मेरे गुरु
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
********************
विद्या और ज्ञान सागर सा
मेरे गुरु चुन चुन मोती देते
जब भी राह भटक मैं जाती
अपने हाथ पतवार थामते
ईश्वर को कब जाना मैंने
गुरु में उनकी छवि देखा
कभीं सख्त कभी सरल हैं
जग का बोध गुरु कराते हैं
गलतियों को सदा सुधारते
सत् पथ पर लेकर चलते हैं
भ्रम के जालों को मिटाकर
मन में ज्ञान ज्योति जलाते हैं
जीवन में उत्कर्ष हमारा होता
अनुशासन जीवन में वो लाते
हर मुश्किल से लड़ने को हमें
गुरु ही हमको तैयार करते हैं
परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी
निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...