Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: स्वतंत्र शुक्ला

स्वतंत्र राहों में
कविता

स्वतंत्र राहों में

============================= रचयिता : स्वतंत्र शुक्ला तुम्हारे जिस्म जब-जब, धूप में काले पड़े होंगे।। हमारी लेखनी के, पाँव में छाले पड़े होंगे।। अगर आंखों में, गहरी नींद के ताले पड़े होंगे।। तो कुछ ख्वाबों को, अपनी जान के लाले पड़े होंगे।।        "जिनकी साज़िशों से, अब हमारी जेब खाली है।।" वो अपने हांथ जेब में, कहीं डाले पड़े होंगे।। हमारी उम्र मकड़ी है, हमें इतना बताने को।। बदन पर झुर्रियों की, शक्ल में जाले पड़े होंगे।। क्यूं पहुंच न पाई नज़रें..? मायूस चेहरों तक।। "स्वतंत्र" राहों में उनके, केश घुघराले पड़े होंगे।। लेखक परिचय :- नाम :- स्वतंत्र शुक्ला आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हम...