ओस की बूंद
सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)
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जीवन क्या है, सोचो अगर,
ओस की बूंद ही तो है,
जो झड़ जाती है, रात को,
किसी भी चौड़े या छोटे पत्ते पर,
अस्तित्व रहता है उसका, रात भर,
लगता है ऐसे,
जैसे सांस चल रही है, मानव की,
लेकिन प्रातकाल जब,
सूर्य बिखेरता है, अपनी किरणों को,
ओस की बूंद, ना जाने, गिर जाती है कब,
लगता है यूं,
जैसे सब समाप्त हो गया,
वह ओस की बूंद,
मानव जीवन,
ले गई अपने साथ,
अतीत के उन मधुर क्षणों को,
जिनका अस्तित्व जुड़ा हुआ था,
उस बूंद के साथ.....
जीवन बूंद ही तो है,
ओस की....!!
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परिचय :- सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (h...