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Tag: अखिलेश राव

अभिनंदन है…. शब्द पुष्प
कविता

अभिनंदन है…. शब्द पुष्प

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आप आए पुण्य धारा पर स्वागत वंदन अभिनंदन है। रोली कुमकुम हल्दी अक्षत संग सुभाषित चंदन भी है तुम आए हो पुण्य धारा पर स्वागत वंदन अभिनंदन है। महाकाल उज्जैन के राजे ओंकारेश्वर ओंकार विराजे खजराना की ख्याति राष्ट्र में पितरेश्वर,ऱंजीत सरकार विराजे अतिथि देवोभव, सहित पुण्य देव सादर नमन है स्वागत वंदन अभिनंदन है,... घर आंगन द्वार सजाये आगत पलक पावंड़े बिछाये मुदित मना स्वागत करते है बांरबार तुम्हे नमन है स्वागत वंदन अभिनंदन है ... पुलिस लगी है चप्पे चप्पे स्वाद बड़ा रहे गोल गप्पे ईमरती जलेबी उसलपोहा गीत गजल भजन दोहा भुट्टे का किश लेकर देखो बार बार ललचाये मन स्वागत वंदन अभिनंदन .... समिट मीट जो आगे बढेगी विकास का आकाश छुयेगी सुख समृद्धि पुष्पित होगी नभ से बरसेगा कुंदन स्वागत वंदन अभिनंदन। परिचय :- अखिल...
प्रो. अखिलेश राव की प्रथम कृति का विमोचन
साहित्यिक

प्रो. अखिलेश राव की प्रथम कृति का विमोचन

इंदौर। दिनांक ६ फरवरी को प्रो. अखिलेश राव की प्रथम कृति प्रणय और प्रलय के उन्मुक्त गायक माखनलाल चतुर्वेदी का विमोचन आनंद माथुर प्रेस क्लब में संस्था रंजन कलश एवं रुक्मणी देवी वेलफेयर सोसायटी के सम्मिलित तत्वाधान में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ विकास दवे, निदेशक साहित्य अकादमी भोपाल ने की मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रभु त्रिवेदी जी मौजूद थे विशेष अतिथि के रूप में अर्पण जैन उपस्थित थे अतिथियों ने मुक्त कंठ से पुस्तक के विषय एवम विषय सामग्री की तारीफ की सभी ने सामूहिक रूप से इस बात को विशेष बताया कि हिंदी हमारी धरोहर कहलाने वाले स्तम्भ कवियों पर कुछ लिखना निश्चित ही युवा पीढ़ी को अच्छा संदेश देता है कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित साहित्यकार सदाशिव कौतुक जी, कृष्णकुमार अष्ठाना जी हरेराम बाजपेई जी प्रदीप नवीन जी आदि उपस्थित रहे कार्यकम का सफल संचालन पंडित संतोष मि...
दीपावली का कर्ज
कविता

दीपावली का कर्ज

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कर्ज से परेशान मांगू ने सोचा अब दीपावली कैसे मनायेगा अच्छा तो यह है कि वह. गोली खाकर मर जायेगा। काम से लौटकर घर आया आते ही धनिया ने सारा किस्सा सुनाया क्या करता क्या कहता ऐसे दुख रोज ही सहता। फिर धनिया बोली चलो छोड़ो हाथ पांव धोलो बची खुची खिचड़ी आज बना ली है में और तुम बचे हैं बच्चों ने अपने-अपने हिस्से की खा ली है। दोनों ने मिलकर खाना खाया मांगू बोला में थोड़ा टहलकर आया टहलकर आया बीबी बच्चों को सोता पाया सोचा अच्छा है अब गोली खा लूंगा सारी मुसीबतों से एक साथ छुटकारा पा लूंगा। उसे क्या मालूम धनिया ने खिचड़ी नहीं खाई है परिवार के लिए पानी पीकर डकार लगाई है खाली पेट नींद नहीं आ रही थी खाट पर हाथ पांव हिला रही थी। मांगू ने मौका पाकर गोली खाने की हिम्मत जुटाई इतने में धनिया की आवाज आई सुनते हो रामू के ब...
जामुन
कविता

जामुन

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** खास खाये या आम ले लो कम दाम में। जामुन है बदनाम ले लो कम दाम में।। रंग रूप में श्याम सलोनी देख मुख में आ जाये पानी खाओ सुबह और शाम ले लो कम दाम में।। रोगों को ये जड़ से मिटाये मधुमेह पर काबू पाये कहते हकीम लुकमान ले लो कम दाम में।। मखमली सी कोमल काया मनवा देख इसे ललचाया बारिश की ये शान ले लो कम दाम में।। खास खाये या आम ले लो कम दाम में जामुन है बदनाम ले लो कम दाम में।। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प...
जीवन के मूलाधार पिता
कविता

जीवन के मूलाधार पिता

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन का मूलाधार पिता सुख स्वप्नों का साकार पिता ऊबड़ खाबड़ पगडंडी पर पथ सत्य दिखाती राह पिता।। कलुषित तम में प्रकाश पिता निराश हृदय की आस पिता आपाधापी दुर्गम पथ पर पुष्पों संग सजा हे थाल पिता जीवन का मूलाधार पिता।। मेरा जीवन अभिमान पिता स्वावलंबन स्वाभिमान पिता कच्ची मिट्टी के लोंदें हम गढने वाला कुम्हार पिता। सुख स्वप्नों का साकार पिता।। संघर्षों के आधार पिता संकट में ढालाकार पिता दुख सुख लाभ हानि समक्ष पर्वत सी अटल दीवार पिता।। हम सबकी जीवन आस पिता।। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं...
३७० का हटना
कविता

३७० का हटना

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राष्ट्र विजय पर राष्ट्रद्रोहियों का जहर रास नहीं आया घाटी का शांतिपूर्ण पहर बस करो देश के जयचंदो और गद्दारों कश्मीरी पंडित लौट रहे हैं अपने गांव शहर।। भूल गए ९० में हिंदू का खून बहाया था आशियाना छीन लिया मार मार भगाया था तब तो तुम सबके मुंह पर चुप्पी छायी थी तत्कालीन सरकार ने भी कहर ढाया था काश्मीर की क्यारी में क्यों बो रहे जहर रास नहीं आया घाटी का शांतिपूर्ण पहर।। वातावरण भाईचारे का हरपल तुम्हें खटकता है जिन्ना की औलादों सीने में पाकिस्तान धड़कता है दशकों में खुशियां लौटी है मिलजुल अब मौज करो धारा ३७० का हटना अब भी तुमको खलता है डलझील में उठने लगी है प्रेम की लहर कश्मीरी पंडित लौट रहे हैं अपने गांव शहर।। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर...
संभव है
कविता

संभव है

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** संभव है क्या रीते मन में या फिर मेरे ही जीवन में होता है विश्वासघात क्यूं या में करता आत्मसात हूं क्यूं अपेक्षा बढती जाती और उदासी छाती। या फिर मेरे ही जीवन में तृप्त ना होता मन मेरा है या फिर जीवन का घेरा है तनिक मुझे इतना बतला दो मुझको भी पथ प्रेम बता दो वरना भटकूंगा वन वन में प्यास बुझेगी ना जीवन में आओ और बसंत बन जाओ मेरे उजड़े से मधुवन में। संभव है क्या रीते मन में या फिर मेरे ही जीवन में। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं...
बादल आवारा है
कविता

बादल आवारा है

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बादल आवारा है अल्हड़ है मदमस्त इतराते है बादल आवारा है। है वसुधा से दूर ये कितने झट से आलिंगन कर जाते हैं बादल आवारा है।। पनिहारिन पानी भरती ऐसे लगते हैं मोर नाचता मधुवन ऐसे लगते हैं चीटी चढे पहाड़ ऐसे भी दिखते कान्हा की बंसी मुद्रा से भी लगते हैं बादल आवारा है।। कभी नवल कभी धवल कभी कमल ये बन जाते हैं बादल आवारा है।। मुस्काओ तो हंसते जाते दुख में ये उदास हो जाते बहुरूपिया बनकर ये बादल कभी हंसाते कभी रूलाते बादल आवारा है।। कभी दुपहरी बनकर आते सांझें सुंदरी कर जाते उमस भरी रातें भी इनकी कभी चांदनी में नहलाते बादल आवारा है अल्हड़ है मदमस्त इतराते है बादल आवारा है।। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हू...
मां पर लिखना आसान नहीं
कविता

मां पर लिखना आसान नहीं

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मां के श्री चरणों में मातृ दिवस पर शब्दांजली माँ पर लेखन कोई आन नहीं मां पर लेखन कोई मान नहीं मां पर लेखन कोई सम्मान नहीं मां पर लेखन कोई स्वाभिमान नहीं अथक प्रयासों का भी कोई भान नहीं मां पर लिखना आसान नहीं मां पर लिखना आसान नहीं।। कैसे लिक्खूं जिससे तुतलाती भाषा सीखी है कैसे लिक्खूं जिससे जीवन परिभाषा सीखी है कैसे लिक्खूं जिससे आशा ही आशा सीखी है कैसे लिक्खूं जिससे प्रेम नेह अभिलाषा सीखी है सहज सरल अभिव्यक्ति का मुझको भान नहीं मां पर लिखना आसान नहीं।। बिन मां के बच्चा खड़ा नहीं होता है बिन मां के बच्चा बड़ा नहीं होता है बिन मां चुनौती समक्ष अडा नहीं होता है मां का संबंध नो माह सभी से बड़ा होता है सुख-दुख ममता करूणा का ध्यान नहीं मां पर लेखन कोई आसान नहीं।। मां प्रभुसत्ता पूजा भक्ति आराधन है मां जगत पूर्ण संसाधन हैं मां की छबि सुंदर ...
सुन मेरे छंद मेरे गीत
ग़ज़ल

सुन मेरे छंद मेरे गीत

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुन मेरे छंद मेरे गीत सुन लो मेरी ग़ज़ल हर पल साथ रहें खिले जीवन में कमल। कभी डूबें कभी तैरें झील से नयनों में तेरे खुशनुमा माहौल जिंदगी आये ऐसा पल। में तेरा फरियाद मजनू तेरा शाहजहां मेरी सीरी मेरी लैला मेरी मुमताज महल। तुझ पे कुर्बान छोटी सी कायनात मेरी तेरी हर राह पे डाले हैं फूल चुन कर। अखिल कहता सारी फिजां तुझी से है नहीं जो तू तो जहां बेजान और गुल। सुन मेरे छंद मेरे गीत सुन लो मेरी ग़ज़ल हर पल साथ रहें खिले जीवन में कमल। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परि...
आओ मिलकर किला लड़ायें
कविता

आओ मिलकर किला लड़ायें

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आओ मिलकर किला लड़ायें कोरोना को दूर भगायें दो गज दूरी मास्क जरूरी का गतिरोध बना बढती गति पर हम रोक लगायें। कोरोना की दूसरी लहर गांव कस्बा या हो शहर नहीं सुरक्षित है कोई भी हर तरफ इसका कहर बारंबार सेनेटाइजर लगायें कोरोना पर काबू पायें। कोरोना का देखो वार हर घड़ी में एक शिकार अनवरत बढ़ रहा निरंकुश सकल राष्ट् में हाहाकार लापरवाही छोड़ सभी हम जीवन है अनमोल बचायें। आगे और बड़ा संकट है पथ पर कंटक ही कंटक है आक्सीजन कम कैसे बचें हम समस्या विकराल विकट है हम सुधरेंगे युग सुधरेंगे पंक्ति को चरितार्थ बनाये। विपत्ति का ये दौर है विपक्ष कर रहा शोर है सर्वदल एकजुट हो जायें वरना ना होगी भोर है इन्हें छोड़ आगे आयें कोरोना को दूर भगायें। जान है तो जहान है नेता भीड़ हेतु परेशान हैं अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता इनका तो बस लक्ष्य एक है जीवन अपना सुल...
नई भोर हो नई किरण हो
कविता

नई भोर हो नई किरण हो

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नई भोर हो नई किरण हो नवल धवल आवरण हो बधाई गुड़ीपड़वा चहुंओर सजे गुंजित हिंदू नववर्ष भी हो। स्वर्णिम स्वप्न की झंकार लाया है खुशियों के अनुपम उपहार लाया है जीवन पथ पर पुष्प सुभाषित सुरभित सुगंधित बयार लाया है। नई उमंग नई तरंग संग-संग नवहर्ष हो गुंजित हिंदू नववर्ष भी हो। सफलता शिखर पे नित नए आयाम हो धरा पर यश कीर्ति मान और सम्मान हो एक दिन समय भी आपका होगा विषम परिस्थितियों में साथ संघर्ष भी हो गुंजित हिंदू नववर्ष भी हो। तन स्वस्थ रहे मन सुंदर हो सच का हृदय में सपना हो आस्था श्रद्धा विश्वास सहित उत्साहित मन नूतन उत्कर्ष भी हो गुंजित हिंदू नववर्ष भी हो। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार...
शब्द कहां से आते हैं
कविता

शब्द कहां से आते हैं

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तुमने पूछा है कि ऐसे शब्द कहां से आते हैं अक्षर से बनते शब्द शब्द से वाक्य बनाये जाते हैं शब्दों की बढ़ती श्रंखला बन जाती है वाक्य सुनो तुम्हें देख ये वाक्य स्वमेव कविता में ढल जाते सुंदर वाक्य काव्य भाषा में अलंकार कहलाते हैं। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com ...