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Tag: सीताराम पवार

अकस्मात नहीं होता
कविता

अकस्मात नहीं होता

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** रिश्ते हमें मिल जाते हैं मगर यह फरिश्ते नहीं मिलते साहित्य के सफर में गर तुम्हारा यह साथ नहीं होता। फिर हमारे झुके कंधों पर किसी का हाथ नहीं होता। तुम्हारे ही शीर्षको ने साहित्य का ये जहां दिखाया है तुम्हारी बेरुखी होती तो दिल मे जज्बात नहीं होता। मेरे लिए जो दुश्वारियां उठाई मुझे इसका एहसास है दिल से दोस्ती है इसमें कभी विश्वासघात नहीं होता। रिश्ते हमे मिल जाते हैं मगर यह फरिश्ते नहीं मिलते अगर मिल जाए फरिश्ता वह जाने हयात नहीं होता। मेरे शब्दों से अगर कोई ठेस पहुंची हो तो माफ करना दिल से निकली ये दुआ से कभी आघात नहीं होता। ये तो मेरा नसीब है कि तुम्हारा यहां मुझे साथ मिला नसीब से मिला ये साथ कभी भी खैरात नहीं होता। रिश्ता हमने वजूद से नहीं तुम्हारे दिल से बनाया है दिल का रिश्ता दिल से है यह अकस्म...
हिंदी की कहानी
कविता

हिंदी की कहानी

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** अंग्रेजी बोलने वाले भी अपने घर में हिंदी बोला करते हैं इसमें मानहानि नहीं होती। कहने वालों की जुबानी नहीं होती वरना भारत में हिंदी की कहानी कहां नहीं होती। हमारा दिल हिंदी के लिए नहीं धड़कता तो दुनिया हिंदी की दीवानी यहां नहीं होती। कामयाब तो हुई थी अंग्रेजी यहां अंग्रेजों के राज में हिंदी का कुछ बिगाड़ नहीं पा। हिंदी दिल से निकलती हैं व दिलों तक पहुंचती है बोलने वालों की नादानी नहीं होती। हिंदी भारत की संस्कृति मे रची बसी है इसलिए हिंदी ही हमारी असली पहचान है, अंग्रेजी बोलने वाले भी अपने घर में हिंदी बोला करते हैं इसमें मानहानि नहीं होती। संतान गर्भ में हिंदी सिखती हैं गर्भ से बाहर आके पहले मां का उच्चारण करती है। भारत माता की संतान हिंदी बोलने वाली है हिंदी बोलने वाले में बदगुमानी नहीं होती।...
हिंदी प्रेमियों का बस तुमसे इतना कहना है
कविता

हिंदी प्रेमियों का बस तुमसे इतना कहना है

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** अंग्रेजी में लिखकर दुनिया को समझाना भैंस के आगे बीन बजाना ही तो है... हमने जब भी उजले पन्नों पर कोई बात लिखी वो बात लिखी अपनी हिंदी में। जो बात लिखकर हमने दुनिया को समझाई वह बात भी समझाई अपनी हिंदी में। अंग्रेजी में लिखकर दुनिया को समझाना भैंस के आगे बीन बजाना ही तो है, जो बात यहां सबसे जल्दी सबके समझ में आई वो बात आई अपनी हिंद मे। भारत के सर्वोच्च शिखर से जब कोई अंग्रेजी में जनता को बात समझाता है, वह बात कभी समझा नहीं पाया काश वही बात होती समझाई अपनी हिंदी मे। हिंदी हमारा अभिमान है अंग्रेजी बोल कर इसका भारत में अपमान मत करो यारों, भारत की अलौकिक सभ्यता छिपी है अपनी यह हिंदी की जगमगाई बिंदी मे। आधुनिकता में डूबा खुद युवा आजकल अंग्रेजी बोलना अपना सम्मान समझता है, हिंदी की गरिमा क्या होती है भारत...
हिंदी जैसा शालीमार
कविता

हिंदी जैसा शालीमार

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** विश्वगुरु की ये भाषा हिंदी सारी भाषाओं की महारानी है। हिंदी को छोटा न बोल हिंदी ने हिंदुस्तान का नाम बढ़ाया है। हिंदी से संस्कृति जन्मी हिंदी ने संस्कारों का पाठ पढ़ाया है। हिंदी की इस दुर्दशा के असली जिम्मेदार हम ही तो हैं। हिंदी छोड़ हमने इन अंग्रेजों की अंग्रेजी को सिर पर चढ़ाया है। हिंदी अगर जहां में नहीं होती तो फिर ये हिंदुस्तान नहीं होता हिंदुस्तान में आकर विदेशियों ने हिंदी का मजाक उड़ाया है। आक्रांताओ ने हिंदी को अपमानित करने का काम किया फिरंगीयो ने आकर हिंदुस्तानी भाषाओं को आपस में लड़ाया है। हिंदी आन हिंदी शान हिंदी हिंदुस्तान के जीवन की शैली है हिंद देश के वासीयो ने मिलकर हिंदी को इनके चंगुल से छुड़ाया है। धरती पे अगर हिंदी नहीं होती तो दुनिया दिशाहीन हो जाती आतताईयों ने ये भो...
हिंदी जैसा शालीमार
कविता

हिंदी जैसा शालीमार

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** विश्वगुरु की ये भाषा हिंदी सारी भाषाओं की महारानी है। हिंदी को छोटा न बोल हिंदी ने हिंदुस्तान का नाम बढ़ाया है। हिंदी से संस्कृति जन्मी हिंदी ने संस्कारों का पाठ पढ़ाया है हिंदी की इस दुर्दशा के असली जिम्मेदार हम ही तो हैं। हिंदी छोड़ हमने इन अंग्रेजों की अंग्रेजी को सिर पर चढ़ाया है हिंदी अगर जहां में नहीं होती तो फिर ये हिंदुस्तान नहीं होता हिंदुस्तान में आकर विदेशियों ने हिंदी का मजाक उड़ाया है आक्रांताओ ने हिंदी को अपमानित करने का काम किया फिरंगीयो ने आकर हिंदुस्तानी भाषाओं को आपस में लड़ाया है हिंदी आन हिंदी शान हिंदी हिंदुस्तान के जीवन की शैली है हिंद देश के वासीयो ने मिलकर हिंदी को इनके चंगुल से छुड़ाया है धरती पे अगर हिंदी नहीं होती तो दुनिया दिशाहीन हो जाती आतताईयों ने ये भोली हि...
हिंदी में समझाना है आपको
कविता

हिंदी में समझाना है आपको

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** आधुनिकता में डूबे ये युवाओं के दिल में हिंदी बसाना है आपको दुनिया में हिंदी बोल कर अपनी पहचान बनाना है आपको दुनिया में कितनों को हिंदी भाषा बोलना सिखाना है आपको ना देखो अपनी अनजान मंजिल मे आने वाली बाधाओं को मंजिल मे मिलने वाली ये बाधाओं से भी निजात पाना है आपको हमें हिंदी सिखाने की कला आ जाती है तो मंजिल अब दूर नहीं जो हिंदी बोलने से कतराते हैं उन्हें हिंदी में समझाना है आपको फिरंगीयो ने अंग्रेजी यहां बोलकर अंग्रेजी जबरदस्ती हम पर थोपी है थोपी हुई अंग्रेजी को युवा भारतीयो की जुबान से हटाना है आपको काम बहुत ही मुश्किल है मगर यह काम हमारे लिए नामुमकिन नहीं आधुनिकता में डूबे ये युवाओं के दिल में हिंदी बसाना है आपको अंग्रेजी बोल तो लेते हैं ये मगर इन्हें हिंदी अनुवाद अभी नहीं आता ऐसी अंग्रेज...
अटल इरादे वाली बात
कविता

अटल इरादे वाली बात

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** अटल नीति पे चले तो ये समस्या समाप्त हो जाएगी। मृत्युंजय महाकाल के कपाल पर जब भी बल पड़ेंगे। सप्तसागरो की तो बात क्या ये हिमगिरी ढल पड़ेंगे। यह न समझना दिशाएं भी तुम्हारा रास्ता रोक लेगी एक दीप तो क्या यारों यहां हजारों सूरज जल पड़ेंगे। अटल इरादे वाली बात अटल जी ने जहां को बताई है पोखरण का विस्फोट सुन सारे दुश्मन भी दहल पड़ेंगे। कारगिल हो या कश्मीर हमने ये जीत के तिरंगे गाड़े हैं चलना मुश्किल होगा हिमालय से दुश्मन फिसल पड़ेंगे। दिल्ली से लाहौर बस चला इरादा अपना जताया था अटल इरादे देख हमारे शायद यह दुश्मन उछल पड़ेंगे। भारतरत्न अटल यहां सुरमाओ के सुरमा माने जाते थे आज भी उनकी रचनाएं पढ़ हमारे दिल मचल पड़ेंगे। अटल नीति पे चले तो ये समस्या समाप्त हो जाएगी इस नीति से भारत की समस्याओं के हल निकल पड़ेंगे। ...
इसकी खुशबू भी सोंधी है
कविता

इसकी खुशबू भी सोंधी है

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** बिंदी लगाने से नारी का यहां स्वाभिमान जगने लगता है हमारी ये जुबान पर हर पल हिंदी है और हमारे माथे पर बिंदी है| दोनों अगर है तो फिर हमारी भारतीयता भी जिंदी है। हिंदी और बिंदी दोनों का मान दुनिया में हमें रखना होगा दोनों अगर नहीं है तो फिर हमारी सोच बिल्कुल गंदी है। हिंदी और बिंदी से हम इस संसार में जाने और पहचाने जाते हैं हम भारतीय हैं कोई नहीं कहता, यहां ये पंजाबी है या सिंधी है। इतिहास रचा है हिंदी और बिंदी ने याद हमें रखना होगा दोनों है तो हम मुक्त है वर्ना हम भी संसार में बंदी है। बिंदी और हिंदी ने हम भारतीयों का विश्व में गौरव बढ़ाया है पश्चिमी सभ्यता अपनाकर सारी दुनिया भी अंधी है। आजादी पाकर अभी तक हम ये अंग्रेजों की गुलामी में जकड़े हैं। याद करो अपनी मिट्टी को इसकी खुशबू भी सौंधी है। बिंदी ल...
दर्द की दवा बना ली मैंने
ग़ज़ल

दर्द की दवा बना ली मैंने

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** किसी ने वाह-वाह की किसी ने अपना ही मुंह फेर लिया तुमने जो दर्द दिया उस दर्द से अपनी ये गजल बना ली मैंने दर्द भरी गजल लिखकर इस जमाने को सुना दी मैंने। किसी ने वाह-वाह की किसी ने अपना ये मुंह फेर लिया ऐसी मशहूर हुई गजल मेरी सोई किस्मत जगा ली मैंने। तुम्हारे दिए दर्द ने तो दुनिया में नाम कर दिया मेरा दर्द भरी गजल को गाकर शोहरत अपनी जमा ली मैंने। कई शायरों ने अपने इस दर्द को अपनी शायरी में पिरोया है लेकिन इसी गजल से शायरों पर धाक जमा ली मैंने। जो दर्द दिया था तुमने अब उसी दर्द की दवा बनाई है यारों इस दर्द की दवा देकर कई रोशन दुआ कमा ली मैंने। रोशन दुआओं के असर से हमारे यह दर्द फना हो जाते है इन्हीं दुआओं के कारण तकदीर के द्वार खुलवा लिए मैंने। तुम्हारे दिए दर्द से ही मैंने भी यहां दौलत और शोहरत पाई है...
सच्चे पित्र भक्त
कविता

सच्चे पित्र भक्त

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** भीष्म पितामह गुरु द्रोण और कर्ण को धनुर्विद्या के गुर सिखलाए हैं। अन्याय पाप कर्म जब धरती पर दुराचारी राजाओं ने बढ़ाए है। ऐसे दुराचारीयो को श्री परशुराम ने ही इस धरती से मिटाएं है। परशुराम अवतार भगवान विष्णु का छठा अवतार कहलाता है ऋषि जमदग्नि रेणुका जैसे माता-पिता की संतान का कहलाए हैं। भगवान परशुराम सच्चे पित्र भक्त तीनों लोकों में माने जाते है। पिता की आज्ञा से माता की गर्दन काट आज्ञा का पालन कर पाए है। पिताजी ही से वरदान पाकर फिर अपनी जननी के प्राण लौटाए हैं क्षत्रिय वंश का नहीं इन्होंने हैहय वंश का इक्कीस बार संघार किया। भीष्मपितामह गुरुद्रोण और कर्ण को भी धनुर्विद्या के गुर सिखलाए हैं परशुराम के पिता से जब सहसरार्जुन ने बलपूर्वक कामधेनु छीनी थी। सहस्त्रार्जुन जैसे योद्धाओं को अपने इस फर...
तलबगार हम भी थे
ग़ज़ल

तलबगार हम भी थे

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** नशा बनकर होठो पर पैमानों की शराबों में मिलेंगे दुआ बन कर आपको आपकी फरियादो में मिलेंगे प्यार का खत बनकर आपको किताबों में मिलेंगे करोंगे जब याद कभी तुम हमको अपने दिल से खुदा कसम तन्हाई में आपको ख्वाबों में मिलेंगे। इश्क है तो इश्क का इजहार करना भी जरूरी है। कोशिश तो करो हम आपको उन इरादों में मिलेंगे। सुना है इश्क का अक्सर नशा सर चढ़कर बोलता है नशा बनकर होठो पर पैमानों की शराबों में मिलेंगे। जब कभी देखोगे तुम अपने आपको आईने में हम आपको आपके चढ़ते हुए शबाबो में मिलेंगे। तुमने भी पूछा था कि क्या हमको तुमसे इश्क है तुम भी हमारा खत पढ़ लेना उत्तर खत के जवाबों में मिलेंगे। कभी तुम्हारी खूबसूरती के तलबगार हम भी थे। कभी अपने चेहरे से लगाओ हम रेशमी नक़ाबो में मिलेंगे। परि...
जहाज का पंछी
कविता

जहाज का पंछी

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** मैं इस जहाज का पंछी हूं मेरा दूजा कोई ठौर नही धरती पर जो सुकून मिलता है वो कहीं और नहीं। भूख नामुराद जहाज पर लाई है मेरा तो ठिकाना और था जो गुजर गया वो गुजर गया फिर आएगा ऐसा दौर नहीं। परिवार कहां और मैं कहां उस परिवार के लिए तड़पता हूं सहा नहीं जाता मुझसे अब तो जालिम लहरों का शोर नहीं जो इस जहाज पर मिल जाता है उससे भूख मिटाता हूं आंखों के आगे अंधेरा है दिखाई दे ऐसी कोई भोर नहीं। उम्मीद लगाए रहता हूं मै कब धरती का साहिल मिल जाए बीत गई सो बीत गई अब करता उसपर मैं गौर नहीं। नसीब में जो लिखा है वह तो मिलना ही निश्चित है अपनी किस्मत के आगे चलता किसी का जोर नहीं। पेट की भूख ने आदमी को क्या से क्या बना डाला इस भूख का दुनिया में कहीं कोई और न छोर नहीं। परिचय :- सीताराम पवार निवासी : धवल...
आंखो से अभी तक उजाला न गया
कविता

आंखो से अभी तक उजाला न गया

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** "खिलौना समझ कर वो दिल तोड़कर जब चलते बने" दर्द ए दिल को मेरी ये कलम से शब्दों मे ढाला न गया गम के निकले इन अश्कों को आंखों से निकाला न गया। उसने दिल को दर्द दिया ही इसलिए यारों क्योंकि उससे मेरे ये इश्क का इजहार संभाला न गया। वफा है या बेवफाई है हमने भी समझने में जल्दी की है वक्त रहते उसके इस दिल को खंगाला न गया। नियत उसके प्यार की आंखों में पढ़ नहीं पाए हम जब किया उसने प्यार का इजहार हमसे भी टाला न गया। खिलौना समझ कर वो दिल तोड़ कर जब चलते बने इस नाजुक दिल को फर्श पर हमसे भी उछाला न गया। हमने तो आबे हयात समझा था उसके इश्क को यारो मगर ये जहर निकला दिल की आंच से उबाला न गया। इश्क में इंसान अंधा होता है हमने भी ये सुना है यारो मगर ये दिले मजबूर की आंखों से अभी तक उजाला न गया। परिचय :- सीतारा...
नारी कुल की इज्जत है
कविता

नारी कुल की इज्जत है

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** "नारी मर्यादा छोड़े फिर भगवान की भी नहीं सुनती" मोहब्बत की शमा नफरत के तूफानों में नहीं जलती मदमस्त बहार कभी भी खिजा में नहीं खिलती। नारी को तू खेलने का खिलौना समझने वाले बेपनाह मोहब्बत मांगने से कभी भी नहीं मिलती। नारी कुल की इज्जत है इज्जत करना सीख ले नारी मर्यादा छोडे फिर भगवान की भी नहीं सुनती। नारी में नर होता है नर से ही तो नारायण बनता है नारी शक्ति बिना हमसे परछाई भी नही हिलती। गंगा की धारा है ये नारी सागर में इसको मिलने दो इसका साथ नहीं मिलता तो जिंदगी नहीं बनती। नारी गर नहीं होती तो धरती पर जीवन नहीं होता इसने हमको जन्म दिया नही तो दुनिया नहीं चलती। आधा नर आधा नारी से अर्धनारीश्वर बन जाता है अर्धनारीश्वर के सामने किस्मत भी जाल नहीं बुनती। परिचय :- सीताराम पवार निवासी : धवली जिला ...
नामुराद इश्क का मिज़ाज
कविता

नामुराद इश्क का मिज़ाज

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** "नामुराद इश्क का मिज़ाज बड़ा अजीब है यारो" रात ये सोने नहीं देता सुबह ये होने नहीं देता बात करने भी नही देता वो बात सुनने नहीं देता। मरीज ए इश्क की हालत बड़ी नासाज है अब तो कभी खाने नहीं देता कभी पीने भी नहीं देता। यकीन ना हो तो तुम भी इश्क करके देख लेना। कभी मरने नहीं देता तो कभी जीने नहीं देता। नामुराद इश्क का मिज़ाज बड़ा अजीब है यारो यह हंसने भी नहीं देता यह रोने भी नहीं देता। दिल टूटने पर दिल के जख्म किसी को ना बताना दिल के जख्म को ये सीने भी नहीं देता ये धोने नहीं देता इश्क करने वालों के सीने में इश्क की वो आग होती है ये इस आग को बुझने नहीं देता सुलगने नहीं देता। इश्क है तो जिंदगी है ऐसा जमाने में लोग कहते हैं यह सर उठाने नहीं देता यह सर झुकने नहीं देता। परिचय :- सीताराम पवार निवासी : ...
सांसों के सितार पर
कविता

सांसों के सितार पर

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** सांसों के सितार पर भी यह गीत मेरे यार बजते है" सांसों के सितार पर ही दिल के तार तार बजते हैं सरगम की इस लय पर जाने कितने ही सितार बजते है पता नहीं तुम्हारी नजरों में इतनी कशिश क्यों है तुम्हारे देखने से दिल में मेरे घुंघरू हजार बजते हैं। मैंने तो सिर्फ गीत लिखे थे तुम्हारी सूरत देखकर तुमने वही गीत गाए जो मेरे कानों मे वो बार-बार बजते हैं। मैंने तो तुम्हें गीतों में ढालने की कोशिश की थी अब तो मेरे गीत इस दुनिया में बेशुमार बजते हैं। गली और चौबारो में शहर हो या फिर हो बाजारों मे गूंज सुनाई देती है इन गीतों की जो कभी त्योहार में बजते हैं। सांसों के सितार पर जब भी मैं अपने ये तराने सुनता हूं खिलखिलाते किसी झरनो के यहा धार बजते है। इन गीतों को सुनकर दिल भी मस्त हो ही जाता है ...
इस देश की माटी चंदन है
कविता

इस देश की माटी चंदन है

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** जीतूंगा मै हर बाजी ऐसा अपने आप से वादा करो जितना तुम सोचते हो कोशिश उससे भी ज्यादा करो। किस्मत चाहे रूठे हिम्मत और हौसला कभी ना टूटे फौलाद से भी मजबूत तुम अपना इरादा करो इस माटी में हम भी जन्मे हैं इसका कर्ज हमें चुकाना है जिसका तुमने खाया है उसका तुम फर्ज अदा करो। इस दुनिया में हम आए हैं तो मोहब्बत से जीना सीख लो दिल मैं अगर मोहब्बत है तो नफरत को अपने से जुदा करो। नेक नियत और इमान से ही इंसानियत यहां बसती है जीवन अगर जीना है फिर इस बुराई से पर्दा करो। इस देश की माटी चंदन है जर्रे जर्रे में-रब भी बसता है हो गए कई कुर्बान वतन पर तुम भी तन मन फिदा करो देश के दुश्मनों को तो हमने रन में उनकी औकात दिखाई है इनका हमको डर नहीं मगर ये गद्दारों को इस घर से विदा करो। परिचय :- सीताराम पवार ...
आशियाने जले कैसे
कविता

आशियाने जले कैसे

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** पता नहीं वो अब अपने ही जमीरो से हिले कैसे नफरत कैद में उनके ये मोहब्बत सबको मिले कैसे गम की रात में चांद डूबा है ये चांदनी भी खिले कैसे। खामोश रहता हूं मगर मुँह में जुबान तो है यारो कहे कैसे हमने अपनी मजबूरी में ये होंठ सिले कैसे। हमने तो सच्चाई ही बयान की थी उनकी फितरत की पता नहीं वो भी अब अपने ही जमीरो से हिले कैसे। मंजिल पाने वाले को सफर का अंजाम नहीं मालूम सफर से अनजान है फिर वो उस मंजिल तक चले कैसे। बिन कायनात के भी क्या वजूद है उस इंसान का यारो चिराग तो जलाया था फिर ये आशियाने जले कैसे। कोई भी काम मुश्किल नहीं हौसले बुलंद होना चाहिए गर इरादे मजबूत हो तो फिर तकदीर से गिले कैसे। जिनको याद करके हमने सारी जिंदगी गुजार दी फिर बेखुदी में अपनी जिंदगी में उनको भूले कैसे। परिचय :- सीताराम पवा...
इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर वह नाम अपना लिखा गई
कविता

इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर वह नाम अपना लिखा गई

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** स्वर की देवी स्वर छोड़कर स्वर्ग लोक में समा गई जाते-जाते भी धरती पर सारी दुनिया को रुला गई। भारत रत्न स्वर कोकिला को यह दुनिया भुला नहीं पाएगी अपने सुस्वर से महान हस्तियों की पलकें भीगा गई। साधारण जीवन और उच्च विचार उसकी अनमोल धरोहर थी इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर वह अपना नाम लिखा गई। माया नगरी में रहकर भी ये माया उसको छू नहीं पाई गरीबी से कैसे लड़ना है सारी दुनिया को सिखा गई। परिवार के खातिर उसने अपनी खुशियों का त्याग किया शोहरत और रुतबा क्या होता है ये सारी दुनिया को दिखा गई उसका गीत सुनकर ही नेहरू जी की आंखें भर आई थी अंतिम सफर पर उसी गीत से मोदी जी की आंखें डबडबा गई। जिस वक्त स्वर की देवी ने स्वर्ग लोक को गमन किया नारी का रिश्ता क्या होता है नारी जगत से निभा गई। परिचय :- सीत...
वह कौन थी
कविता

वह कौन थी

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** न जाने कैसी उलझन है जिसे मैं सुलझा नहीं पाया" वह कौन थी अब तक भी मै उसे समझ नहीं पाया क्या तिलस्म था उसका रात भर मै भी सो नहीं पाया। जब उसे मैं याद करता हूं वो जादू भरा तिलस्मी चेहरा न जाने कैसी उलझन है जिसे मैं सुलझा नहीं पाया। आंखों से दिखाई नहीं देती ओर सुनाई भी नहीं देती तिलस्मी हूर है कोई जिससे मैं कुछ कह नहीं पाया। पलों में ओर लम्हों में वो आती है आकर चली जाती सोचता हूं लिखूं गजल मै उस पर मगर लिख नहीं पाया। वो उलझी अनबुझ पहेली है इसे बूझना भी मुश्किल है ये तिलस्मी पहेली को अभी तक मै बुझ नहीं पाया। मैं अनजान हूं उससे वो मुझसे अनजानी नहीं लगती दिन ढलने पर वो छिप जाती उसको मै ढूंढ नहीं पाया। मैं इस दुनिया में आया था वह भी मेरे ही साथ ही आई थी अब तो मेरे साथ ही जाएगी वो तिलस्मी म...