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Tag: संदीप पाटीदार

अब मिटे मेंरे पद निशान है
कविता

अब मिटे मेंरे पद निशान है

संदीप पाटीदार कोदरिया महू (मध्य प्रदेश) ******************** बहुत हो गया अब न सहूगी अब मिटे मेंरे पद निशान हैं क्यो घटी योगी पुण्य आत्माये अब जन्मे क्यो रावण से बडे़ जो हैवान है क्यो मनुष्य स्वार्थी हुआ क्यो हो रहा मानवता का कत्लेआम है और क्यो माँ आज एक गाली बनीं क्यो बेटियों के होने पर भी विराम है आज बनी क्यो हर माँ जो अंधिका माई है जिसने बेटियों को बनाई पराई है क्यो उन माओ ने कि अपने बेटो कि बढाई है जिन्होने माया रुपी रावण कि लंका में सिर्फ अपनी भीड़ बढाई है याद करो माओ क्यो ऐसी विपदा आई है क्यो बनी माँ रामायण में सीता क्यो भागवत गीता में माँ द्रोपदी का बखान है क्यो ज्ञानी अंर्तध्यान हुये क्यो बने कोई आसाराम है क्या अंधकार और अत्याचारियों के सारे ग्रह बलवान है अब मिटे मेरे पद निशान है परिचय :- संदीप पाटीदार निवासी : कोदरिया महू जिला इन्द...
बहुत है अंधेरा बहुत रात बाकी
कविता

बहुत है अंधेरा बहुत रात बाकी

संदीप पाटीदार कोदरिया महू (मध्य प्रदेश) ******************** बहुत है अंधेरा, बहुत रात बाकी हाँ मे वही हूँ पापा वो बिटिया तुम्हारी हाँ मे वही हूँ पापा वो बिटिया तुम्हारी अगर आप न होते पापा, तो मे भी न होती और में न होती पापा, तो ये दुनिया न होती हाँ निर्भय बना दो पापा, में निरभया तुम्हारी सोचा न उन जालिमो ने मुझे जान से मिटा दी हाँ कैसा भरोसा करे हम इस जिंदगी का हर्श हो न पापा हमारे जैसा किसी का क्या इतनी सस्ती है क्या पापा ये जिंदगी हमारी फिर क्यों हमे बना दी बैगानी हर राह में खड़े है पापा हाँ वो आताताई फिर आपसे कहती हूँ पापा मेंरी जान पर बन आई हाँ उनको मिटा दो पापा तो कल हम रहेगी और अगर हम मिट गयी तो ये दुनिया न रहेगी हाँ बेटे उजाले है, तो हाँ हम क्यो अंधेरी हाँ उसी अंधेरी में पापा, में पड गई थी अकेली फिर सुबह न आई पापा फिर सुबह न आई हाँ ये मेंरी कह...
माटी मांगे संज्ञान
कविता

माटी मांगे संज्ञान

संदीप पाटीदार कोदरिया महू (मध्य प्रदेश) ******************** जय माँ भारती अटल, अखंण्ड, अद्वितीय, अबोध जय माँ भारती बहुत हो गया अब न सहूगी, अब संभालनी तुम्हे कमान है, हर घर मे क्यों माया रूपी दानव बैठा... फिर क्यों कहते हैं कि देश महान है... देती आई मैं धन्य धान्य सभी को... और सहा मैंने अपमान है... क्यों जाति धर्म के नाम पर मुझको... क्यों किया लहूलुहान है... क्यों हनन हो रहा अब मानवता का... क्या यही मेरी पहचान है... क्या यही सब धर्मों का ज्ञान है... क्यों नहीं लेता कोई इस पर अब संज्ञान है... अब मिटे मेरे पद निशान हे... जय मां भारती परिचय :- संदीप पाटीदार निवासी : कोदरिया महू जिला इन्दौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...