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Tag: अंजुमन मंसूरी’ आरज़ू’

महादेवी वर्मा सम्मान हेतु सुश्री आरज़ू का चयन
साहित्यिक

महादेवी वर्मा सम्मान हेतु सुश्री आरज़ू का चयन

०१ नवंबर २०२० को प्रयागराज में किया जाएगा सम्मानित इंदौर। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था गुफ्तगू द्वारा वर्ष २०२० के महादेवी वर्मा सम्मान हेतु सुश्री आरज़ू का चयन उनकी साहित्यिक सेवा के लिए किया गया है। इन्हें यह सम्मान १ नवंबर २०२० को हिंदुस्तानी एकेडेमी की ओर से प्रयागराज में दिया जाएगा। इस संस्था द्वारा प्रतिवर्ष देश के विभिन्न हिस्सों की कुछ लब्ध प्रतिष्ठित कवयित्रियों को हिंदी के प्रति उनकी सम्बद्धता एवं संलग्नता हेतु महादेवी वर्मा सम्मान से अलंकृत किया जाता है। संस्था के अध्यक्ष श्री इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने बताया कि इसके लिए संस्था की ओर से पहले कवयित्रियों की श्रेष्ठ रचनाओं का चयन होता है, उसी आधार पर यह सम्मान तय होता है। छिंदवाड़ा म. प्र. से सुश्री अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' जी के अतिरिक्त, वर्ष २०२० का महादेवी वर्मा सम्मान, राजकांता राज (पटना), ममता वाजपेई (होशंगाबाद), मणि...
खुदा की रहमतो में हम
ग़ज़ल

खुदा की रहमतो में हम

*********** अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' छिंदवाड़ा म. प्र. गुज़ारें फिक्र करके किस लिए दिन वहशतों में हम। सदा महफूज़ रहते हैं ख़ुदा की रहमतों में हम॥ ज़हन में इल्म रोशन है जिगर में हौसला रोशन। ख़ुदा का है करम नाज़िल, नहीं है ज़ुल्मतों में हम॥ नहीं है फासले तुमसे न कोई दूरियां या रब ख़यालों में हो तुम ही तुम तुम्हारी कुर्बतों में हम॥ जहन्नुम ज़ीस्त कर सकती नहीं तल्ख़ी ज़माने की। तसव्वुर गर तुम्हारा हो तो हैं फ़िर जन्नतों में हम॥ यकीं ख़ुद पर भी तुम पर भी तो इक दिन देखना रहबर। करेंगे मंज़िलें हासिल तुम्हारी सोह्बतों में हम॥ न औरों की कमी देखें गिरेबां झांक लें अपना। तो सारी ज़िंदगी अपनी गुज़ारें राहतों में हम॥ ग़ज़ल नज़्में क़त'अ नग़में तुम्हारी ही नवाज़िश है। क़लम पर इस करम से ही तो हैं अब शोह्रतों में हम॥ . लेखिका परिचय :-  नाम - सुश्री अंजुमन मंसूरी आरज़ू माता - श्रीमती आयशा मंसूरी ...
संस्कारों की पिटारी
ग़ज़ल

संस्कारों की पिटारी

*********** रचयिता : अंजुमन मंसूरी' आरज़ू' संस्कारों की ये पिटारी है। अपनी वाणी ही लाभकारी है॥ . फूल अविधा के लक्षणा लेकर। व्यंजनाओं की ये तो क्यारी है॥ . अपनी भाषा में बोलना सुनना। भूलना भूल एक भारी है॥ . ठेठ हिंदी का ठाठ तो देखो। मन में रसखान के मुरारी है॥ . कितनी भाषाएँ  हैं मनोरम पर। सब में हिंदी बड़ी ही प्यारी है॥ . अपने घर में दशा पराई सी। देख कर मन बहुत ही भारी है॥ . इंडिया अब कहो न भारत को। 'आरज़ू' अब यही हमारी है॥ . लेखिका परिचय :-  नाम - सुश्री अंजुमन मंसूरी आरज़ू माता - श्रीमती आयशा मंसूरी पिता - श्री एस ए मंसूरी जन्मतिथि - ३०/१२/१९७७ निवास - छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश शिक्षा - परास्नातक हिंदी साहित्य, उर्दू साहित्य, संस्कृत विषय के साथ स्नातक, बी.एड, डी.एड. पद/नौकरी - शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत साहित्यिक जीवन श...
चाणक्य छला जाता है
छंद

चाणक्य छला जाता है

*********** रचयिता : अंजुमन मंसूरी' आरज़ू' आधार छंद - सार/ललित छंद जलता है खुद दीपक सा पर, ज्ञान प्रकाश दिखाता । बांट के अपना सब सुख जन में, आनंदित हो जाता । इसके बदले शिक्षक जग से, देखो क्या पाता है । हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥ इंद्रासन ना ले ले तप से, मधवा भय से बोला । अहिल्या गौतम के अमृत से, जीवन में विष घोला । विश्वामित्र की भंग तपस्या, छल से करवाई थी । सत्ता रक्षा को पृथ्वी पर, इंद्र परी आई थी । काम क्रोध मद लोभों का फिर, दोष मढ़ा जाता है । हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥ नेतृत्व से परिपूर्ण बनाके, गढ़ता कितने नेता । मंत्री हो या भूप सभी को, रुप यही हे देता । पर सत्ता धारी बनते ही, लोग मदांध हुए हैं । काट दिए सिर उनके जिनके, झुक कर पांव छुए हैं । शस्त्र निपुण कर देने वाला, वाण यहां खाता है । हर युग में चाणक्य सा कोई, हाय छला जाता है ॥ नंद वंश ने एका ...