वसंतोत्सव
संजू "गौरीश" पाठक
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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आया वसंत, मन आल्हादित।
गूँजे भँवरे, फूली सरसों।
वृक्षों पर अमराई छाई,
नव सृजन हुआ सृष्टि में ज्यों।।
प्राकट्य दिवस माँ शारदे का!
शत-शत वंदन और अभिनंदन।
विद्या, बुद्धि,सुर, लय दो माँ,
करती हूं पुष्प गुच्छ अर्पण।।
मंडराती तितली फूलों पर।
सुंदर परिदृश्य उभर जाता।
देता संदेशा है वसंत,
उल्लसित काम फिर हो जाता।।
गीता में कहते वासुदेव,
ऋतुओं का राजा मैं वसंत।
आप्लावित रस श्रंगार युक्त,
प्रमुदित होता जन-जन अनंत।।
ढक जल को कमल सरोवर में,
देते संदेश मनुज को यों।
खुलकर जीवन को जियो सदा,
दारुण दुख में अब डूबे क्यों?
खग कलरव चहुँ दिशि गूँज रहा,
वसुधा ने नव श्रृंगार किया।
वरदान सदृश है ऋतु वसंत,
नव ऊर्जा का संचार किया।।
परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह...