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Tag: सतीशचंद्र श्रीवास्तव

जरूरत
लघुकथा

जरूरत

सतीशचंद्र श्रीवास्तव भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** (१४ सितम्बर २०२१ को हिंदी दिवस पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता (विषय मुक्त) में प्रथम स्थान प्राप्त लघुकथा।) शब्द संख्या- १९२ "कहिए, क्या परेशानी है? मनोरोग चिकित्सक ने पूछा। "जी, कुछ भी नहीं!" "फिर, यहाँ आने का मकसद?" "म...म...मैं तो..., इससे पहले कि बेटा हिचकिचाहट के साथ अपनी बात पूरी करता, साथ में आई उसकी माँ बीच में ही बोल पड़ी, "डाक्टर साहब मैं ही इसे आपके पास लेकर आई हूँ, वो भी बड़ी मुश्किल से। माँ, हूँ इसकी। इसलिए, मन नहीं माना। देखिए, इसका चेहरा कितना बुझा जा रहा है। बस, अपने आप में ही खोया रहता है। ईश्वर की कृपा से घर में किसी चीज की कमीं नहीं। फिर भी इसका हाल तो देखिए! इसे देखकर कोई कहेगा कि ये नौजवान है?" "ठीक है, आप परेशान न होइए। मैं अभी देखता हूँ।" मन...
का, सजना अब तुम बिन सावन
कविता

का, सजना अब तुम बिन सावन

सतीशचंद्र श्रीवास्तव भानपुरा- भोपाल (म.प्र.) ******************** (राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता लेखन प्रतियोगिता विरह वेदना में द्वितीय विजेता रही कविता) का, सजना अब तुम बिन सावन मन तड़पत, तरसत हैं अँखियाँ, नहिं भातीं अब मुझको सखियाँ पलक बिछीं हैं राहन... का सजना अब तुम बिन सावन! हूक उठे जियरा में रतिया अधरा फरकें करन को बतिया दादुर. लागे राग सुनावे, मेघा बरसे आँगन... का, सजना अब तुम बिन सावन नाचे मोर, पपीहा बोले, पर आपन मनवा न डोले तुम्हरी बाट में ऐसी खोयी झींगुर लागे मोह रिगावन... का, सजना अब तुम बिन सावन! चारों तरफ हरियाली फैली, सूखे की हालत हो गयी मैली मन का माझी राह निहारे कब आओगे तुम घर साजन... का, सजना अब तुम बिन सावन! परिचय :- सतीशचंद्र श्रीवास्तव निवासी : भानपुरा- भोपाल म.प्र. घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रच...