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Tag: सरला मेहता

महाराणा प्रताप
कविता

महाराणा प्रताप

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राजपूताने की धरती पर इक महाराणा जन्मा था वीर प्रताप मेवाड़ राज्य मुगलों का बल डोला था मातृभूमि मुगलों से पाने जंगल में डेरा डाला था छापामारी सिखलाते थे इक शक्तिसेना बनाई थी कंद मूल घास की रोटियाँ खाकरके जीवन बिताते थे लोहपुरुष सर्वप्रिय राजा थे शौर्य वीरता का दम वे भरते अकबर के अनुबंध नकारे राणा भिड़ गए थे मुगलों से मुट्ठी भर सैनिकों की सेना राणा का भाला था धारदार चेतक पर राणा की सवारी मुगलों की सेना भी थी हारी त्यागे प्राण घायल राणा ने अकबर को ना पीठ दिखाई जय-जय राणा, जय मेवाड़ परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे
धनाक्षरी, बाल कविताएं

चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी भाव- ममता चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे, दोनों मिल कुल तारे, भाग्य पे मैं इतराऊँ वारी वारी जाऊँ रे। उठे मेरे साथ साथ, दोनों ही बटाए हाथ, मेरी आँखों के हैं तारे, मैं तो इतराऊँ रे। दादा दादी के दुलारे, इनके तो वारे न्यारे, आशीष सदा ये पाते, खुशियाँ मैं पाऊँ रे। लोग कहे मुझे अच्छा, यही फल होता सच्चा, सफ़ल जनम हुआ, प्रभु गुण गाऊँ रे। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ह...
नशा
हाइकू

नशा

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नशा धुंए का तम्बाखू से है भरा भस्माने वाला फैशन बनी जहरीली धौंकनी सेहत हानि जले फेफड़े केंसर के दुखड़े नुक्सान बड़े धुँआ फैलाते संगी साथी भोगते गन्दी आदतें परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आप...
माँ तू बहोत याद आती
आलेख

माँ तू बहोत याद आती

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** होले से चपत लगाकर के सूरज संग मुझे जगा देती जो मेरे सपने सजाती थी वो सपनों में क्यूँ समा गई माँ ! तू बहोत याद आती माथा मेरा सहला करकर बालों को तू सुलझाती थी लाल रेशमी रिबन बांधके भालपे मीठी मुहर लगाती माँ ! तू बहोत याद आती नाज़ुक महकते हाथों से गरम नाश्ता रोज़ कराती बस में मुझे चढ़ा कर के भारी  बस्ता थमा जाती माँ ! तू बहोत याद आती जन्मदिन की तैयारियों में कई रातें माँ तू नहीं सोती मुश्किलें जो आती मुझपे हर मर्ज़ की दवा बताती माँ ! तू बहोत याद आती अब तेरी नातिन मुझको दिनभर  नाच नचाती है झुंझलाती थकके मैं बैठूँ तस्वीर से तू है मुस्काती माँ ! तू बहोत याद आती परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
सीखना व्यर्थ नहीं जाता
आलेख

सीखना व्यर्थ नहीं जाता

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन भी एक पहेली है। जो सोचते हैं वह कब कहाँ छूट जाता है कह नहीं सकते है। मैं अंग्रेजी साहित्य में स्नाकोत्तर हूँ। किन्तु जब नौकरी का सोचा तो शुरुआत सहकारी बैंक से की। शब्दों को छोड़ अंकों का दामन थामा। सहकारी प्रशिक्षण में म.प्र. में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाया। किन्तु एक माँ व पत्नी को छुट्टियों वाली नौकरी ज़्यादा सुविधाजनक होती है। दस वर्ष पश्चात शिक्षण के क्षेत्र में कदम रखने के लिए बी एड किया। एक नवीन अध्याय का श्रीगणेश हुआ। यहॉं भी चुनौतियाँ थी। अंग्रेजी की ज्ञाता तो थी पर अंग्रेजी अच्छे से बोलने में झिझक थी। एक गाँव की लड़की व सरकारी विद्यालय की छात्रा जो थी मैं। बस लगी रही मुन्नाभाई की तरह। एक शिक्षिका होकर घर पर विद्यार्थी बन जाती। एक प्रशिक्षक के साथ कॉन्वेंट वाली अंग्रेजी बोलने का अभ्यास करने लगी। और गटर-पटर करते मेरी गाड़ी चल ...
चलो ढूंढते हैं
कविता

चलो ढूंढते हैं

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जो खो गई कहीं बचपन की गलियाँ प्यारी सी सहेलियाँ वो मीठी अठखेलियाँ चलो ढूँढ़ते हैं... जो छूट गई कहीं वो पीहर की यादें माँ के दिल की मुरादें करते बाबा से फरियादें चलो ढूँढ़ते हैं... जो रह गए सपनें वो मिलना जुलना मदद को तैयार रहना सारे त्योहार संग मनाना चलो ढूँढ़ते हैं... जो अतीत बन गए वो जंगल में मंगल नदियों की कलकल वो खुशियों से भरे पल चलो ढूँढ़ते हैं... जो विलुप्त हो गए वो संस्कार संस्कृति पारिवारिक अनुभूति सभ्य संसार की अनुकृति चलो ढूँढ़ते हैं... परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्र...
मैं बचूँ या ना बचूँ
लघुकथा

मैं बचूँ या ना बचूँ

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** "अरे शोभा जी ! आप अपनी संगीत कक्षा में ही व्यस्त रहो। खबर भी है आपको कि बिट्टू कहाँ है?" "क्या हुआ नीता जी बिट्टू को? वह तो स्वीमिंग क्लास गया है। बस आता ही होगा।" तभी बाहर से शोर सुनाई देता है, "बिट्टू राजा जिंदाबाद।" लड़कों ने हार पहने बिट्टू को काँधे पर उठा रखा है। आशंकित शोभा जानना चाहती है कि आख़िर माज़रा क्या है। स्वीमिंग क्लास के सर हाथ जोड़कर बताते हैं, "मेडम ! आपका बेटा बड़ा दयालू व बहादुर है। इसने एक पपी को पूल में डूबते हुए देखा। अपनी जान की परवाह किए बिना यह पास पड़ी तगारी लिए पानी में कूद गया। और झट से पपी को तगारी में डाल सिर पर रख लिया। खुद अपने हाथ ही नहीं चला पा रहा था। मैं वहीं खड़ा था तो दोनों को बचा लिया।" बिट्टू को आगोश में भरते हुए शोभा पूछती है, "बच्चे ! तुम्हें कुछ हो जाता तो...।" "मम्मा ! आप ही तो सिखाती हो...
एक अनोखा ग्रह
कविता

एक अनोखा ग्रह

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सौरमण्डल का अनोखा यह ग्रह जल] थल] वायु का इच्छित संगम जन जीवों का रहवासी ये स्थल पंच तत्वों में प्रमुख इसका स्थान ये गोल ग्रह परिक्रमा करे रवि की चंदा मामा थामके पल्लू धरा का अंग-संग रहता है नन्हें मुन्नू जैसा भूमध्य रेखा मध्य से है गुज़रती सूरज दद्दू की किरणें सीधी पड़ती ज्यों-ज्यों केंद्र से दूर होते जाते ठिठुरन ज़्यादा ही कपकपाती है दोनों ध्रुवों पर तो बर्फ़ जम जाती उत्तरी व दक्षिणी ये दो गोलार्ध हैं ठन्डों में भारत मनाता क्रिसमस आस्ट्रेलिया में सेंटा गर्मी में आते कहीं नदियाँ ताल, कहीं पठार हैं कहीं हरे मैदान कहीं रेगिस्तान हैं रहते हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हैं प्रभु की ये रचना बड़ी करिश्माई है परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह र...
जय हनुमान
स्तुति

जय हनुमान

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शुभ दिवस चैत्र पूर्णमासा, जन्म लियो है कृपा निधाना पिता केसरी अति प्रसन्ना जागे भाग अंजनी माता ठुमक-ठुमक पैंजनियाँ बाजे सर्व जगत को अति मन भावे लाँघे जंगल, पर्वत नापे मारुतिनंदन रवि ही निगले सीताहरण सुने हनुमाना लिए मुद्रिका आए लँका देखि दूत हर्षित है माता मीठे फल दीनी सौगाता अजब गजब ये वानर आया तहस नहस भई स्वर्णलंका महा कहर चहुँ ओर बरपा खंडहर भए महल चौबारा लखन ह्रदय तीर जब लागा अमृत जड़ ले आए वीरा दशानन का हुआ संहारा विभीषण हुए लंका राजा रामकथा वाचन नित होवे रघुनाथ नाम की जोत जले मन वचन कर्म से शुभ सोचे सर्व काज त्याग हनु विराजे परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहा...
चिंता…. चिंतन
दोहा

चिंता…. चिंतन

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चिंता चिंता कभी न कीजिए यह है चिता समान सेहत तन मन की हरे रखो सदा यह भान चिंता से कुछ ना बने तन दुर्बल हो जाय सुख व चैन मन का लुटे काज न कोई भाय चिंतन चिंता से चिंतन भला मन हर्षित हो जाय राम नाम का सिलसिला बन्धन मुक्त कराय शुभ चिंतन करो मनवा सभी पाप मिट जाय बिन पानी साबुन बिना मन निर्मल हो जाय परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindir...
राम बने या रावण
कविता

राम बने या रावण

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हर जीवात्मा में बसता है रावण या सदाचारी राम बुराई का प्रतीक ये रावण तो अच्छाई दर्शाते हैं राम काम क्रोध लोभ मोह मद जो देते तिलांजलि इनको वो हैं राम जैसे चरित्रवान लिखाते इतिहास में नाम पाँच विकारों से वशीभूत हो जो बन जाते दुष्ट दुराचारी सिया हरण सा पाप करते जग में कहलाते हैं ये रावण मानव स्वकर्मो से ही बनता जो वो चाहे, रावण या राम क्यूँ न हरादें अपने रावण को बन जाएँ मर्यादा पुरुषोत्तम हराके दशाननी विकारों को दशरथसुत राम ही बन जाएँ करें स्थापना रामराज्य की धरा पर स्वर्ग अब उतार दें आज सबके अपने रावण हैं रिश्तों, कुर्सी की मारामारी में कुकर्म, अनाचार आतंक में महाभारत का बोलबाला है परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना...
सपने मनु शतरूपा के
कविता

सपने मनु शतरूपा के

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कभी मिले थे हम तुम नादान थे अनजान थे सच में हम थे दो दीवाने खुली आँखों के वे सपने तेरे मेरे नहीं, वे थे अपने *सुदूर फैली वादियों में फूलों का शहर छोटा सा पेड़ो के झुरमुठ से घिरा प्यारा नायाब सा घरौंदा मनु और शतरूपा का हो *झरोखों रोशनदानों से रवि किरणें फैल जाएँगी हमारे घर के हर कोने में पंछियों की चहचहाट सुन चाय पीते खूब बतियाएँगे *मनु हवाई किस उड़ाते चल देंगे अपने काम पर कान्हा को पूजते झुलाते खो जाऊँगी मैं सपनों में कब गूँजेगी किलकारियां *हमारी बगिया में खिलेंगे प्रसून और पर्णा दो फ़ूल महकेगा आशियाँ न्यारा बच्चे भी मंजिलें तलाशते नए नीड़ों को उड़ जाएंगे *ऐनक चढाए हकलाते अँगीठी के पास बैठ कर गुम खयालों में ख़्वाबों के कॉफी की चुस्कियों में मनु शतरूपा खो जाएँगे परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) ...
शक्तियों की प्रतीक देवियां
कविता

शक्तियों की प्रतीक देवियां

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नवरात्रि में ये महा देवियां निज स्वरूपों के देती संदेश इनके आचरण के पालन से सुधर जाता अपना परिवेश पार्वती कर देती है परिवर्तन विस्तार को बना देती है सार पीहर व ससुराल के रिश्तों में बहती रहती सदा नेह की धार जगदम्बा देवी सहनशील बन माँ सी करती है रक्षा अपरंपार बिना शर्त ही सबसे प्रेम करो करो सर्वदा निश्छल व्यवहार संतोषी माँ सी धैर्यशील बनके हर कण चांवल करे स्वीकार अवगुणों को समाकर दिल में सर्व गुणों का कर देती संचार गायत्री महान परख की देवी गन चक्षु की रखती तीक्ष धार हंसिनी सी बस मोती चुगती देती है न्याय का सार ही सार शारदा विद्या निर्णय की देवी हाथ में शास्त्र व वीणा झंकार जब सुर संगीत की धुन छेड़े सर्व जनों का हो जाता उद्धार मुंडो की माला पहन के काली मिटा देती है संसार के विकार विपदा की घड़ियों में...
नव वर्ष पर प्रार्थना
कविता

नव वर्ष पर प्रार्थना

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परमेश्वरा ! नववर्ष पर वर दो नव परिभाषा, नव आशाएँ हरी भरी हो दसों दिशाएँ मल्हार नदियाँ गुनगुनाए अधखिली कलियाँ ना मुरझाए परमेश्वरा ! नववर्ष पर वर दो दीन हीन दुःखी मुस्काए महामारी बेकारी जाए आतंक भ्रष्टाचार मिट जाए रामराज्य धरा पर आ जाए हे परमेश्वरा ! नव वर्ष पर वर दो सर्वजन सुखी हो जाए सरहदों पर शांति छाए नव उड़ानें अंतरिक्ष सजाए परचम भारत का लहराए परमेश्वरा ! नव वर्ष पर वर दो परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
मेरा हिन्दू नववर्ष
कविता

मेरा हिन्दू नववर्ष

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** विक्रम संवत में है हिदू नववर्ष चैत्र शुक्ल का है प्रथम दिवस भक्ति से शक्ति यह फैलाता है नव संवत्सर कहलाता शुभदिन सृष्टि सृजन किया था ब्रह्मा ने हिन्दूराज्य विस्तारा था शिवा ने राज्यस्थापन विक्रमादित्य का राजा राम अवध अवतरित हुए फसलें पकती जब बसन्त आता ये निराला जन्म नव भाव जगाता धानी चुनरियाँ माँ धरा ओढ़ लेती झूलेलाल अवतरण भी छा जाता गुड़ीपड़वा पे पूरण पोली श्रीखंड नीमपर्ण मिश्री का करते हैं सेवन सुस्वास्थ्य कामना प्रभु से करते हैं परम्पराओं से ही होता है कल्याण वीणापाणि का करें आओ आव्हान विद्या बुद्धि वाणी कला का वरदान हर घर के द्वारे सज जाए वन्दनवारे हर इंसान बने भारत का अभिमान परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित...
बूढ़ी अम्मा
लघुकथा

बूढ़ी अम्मा

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  शीतला सप्तमी होने से सास बहू नहा धोकर रात में ही रसोई में जुट जाती हैं। पूड़ी सब्ज़ी, दही बड़े, गुलगुले आदि भोग के लिए अलग रख दिए हैं। नौकरी पेशा बहू भलीभांति सासू माँ के आदेशों का पालन करती है। पिछली बार चुन्नू को चेचक के प्रकोप से देवी माँ ने ही बचाया, ऐसा माजी का कहना है। बहू पूजा की थाल सजाकर तैयारियाँ कर लेती है ताकी बच्चे भी प्रसाद लेकर स्कूल जा सके। आदतानुसार सासू माँ याद दिलाना नहीं भूलती हैं, "चना दाल भिगोना व दही ज़माना मत भूल जाना। दीया ठंडा ही रखना है। याद है चिकित्सक भी चेचक होने पर कमरा ठंडा रखने को कहते हैं। और हम माता जी के आने पर दरवाजे पर नीम की पत्तियां लटकाते हैं।" "हाँ माँ ! आप हर साल दुहराती हैं, अब मैं पक्की हो गई हूँ।" बहू आश्वस्त करती है। सुबह सवेरे बहू लाल चूनर ओढे, पूजा की थाल लिए तैयार खड़ी है। सासू माँ ब...
सौगात तिरंगे की
कविता

सौगात तिरंगे की

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सरहदों के पहरेदारों हिन्द के ओ सूरमाओं सौप कर हमको तिरंगा वो सितारे बन गए हैं केसरी बाना पहनकर कफ़न अपना ही सजाए माँ बहन और सजनी मिलके विजय टीका है लगाए तिरंगे की शान खातिर खुद निछावर हो गए हैं सौप आज़ादी हमें वो अंतिम सफ़र पर चल पड़े खुश रहो भारत के वासी ये सभी से कह गए वो शोर अब सब बंद कर दो वीर प्यारे सो रहे हैं आज़ाद बिस्मिल और भगत कारगिल के ओ शहीदों सौरभ विक्रम नचिकेतों क़ुरबां हुए प्यारे हज़ारों माँ का आँचल सूना करके पिता के कांधों पे सोए ओढे तिरंगा जा रहे हैं सरहदों के पहरेदारों हिन्द के ओ सूरमाओं सौप कर हमको तिरंगा वो सितारे बन गए हैं परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
बीते लम्हें
कविता

बीते लम्हें

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बीते लम्हों में बचपन को जब भी याद करती हूँ अश्क आँखों से बहते हैं लबों पर मुस्कुराती हूँ हवाएं गुनगुनाती हैं और पत्ते सरसराते है मेरे माथे को छूता हाथ माँ का याद आता है पलों में रूठकर रोकर सखी से बात ना करना वो फिर से सुलह करना आज भी याद आता है बहन के केश सुलझाना उसे बातों में उलझाना लोरी से सुलाना भाई को आज फिर याद आता है वो बुहारना आँगन और फिर मांडना स्वस्तिक शालिग्राम पर तुलसी चढ़ाना याद आता है वो अमरुद की फांके और कच्चे बेर मुट्ठी में चुरा कर इमली का खाना आज भी याद आता है माँ संग काम का करना दबाना पैर बाबा के फिर खुद भी सो जाना मुझे अब याद आता है परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मेहमान
धनाक्षरी, हास्य

मेहमान

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी (हास्य) थोड़ी सी ही पहचान, ये होते मेह समान, बिन बादल बरसे, घर अपना माने। बेचारा ये मेजबान, हो जाता है परेशान, पूरे करे ये आदेश, कौन दुखड़ा जाने। करें ये फ़रमाइश, पूरी करना ख्वाइश, कर देंगे बदनाम, होटल चलो खाने। अतिथि कब जाओगे, क्या अब हमें खाओगे, हुई पगार खतम, नहीं बचे बहाने। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
तीन परियाँ
स्मृति

तीन परियाँ

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बालसुलभ रुचियों का भी एक अनोखा संसार है। कोई खिलौनों व मित्रों के साथ गपशप में मस्त रहते हैं तो किसी को गुड़ियों को सजाने में मजा आता है। परंतु मेरे अनमोल खिलौने थे परियों सी खिलखिलाती नन्हीं मुन्नी बच्चियाँ। बस मुझे ये कहीं भी मिल जाती पड़ोस या रिश्तेदारों में, उन्हें बहलाना व उनका ध्यान रखना मेरी दिनचर्या बन जाती थी। विवाहोपरांत मेरा सपना था कि मेरी प्रथम सन्तान बेटी ही हो। माँ बनने के अहसास से ही मैं आश्वस्त थी कि एक नाज़ुक सी कली ही मेरी बगिया में महकने वाली है। दिनरात सुंदर परियों के चित्रों से घिरी रहती और उन्हीं के सपने देखती थी। उसी दौरान मेरी मौसेरी बहन को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। और मुझे मिल गई मेरी परी। घर के बुजुर्गों की प्रतिक्रिया थी, "ये कैसा ईश्वर का न्याय? दोनों बहनें साथ साथ पली बढ़ी, एक को बेटा व दूसरी को बेटी क्यू...
कल आज कल
धनाक्षरी

कल आज कल

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी अतीत हो जाता भूत विगत का ये सबूत इतिहासी पन्ने हैं ये यादों के बहाने हैं आनेवाला होता भावी ये है समय मायावी क्यों पहले से सोचे ये ईश्वर ही जाने हैं अच्छा था जो गया बीत आनेवाला होगा गीत आज के सुखद पल खुशी में बिताने हैं वर्तमान है अपना ये सलोना सा सपना आगा पीछा भूलकर लक्ष्य सभी पाने हैं परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप ...
माँ का पल्लू
कविता

माँ का पल्लू

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** माँ पहनती थी सूती साड़ी उसे धोती कहा जाता था माँ की रंगबिरंगी साड़ी का वह प्यारा सा लम्बा पल्लू उसकी सर की शोभा बन काँधे से उतर कर हमेशा सामने लटका रहता था मानो खूँटी पर टँगा हुआ मुलायम तौलिया ही हो आँखे मलते जब उठता माँ के मुलायम पल्लू में सुहाना सवेरा होता मेरा कभी कुछ खाऊँ-पीयू पल्लू रुमाल बन जाता बिजली जाने पर पंखा धूप से बचाने को छाता ट्रेन बस की खिड़की पर वह पल्लू ही काम आता आज भी भुला न पाया उस तमाम मसालों की महक से भरे पल्लू को बाबा व मास्टर जी की डाँट पर ढाल बन जाता ढुलकते आँसुओं को पोछ गुलाबी गालों को सहलाता अपना लहराता पल्लू भी माँ ले गई अपने साथ याद में आँखें भर आती दिल ढूंढता उसे बारम्बार परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्ष...
कूक रही कोयलियाँ
धनाक्षरी

कूक रही कोयलियाँ

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी कूक रही कोयलियाँ ये अम्बुवा की डालियाँ नियति निखर गई बासंती बयार से पीत रंग पसरा है वीतराग छलका है शारदे प्रसन्न हुई वीणा की झंकार से हरियाली देखो छाई मधुमास बेला आई सजनी सँवर गई यौवन के भार से डाल डाल पड़े झूले बालवृंद खूब डोले भोर से साँझ हुई हँसी की फ़ुहार से बिदेस से आया मीत सखियों ने गाए गीत आहट फिज़ा में हुई द्वारे पे दस्तक से किए सौलह सिंगार पीली ओढ़ के चुनर पिया से मिलन गई नैन मुंदे लाज से मेहँदी रचे हैं हाथ सजना है साथ साथ बिखरा गजरा ज़रा सँवार दे प्यार से ऋतुराज आगमन महामारी का नमन धरणी विभोर भई आशा के संचार से परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
जो मुझे भा गई
लघुकथा

जो मुझे भा गई

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दो वर्ष पश्चात घर जा रहा हूँ। टेक्सी में बैठे-बैठे पत्रिका के पन्ने पलटने लगा। सौंदर्य प्रतियोगिता पर नज़र पड़ते ही मुझे बहन के ब्याह का नज़ारा याद आ गया। बहन की वह परी सी सहेली मानो आकाश से उतर कर आई हो। सितारों जड़ी झक श्वेत साड़ी व लम्बे लहराते बालों में बिखरी मोगरे की लड़िया। नाम मात्र के गहने कह रहे थे... मोहताज नहीं जेवर का जिसे खूबी ख़ुदा ने दी। उसका पूरी जिम्मेदारी से माँ का हाथ बटाना मैं आज तक नहीं भुला नहीं पाया। इसी बीच माँ पापा ने कई रिश्ते सुझाए। बहन से उस सुंदरी के बारे में कई बार पूछा। विदेश में रह रही बहन उसका पता नहीं लगा पाई। चाय की तलब लगने पर टेक्सी रुकवाई। रेस्तरां में लगा कि मोगरे की खुशबू फैल रही है। सामने टेबल पर श्वेत पौशाक में पीठ किए बैठी एक युवती बैठी है। हाँ, बस लम्बी चोटी ही लहराती दिखी। ज्यों ही वह पलटी म...
हिन्दवासी हिंदी बोलो
कविता

हिन्दवासी हिंदी बोलो

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हम हिंद के रहवासी हैं हिंदुस्तानी कहलाते हैं हिंदी हमारी मातृभाषा है यह देश की राजभाषा है राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी ए हिंदवासियों हिंदी बोलो जननी जन्मभूमि हमारी स्वर्ग से भी महान होती तीसरी माँ है ये मातृभाषा प्रथम पूजनीय को त्याग क्यूँ पहने विदेशी ये जामें सबसे पहले हिंदी ही बोले यह सहज सरल व मधुर है झोपड़ी से महल तक जाती है संचार विचार का आधार है देश का अभिमान पहचान है एकता की भी ये सूत्रधार है संस्कृत की संस्कारी बेटी है विश्व बोलियों में तृतीय नं है विश्व में देश का अस्तित्व है सबने माना हमारा प्रभुत्व है इतिहास भी इसका भव्य है बने भारतीयों का व्यक्तित्व है हम सबको मिला मातृत्व है विज्ञान पर भी खरी उतरती है ध्वनि सिद्धांत पर आधारित है जो सोचे वही बोले व लिखते अंकल आँटी घोटाला नहीं है हर भाव के पृथ...