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Tag: हेमलता भारद्वाज “डाली”

संभव
कुण्डलियाँ

संभव

हेमलता भारद्वाज "डाली" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** संभव है सब योग से, करते रहना योग। नित होगी जब साधना, मिट जाएँगे रोग।। मिट जाएँगे रोग, अगर तुम अपनाओगे। तन को मन के साथ, जोड़कर फल पाओगे।। "डाली" चढ़ इस नाव, पार सुख सागर भव है। दुख होंगे सब दूर, यहाँ पर सब संभव है।। संभव आसन सिद्ध हो, काया बनती पुष्ट। तन से मन का मेल हो, कैसे होंगे रूष्ट।। कैसे होंगे रूष्ट, सोच सुंदर भर जाए। ऊर्जा शुभ हृद भाव, शांत जल सा मन पाए।। कह "डाली" कर ध्यान, नित्य अविलंबव हो। साँसों पर हो जोर, काज जीवन संभव हो।। परिचय : हेमलता भारद्वाज "डाली" निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) सम्प्रति : योग प्रशिक्षिका, कवियित्री एवं लेखिका रुचि : संगीत, नृत्य, खेल, चित्रकारी और लेख कविताएँ लिखना। साहित्यिक : "वर्णावली छंदमय ग्रंथ"- (साझा संकलन), आगामी साझा संकलन- "छ...
विराम
दोहा

विराम

हेमलता भारद्वाज "डाली" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जो विराम करते नहीं, योगी वही महान। नित विकास के दिन वही, होते स्वर्ण समान।। मन उदास हो तो कभी, करना नहीं विराम। मन पसंद धुन को सुने, देख नयनाभिराम।। जो पथिक लेता कभी, पथ में नहीं विराम। तो सुलक्ष्य के साथ ही, मिले सफलता धाम।। जो विराम कर लिया कभी, होता वहीं प्रमाद। फिर विकास होता नहीं, मिलता नहीं प्रसाद।। परिचय : हेमलता भारद्वाज "डाली" निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) सम्प्रति : योग प्रशिक्षिका, कवियित्री एवं लेखिका रुचि : संगीत, नृत्य, खेल, चित्रकारी और लेख कविताएँ लिखना। साहित्यिक : "वर्णावली छंदमय ग्रंथ"- (साझा संकलन), आगामी साझा संकलन- "छंदमय वृहद व्याकरण", आलेख एवं कविताएँ अखबारों तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेर...