मैं बहती नदी हूं
अर्चना तिवारी
वड़ोदरा (गुजरात)
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मैं बहती नदी हूं
मुझे बहने दो न.....
अपूर्णता ही मेरी पहचान है
पहाड़ों से जल भर
सागर तक मुझे बहने दो न.....
पूर्ण होते ही रुक जाऊंगी
कईयों की निर्भरता है मुझ पर
उनकी तृष्णा बुझाने दो न ....
पूर्ण होते ही सिमट जाऊंगी
मुझे अपनी अपूर्णता पर
मिलती खुशियां है.....
हां कुछ कमियां है मुझ में
पर यह कमियां मेरी पहचान बने .....
ये खुशियां बरकरार रहने दो न
मैं बहती नदी हूं मुझे बहने दो न....
परिचय :- अर्चना तिवारी
निवासी : वड़ोदरा (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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