Monday, November 25राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: अब्दुल हमीद इदरीसी

मुझे तुमसे इतनी फ़क़त है शिकायत
ग़ज़ल

मुझे तुमसे इतनी फ़क़त है शिकायत

अब्दुल हमीद इदरीसी मीरपुर, कैण्ट, (कानपुर) ******************** मुझे तुमसे इतनी फ़क़त है शिकायत। न भरपूर मुझको मिली तुमसे उल्फ़त। है बाक़ी अभी देखना हमको हमदम, कहाँ जा रुकेगी ये नाक़िस सियासत। वो करते रहे हैं वो करते रहेंगे, है हासिल उन्हें बस इसी में महारत। नहीं बाल बाँका कोई कर सकेगा, रहेगी जो यकजा बड़ी इक जमाअत। लड़ा दुश्मनों से हमीद उस घड़ी तक, रही जब तलक तन बदन में हरारत। परिचय :- अब्दुल हमीद इदरीसी  निवास - मीरपुर, कैण्ट, (कानपुर) साहित्यिक नाम : हमीद कानपुरी घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने छायाचित्रएवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हि...
अँधेरे में दिखते सितारे हमेशा
ग़ज़ल

अँधेरे में दिखते सितारे हमेशा

अब्दुल हमीद इदरीसी मीरपुर, कैण्ट, (कानपुर) ******************** ख़ुदा की रज़ा पर जो चलते नहीं हैं। कभी भाग्य उनके संवरते नहीं है। अँधेरे में दिखते सितारे हमेशा, उजाले में हरगिज़ निकलते नहीं हैं। उन्हीं को मिला करते नायाब मोती, किनारे किनारे जो चलते नहीं हैं। नहीं जीत सकते मुकम्मल वो बाज़ी, समर में जो पूरा उतरते नहीं हैं। नसीबों में आती नहीं हैं बहारें, समय के मुताबिक जो चलते नहीं हैं। उन्हें हर घड़ी रहता गिरने का खतरा, क़दम दर क़दम जो सम्भलते नहीं हैं। कोई मानता ही नहीं उनका कहना, खरे बात पर जो उतरते नहीं हैं। समय का जो उपयोग करते हैं अच्छा, कभी हाथ अपने वो मलते नहीं हैं। परिचय :- अब्दुल हमीद इदरीसी  निवास - मीरपुर, कैण्ट, (कानपुर) साहित्यिक नाम : हमीद कानपुरी घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...