Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: अलका जैन

दिल में आया है एक ख्याल सुनहरा सुनहरा
कविता

दिल में आया है एक ख्याल सुनहरा सुनहरा

अलका जैन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दिल में आया है एक ख्याल सुनहरा सुनहरा निजी गुलशन में लगाए एक अंगूर की डाल खट्टी मीठी याने तेरे नाम की हरिभरी बेल दिल में आया है एक ख्याल सुनहरा सुनहरा गलि मे लगा डालूं एक चंदन का पेड़ सावन में ओर प्राप्त करु भीनी-भीनी तेरे बदन सी खुशबू दिल में आया है एक ख्याल सुनहरा सुनहरा सा किसी गुलशन में लगाए जाये गुलाब के फूल यार प्राप्त करूं गुलाब यानी तेरे लब से सुर्ख लाल गुल दिल में आया है एक ख्याल सुनहरा सुनहरा सा किसी दिन कराया जाये मुकाबला हुस्न और गुल में शायद गुल जीते जाये हुस्न भी है दावेदार मुकाबले मे सुनंदरता के इस मुकाबले में टक्कर कांटे की होगी सुनो चाहे हुस्न जीते या गुलशन के फूल दोनों मेरे अपने हुस्न और गुलशन हिफाज़त करना फर्ज दिवानो का पर्यावरण जब रक्षा होगी समाज की हिफाज़त होगी ...
मौसम संमदर किनारा
कविता

मौसम संमदर किनारा

अलका जैन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मौसम संमदर किनारा मेहबूब पैसै लोक डाउन ने सब पर पानी फेरा करोना जीते जी मार डाला यार मंझधार में साथ रहे किनारे पर वो अजनबी बन गया हाय रो मत दुनिया में होता लाख बहाने मरने के यार तू सिर्फ एक सहारा जिंदगी का बस मै नहीं तू ही तू कस्मे वादे प्यार वफा बेकार जिस्म की चाहते सबसे पहले नया दौर मेहबूबा चाहे इश्क नादानी करें महफ़िल यार दोस्त खुशी पैमाना दुनिया बदला पैमाना मंहगी वस्तु खुशी दे तेरा को देख खुश कोई लहू संग अश्क बह रहे अश्क बाहाये समझा कौन दर्द ए मुफलिस दर्द-दर्द और दर्द मुफलिस की जिंदगी हुनर को दाद दे कौन माया दिवानी कला को मान दे कोन हुनरमंद कैसे हूनर निखारे यारो अश्क तेरे ही नहीं दीवाने दुनियाभर की आंखों नम क्या तू क्या जाने अश्क पीता जा और जी मिलेगी मंजिल एक दिन तुझे भी भटक घूमना ना छोड़ हुनर...
घुंघट काड ले रे गुजरिया
कविता

घुंघट काड ले रे गुजरिया

अलका जैन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** घुंघट काड ले रे गुजरिया घुंघट काड ले रै घुंघट में मेरा जिया घबराय रे सांवरे मे ना लूं घुंघट मेरा जियो धडके रे सावरे जा गांवों की सारी लुगाई घुंघट डाले गुजरिया रे लोग थारे भला बुरा बोलेंगे गुजरिया रे कहनो मान लें रे गुजरिया कहा मान रै घुंघट काड ले रे गुजरिया घुंघट डाल लें गांव की सारी लुगाई घुंघट डाले लम्बो-लम्बो रे गुजरिया रिवाज ना छोड़ गुजरिया रे औ गुजरिया कहनो मान लें रे गांव की सारी लुगाई काली-काली से ले जा मारे वो लम्बो-लम्बो घुंघट काढ़े ये सांवरिया रे मेरा रूप रंग चांद सा सुंदर में काहे डालूं घुंघट डालूं सारा गांव में मेरे प्यार में पागल से ले सांवरिया रे दिवाना रे घुंघट काड ले रे गुजरिया घुंघट डाल लें रे मैं रूप की रानी काहे डालूं घुंघट रे सांवरिया घुंघट काड ले रे गुजरिया घुंघट डाल रे परिचय :- इ...
थोड़ी बहुत पिया करो
कविता

थोड़ी बहुत पिया करो

अलका जैन (इंदौर) ******************** ओ सजनी ना कर शराब बंदी मिन्नतें करे दीवाना दो घूंट में तू भी विश्व सुंदरी नजर आती जान जानी कर मेहरबानी दिवाने आने दे आशियाने में दुनिया से क्या पूछे दिवानै से पूछ शराब क्या है जन्नत में भी शराब मिलती बहुत रानी खुशी हो या गम शराब साथ जिसके जन्नत उसकी दिवाने का बस चले तो शराब राष्ट्रीय पेय घोषित करवा डाले सुन सजनी शराब बांट कहलाये बावले सायाने नेता शराब में नहीं कोई खराबी मान मेहबूबा शराब भरे सरकारी खजाने तो काहे नहीं पिये मयकश मयकशी में है कितने मजा एक घुंट तू पीले जानी घूंघट में तेरी जवानी काहे खराब करे जानी तू भी पी के टन हो जा मे भी जन्नत देखू मजा ज़िंदगी यूं ले हम तुम जानू जिसने नहीं पी शराब उसकी जिंदगी समझो आधी हुई बेवजह खराब जानू शराब से जिंदगी बन जाती मान जानू जिसके साथ हम प्याला हो गया इंसान उसकी यारी दोस्ती कभी नहीं टूटे जानू शराब ऐसे रिश्ते ...
वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े
कविता

वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े

अलका जैन (इंदौर) ******************** वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े जिन्हें हम सितोलिया पुकारते उन सात पत्थर की कीमत अनमोल जब मुल्याकं किया बुढ़ापे में आदमी ने वो महफ़िल जो बेमक़सद सजती रही मेरी आपकी हमारी चोखट पे आये दिन जिन महफ़िलो में फजीते रहते थे खाने के जिन महफ़िलो में लिबास को तवज्जो नहीं वो शुद्ध यारी दोस्ती की महफ़िल अनमोल याद आते हैं वो दिन अनमोल यारी दोस्ती यार के एक आवाज पर जान देने की आरजू वो सिगरेट के छोटे छोटे खश खींचना चुपके वो दारु पीने की जुगाड करना चुपके चुपके वो हसीना को बेवजह घूरना फिरके कसना वो बेफिक्री जाने किधर गुम गई जिंदगी से वो पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े सितोलिया जिंदगी तेरा कही ख़तम अब मृत्यु बुला रही है सितोलिया परिचय :- इंदौर निवासी अलका जैन की शिक्षा बी.एससी. है, शायरी के लिए आप गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं और मालवा रत्न अवार्ड से नवाजी गईं हैं, फर...
मौसम संमदर किनारा मेहबूब पैसै
कविता

मौसम संमदर किनारा मेहबूब पैसै

अलका जैन (इंदौर) ******************** मौसम संमदर किनारा मेहबूब पैसै लोक डाउन ने सब पर पानी फेरा करोना जीते जी मार डाला यार मंझधार में साथ रहे किनारे पर वो अजनबी बन गया हाय रो मत दुनिया में होता लाख बहाने मरने के यार तू सिर्फ एक सहारा जिंदगी का बस मै नहीं तू ही तू कस्मे वादे प्यार वफा बेकार जिस्म की चाहते सबसे पहले नया दौर मेहबूबा चाहे इश्क नादानी करें महफ़िल यार दोस्त खुशी पैमाना दुनिया बदला पैमाना मंहगी वस्तु खुशी दे तेरा को देख खुश कोई लहू संग अश्क बह रहे अश्क बाहाये समझा कौन दर्द ए मुफलिस दर्द-दर्द और दर्द मुफलिस की जिंदगी हुनर को दाद दे कौन माया दिवानी कला को मान दे कोन हुनरमंद कैसे हूनर निखारे यारो अश्क तेरे ही नहीं दीवाने दुनियाभर की आंखों नम क्या तू क्या जाने अश्क पीता जा और जी मिलेगी मंजिल एक दिन तुझे भी भटक घूमना ना छोड़ हुनरमंद कलाकार मेहनत रंग लाएगी एक दिन परिचय :- इं...
यारी दोस्ती…
लघुकथा

यारी दोस्ती…

अलका जैन (इंदौर) ******************** हलो दीपिका कैसी है तू? अरे वही रोने बुढ़ापे के, तबीयत खराब है, ओहो तबियत ठीक नहीं है। हां बोल तबियत ठीक नहीं है तो रहने दें आराम कर। में तो तेरे घर की तरफ आई थी, डॉक्टर को दिखा ने। मेरी भी तबियत ठीक नहीं है। मगर डॉक्टर के घर मोत हो गई तो वो चला गया। अरे तो तिलक नगर में ही है तो आ जाओ। तेरे तबियत ठीक नहीं है ना जैसे तेरी ठीक है। चल आ जा। मैं दरवाजा खोल देती हूं। ताले डाल रखे हैं। दिन में अरे हां, इतने कैसे सुनने को मिल रहे हैं, शहर में बुड्ढे बुढ़िया को मार। फिर मेरे पास तो बुड्ढा भी नहीं रहा। तीन लड़कियों है सो तीनों अमेरिका में है। यहां होती तो भी कहा मेरे पास होती अपनी अपनी ससुराल में होती। चल मैं आ गई तेरे घर, अरे दिपिका तेरा हाथ तो बहुत हिल रहा है... हां क्या करे बुढ़ापे में जो हो जाते वहीं कम कारण नहीं पूछा डॉक्टर से वहीं टेंशन तेरे जिजाजी को कै...
जल पर कलम
कविता

जल पर कलम

अलका जैन (इंदौर) ******************** प्यास बुझाने को व्याकुल सावन की बुंदे समंदर में जज्बा कहा प्यास बुझाने का यार रिश्तेदारो बुंदे बुंदे बारिश की बूंदों बूंदों को बदोलत जीवन की सोगात पाई हमने ज़मीं पर जल जीवन लिया यार रिश्तेदारो आस्मां के बुलावे पर जब जब श्वेत वस्त्र धारण कर उपर पहुची दुनिया पूकार उठी बादल बादल याद सताने लगी यार की बुंदों को मशाल जला तब देखा बुंदों ने निचे चोंच खोल पक्षी तलाश रहे बुंदों को पशू भटक रहे बुंदों की खोज में और जब देखा बूंदों ने हाय किसान अपने आश्को से खेत सींचने का असफल प्रयास करते हुए रोते छोड़ साथ आसमान का दोडी भागी धरा पर आ पहुंची बुंदे बुन्दे बुंदे सावन की बुंदे बरसी समंदर बनो ना बनो यार दोस्तों आपकी मर्जी या आपकी किस्मत बुंद बनना मत बिसार देना अपने परायो की प्यास बुझाना यार अंजुली में भर कर जब बुंदे मारी सजनी पर साजन ने अमर प्रेम की तब उपजी बहुतेरी जमा...
मेरी बेटी बड़ी नखराली से
कविता

मेरी बेटी बड़ी नखराली से

********** अलका जैन (इंदौर) मेरी बेटी बड़ी नखराली से लड़के उसे बहुत दिखाये हमने ना ना ना हर कोई को कह रही से एक से एक अमीर दिखाये ना वो कर जाये एक से एक होशियार दिखाते ना वो कर डाले एक दिन बोली मैंने लड़का पसंद आ गया मैं बोली अरी बावरीये कैसे हुआ बेटी मेरे इश्क में लड़का पागल हे ये मा शादी के बाद लड़का बेटी ने आगरा ले गया बेटी बोली मेरे इश्क में पागल है ताज दिखाने ले जाया है अम्मा मेरी पागल से इश्क में पागल से लड़का ये आगरा पहुंची लाडली मेरी बेटी दो राहें पर बारत रूकी एक राह जाती पागल खाने की ओर दूजी ताज की ओर बारत चली पागल खाने की ओर बेटी उलझन में पड़ गई लाडली पागलखाना पहुंचा दुल्हा सारे पागल खूश छोड़ दें हकीम ये पागल नहीं मेरे इश्क में पागल है ये हकीम बोला कोन बोला तेरे इश्क में पागल नहीं है ये ये तो जन्मजात पागल है मेरा पुराना मरीज से ये . परिचय :- इंदौर निवासी अलका जैन की शिक्षा ब...
बर्बादी के अफसाने
कविता

बर्बादी के अफसाने

********** अलका जैन (इंदौर) अंकित होंगे मेरे लहू से बर्बादी के अफसाने किसने सोचा था किसने जाना था डूब जाती है कश्ती भंवर में फंस कर अपनी कश्ती का भी यही अंजाम होगा किसने सोचा था किसने जाना था पतझड़ आयेगी आ कर चली जायेगी पतझड़ मगर जिंदगी बन जायेगी किसने सोचा था किसने जाना था दर्द है समय ले कर कटमिट जायेगा दर्द मगर लाईलाज निकला हाय हाय सुना था मेहबूब बेवफा होते हैं कोई कोई मेरे मेहबूब की आंखों मैं फरेब होगा किसने सोचा था किसने जाना था अंकित होगे मेरे लहू से बर्बादी के अफसाने किसने सोचा था किसने जाना था परिचय :- इंदौर निवासी अलका जैन की शिक्षा बी.एससी. है, शायरी के लिए आप गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं और मालवा रत्न अवार्ड से नवाजी गईं हैं, फर्स्ट वाल पर १००० लोगों ने आपकी रचनाओं को पसंद किया है। आकाशवाणी दूरदर्शन अखबारों मै लेख गजल कहानी गीत प्रकाशित, आप भजन सत्संग व फैशन का शोक ...