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Tag: सरिता कटियार

पलायन
कविता

पलायन

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** पेट की खातिर कमाने को अभी गये थे जो निर्धन आज कोरोना ने मझधार में डाला दहल गये वो मन दहलाया सारी दुनिया को हुये लाचार सभी जन जन क्या करना वहाँ पर रहे के लौट जायेंगे अपने घर हैं मजबूर काम के जरिये भूख से सारे रहे तरस किया पलायन बिन गाड़ी और पैदल ही सब लिए निकल सौ दो सौ चार सौ मीटर की दूरी को ना लाया ज़हन दो-दो बच्चे कंधों पर और गठरी धरी दूजे के सर पर तरस जो खाये वो फंस जाये ना खाने वाला निर्मम महामारी का जाल बिछाया खुद के लिए खुद करो जतन कई रोज लग जायेंगे तब पहुचते अपने घर तब सारे सीएम ने सोचा भरो गाड़ी पहुचादो घर सोचो तनिक छुआछूत की बीमारी लग गयी अगर क्या घर में खुश रह पाओगे गर बीमार हुए जन जन घबराओ ना विनती है हाथ जोड़कर सरिता की वक्त पड़ा है आन ना हिम्मत टूटेगी लाचार बन . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश ...
अपना रूप
कविता

अपना रूप

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** बहुत भली अनोखी लेकिन नार हूँ तीखी छुरी की तीखी तीखी धार हूँ दिखती बहुत सीधी परंतु खार हूँ सभ्यता, संस्कृति और संस्कार हूँ माँ बाप के दिल का टुकड़ा प्यार हूँ कभी ना किया उनको शरमसार हूँ सच्चाई की बहुत बड़ी बीमार हूँ तभी तो सच्चाई की तलबगार हूँ झूठों की ठगी से ना खाई मार हूँ झूठ का ना करती कोई प्रचार हूँ अहंकारों की सबसे बड़ी हार हूँ बहती कई सरिता समुद्र की धार हूँ . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे...
दिलों की नफरत
कविता

दिलों की नफरत

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** इंसानों के दिलों की नफरत बढ़ी वनों से ज्यादा दिलों में अग्नि बढ़ी घट सकती बनों की जलन शायद काले धुएँ से दिलों की धधक बढ़ी अब कौन किसी को पहचानने इतना ही जाने तो समझो बात बडी इंसान ना बनों पर तरस खायें प्राकृति के बदले की तहश बढ़ी आपदाओं का ऐसा कहर बरपा के कुदरत देखे खड़ी खड़ी एक तरफ धुआं ना शांत होये दूजे हिस्से में आन पड़ी जंगल के जंगल बुझ ना सके रिश्तों में ज्वालामुखी फटी आया है समय कैसा सरिता ये गहरी सोंच में आन पड़ी परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail....
कोरोना का कैसा रोना
कविता

कोरोना का कैसा रोना

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** घर में रहना यही है कहना पर ना कोरोना से डरना सुबह से शाम तलक ही रहना एक एक जीव को बचकर रहना उसके कब्जा करने से पहले तुम उसको कब्जे में करना किसी से बिलकुल नाही डरना गुलाम आज़ादी ना करना एक ही दिन बंधेजी करना संडे है मिल जुल मस्ती करना नये पकवान बनाते रहना पर ना उसके बाप से डरना सीखा नहीं कभी भी हारना हिम्मत से सब काम करना खा पी कर हाथ धोते रहना पीछे हाथ धो कर है पड़ना ज़रा जमीन से उसे भगाना भूल जाये दोबारा आना आकर उसे पड़े पछताना विनती सरिता की ये मानना . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टा...
महिला दिवस
कविता

महिला दिवस

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** बनी हूँ टपोरी में रा जेंडर है छोरी हटके हूँ थोड़ी कोई डारे ना डोरी निकले दिवाला जिसकी लूटूं मै खोली उसकी हो खाली मेरी भर जाये बोरी टोपी पहनाने में बाज़ी हमने मारी जीती हमेशा हमसे ये दुनिया हारी डरने लगी है हमसे दुनिया सारी नटखट नखरीली हूँ थोड़ी बेचारी जिसने भी देखा उसको लगती हूँ प्यारी विरली अनोखी सीधी सादी हूँ नारी . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी क...
होली का रंग
कविता

होली का रंग

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** होली का रंग करो ना भंग रंग के बदले प्यार बढ़ाओ मिल जुल कर के होली मनाओ तुम सब भी इस ढंग में आओ गले मिलो सब द्वेष मिटाओ क्या रखा ज़रा ये तो बताओ तेरी मेरी को दिये हो बढ़ाओ ना कोई कीमत ना कोई भाव समझ गये तो ना रहे अभाओ हाथ मिला कर गले लगाओ दिल से दिल का रंग मिलाओ मिला के रंग से नया रंग बनाओ बदल सका रंग खून बताओ दिल से दिल में पड़े पढ़ाओ नफरत की फितरत को भगाओ सरिता करे विनती समझाओ इंसां नियत के बढ़े क्यों भाओ . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु ...
बिरह की पीड़ा
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बिरह की पीड़ा

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** किसी की नफरत ने शायर बना दिया किसी की चाहत ने शायर बना दिया किसी के शब्दों ने शायर बना दिया किसी के लफ़्ज़ों ने शायर बना दिया किसी की नज़रों ने शायर बना दिया किसी के अधरों ने शायर बना दिया किसी के मिलन ने शायर बना दिया सिसक और बिछुड़न ने शायर बना दिल की धड़कन में जिसको बसा लिया उसी की तड़प ने शायर बना दिया दिल जीतने की लगन ने शायर बना दिया दिल में बसने की ज़िद ने शायर बना दिया फेर के नज़रों से जो जख़्म बढ़ा दिया उसके इंतज़ार ने सरिता को शायर बना दिया . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाई...
प्रीत का दुख
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प्रीत का दुख

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** प्रीत का दुख वो ही जाने जिसको प्रीत होय कड़वा जहर पीये फिर भी जान ना रवां होय फिरै जताते प्रीत की रीत ना जानै सोय रुसवाई का घूंट पिये प्रीत ना रुसवा होय प्रीत जिसम से ना नज़रों से प्रीति दिल से होय ज़िदा होकर ना मरै मरन पे जिंदा होय बंदिशों से ना जिये पहरा भी ना होय वही निभाये प्रीत जिसका रीत पे चलना होय पीड़ा दर्द वेदना का मिलता है अहसास वैद्य नही इस बीमारी का उपचार भी ना होय प्रेम गली है बहुत ही सांकरी कैसे चलना होय सरल नही है जग में मुश्किल जीना होय सरिता के प्रभु संत राजिंदर है ना कोई और जीभा से गुणगान करत दिल से मेरा होय . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानि...
प्रेमदिवस विशेष
कविता

प्रेमदिवस विशेष

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** तू प्यार है हमारा इकरार कर लिया है तेरे इश्क के ही रंग में मैने खुद को रंग लिया है अब ज़िन्दगी का मेरी तू ही बने पिया है ये सपना मैंने तुझसे साकार कर लिया है जज़्बात ए मोहब्बत का इज़हार कर दिया है दुनिया के सारे रिश्तों से तकरार कर लिया है लाइलाज है बीमारी पर बीमार कर लिया अब दवा या तू ज़हर दे स्वीकार कर लिया है अपनाये या तू मेटे ग़म ए दर्द सर लिया है मैनें तो अपना जीवन बर्बाद कर लिया है उलफ़त में दिल बेकाबू कर कर तड़प लिया है सकते ना कर कभी हम वो गुनाह कर लिया है ये जानती न सरिता क्या इसने कर लिया है राहे इश्क़ में ही खुदको रुसवा कर लिया है . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपन...