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Tag: अजय गुप्ता “अजेय”

मुझे जग में आने दो
कविता

मुझे जग में आने दो

अजय गुप्ता "अजेय" जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश) ******************** मुझे जग में आने दो अजन्मे की पीर से फटे बिवाई जो अधिकार की दे रही दुहाई मुझको जग में आने दो मां। यूं मत मुझको जाने दो मां। सदा तुझे आभार कहूंगी, मां तुझसे मैं प्यार करुंगी। मां तेरी हूं मैं लाड़ो प्यारी, बनूंगी सारे जग में न्यारी।। मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो.. मै हूं जीवित अंश तिहारा, मैं भी हूं तेरा वंश सहारा। बदला समय बताना होगा, पापा को समझाना होगा। बिगड़ गया अनुपात जताना, जनसांख्यिक हालात बताना। अगर न माने फिर भी पापा, मैं उनसे मनुहार करुंगी। जीवन भर आभार कहूंगी।। मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो.. लक्ष्मीबाई या मदर टेरेसा, क्या कोई बन पाया बैसा। केवल ना एक धाय थी पन्ना, ममता का अध्याय थी पन्ना। जरा बता दो प्यारी अम्मा, दादी को समझाओ मम्मा। सब गुण अंगीकार करुंगी, जीवन भर उपकार करुंगी।। ...
विडंबना
कविता

विडंबना

अजय गुप्ता "अजेय" जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश) ******************** हर साॅंझ डूबता है सूरज, प्रातः फिर उग आता है। तन-थकन,मन-विषाद भगा, संचार-चेतना लाता है। सुबह सबेरे खेतों पर, हर मौसम में जाता है। हर साॅंझ डूबते सूरज तक, थकहार लौट घर आता है। अपने खून पसीने से सींच, धरती पर अन्न उगाता है। अपने परिवार के साथ-साथ जग भर की भूख मिटाता है। सर्दी-गर्मी हर मौसम में, महानगर को जाता है। चढ़ बांस-फूंस की सीढ़ी पर, सपनों के महल बनाता है। अपने जीवन के जोखिम पर, चंद कौर से भूख मिटाता है। भट्टी पर देह तपा अपनी, उपयोगी बर्तन बनाता है। हो फूलदान या हो मूरत, सुंदर रंगों से सजाता है। नित भोर किरन से पहिले, तांवा-पीतल को गलाता है। फिर रेत-रगड़ चमकाकर, घुंघरू-झंकार सुनाता है। मंदिर की घंटी या हो घंटा, बिन जिसके न बन पाता है। भट्टी-घरिया धुंआ-नीला, सांसों को बहुत फ...
त्राहिमाम
चौपाई, छंद

त्राहिमाम

अजय गुप्ता "अजेय" जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश) ******************** तुम हो जग के पालनहारे, ब्रहां, विष्णु, महेश हमारे। हे आपदा प्रबंध प्यारे, सबहु तेरी कृपा सहारे।। सूनी सड़क गली चौबारे, जैसे नभ से ओझल तारे। घर-घर में नर-नारी सारे, बिन प्राणवायु जीवन हारे।।१ भौतिक सुख इच्छा ने भुलाये, पर्यावरण क्षति हमें रुलाये। जगह जगह हम पेड़ लगायें, अब नहीं वन-कटान करायें।। त्राहिमाम! हम शीश नभायें, माथे पग रज तिलक लगायें। प्राणवायु जग भर फैलाये, फिर से धरा सकल महकायें।।२ हमने किये पाप हैं भारी, भूले थे हम तुम अधिकारी। म़ाफ करो हम रचना त्यारी, त्राहिमाम! देवधि उपकारी।। हम तेरे बालक मनुहारी, त्राहिमाम! हे जग गिरधारी।। प्रभु सुन लीजिए अरज हमारी, करो दया जग लीलाधारी।।३ परिचय :- अजय गुप्ता "अजेय" निवासी : जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश) शिक्षा : स्नातक ऑफ लॉ एंड कॉमर्स, आगरा वि...
अमरत बरसेगा
भजन

अमरत बरसेगा

अजय गुप्ता "अजेय" जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश) ******************** तुम करो राम से प्यार अमरत बरसेगा। तेरा हो जाये कल्यान अमरत बरसेगा। सूर्यकुल दशरथ के नंदन, माता कौशल्या अभिनंदन। पिता वचन पालनहार, अमरत बरसेगा। गुरु वशिष्ठ कृपा अपार, अमरत बरसेगा।।१ भार्या जनक नंदनी, नारी पतिव्रता गुनी, छोडा महल सुख बनी वन अनुगमी। सप्त वचन जीवन आधार, अमरत बरसेगा। तुम करो सिया सत्कार, अमरत बरसेगा।।२ मर्यादा को कभी न त्यागो, मात-पिता की आज्ञा मानो। होगा तेरा भी उद्धार, अमरत बरसेगा। तुम करो राम से प्यार, अमरत बरसेगा।।३ करके भगवा वस्त्र धारन, राम धुन का कर उच्चारन। होकर प्रसन्न अपार, अमरत बरसेगा। तुम करो हनुमत से प्यार, अमरत बरसेगा।।४ आदर्शों की ओढ़ चुनरिया, सत्यमार्ग की चलो डगरिया। गुरु आज्ञा कर शिरोधार, अमरत बरसेगा। तुम करो राम से प्यार, अमरत बरसेगा।।५ सिर पर राम पादुका धारन,...