत।। गोरे जीव-जंतु हो गए काजल समान काले। रसहीन सबके कंठ, जीवन अमृत के लाले।। प्यास से तड़प रहे अमीर-गरीब राहगीर। भौतिक साधनों के पहने महंगी जंजीर।। पेड़ लगता नहीं कोई, छाया सभी चाहते हैं? एक वृक्ष है दस पुत्र समान सभी कहते हैं।। जागो! सभी को बनना है पर्यावरण मित्र। सुखद, शांतिपूर्ण होगा भविष्य का चित्र।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगे...
मैं तुमसे दूर
कविता

मैं तुमसे दूर

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। जिंदगी तेरे नाम कर दी, जान भी-जान भी। दिल तेरे नाम कर दिया, मान भी-मान भी।। माना था सभी को अपना, चाहा था भरपूर। चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। यादों की परछाईयाँ, धुँधली होने न पाई। तेरी बातें मुझे, पल-पल बहुत रूलाई।। जूदा होके अभी से, जा रहा हूँ सुदूर। चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। खुश रहना सदा, हँसते-मुस्कुराते रहना। थाम आशाओं का दामन, समय के संग में बहना।। कड़ी मेहनत से मिलेगी, कामयाबी का सुरूर। चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित...
रंगों की होली
कविता

रंगों की होली

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी रचना) रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी। कपाट खोले रहिबे न, मारहूँ पिचकारी।। तोला बलाए बर, मैंय फाग गीत गाहूँ। झूम-झूम के नाचबो, नगाड़ा बजाहूँ।। तैंय पहिन के आबे ओ, लाली के साड़ी। रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।। लगाहूँ तोर गाल म, मयारू खूब गुलाल। हिल-मिल के मनाबो, फागुन के तिहार।। मन ल मोर भा गे हच, बन जा सुवारी। रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।। मोर मया के रंग, कभू छुटय नहीं गोरी। कतको धोले पानी म, खेल के होली।। गुलाबी देंह दिखे, परसा फूल चिन्हारी। रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्...
मेरे राम आ गए
कविता

मेरे राम आ गए

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जय-जय श्री राम। परम सुख के धाम।। जन-जन के सहारा। विष्णु के अवतारा।। राम में ही शक्ति है। राम में ही भक्ति है।। राम ही तो दृष्टि है। राम ही तो सृष्टि है।। राम नाम जपता हूँ। राम-राम कहता हूँ।। राम चारों धाम है। राम ही सत्य नाम है।। राम ही केशव है। राम ही तो माधव है।। राम नाम सार है। राम से ही संसार है।। राम ही तो धर्म है। राम ही तो कर्म है।। राम ही सगुण है। राम ही तो निर्गुण है।। राम में आस्था है। राम से ही वास्ता है।। राम में आशा है। राम तृप्त बिपाशा है।। अयोध्या में धूम मची। गली फूलों से सजी।। घी के दीप जल उठे। नगर में पटाखे फूटे।। राम से ही प्रेम है। राम नाम में सप्रेम है।। मेरे प्रभु राम आ गए। राम राज्य आ गए।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष रा...
लक्ष्य की ओर
कविता

लक्ष्य की ओर

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चलो नया साल में कुछ नया करेंगे। हार को फिर भव्य जीत में बदलेंगे।। अतीत की बीती बातें याद आयेंगी। कभी रुलायेंगी तो कभी हँसायेंगी।। क्या खोया है और क्या पाया हमने? खुद उन्नति की गणित लगाया हमने।। समय लाता परिवर्तन और स्थिरता। मानव मानसिक शक्ति में गंभीरता।। सब कुछ भूल कर नव शुरुआत होगी। एक बार फिर संघर्ष से मुलाकात होगी।। प्रयासों का बीज धरती पर बोते चलेंगे। तभी हमको कर्म का मीठा फल मिलेंगे।। उम्मीद की कलम से तकदीर लिखेंगे। जीवन की पुस्तिका में सात रंग भरेंगे।। बढ़ेंगे आगे सभी भर कर मन में जुनून। लक्ष्य को पाकर हमको मिलेगा सुकून।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक...
शून्य से शिखर तक
दोहा

शून्य से शिखर तक

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** लक्ष्य को पाकर दिखाना है मुझको। जीत का परचम लहराना है मुझको।। इस दुनिया में कठिन कुछ भी नहीं, शून्य से शिखर तक जाना है मुझको।। यदि जीवन एक खेल है तो मैं खेलूँगा। चाहे लाख मुसीबतें आए मैं झेलूँगा।। प्रेरित होकर ध्यान लगाना है कर्म में, असंभव को संभव करके दिखाऊँगा।। रच सकता है तो रच मेरे लिए चक्रव्यूह। महारथियों के दल चाहे खड़े हो प्रत्यूह।। ज्ञान हासिल किया है मैंने माँ के गर्भ में, इस बार सातवें द्वार को भेदेगा अभिमन्यु।। रह-रह कर अभी जवानी ने ली अँगड़ाई। सुनहरे भविष्य के लिए लड़नी है लड़ाई।। अपने हाथों लिखना है मुझे नया इतिहास, यही सही समय है, शुरू करनी है पढ़ाई।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुय...
कुर्सी का खेल
कविता

कुर्सी का खेल

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जमीन पर बैठने वाले मानव, चटाई पर बैठने लगे हैं आज। छोटी सी तिपाई पर बैठने वाले, कुर्सी पर बैठे कर रहे हैं राज।। राजा जनता, प्रजा बन गयी, आज सेवक बन गया राजा। प्रजा तरस रही दाने-दाने को, राजा खा रहा पेट भर खाजा।। लोभ का लॉलीपॉप दिखाया है, स्वाद मीठा है या फिर नमकीन। सभी दौड़ रहे उनके पीछे-पीछे, कसमों, वादों पर करके यकीन।। देखते हैं नये सूरज की रोशनी, अंधेरा होगा या फैलेगा प्रकाश। वंचितों को मिलेगा उनका हक, जीत पाता है लोगों का विश्वास।। पहिए की कुर्सी घूमेगी किस ओर, कब तक सही पटरी पर चलेगी रेल। किसको मिलेगा कितना फायदा, कुर्सीधारी खेलेंगे कुर्सी का खेल।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग स...
भाई-बहन का स्नेह
कविता

भाई-बहन का स्नेह

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आना मेरे घर में तुम भैया, आपको निमंत्रण देती हूँ। आकर प्रीति भोज खाना, पकवान बनाकर रखी हूँ।। जल्दी आना, देर मत करना, मैं राह तुम्हारे देखूँगी। मेरे भैया आ रहे हैं, अपनी सखी-सहेलियों से कहूँगी।। शुभ आसन पर बिठाकर, रोली से तिलक लगाऊँगी। बाँधकर हाथ में मौली, लंबी उम्र की कामना करूँगी।। मंगलमय होगा, सुख आएगा, सारी इच्छाएँ पूरी होगी। यमराज का भय नहीं रहेगा, जीवन में समृद्धि मिलेगी।। यह भाई-बहन का त्यौहार, स्नेह का बंधन है अटूट। आतिथ्य स्वीकार करो, भक्ति और आदर है अद्भुत।। उपवास रहूँगी सुबह से, तोडूँगी आप आओगे तभी। रक्षा करने दौड़े चले आना, दुःख में पुकारूँगी कभी।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग स...
दीपों का त्यौहार
कविता

दीपों का त्यौहार

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** दीपों का त्यौहार, जीवन का सिंगार, आयी दिवाली। गाँवों, नगरों के घरों में, चारों तरफ छाई है खुशहाली।। अत्याचारी रावण को मार कर, लौटे जब राजा राम। अयोध्या वासी प्रसन्न हुए, देख कर परम सुख धाम।। बुराई पर अच्छाई और अँधकार पर प्रकाश की जय। अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय।। घी के दीपक जल उठे, बजने लगे ढोल और नगाड़े। गूँजे जय श्री राम के नारे, फूटने लगे धड़ाधड़ पटाखे।। आसमान में लहराने लगे, ज्ञान, सेवा का भगवा ध्वज। भरत दौड़ रहे थे खुले पाँव, राजीव से मिलने को उद्यत।। माताएँ आँचल फैला रही, सिर में छाया करने उत्सुक। प्रजा आँखों में खुशी आँसू, ईश्वर को देख हुए भावुक।। सजादो पूरे भारत को, दशरथनंदन रामराज ला रहे हैं। झूमो रे! नाचो रे! गाओ रे! मेरे प्रभु श्रीराम आ रहे हैं।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : म...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ। माँगूँगी तेरे लिए लंबी उमर, भूखी,प्यासी बैठी हूँ।। सोलह सिंगार करके, सिंदूर तेरे नाम के भरके। तैयार हूँ सज-धज के, प्या र है जन्मोंजनम के।। सही-सलामत तुम रहो, इसलिए कष्ट सहती हूँ। मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ।। तुम ही मेरे अच्छे दोस्त हो, तुम मेरे भगवान हो। तुम ही तपस्या के फल हो, प्रभु के वरदान हो।। शिव-पार्वती, गणेश की, पूजा-अर्चना करती हूँ। मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ।। छुप गया चाँद बादलों में, अब कैसे दीदार करूँ। जीवन साथी पास खड़े, कुछ पल इंतजार करूँ।। जब उदय हुआ माँगी आशीष, सौभाग्यवती रहूँ। मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल....
शरद पूर्णिमा की रात
कविता

शरद पूर्णिमा की रात

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आसमान सजी है तारों की लड़ी से, रहस्यमय चन्द्रमा की सोलह कलाएँ। वृंदावन में कान्हा ने रासलीला रचाई, नाच रही गोपियाँ बनकर अप्सराएँ।। चाँदनी, मणि की आभा बिखेर रही, श्वेत हीरक धूमिल है इसके समक्ष। साधक, संयमी भाव से व्रत करता, स्वर्णिम सिन्धुजा प्रतिमा है प्रत्यक्ष।। कौमुदी किरणें अमृत की वर्षा करती, निशीथ में महालक्ष्मी विचरती संसार। कौन मनुष्य जाग रहा धरा पर अभी, वर, अभय और वैभव दूँगी उपहार।। मांगलिक कार्य, गीत गाते हुए मगन, खीर से भोग लगाता मुझे अद्वितीय। पूजा से खुश करने वाले सेवक को, लोक में समृद्धि, परलोक में सद्गति।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण '...
रघुराम कहाँ से लाऊँ
कविता

रघुराम कहाँ से लाऊँ

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** दुनिया में चारों तरफ रावण-ही-रावण है, मैं मर्यादा पुरुषोत्तम रघुराम कहाँ से लाऊँ। असत्य, अधर्म और पाप का बोलबाला है, सत्य, धर्म दृढ़ कर राम राज्य कैसे बनाऊँ।। बहन-बेटियों के चैन और सुकून को छीनने, दस सिर लिए कई रावण घूमते गली-गली। बहला-फुसलाकर, जोर-जबरदस्ती करते, गौरव नारी को हर कर मचाते हैं खलबली।। कौन कहता है लंका पति रावण मारा गया, वह तो लोगों के मन में अभी भी है जिंदा। बुरे विचारों को शातिर मस्तिष्क में पनपाते, कहीं बलात्कार और हत्या करते हैं दरिंदा।। यदि कोई मनुष्य फिर बन गया रावण कहीं, हर साल दशहरे के दिन आग से जलाएंगे। बुराई पर अच्छाई की जीत सदा होती रहेगी, कलियुगी रावण को, राम बन मार गिराएंगे।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्...
यदुवंशम : प्रभु श्रीकृष्ण
भजन

यदुवंशम : प्रभु श्रीकृष्ण

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** स्वर्ग से उतर आए भगवान विष्णु, माँ देवकी के गर्भ से लेने अवतार। युगपुरुष कृष्ण बनकर जन्म लिया, अत्याचारी कंस का करने संहार।। बालपन में राक्षसों का वध किया, वृंदावन में सखा संग गाय चराये। बजाकर मनमोहक सुरीली बाँसुरी, गोपियों को अपने संग में नचाये।। चौंसठ कलाओं के सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता, द्वापरयुग के आदर्श देव दार्शनिक। निष्काम कर्मयोगी और स्थितप्रज्ञ, महान् विश्व गुरु प्रभु द्वारकाधीश।। विराट रूप तीन लोक, चौदह भुवन, कुरुक्षेत्र में अर्जुन को किया प्रेरित। त्रिकर्म, जीवन, सुख-दुःख के चक्र, गीता ज्ञान के गंगा करके प्रवाहित।। यादव वंश के शिरोमणि, कुलभूषण, युगों-युगों तक भारत में यदुवंशी राज। आपको जन्मदिन की बधाई हो कान्हा, हम पर कृपा बना कर देना आशीर्वाद।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) ...
शिक्षक: एक भविष्य निर्माता
कविता

शिक्षक: एक भविष्य निर्माता

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** ज्ञान की पाठशाला में, जो सबको पढ़ाई करवाता है। वो शिक्षक ही तो है, जो बगिया में फूल खिलाता है।। सादे कोरे कागज में, शब्द लिखकर चित्र बनाता है। बच्चे कच्ची मिट्टी के समान, उन्हें आकार दे जाता है।। स्वयं चलता दुर्गम राह में, शिष्यों के लिए सुगम बनाने। स्वयं तपता है भट्टी में, कच्चे लोहे से औजार बनाने।। सड़क के जैसे पड़ा है, विद्यार्थी आते-जाते अनजाने। चले जा रहे रफ्तार से, मुसाफिर के मंजिल है सुहाने।। एक लक्ष्य, एक राह, मन में पैदा करता है सदा जुनून। हौसलों को बुलंद कर, अनुभव की चक्की से पीसे घुन।। शिक्षादूत, ज्ञानदीप, शिक्षाविद् ही दूर करता है अवगुन। जीत दिलाने अध्येता को, त्याग देता है चैन और सुकून।। कर्म औषधि जड़ी-बूटी को, अज्ञानियों को खिलाता है। ज्ञान गंगा प्रवाहित कर, ज्ञान अमृत सबको पिलाता है।...
यह कैसी है आजादी?
कविता

यह कैसी है आजादी?

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** नारी घर से निकल नहीं सकती, शातिर भेड़िये ताक रहे। उल्लू और चमगादड़, देकर संदेश कोटर से झाँक रहे।। सुख-चैन और नींद को छीनने, गली-गली घूमते हैं पापी। बेटियाँ सुरक्षित नहीं है भारत में, यह कैसी है आजादी? कोई दहेज के लिए प्रताड़ित होकर, जल रही हैं आग में? जुल्म और सितम को सहना, लिखा है नारियों के भाग में।। कम उम्र में ही कर दी जाती है जोर-जबरदस्ती से शादी। बेटियाँ सुरक्षित नहीं है भारत में, यह कैसी है आजादी? शराबी पति शेर बन दहाड़ रहे, पत्नी को समझकर बकरी। दुःख के पलड़े में झूल रही जिंदगी, नरक की तौल-तखरी।। व्याकुल मन की चीख-पुकार अब खोल रही द्वार बर्बादी। बेटियाँ सुरक्षित नहीं है भारत में, यह कैसी है आजादी? प्राचीन काल से ही गौरव नारी हुई थी शोषण का शिकार। अब दुर्गा बन कलयुगी दानव महिषासुर का करो संहा...
मेरा सच्चा साथी
कविता

मेरा सच्चा साथी

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा सच्चा साथी माता और पिता है, जिसने पालन-पोषण कर बड़ा किया। मेरा सच्चा साथी महाज्ञानी गुरुदेव है, जिसने मुझे काबिल बनने ज्ञान दिया।। मेरा सच्चा साथी शिक्षामणी पुस्तक है, जिसे पढ़कर मैंने सफलता प्राप्त की। मेरा सच्चा साथी हर वो नेक इंसान है, जिसने दुःख के समय में मेरी मदद की।। मेरा सच्चा साथी शरीर के प्रत्येक अंग है, जो मुझे कर्म करने के लिए किया प्रेरित। मेरा सच्चा साथी हमउम्र के सभी मित्र है, जो गुणों और अवगुणों को किये चित्रित।। सच्चा साथी भगवान कृष्ण और सुदामा थे, केवल नाम सुनकर ही प्रभु दौड़े चले आये। विप्र के मनोकामना पूरी हुई, खुशियाँ मिली, सखा को भाव विभोर होकर गले से लगाये।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण ...
जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा
कविता

जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा। हार से कभी न फिर घबरायेगा। अकेला चल राह में कदमों को बढ़ा, एक दिन तेरा ये मेहनत रंग लायेगा।। कुरुक्षेत्र के मैदान में जंग है जारी। जी जान लगा अपनी कर तैयारी। धनुर्धारी अर्जुन बन संशय में न घिर, कृष्ण की तरह दिखा विराट अवतारी।। मंजिल की आंखों में पहले आंखें तो मिला। लक्ष्य पाने मनबाग में कुसुम तो खिला। नित कर्म ही तेरा भाग्य है वीर मनुज, रुकना नहीं चाहिए अभ्यास का सिलसिला।। आयेंगी चुनौतियां तेरी लेने परीक्षा। दृढ़ पर्वत के समान खड़ा कर प्रतीक्षा। साहस भरके मन में सामना तो कर, मिलेगी सफलता पूरी होगी हर इच्छा।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र : मैं ...
सूर्यवंशी राम
भजन, स्तुति

सूर्यवंशी राम

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चतुर्भुज गोविन्द के अवतारी, लीलाधारी घनश्याम। दशरथ नंदन, रघुकुल भूषण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम।। सूर्यवंश के प्रतापी अधिपति, त्रेतायुग के पुरुष विराट। प्रजाओं के परम पूजनीय, आदर्श देव महान सम्राट।। गुरु वशिष्ठ के प्रिय शिष्य, धनुर्विद्या में अति प्रवीण। करुणानिधान, दयालु,जन मन कीर्ति किया उत्कीर्ण।। दीन-हीन, पतितों के अभिरक्षक, रणबांकुरा, रणधीर। दानव और राक्षस संहारक, सर्व शक्तिमान, शूरवीर।। माता-पिता वचन अनुगामी, प्रिया के प्रति समर्पण धर्म। भ्राता के प्रति स्नेहिल व्यवहार, न्याय संगत, राज कर्म।। मित्र के प्रति सहयोग भावना, मृदुभाषी,सरल व्यक्तित्व। लोकमंगल, जनकल्याण, खुशहाल, समृद्ध था प्रभुत्व।। रामराज्य में अंगीय, अगत्या, पार्थिव तापों से थी मुक्ति। किंचित मृत्यु, व्याधि व्यथा की थी प्रभावज...
लक्ष्य की ओर
कविता

लक्ष्य की ओर

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** दौड़ सकता है तो दौड़, भाग सकता है तो भाग। मंजिल पाने के लिए, अंतर्मन में लगी है आग।। ठण्डे खून के उबलने तक या खून सूखने तक। पागलपन की जुनून तक या मुर्दा बनने तक।। जब तक मंजिल ना मिले, राहों में तुम रुकना नहीं। चुनौतियों का सामना करना, स्वयं कभी टूटना नहीं।। जीवन की सांसें फूलने तक या सांसें रुकने तक। कंकाल की राख उड़ने तक या चमड़े गलने तक।‌। कुछ विरोधी और बुरे लोग, तुम्हें पथ से भटकायेंगे। खूब हंसी उड़ेगी गलियों में, जन भ्रमजाल फैलायेंगे।। मिट्टी में दफन होने तक या सब कुछ खत्म होने तक। आत्मा की शुद्धि होने तक या परमात्मा दिखने तक।। डटे रहना मैदान में वीर योद्धा, शत्रुओं को करने ढेर। धीरज रखना साहस भरकर, जीत में भले होगी देर।। हार के काली रात के बाद, आयेगी सफलता भोर। दृढ़ आत्मविश्वास से...