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तीन वर्ष के नीम तुम
कविता

तीन वर्ष के नीम तुम

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** तीन वर्ष के नीम तुम, तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? "वैद्य" मानव के नीम तुम, तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? तीन वर्ष के...... लगाये थे अभी उन्नीस में तुम , बाइस में कैसे मिटने दूँ ? अस्सी-नब्बे आयु प्रमाणी तुम, तीन में ही कैसे मिटने दूँ ? तीन वर्ष के....... प्रकृति की अद्भुत शोभा तुम , अस्तित्व कैसे मिटने दूँ ? एक अनिल ने गिराया तो, उठवा तुम्हें मैं "अनिल" से दूँ ||तीन वर्ष के........ मानव प्रकृति की औषधि तुम , तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? मेरी तो आत्मा हो तुम , तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? तीन वर्ष के....... तीन वर्ष के नीम तुम , तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? वैद्य मानव के नीम तुम , तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? तुमको मैं कैसे मिटने दूँ ? तुमको मैं कैसे ............... परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी शिक्षा : आचार्य, बीएड टीजी...
जीवन मूल्य
कविता

जीवन मूल्य

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** छद्मी-कपटी नांच नचायैंं, स्व मूल्य गिराकर तू नाचता है | प्रतिफल इसका संतान लेगी, ऐसा कभी नहीं तू सोचता है || पतित मूल्य ब्यवहार का तो, परिणाम अतिभयंकर होता है | देख सृष्टि के तो संज्ञान को, फिर भी तू विचलित नहीं होता है || जिनके जीवन मूल्य नहीं, वह मानव नहीं कहलाता है | जीवन मूल्य जो त्याग दे, वह दानव ही कहलाता है || कुटुंब समाज या राष्ट्र हो , सबके तो अपने मूल्य हैं | सभी क्षेत्रों की उन्नति के लिए, उपयोग करते अपने मूल्य हैं || गिराए मूल्य परिवारों ने तो, परिवार सारे बिखर गए | जो मूल्य गिराए समाज ने , समाज विघटित हो गए || गिराकर शिक्षा मूल्य तुम, शिक्षा इस राज्य की गिरा गए | बने थे शिक्षा मूल्य जो , सारे सुमूल्य कुछ गिरा गए || कर आलोचना मूल्यवानों की, तुम अपना स्तर गिरा गए | बनाया मूल्य विहीन को मेंटौ...
औषधीय गुणों से युक्त “काफल”
आलेख

औषधीय गुणों से युक्त “काफल”

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** फलों में पोटेशियम की अधिक मात्रा होने से उच्च रक्तचाप और गुर्दे में पथरी होने से बचा जा सकता है। साथी हड्डियों के क्षय को भी रोका जा सकता है। फलों के तुल्य कोई भी अन्य भोज्य पदार्थ नहीं हो सकता है फलों में कई ऐसे जादुई सूक्ष्मात्रिकतत्वोंऔर एंटी-आक्सीडेंट्स का मिश्रण पाया जाता है जिनकी पूर्ण खोज वह ज्ञान अभी भी अज्ञात है। जिन फलों के सेवन से स्वास्थ्य को अच्छा लाभ बनाए रखने में मदद मिलती है उनमें- सेव, अमरुद, अंगूर, संतरा, केला, पपीता, विशेष रूप से प्रयोग किया जा सकता है। उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्र हिमाचल उत्तराखंड और नेपाल में पाया जाने वाला सदैव हरा भरा रहने वाला "काफल' का वृक्ष प्राकृतिक रूप से पैदा होता है। जिसके फल को "बेबेरी" नाम से भी जाना जाता है का- फल खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट, हरा, लाल, व काले रंग में पाए जाते ...
मेरे जीवन की आधार प्रिये
कविता

मेरे जीवन की आधार प्रिये

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** गृहस्थी में ये वर्ष पच्चीस प्रिये, बनाये जग ने सुधामय हो | मिले जग को शतावृतसुधा, तन मन तुम्हारा निरामय हो || मेरे जीवन की आधार प्रिये, रजत वर्ष मंगलमय हो..... पंथी बन एकाकीपथ के हम, किया शिव ने प्रशस्तमय हो | रहे एकाकी दोनों साथ हम, किये सिद्धांत तो दृढमय हो ||मेरे जीवन.... नहीं स्पर्धा धनियों कोई, हैं आदर्श हमारे धनमय हो | बने रहे हैं हम परस्पर धन, इसीसे जीवन सुखमय हो ||मेरे जीवन.... सुता सुत तेरे शिवाशीष, लधूनाशीष उभयोंपर हो | देंगे हम दोनों इन्हें आशीष, लधूनाशीष हम दोनों पर हो ||मेरे जीवन..... दिखाए लधूनेश्वर वानप्रस्थ मार्ग, अब गृहस्थ मार्ग अमृतमय हो | बनी रहे महादेव लधून की अनुकम्पा, जीवन तुम्हारा शतायुमय हो || जीवन तुम्हारा शतायुमय हो, सौभाग्य तुम्हारा अखण्डमय हो | मेरे जीवन की आधार प्रिये, रजत व...
ब्राह्मण
कविता

ब्राह्मण

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** ब्राम्हण होकर ब्राम्हण का, आप सभी सम्मान करो! सभी ब्राम्हण एक हमारे, मत उसका नुकसान करो! चाहे ब्राम्हण कोई भी हो, मत उसका अपमान करो! जो ग़रीब हो, अपना ब्राम्हण धन देकर धनवान करो! हो गरीब ब्राम्हण की बेटी, मिलकर कन्या दान करो! अगर लड़े चुनाव ब्राम्हण, शत प्रतिशत मतदान करो! हो बीमार कोई भी ब्राम्हण, उसे रक्त का दान करो! बिन घर के कोई मिले ब्राम्हण, उसका खड़ा मकान करो! अगर ब्राम्हण दिखे भूखा, भोजन का इंतजाम करो! अगर ब्राम्हण की हो फाईल, शीघ्र काम श्रीमान करो! ब्राम्हण की लटकी हो राशि, शीघ्र आप भुगतान करो! ब्राम्हण को अगर कोई सताये, उसकी आप पहचान करो! अगर जरूरत हो ब्राम्हण को, घर जाकर श्रमदान करो! अगर मुसीबत में हो ब्राम्हण, फौरन मदद का काम करो! अगर ब्राम्हण दिखे वस्त्र बिन, उसे अंग वस्त्र का दान करो! ...
शब्द नहीं उस माँ के लिए
कविता

शब्द नहीं उस माँ के लिए

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** शब्द नहीं उस माँ के लिए, जिसने है तुम्हें जन्म दिया | उपकार को उस कुल के लिए, सुधार तुमने मेरा है जन्म दिया || निर्वहन पतिव्रत धर्म के लिए, ऐसा अद्भुत कर्म किया | शब्द नहीं उस माँ के लिए, जिसने तुम्हें है जन्म दिया || निर्वहन मातृत्व धर्म के लिए, ऐसी करुणा का ज्ञान दिया | शब्द नहीं उस माँ के लिए, जिसने तुम्हें है जन्म दिया || शिव शक्ति की उपासना के लिए, इ, इ, इति में बदल दिया | शब्द नहीं उस माँ के लिए, जिसने है तुम्हें जन्म दिया || निराकरण अपनी बाधाओं का, जिस पिता मातु ने दान दिया | शब्द नहीं उस माँ के लिए, जिसने तुम्हें है जन्म दिया || सदा सिंदूर की रक्षा के लिए, जिसने चूड़ियों का नहीं ज्ञान दिया | शब्द नहीं उस माँ के लिए, जिसने तुम्हें है जन्म दिया || स्वकुल के उपकार के लिए, स्व- सुता कुल ...
डाँ. अम्बेडकर
कविता

डाँ. अम्बेडकर

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** प्रतिष्ठित विद्वान विधि वेत्ता, अम्बेडकर समाराधक माँ भारती के थे | न बने आराधक गांधी-नेहरू के, भीमराव जी ऐसे लाल माँ भारती के थे || कटु आलोचक गांधी नेहरू उनके, विद्वत्ता गुण से विधि न्याय मंत्री थे | संविधान समिति मसौदा उनके, अध्यक्ष डॉ अंबेडकर विधि न्याय मंत्री थे || प्रबल विरोधी तीन सौ सत्तर के, समर्थक समान नागरिक संहिता के थे | कर सिफारिश इसे अपनाने की, समाज सुधारक इप्सिता युत थे || रोका हिंदू कोड विधेयक नेहरू ने, मंत्री पद ही अंबेडकर ने त्याग दिया | थी बात विधेयक में महिला अधिकारों की, बिल हिंदू कोड क्यों नेहरू ने त्याग दिया || ना समर्थक थे भारत विभाजन के/ न विभाजकों को भीम ने भाव दिया | कहते थे विभाजित करने वाले ने, भारत के लिए अभिशाप दिया || सपना अंबेडकर का भारत की समानता, अब तक न किसी ने पू...
नवसंवत्सर मंगलमय हो
कविता

नवसंवत्सर मंगलमय हो

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** "नल" अभिधान नव संवत् का, राष्ट्रार्थ उपयुक्त जलमय हो | माँ भारती की समस्त संततियों को, नव संवत्सर मंगलमय हो ||मां भारती की...... धर्म ध्वजा लहराऐं प्रति गृह, वसुधा सारी तो निरामय हो | हो आपदा मुक्त धरा ये अब, जग सारा अब सुखमय हो || माँ भारती की.... अयोध्या जैसी दिव्य बनेगी, काशी मथुरा भी दिव्यमय हो | विश्व गुरु बने पुनः आर्यावर्त, शिक्षा भारत की अमृतमय हो || माँ भारती की ... धर्म ध्वजा प्रति द्वार की, शंख-घंटा ध्वनि अमृतमय हो | उपवास शिव शक्ति उपासकों का, जग के लिए परम-कल्याणमय हो || माँ भारती की .... उपासना राष्ट्र सेवक-नायक की, राष्ट्र के लिए सुसमृद्धिमय हो | शिव-शक्ति उपासकों की उपासना से, भारत सदा प्रगतिमय हो || माँ भारती की.... माँ भारती की समस्त संततियों को, नव संवत्सर मंगलमय हो | माँ भारती की समस्त ...
जीवन सुख-दुःख का मेला
कविता

जीवन सुख-दुःख का मेला

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** जीवन सुख-दुख का मेला मेरे भाई, निशा भी होगी दिवस भी होगा | मत घबराना गमन आगमन से, कुछ संजय सुरेश के बस में न होगा || विधि ने जीवन जिसका रचा होगा, किस तिथि उद्भव, मोक्ष किस तिथि होगा | निशा भी होगी दिवस भी होगा, विषय न संजय का न सुरेश का होगा || मिट्टी तेरी मेरी तो धरा से मिलेगी, संबंध मेरे भाई जब तक है जीवन | आत्मा एक दिन परमात्मा से मिलेगी, है मोहमाया ही गृहस्थ जीवन || शाश्वत है आत्मा शाश्वत ही रहेगी, रहता है दिवस तो निशा भी रहेगी | चली है मेरे भाई जीवन चर्या चलेगी, रहता दिवस तो निशा भी तो रहेगी || नहीं दु:ख करें कभी तन नाशवान, आत्मानुभूति तो सदा ही रहेगी | सत्कर्म सदैव करते रहें तो, सुखानुभूति तो सदा ही रहेगी || परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी शिक्षा : आचार्य, बीएड टीजीटी (संस्कृत) दिल्ली प्रशासन निवासी : विन...
हरी धरै मुकुट खेले होली
भजन, स्तुति

हरी धरै मुकुट खेले होली

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** हरी धरै मुकुट खेले होली, हरि धरै मुकुट खेले होरी || मोर मुकुट पीतांबर पहने, हाथ पकड़ राधा गोरी || हरि धरे मुकुट खेले होरी कितने बरस के कुंवर कन्हैया, कितने बरस राधा गोरी || हरि धरेमुकुट खेले होरी दसहि बरष के कुंवर कन्हैया, सात बरष राधा गोरी || हरी धरे मुकुट खेले होरी कहा पैरी कृष्णा होरी खेले, कहां पैरि राधा गोरी || हरी धरे मुकुट खेले होरी मुकुट पैरि कृष्णा होली खैलै, चीर पैरि राधा गोरी || हरि धरै मुकुट खेलै होरी काहिन के दो खंभ बने हैं, काहिन लागि रहे डोरी || हरि धरै मुकुट खेलै होरी अगर चन्दन के दो खंभ बने हैं, रेशम लागि रहे डोरी || हरी धरे मुकुट खेले होरी कौन वरण के कृष्ण कन्हैया, कौन अवरण राधा गोरी || हरि धरै मुकुट खेले होरी श्याम वर्ण के कृष्ण कन्हैया, गौर वरण अ राधा गोरी || हरी धरे मुकुट खेले हो...
गृह वाटिका
कविता

गृह वाटिका

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** गृह वाटिका के पुष्प तुम, ऐसे ही खिलते रहना | मेरे जीवन का सार तुम, ऐसे ही दिखते रहना || गृह वाटिका.... आत्म मूल के अंकुर तुम, प्रस्फुटित होते रहना | श्वेद रक्त से सिंचित तुम, विकसित होते रहना || गृह वाटिका..... षड् ऋतु में मेरे पुष्पो तुम, सुगंधित सदा ही रहना | धरा तपे या शीतलहर हो तुम, प्रमुदित सदा ही रहना || गृह वाटिका..... ताप सहन कर ग्रीष्म का तुम, बर्षा में खिलते रहना | और सहन कर शीतलहर तुम, बसंत में खिलते रहना || गृह वाटिका.... गृह वाटिका के पुष्प तुम, ऐसे ही खिलते रहना | मेरे जीवन का सार तुम, ऐसे ही दिखते रहना || गृह वाटिका..... परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी शिक्षा : आचार्य, बीएड टीजीटी (संस्कृत) दिल्ली प्रशासन निवासी : विनोद नगर (दिल्ली) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वर...
बिल्व-वृक्ष
भजन, स्तुति

बिल्व-वृक्ष

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** बिल्व-वृक्ष शिव का रूप, पिता ने एक लगाया था | देवालय निकट शिव स्वरूप, परमेश्वर ने एक लगाया था || बिल्व-वृक्ष...... मैंने भी निज गृह में एक, सदाफल वृक्ष लगाया था | सेवा करके उसकी भक्तिपरक, मैंने स्वयं से बड़ा बनाया था || बिल्व-वृक्ष....... टूटी शाखा तब कलेश हुआ था, गृहस्थ सुखार्थ वृक्ष लगाया था | करता था प्रतिदिन अभिषेक, बिल्वपत्रार्पणार्थ वृक्ष लगाया था || बिल्व-वृक्ष..... आज कहाँ बिल्व-वृक्ष गया, अष्टोत्तरी पूर्त्यर्थ जो लगाया था | आज तन ओ असहाय हुए, वृक्ष नष्टार्थ हाथ जो लगाया था || बिल्व-वृक्ष....... निम्बुक वृक्षार्थ आतुर हो क्यों? शिव बिल्व-वृक्ष नहीं बढ़ाया था | आत्म- सुखार्थ मन भयातुर क्यों? मान त्रिदेवों का नहीं रख पाया था || बिल्व-वृक्ष..... परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी शिक्षा : आचार्य, बीएड ...
तेरी यों ही गुजर जायेगी
कविता

तेरी यों ही गुजर जायेगी

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** मत कर निज प्रसन्नता की बात, तेरी आत्मा बिखर जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || भाव-भावना रौंदी अब तक, आगे भी रोंदी जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || भुलाना जीवन अनुभवों को, तेरी मूर्खता ही कहलायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || करेगा स्व- सुख की बात तो, परछाई भी दूर हो जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || बदला यदि तू नहीं अब तक, तो दुनियाँ क्यों बदल जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || कटुता भरे तेरे जीवन में, अब मधुरता नहीं चल पायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || चली है सृष्टि शिव-शक्ति कृपा से, आगे भी शक्ति ही चलायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेग...
स्वर कोकिला
कविता

स्वर कोकिला

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** ऋतुराज बसंत आये तुम, स्वर कोकिला छीन ले गए | रेवती पंचक में आए तुम, स्वर कोकिला छीन ले गए || गायन बत्तीस भाषाओं की, अद्भुत उपलब्धि छीन ले गए | धरा रत्ना भारत रत्ना हमारी, स्वर कोकिला छीन ले गए || अपरिहार्य पार्श्व गायन की, सुरम्य आवाज छीन ले गए | शारदा प्रतिमूर्ति संगीत की, स्वर कोकिला छीन ले गए || "आएगा आने वाला" महल का गीत, चित्रपट का गीत छीन ले गए | "पाँव लागू कर जोरी" पहले गीत की, स्वर कोकिला छीन ले गए || नग्न पैर संगीत परोसती थी जो, दृष्टांता संगीत की छीन ले गए | आत्मा संप्रति संगीत की जो, स्वर कोकिला छीन ले गए || भक्ति संगीत की महाशक्ति, देशभक्ति स्वरा छीन ले गए | राष्ट्र वंदिता मंगेशकर लता, स्वर कोकिला छीन ले गए || स्वर कोकिला छीन ले गए, स्वर कोकिला ...... परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी शिक्षा : आच...
आ गए ऋतुराज बसंत
कविता

आ गए ऋतुराज बसंत

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आ गए ऋतुराज बसंत , बसंत पंचमी मनाते हैं | हटा गए शिशिरता बसंत, बसंत पंचमी मनाते हैं || स्वागत में ऋतुराज बसंत के , पूजन शारदे का हम करते हैं | लेकर ज्ञानदायिनी का आशीष , कल्याण जीवन का हम करते हैं || अस्थि कँपाकर चले गए हैं , अब शिशिर का हो गया है अंत | शुभागमन तो कुसुमाकर का है, अब आ गए ऋतुराज बसंत || आलिंगन करेंगे खग-मृग भी , स्वागत करेंगे ऋतुराज तुम्हारा | मन मंदिर में एक आस जगी भी, स्वागत करेंगे हमराज तुम्हारा || नवकिसलय तरुवर लेकर , हवा बसंती जब लहराते हैं | कुसुम कलियाँ विकसित खुलकर, उन्मत्त भ्रमर तब मंडराते हैं || हो जाती शस्य श्यामला धरा , वन-उपवन सब खिल जाते हैं | ऋतुराज वसंत के आगमन पर, तन मन सबके खिल जाते हैं || तन मन सबके खिल जाते हैं, तन मन सबके .................. परिचय :- सुरेश ...
गणतंत्र दिवस
कविता

गणतंत्र दिवस

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आओ मिलकर तिरंगा लहरायें, गणतंत्र दिवस की शान बढायें | तिरंगे की महत्ता को समझाकर, आओ मिलकर तिरंगा लहरायें || सुभाषचंद्र ने यह पहले लहराया, आओ मिलकर...... भारत वासियों को हम समझायें | संविधान हमारा लागू हुआ था, गणतंत्र दिवस पर बतलायें || आओ मिलकर... असंख्य बलिदानों का परिणाम, समाया है तिरंगे में बतलायें | चरखे का ही नहीं परिणाम, भारत को हम ये समझायें || आओ मिलकर...... सुखदेव-भगतसिंह-राजगुरु-राजगुरु के, महाबलिदान कभी न भुलायें | बलिदान चन्द्र शेखर आजाद का, राष्ट्र ये कभी भी न भुलाये || आओ मिलकर...... स्वतंत्रता मिली असंख्य शहीदों के, बलिदानों से ये पहले समझायें | तभी लिख पाये संविधान हम, यात्रा गणतंत्र की समझायें || आओ मिलकर..... तिरंगे की मर्यादा को नवभारत, सदा सत्यनिष्ठा से समझाये | इससे छल ...
भयातुर शिक्षक
कविता

भयातुर शिक्षक

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** भयभीत शिक्षक समाज आज, भूल मकर संक्रांति कक्षा पढ़ा रहा। राजनीतिक दबाव में शिक्षक आज, भूल पर्वों को कक्षा पढ़ा रहा।। विद्यार्थी चाहे जुड़ना चाहे नहीं चाहे, शिक्षक उपकरण माध्यम से पढ़ा रहा। विद्यार्थी अप्रत्यक्ष कुछ भी शरारत करें, शिक्षक विवस मौन उपकरण से पढ़ा रहा।। कक्षा उपकरण माध्यम से लेने का, आदेश राजनैतिक मिलता रहा। भुलाकर मकर संक्रांति स्नान शिक्षक, उपकरण माध्यम से विषय पढ़ाता रहा।। हो चाहे लोहड़ी उत्तरायणी पर्व अब, शिक्षक पर्व कोई मना नहीं सकते। सेवा शिक्षण की चाहिए सुरक्षित तो, अब शिक्षक पर्व कोई मना नहीं सकते।। अति बिचित्र यह शिक्षा व्यवस्था, हो गई है राष्ट्रीय राजधानी की। कब लौटेगी वह शिक्षण व्यवस्था, जो लुप्त हो गई है राष्ट्रीय राजधानी की।। शिक्षक भयातुर करके कैसे तुम, शिक्षा प्रारूप का स्व...
उन्नीस सौ सैतालिस की स्वतंत्रता
कविता

उन्नीस सौ सैतालिस की स्वतंत्रता

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** मिली स्वतंत्रता उन्नीस सौ सैतालिस में, अंग्रेजी दुष्ट शासन से ही तो | किया फिर शासन उनके चाटुकार ने ही, छीन कर शासन सरदार पटेल से ही तो || हुआ था अन्याय पटेल के साथ , होकर स्वतंत्र, हम स्वतंत्र हो न सके | किया स्व-कल्याण शासक ने अपना , भारतवासी पूर्णतया स्वतंत्र हो न सके || भुला दिया सुखदेव, भगत सिंह को, इतिहास सुभाष राजगुरु का छिपा रहा | किया तुष्टिकरणयुक्त प्यारे भारत को, हमारा शासक बांटकर भारत छिपा रहा || मिले वास्तविक स्वतंत्रता हे भारत, दो हजार सैतालिस में पूर्णात्मनिर्भर हो भारत | अब शासक की पारदर्शिता बनी रहे भारत, विश्व गुरु था और बने पुनः मेरा ये भारत || स्तर शिक्षा का सुधार कर, पूर्णात्मनिर्भर हो भारत हमारा | पूर्णतया देशद्रोहियों को सुधार कर, सर्वश्रेष्ठ हो देश भारत हमारा || "धरती पर सर्...
ये कैसा राष्ट्र प्रेम
कविता

ये कैसा राष्ट्र प्रेम

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** ये कैसा राष्ट्र प्रेम तुम्हारा, देशभक्तों को मिटाते आये हो। सत्ता के लिए अबतक तुम, देशभक्तों को मिटाते आये हो।। राह से हटाया था बोस तुमने, सुखदेव राजगुरु को फांसी चढ़ने दिया। चन्द्र शेखर को विवश किया तुमने, भगतसिंह को भी फांसी चढ़ने दिया।। चयनित पटेल थे बहुमत से फिर भी, प्रधानमंत्री जिन्होंने न बनने दिया। कर समझौता गोरों से तुमने तब, प्रधानमंत्री पद को झपट लिया।। समझते लोकतंत्र को बपौती क्यों, शास्त्री जी का तुमने कैसा हश्र किया। कर अपमान सीताराम केसरी का, नरसिंहाराव का कैसा हस्र किया।। अब तो हद कर दी अरे तुमने आज, प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भुला दिया। चक्रव्यूह रचकर राष्ट्र समापन का क्यों, पापी दल ने राष्ट्र की गरिमा को भुला दिया।। क्यों चुप हो गये प्रतिपक्षी सारे आज, जब "हाउ द जोश" कांग्रेस ने ...
हार और जीत
आलेख

हार और जीत

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** हारना किसे अच्छा लगता है और जीतना किसे बुरा लगता है किसी को नहीं | तो जीतकर दिखाना यदि कोई वंश हन्ता है उससे | यदि किसी ने तुमसे तुम्हारा स्वजन छीन लिया है तो तुम उसके पराक्रम छीनने का साहस न करके अपनों से ही उलझने में स्वयं को महाक्रमी समझते हैं, तो क्या कहा जा सकता है ? आपको प्रगतिशील तब माना जाता जब अपनी प्रगति के आगे हन्ता को कहीं टिकने नहीं देते | उसी के संबंधियों के आगे नतमस्तक होकर स्वजनों के पराजय की कामना करने का तात्पर्य तो सायद स्वजनहन्ता की पंक्ति में ही खड़ा हुआ माना जाता है, इसमें कितनी बुद्धिमत्ता कही जा सकती है | जीवन में रूखापन तुलनाओं से आता है, और बिना तुलना मजा भी कहाँ आता है ? जरूरी है तुलना करना पर उस तुलना की वजह से हीन भावना या अहंकार नहीं आना चाहिए | प्रेणादायक तुलना करना बहुत अच्छी बात है, परन्तु किसी ...
अटल राष्ट्ररत्न
कविता

अटल राष्ट्ररत्न

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** चलाकर गठबंधन का राज अटल, युग गठबंधन का दे गए अटल | राष्ट्रधर्म राष्ट्र को शिखा गए अटल, पाठ राष्ट्र नीति का शिखा गए अटल || नाम अटल उनके काम अटल, कृत कर्मों के सुपरिणाम अटल | अविरल रचते थे काव्य अटल, राष्ट्रभाषा के सम्मान अटल || दे गये स्वर्ण चतुर्भुज काम अटल, "नदी जोड़ो योजना" के परिणाम अटल | रेल मेट्रो राष्ट्र को दे गए अटल, सड़कों पर पुल भी परिणाम अटल || शिखर कवि राजनीति के अटल, इक्यावन कविताएं दे गए अटल | सक्रिय सांसद अत्यंत हमारे अटल, राष्ट्र दिशा प्रदान कर गए अटल || सांसद चार दशक से अधिक अटल, दीप निष्ठा का जगा गए अटल | गरिमा संसदीय में थे दक्ष अटल, मर्यादा सबको सिखा गए अटल || भारत रत्न और राजनीति रत्न, अटल तो मूर्धन्य कवि महान | राष्ट्र के विकास रत्न अटल, संस्कृत-मूर्धन्य, हिन्दी कवि महान || परिचय :- ...
राष्ट्र याद करेगा
कविता

राष्ट्र याद करेगा

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** विपिन तुम्हें राष्ट्र याद करेगा, विपिन तुम्हें राष्ट्र याद करेगा | उत्तराखंड की धरा में जन्म लेकर, तुमने देश का नाम अमर किया || विपिन .... सेना के सर्वोच्च पद पर जब बिपिन, तुमने अवकाश ग्रहण किया | संकल्प केवल सच्ची सेवा का, शुभसंकल्प तुमने तो कर लिया || विपिन .... इसलिए अतिरिक्त पदभार लिया, विधि ने तो कुछ और स्वीकार किया | निकले माँ भारती के लाल तुम, सेना में जो परिवर्तन किया || विपिन .... शिखाकर समयबद्धता सैनिकों को, अंकित स्वर्णाक्षरों में नाम किया | भौगोलिक विषम परिस्थिति में, सर्वोच्च पदभार ग्रहण किया || विपिन .... गर्व करता उत्तराखंड तुम पर, तुमने जो यह पद ग्रहण किया | राह थी अत्यंत कठिन पर, माँ भारती के लाल तुमने ग्रहण किया || विपिन .... रहकर प्रतिकूल परिस्थितियों में, जो तुमने कुछ कर दिखाया है | कर ...
मित्रता
आलेख

मित्रता

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आत्मीयता के परस्पर अंतर्वैयक्तिक बंधन से बंधी हुई मित्रता की अवधारणा उसके स्वरूप के पक्ष एवं सिद्धांतों का प्रतिपादन मित्रता को लेकर किया गया है। संसार के मुक्त अध्ययनों व विवेचनों में देखा गया है कि समीपत: आंतरिक संबंध रखने वाले व्यक्ति अधिक प्रसन्न रहते हैं। हिंदी भाषा के प्रसिद्ध आलोचक रामचंद्र शुक्ल मित्रों के चुनाव को सचेत कर्म बताते हुए लिखते हैं कि:- "हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हम से अधिक आत्मबल हो। हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था। मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध हृदय के हों, मृदुल और पुरुषार्थी हों, शिष्ट और सत्य- निष्ठ, जिसमें हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें, और यह विश्वास कर सकें कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा। सच्ची मित्रता का ऐसा एक जीवंत उ...
चूडियाँ
कविता

चूडियाँ

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** ऊर्जा सकारात्मक आती घर में, जब-बजती हैं सुहागन की चूडियाँ | कलियुगी सुहागिनें नहीं जानती , क्या होती सुहागन की चूडियाँ || नवग्रह शांत नव चूडियाँ गृह में, एकादश शांति प्रदान करें चूडियाँ | सम संख्या की संतान बचाती, सौभाग्य प्रदान करें पाँच चूडियाँ || आधुनिक शब्द सँवारे देवी तो, भला क्यों धारण करेंगी चूडियाँ | कर लिया यदि एक कडा धारण, उपकृत हो जायेंगी सारी चूडियाँ || होता है अपमानित अब श्रृंगार तो, रहकर करेगी क्या ये चूडियाँ | नहीं हो रहा है संमान इनका तो, जीवन में रहेगी क्या ये चूडियाँ || होंगी सम्मानित अगर ये चूडियाँ, सदा ही घर में बजेगी चूडियाँ | रखती सुरक्षित गृहस्थी चूडियाँ, यदि हाथों में रहेगी चूडियाँ || पहचान सृष्टि में बनी है चूडियाँ, जो जाती आधुनिकता में चूडियाँ | न निशानी किसी की अब चूडिय...
शिव-संकल्प
कविता

शिव-संकल्प

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** सादर कोटि वंदन पिताश्री आपको, शारदोपासना का संकल्प लिया | बनाएंगे स्नातक पुत्र एक को, गृहस्थोपासना का संकल्प लिया || पुत्र तीनों ही स्नातक बने, संकल्प ने ऐसा स्वरूप लिया | स्नातकोत्तर प्रथम मथुरा दत्त बने, व्याकरण विषय का ज्ञान लिया || स्नातकोत्तर द्वितीय सुरेश चन्द्र बने, साहित्य-व्याकरण उभय में किया | किया अध्ययन ज्योतिर्विज्ञान का, पितृ प्रतिद्वंद्वियों को लपक लिया || छूटा स्नातकोत्तर तीसरा हिंदी का, आत्मजा "शिवानी" ने पूर्ण किया | संकल्प तप:प्रभाव" बाज्यू इजा" का, पंच शतक प्रधानमंत्री पर पूर्ण किया || परम आशीष मिला इजा का, "इजा-शतकम्" द्वि भाषाओं में लिख दिया | प्रेरणाशीष डॉ भोलादत्त अग्रज का, "मोदी पंचशतकम्" लिख दिया || पिताश्री के शुभ संकल्प ने मुझे , नहीं अतिशयोक्ति का ज्ञान दिया | देकर सुदृढ़ अडिग ...