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बंधमुक्त
लघुकथा

बंधमुक्त

सुरेखा सिसौदिया इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** (१४ सितम्बर २०२१ को हिंदी दिवस पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता (विषय मुक्त) में द्वितीय स्थान प्राप्त लघुकथा।) शब्द संख्या- ४६९ बगीचे में पौधों को पानी देते मिश्राजी के मन मस्तिष्क में अपनी बेटी का मुरझाया चेहरा घूम रहा था। तीन दिनों से घर में तनाव था। तनाव का कारण था बेटी पलक का राज्य स्तरीय बेडमिंटन स्पर्धा में जाने को इच्छुक होना परंतु मिश्राजी के अनुसार खेल से अधिक महत्वपूर्ण थी पढाई व गृहकार्य दक्षता। उचित उम्र में कैरियर बनना व गृह कार्य, दोनों का अपना अपना महत्व है। मिश्राजी रूढ़ीवादी तो न थे पर वर्तमान परिपेक्ष्य में अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर अत्यंत चिंतित थे। उन्हें अपनी बेटी पर तो पूरा विश्वास था परंतु समाचार पत्रों में छपने वाली आये दिन की ख़बरों के कारण हि...