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Tag: सीमा तिवारी

नव वर्ष सदा मंगलकारी हो
कविता

नव वर्ष सदा मंगलकारी हो

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** नव वर्ष सदा ही मंगलकारी हो। प्रकृति में हरा भरा उल्लास रहे। फूलों में भीनी भीनी सुवास रहे। फसलों में सोने सी उजास रहे। मौसम की बयार हितकारी हो। नव वर्ष सदा ही मंगलकारी हो। हर एक शरीर रोगों से मुक्त रहे। मन अच्छी आदतों से युक्त रहे। जीवन स्नेह प्रेम से संयुक्त रहे। दूर हर आपदा हर बीमारी हो। नव वर्ष सदा ही मंगलकारी हो। सद् ज्ञान विज्ञान का प्रचार रहे। संस्कृति संस्कारों का प्रसार रहे। अज्ञानता-अमानुषता पर प्रहार रहे। जीवन हर प्राणी का सुखकारी हो। नव वर्ष सदा ही मंगलकारी हो। हर मन में अपनत्व के भाव रहे। दूर सदा अंहकार ईर्ष्या दुर्भाव रहे। यशता सुखता के लिए समभाव रहे। हर एक जीवन ही शुभकारी हो। नव वर्ष सदा ही मंगलकारी हो। परिचय :- सीमा तिवारी शिक्षा : एम एस सी (गणित) और बी एड निवास : इन्दौर (मध्यप्रद...
भाषाई निपुणता
लघुकथा

भाषाई निपुणता

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** आर्यन चुपचाप बैठ जाओ और मुझे शाम की रूप चौदस की पूजा की तैयारियाँ करने दो | माँ की ये बात सुनकर नौ वर्ष का मासूम आर्यन आकर बरामदे में चुपचाप बैठ गया | भैया आप पीछे अटाले में रखे लकड़ी के पटियों से भोलू के लिए शेड बना दो | माँ काम कर रही है और पापा ऑफिस गए हैं | मुझे देखते ही वो मुझसे बोला | मैं जो कि आर्यन के घर पेइंग गेस्ट हूँ और पीएच. डी. कर रहा हूँ | गृह मालकिन की अनुमति से शेड बनाने में जुट गया | तुम्हारा भोलू आएगा ? मैंने पूछा | हाँ कल वो पटाखों की आवाज से बहुत डर गया था | जोर-जोर से भौंक रहा था तो मैंने उसे बिस्किट देकर कोने में बिठाकर उस पर बोरा डाल दिया था | देखना भैया वो आज भी आएगा | आर्यन विश्वास से बोला | शेड तैयार हो गया था | सब त्यौहार मनाने में व्यस्त थे | आर्यन नए कपड़े पहन कर दरवाजे पर खड़ा भोलू का इंतजार क...
सम्मान
लघुकथा

सम्मान

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** रामकिशन जी बहुत सीधे सरल और सज्जन व्यक्ति थे। वो कुछ ही समय पहले नौकरी से रिटायर हुए थे। दिनचर्या में परिवर्तन होने से उनको उतनी तकलीफ़ नहीं हो रही थी जितनी कि अपनों के परिवर्तित व्यवहारों से। प्रत्यक्ष रूप से तो सब ठीक ही दिखाई देता था परन्तु बातों में छुपे कटाक्ष उनके मन को भीतर तक आहत कर देते थे। इस कारण उनकी सेहत भी कमजोर हो रही थी। दोस्तों और परीचितों से सम्पर्क करके खुश रहने के प्रयासों में कोई विशेष सफलता नहीं मिल रही थी। वो मन ही मन सोचते रहते थे कि नौकरी अकेले नहीं जाती वरन् अपने साथ सुख शांति खुशी और सम्मान भी ले जाती है। ये कष्ट उन्हें तोड़ कर बिखेर दे इससे पहले उन्होंने स्वयं ही वृद्धाश्रम जाकर रहने और वहाँ से कुछ रचनात्मक करने का फैसला किया। इसी फैसले के अन्तर्गत उन्होंने अपनी जमीन जो कि गाँव में थी उसे बेचने का फैसल...
युवा पीढ़ी
लघुकथा

युवा पीढ़ी

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** हर दिन की तरह आज भी बागीचा ठंडी मंद हवा, खिले फूलों की खुशबू, बच्चों की हँसी-ठिठौली और बड़ों की चर्चा-परिचर्चा से गुलज़ार था। इन सबके बीच दो युवाओं की टैक्नालॉजी और कैरियर की उर्जा से भरी बातें बरबस ही ध्यान आकर्षित करती थी। वो दोनों बागीचे के चक्कर लगाते हुए रोज ही किसी न किसी मुद्दे पर ज्ञानवर्धक बातचीत किया करते थे। आज एक बुजुर्ग व्यक्ति बागीचे में आए। उन्हें पहले इस बागीचे में कभी नहीं देखा था। उनके हाथ में कुछ समस्या थी जिसे वो एक बॉल को बार-बार फेंक कर व्यायाम के सहारे दूर करने का प्रयास कर रहे थे। परन्तु उनके साथ एक दिक्कत और थी। बॉल फेंकने के बाद धीरे-धीरे चलकर और झुक कर बॉल उठा पाने में बहुत समय लग रहा था। सब लोग रोज की तरह ही अपनी गतिविधियों में व्यस्त थे। पर अचानक एक सुखद परिवर्तन हो गया था। वो दोनों युवा एक निश्चित दू...
मन की हरीतिमा
लघुकथा

मन की हरीतिमा

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** नीरू मेरे पास ये रिश्तेदारी निभाने का बिल्कुल वक्त नहीं है। तुम तुम्हारे हिसाब से देख लो। ये कहते हुए हेमंत कम्पनी जाने के लिए निकल गया। नीरू अपने घर के लॉन में आकर कुर्सी पर बैठ गई। उसकी स्मृति में अतीत की पुरानी यादें घूमने लगी। रीता दी कितने हँसमुख और अच्छे स्वभाव की हैं। मुझे तो कभी लगा ही नहीं कि वो मेरी ननद है। हमेशा बड़ी बहन की तरह ही स्नेह दिया। जीजाजी के बीमार होने पर आज रीता दीदी ने फोन पर थोड़े से पैसे और थोड़ी सी सहायता माँगी है। हेमंत ने काम की व्यस्तता के कारण जाने से मना कर दिया। नीरू की आँखें नम हो चली थी। उसने संयत होकर लॉन के दूसरी तरफ देखा तो माली दादा पौधों में पानी और खाद दे रहे थे। पौधों से बातें करना तो उनकी पुरानी आदत थी ही। लहलहाती हरियाली देखकर नीरू के होंठों पर एक स्निग्ध मुस्कान तैर गई। उसने शाम की ...
सतरंगी आसमान
कविता

सतरंगी आसमान

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** खुशनुमा जादुई रंग बिखर कर एक इन्द्रधनु बना रहे हैं | मेरे शहर की एक बहुत खूबसूरत तस्वीर सजा रहे है | सफेद रंग कण मानवता के कैनवास पर बिखर कर मसीहा बन कर अनगिनत ज़िन्दगानी बचा रहे हैं | नीले पराग अपने हाथों में असीम कर्त्तव्यता भर कर तन और मन से इंसानियत की सेवा किए जा रहे हैं | परिश्रम की आग में तपते झुलसते कुंदनी खाकी रंग अमन और चैन के फौलादी स्तंभ बनाए जा रहे हैं | नेतृत्व की काबिलियत की शक्ति से भरे अद्भुत रंग शहर को फिर एक बार से जीने काबिल बना रहे हैं | स्निग्ध स्नेह और अपनत्व के खुदरंग घुल मिल कर निस्वार्थ भाव से सेवाएँ और महादान लुटाए जा रहे हैं | सकारात्मकता के चटकीले रंग से सजे कई लाख मन हर पल हर एक के लिए जीवनी दुआएँ किए जा रहे हैं | खुशनुमा जादुई रंग बिखर कर एक इन्द्रधनु बना रहे हैं |...
स्वाभिमान
लघुकथा

स्वाभिमान

सीमा तिवारी इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** मीता भाभी ये क्या कर रही हो आप। ये खाने का पैकेट कार के पास मत रखो। जानवर सब फैलाकर गंदगी करेंगे। आजकल तो स्वच्छता का कितना प्रचार प्रसार हो रहा है। पड़ोस की सरला भाभी बालकनी में खड़ी होकर बोले जा रही थी। मीता पैकेट रखकर चुपचाप अंदर आ गई और कमरे के पर्दे की ओट में खड़ी होकर इंतज़ार करने लगी। अभी रात के नौ बजने में दस मिनट बाकी थे। कुछ ही देर में वो नवयुवती आई जिसके कपड़ों से माँगकर न खा पाने की और चेहरे से बेरोजगारी और भूख की मजबूरी साफ दिखाई दे रही थी। उसने इधर उधर देखा और जल्दी से खाने का पैकेट उठाकर अपने बैग में डालकर चली गयी। उसके जाने के बाद मीता बिखरे हुए अन्न कण उठाकर पानी डाल रही थी कि उसका ध्यान सरला भाभी की बालकनी पर चला गया। सरला भाभी की झुकी गर्दन और निगाह न मिला पाने पर ध्यान न देकर मीता ये सोच रही थी कि स्वाभिमा...