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Tag: संतोष नेमा “संतोष”

लुप्त हुआ अब सदाचरण
कविता

लुप्त हुआ अब सदाचरण

संतोष नेमा "संतोष" आलोक नगर जबलपुर ********************** लुप्त हुआ अब सदाचरण है बढ़ता हर क्षण कदाचरण है आशाओं की लुटिया डूबी स्वार्थ सिद्धि में नर हर क्षण है निशदिन बढ़ते पाप करम अब कलियुग का ये प्रथम चरण है अपनों की पहचान कठिन है चेहरों पर भी आवरण हैं झूठ हुआ है हावी सब पर सच का करता कौन वरण है कब तक लाज बचायें बेटी गली गली में चीर हरण है देख देख कर दुनियादारी "संतोष" दुखी अंतःकरण है . परिचय :-  संतोष नेमा "संतोष" निवासी : आलोक नगर जबलपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर...
अंतर्मन में ज्योति जलाएँ
कविता

अंतर्मन में ज्योति जलाएँ

संतोष नेमा "संतोष" आलोक नगर जबलपुर ********************** अंतर्मन में ज्योति जलाएँ। आओ तम को दूर भगाएँ।। पग पग पर अवरोध बहुत हैं। लोगों में प्रतिशोध बहुत है।। आओ मिलकर द्वेष हटाएँ। अंतर्मन में ज्योति जलाएँ।। छल, प्रपंच, पाखंड ने घेरा। लोभ, मोह का सघन अंधेरा।। मन से तृष्णा दूर भगाएँ। अंतर्मन में ज्योति जलाएँ।। असल सत्य को जान न पाये। स्वयं अहंता से इतराये।। क्षमा, दया, करुणा अपनाएँ। अंतर्मन में ज्योति जलाएँ।। चिंतन और चरित्र की सुचिता। परोपकार आचार संहिता।। अंतर से हँसे मुस्काएँ। अंतर्मन में ज्योति जलाएँ।। अनीति का तिरस्कार करें हम साहस का संचार करें हम "संतोष" यह कौशल अपनाएँ। अंतर्मन में ज्योति जलाएँ।। सब मिल ऐसे कदम बढ़ायें। दिव्य गुणों को गले लगायें।। आओ तम को दूर भगाएँ। अंतर्मन में ज्योति जलाएँ।। . परिचय :-  संतोष नेमा "संतोष" निवासी : आलोक नगर जबलपुर आप भी अपनी कवि...