Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: संजय जैन

प्यारा भारत
कविता

प्यारा भारत

संजय जैन मुंबई ******************** जन्म लिया है भारत में, तभी तो प्यारा लगता है। विश्व में सबसे न्यारा, देश हमारा दिखता है। कितने देवी देवताओं ने, जन्म लिया इस भूमि पर। धन्य हो गए वो सभी जन, जिन्हें मिला जन्म इस भूमि पर।। कण कण में बस्ते है भगवान, वो भारत देश हमारा है। कितनी नदियां यहां पर बहती, जिनको माता कहकर बुलाते है। जिनके जल से लोग यहां पर, अपने पापो को धोने आते है। तभी तो लोग कहते है, की भारत सबसे प्यारा है।। भाषा का भी आदर भाव, यहां पर बहुत दिखता है। सुख दुख में भी साथ खड़े, लोग यहां पर दिखाते है। अपनी मूल संस्कृति से, नही ये करते समझौता। तभी तो आस्थाओं में, विश्वास करते लोग यहां।। इसलिए तो विश्व में सबसे, न्यारा भारत हमारा दिखता है।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक ल...
मन दिखता है….
कविता

मन दिखता है….

संजय जैन मुंबई ******************** मुझे राह दिख, लाने वाले मेरे मन। कभी राह खुद तुम, यूही न भटकना। मुझे राह....…...। मोहब्बत में जीते, मोहब्बत से रहते। मोहब्बत हम सब, जन से है करते। स्नेह प्यार की दुनियां, हम हैं बसाते। मुझे राह........।। न भेद हम करते, जाती और धर्म में। न भेद करते, ऊंच और नीच में। में रखता हूँ समान भाव, अपने दिल में। मुझे राह..........।। हमे अपनी संस्कृति, को है बचना। दिलो में लोगो के, प्यार है जगाना। अपनी एकता और अखंता बचाना। मुझे राह .........।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रह...
प्यार में कुछ तो है
कविता

प्यार में कुछ तो है

संजय जैन मुंबई ******************** प्यार को प्यार से जीतो कोई बात होगी। दिल को दिल से मिलाओ, तो कोई बात होगी। दोस्ती करना है तो, दुश्मन से करके देखो? खत अगर लिखा है तो उसे दुश्मनों के पते पर भेजो।। जिंदगी तेरी एक का, एक बदल जाएगी। बंद किस्मत भी तेरी, एक दिन खुल जाएगी। मन के बुझे दीपक भी, तेरे सब जल जाएंगे। बस दिल की आवाज़ को, दिल से सुनकर देखो।। प्यार की आस हर, दिल को होती है। हर दिल की पुकार, दिल को पता होती है। तभी तो मन कि आंखे, दिल वाली को ढूंढती है। और दिल के खाली स्थान को, प्यार के रंग से भर देती है।। इसलिए संजय कहता है, कि प्यार में कुछ तो होता है। कुछ तो होता है...।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्...
तेरे संग जीना मरना
कविता

तेरे संग जीना मरना

संजय जैन मुंबई ******************** जीना मरना तेरे संग है। तो क्यो और के बारे में सोचना। मिला है तुम से इतना प्यार। तो क्यो गम को गले लगाना। और हंसती खिलखिलाती जिंदगी, को भला क्यो रुलाना। अरे बहुत मिले होंगे तुम्हे प्यार करने वाले। पर दिल से मोहब्बत करने वाला में ही होगा।। आज दिल कुछ उदास है। चेहरे पर भी उदासी का राज है। कैसे कहूँ में बिना देखे दिल मानता नही है। इसलिए कब से बैठा हूँ, तेरे दीदार के लिए। पर तुम हो जो, नजर ही नही आ रहे। इसलिए आंखे और दिल दोनों उदास है।। तुझे क्या कहूँ में अब, कुछ तो तुम्ही बता दो। उदास दिल मे, कोई दीप जला दो। और दिल के अँधेरेपन, को तुम जगमगा दो। और वर्षो की प्यास को, आज बुझा दो। और अपने दिल की, आवाज़ को हमे सुना दो।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लि...
जमाने को समझो
कविता

जमाने को समझो

संजय जैन मुंबई ******************** कही गम है तो कही खुशी। कही मोहब्बत तो कही तकरार। कही मिलना तो कही बिछड़ना। कही जिंदगी तो कही मौत। बड़ा ही अजीब है इस जमाने का दृश्य।। जो जमाने को समझा और उसी अनुसार ढल गया। वो मानो मौज मस्ती से जी गया। जो जमाने को नही समझा वो चिंताओं के जाल में फंस गया। और जिंदगी को अलग दिशा में ले गया।। कलयुगी जमाने मे सभी मतलबी नही होते। कुछ तो कलयुग में भी हटकर होते है। माना कि आज का जमाना खराब है। फिर भी कुछ रिश्ते तो सतयुग जैसे होते है।। इसलिए जमाने को देखो, समझो और आगे बढ़ो। फिर जो चाहोगे वो मिल जाएगा। और कलयुग में भी इतिहास लिखा जाएगा।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी र...
प्यार की कहानी
कविता

प्यार की कहानी

संजय जैन मुंबई ******************** कैसे होती है यारो, प्यार की शुरुआत। सुनाता हूँ तुम्हे आज। दिल की लगी से, दिल मचलता है। आंखों का आंखों से, मिलना काफी होता है। किसी से रोज मिलना, कोई इत्तफाक नही होता। दिल में दोनों के कुछ तो, चल रहा होता है। तभी तो एक दूसरे की आंखे, यहां से वहां चलती है। और वो उसे भीड़ में भी, आसानी से खोज लेता है। जिसे सुबह से शाम और, शाम से रात मे ढूंढता है। और उसी के सपनो में, डूबा सा रहता है। और एक नई प्यार की, कहानी लिख रहा होता है।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुक...
लूटा तो में हूँ
कविता

लूटा तो में हूँ

संजय जैन मुंबई ******************** कभी अपनो ने लूटा कभी गैरो ने लूटा। पर में लुटता ही रहा। इस सभ्य समाज में।। किससे लगाये हम गुहार, जो मेरा दर्द समझ सके। मेरे जख्मो पर, मलहम लगा सके। और अपनी इंसानियत, को दिखा सके। और मुझे एक, इंसान समझ सके।। कभी दोस्ती के नाम पर, तो कभी रिश्तेदारी के नाम पर। लोगो मुझे बहुत कुछ दिया है। जो में लौटा नही सकता। क्योंकि में उन जैसा, गिर नही सकता। और अपने संस्कारो को, भूल नही सकता। इसलिए में उन जैसा, कभी बन नही सकता।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इ...
माँ तो माँ होती है 
कविता

माँ तो माँ होती है 

संजय जैन मुंबई ******************** मां का आँचल सदा, स्नेह प्यार बरसात है। बड़ी ही खुश नसीब होते, जिन्हें ये प्यार मिलता है। मां शब्द ही ऐसा है, जिसमे पूरा ब्रह्मण्ड समाता है। तभी तो माँ का कर्ज, कोई उतार नही पता।। जिसे मिलता है, माँ की सेवा का अवसर। वो संतान खुश नसीब होती, जिसे मिलता है ये मौका। दुनियां में सिर्फ मां ही, ऐसी होती है। जो अपनी संतान के लिए, किसी भी हद तक चली जाती।। माँ तो माँ होती है किसीने नही देखे उसके रुप? कब कौनसा रूप लेकर, संतान को सक्षम बनाती है। जब आती है उस पर विपत्ति, तो ढाल खुद बन जाती है। जिस ढाल को कोई योध्दा, आज तक नही भेद पाया। तभी तो माँ जगत जननी, कहलाती है लोगो।। बड़े ही पुण्य साली है, जिनकी मां साथ होती है।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड क...
दिवाली पर मिलेगी…
कविता

दिवाली पर मिलेगी…

संजय जैन मुंबई ******************** दीप जलाओ तुम सब। करो अंधकार को दूर। रोशनी कर लो मन में। इस दीपाली पर।। घर का कचड़ा साफ करो। मन को करो तुम शुध्द। जग मग कर दो गली मौहल्ले और अपना घर। दिलो में खुशीयाँ भर दो, इस दिवाली पर ।। खुशीयाँ घर घर जाकर। देते जाऊ तुम सबको। मिले तुम्हे आशीष सदा,  बड़े बूढ़ों जनों का । दीपावली पर हिल मिलकर, रहो तुम सब जन। मिलेगी धन संपदा तुम्हे इस दिवाली पर।। मिलेगी धन संपदा .....।। . लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानि...
आचार्यश्री से प्रार्थना
गीत

आचार्यश्री से प्रार्थना

संजय जैन मुंबई ******************** गुरुदेव प्रार्थना है, अज्ञानता मिटा दो l सच की डगर दिखा, गुरुदेव प्रार्थना है l ॐ विद्यागुरु शरणम, ॐ जैन धर्म शरणमl ॐ अपने अपने गुरु शरणम ll हम है तुम्हारे बालक, कोई नहीं हमारा l मुश्किल पड़ी है जब भी, तुमने दिया सहारा l चरणों में अपने रख लो, चन्दन हमें बना दो l गुरुदेव प्रार्थना है, अज्ञानता मिटा दो l१l ॐ विद्यागुरु शरणम, ॐ जैन धर्म शरणम l ॐ अपने अपने गुरु शरणम ll पूजन तेरा गुरवर, अधिकार मांगते है l थोड़ा सा हम भी तेरा, बस प्यार मंगाते है l मन में हमारे अपनी सच्ची लगन जगा दो l गुरुदेव प्रार्थना है, अज्ञानता मिटा दो l२l ॐ विद्यागुरु शरणम, ॐ जैन धर्म शरणम l ॐ अपने अपने गुरु शरणम ll अच्छे है या बुरे है, जैसे भी है तुम्हारे l मुंकिन नहीं है अब हम, किसी और को पुकारे l अपना बन लो हमको, अपना वचन निभा दो l गुरुदेव प्रार्थना है, अज्ञानता मिटा दो l३l ॐ ...
जिंदगी क्या है….
कविता

जिंदगी क्या है….

********** संजय जैन मुंबई फूल बनकर मुस्कराना जिन्दगी हैl मुस्कारे के गम भूलाना जिन्दगी हैl मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआl बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी हैl। जिंदगी जिंदा दिलो की आस होती है। मुर्दा दिल क्या खाक जीते है जिंदगी। मिलना बिछुड़ जाना तो लगा रहता है । जीते जी मिलते रहना ही जिंदगी है।। जिंदगी को जब तक जिये शान से जीये। अपनी बातो पर अटल रहकर जीये। बोलकर मुकर जाने वाले बहुत मिलते है। क्योकि जमाना ही आज कल ऐसे लोगो का है।। मेहनत से खुद की पहचान बनाकर, जीने वाले कम ही मिलते है । प्यार से जिंदगी जीने वाले भी कम मिलते है। वर्तमान को जीने वाले ही जिन्दा दिल होते है।। प्यार से जो जिंदगी को जीते है। गम होते हुए भी खुशी से जीते है। ऐसे ही लोगो की जीने की कला को। हम लोग जिंदा दिली कहते है।।   लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मु...
सुंदरता की….
गीत

सुंदरता की….

********** संजय जैन मुंबई नही होती सुंदरता किसी के भी शरीर में। ये बस भ्रम है अपने अपने मन का। यदि होता शरीर सुंदर तो कृष्ण तो सवाले थे। पर फिर भी वो सभी की आंखों के तारे थे।। क्योंकि सुंदर होते है उसके कर्म और विचार में। तभी तो लोग उसके प्रति आकर्षित होकर आते है। वह अपनी वाणी व्यवहार और चरित्र से जाना जाता है। तभी तो लोग उसे अपना आदर्श बना लेते है।। जो अर्जित किया उसने अपने गुरुओं से ज्ञान। वही ज्ञान को वो सुनता है दुनियां को। जिससे होता है एक सभ्य समाज का निर्माण। फिर हर शख्स को ये दुनियां, सुंदर लगाने लगती है। इसलिए संजय कहता है, जमाने के लोगो से। शरीर सुंदर नही होता सुंदर होते है उसके संस्कार।। लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक स...
फल मिलता है
गीत

फल मिलता है

********** संजय जैन मुंबई यदि हो ईमानदार और मेहनती तो। हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हो। और किया जिसके साथ तुमने काम, वो तुम्हे बहुत सराहेगे। और वक्त आने पर साथ, तुम्हारे खड़ा हो जायेंगे। यही तो कर्मठ निष्ठावान, लोगो की पहचान होती है।। जिसे मिल जाये, बिना मेहनत के राज। तो ऊंचाई पर पहुंचते, ही बहुत इतराते है। और अंधेर नगरी चौपट राजा, वाली कहावत को दोहराता है। और बनी बनाई कार्यप्रणाली को, कुछ ही दिनों में नष्ट कर देते है। फिर अपने ही जाल में, फसकर खुद ही रोते है।। इसलिए स्नेह प्यार से, रिश्ते बनाकर चलो। लोगो की भावनाओ से, तुम मत खेलो। क्योंकि लगती है हाय, जरूर पीड़ित इंसान की। जो मिट्टी में मिला देती है, उसकी विरासत को। फिर कर्म उसे अपने, जरूर याद आते है। पर तब तक बहुत देर हो जाती है। और अपनी हस्ती खुद मिटा देता है।। और इसका दोष ये, लोग किसको देते है? लेखक परिचय :- बीना (मध...
दो लालो का जन्म
कविता

दो लालो का जन्म

********** संजय जैन मुंबई २ अक्टूबर का दिन, कितना महान है। क्योकि जन्मे इस दिन दो भारत मां के लाल है।। सोच अलग थी दोनों की, पर थे समर्पित भारत के लिए। इसलिए दिनों को हम लोग याद करते है। और दोनों के प्रति, श्रध्दा सुमन अर्पित करते है। और उन्हें दिल से आज याद करते है।। सत्य अहिंसा के बल पर हमे दिलाई आज़दी। और सत्यग्रह करके मजबूर कर दिया अंग्रेजो को। और उन्हें छोड़ना पड़ा भारत देश को। और मिल गई हमे आज़दी सत्य अहिंसा के पथ पर चलकर।। याद करो उन छोटे कद वाले इंसान को। जो सोच बहुत बड़ी रखते थे। और हर कार्य भारत के हित मे करते थे। तभी तो उन्होंने नारा दिया था, जय जवान जय किसान। ये ही है भारत की आन मान और शान।। दोनों के प्रति आदर भाव रखते हुए। हम उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित करते है। और भारत माँ को प्रणाम करते है। कि ऐसे लालो को आपने जन्म दिया हिंदुस्तान में।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्र...
क्या है व्यवस्था
ग़ज़ल

क्या है व्यवस्था

********** संजय जैन मुंबई दिया जिन्होंने छोड़, अपने लोगो को। तभी लड़खड़ाई हमारी, देश की व्यवस्था। मुझे लग रहा है कि, कही लुप्त न हो जाये। हमारे देश की वो प्यारी संस्कृति, तभी पढ़े लिखे लोग, जा रहे विदेशों को।। पढ़े लिखे लोग बेच रहे है, देश में लाटरी के टिकेट। अनपढ़ लोग पढ़ा रहे है, बच्चो को स्कूलों में । लगा सकते हो तुम, अंदाजा हमारी व्यवस्था का। तभी विध्दामान लोग, चले जा रहे विदेशों को।। सुधारना होगा हमे अपनी, देश की व्यवस्था को। वरना अकाल पड़ जाएगा, पढ़े लिखे लोगो का। क्योंकि सब कुछ बदल रहा है, लोगो की सोच से। इसलिए तो हम रो रहे है, अपनी व्यवस्था पर।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-...
आप है मेरे…..
गीत

आप है मेरे…..

********** संजय जैन मुंबई कही कोई मेरा दोस्त कही कोई मेरा दुश्मन मगर मुझको है सच में सभी लोगो से बहुत प्यार। करे क्या हम अब, उन सभी लोगो का। जिन्होंने दिया है, हमे बहुत प्यार। इसलिए कविता गीत और लेख, मोहब्बत पर ज्यादा लिखता हूँ। और लोगो के दिलो में, बसने की कोशिश करता हूँ।। निभाता हूँ दिल से हर रिश्ता, तभी तो जल्दी अपनो का बन जाता हूँ। बड़े ही प्यार से हर पल, याद उन्हें सदा करता हूँ। क्योकि में अपने मित्रों को, संदेश स्नेह प्यार का सदा देता हूँ। इसलिए उनके हृदय में बस जाता हूँ।। आप क्या रखते है, मेरे बारे में अपनी राय। और कुछ तो सोचते होंगे। की किस तरह का ये इंसान है। जो लोगो के दिलो में बहुत जल्दी बस जाता है। और प्यार मोहब्बत के, गीतों से लोगो का दिल बैहलाता। और सच्चे सपने लोगो को दिखता है।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में का...
पानी है अनमोल
कविता

पानी है अनमोल

********** संजय जैन मुंबई पानी है अनमोल, समझो इसका मोल। जो अभी न समझोगे, तो सिर्फ पानी नाम सुनोगे। आने वाले वर्षों में, पानी बनेगा एक समस्या । देख रहे हो जो भी तुम, अंश मात्रा है विनाश का। जो दे रहा तुमको संकेत। जागो जागो सब प्यारे, करो बचत पानी की तुम। बूंद बूंद पानी की बचत से, भर जाएगा सागर प्यारा।। बिन पानी कैसे जीयेंगे, पड़े पौधे और जीव जंतु। और पानी बिना मानव, क्या जीवित रह पाएगा। बिन पानी के मर जायेगा। और भू मंडल में कोई, नजर नही आएगा। इसलिए संजय कहता है, नष्ट न करो प्रकृति के सनसाधनों को।। बचा लो पानी वृक्षो और पहाड़ों को। लगाओ और लगवाओ, वृक्षो को तुम अपनो से। कर सके ऐसा कुछ हम, तभी मानव कहलाओगे। पानी विहीन भूमि में, पानी को तुम पहुँचोगे। और पड़ी बंजर भूमि को, फिरसे हराभरा कर पाओगे। और महान कार्य करके, दुनियां को दिखाओगे।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवास...
पुत्रो की परिभाषा
कविता

पुत्रो की परिभाषा

********** संजय जैन मुंबई पुत्र क्या होते है, में तुम समझता हूं। पुत्रो का इतिहास में, दुनियां को बतलाता हूँ।। पुत्र था श्रवणकुमार जो माता पिता को, सर्वत्र मान्यता था। पुत्र था औरंजेब, जिसने बाप को, जेल में डाला था। पुत्र एक ऐसा भी था। जो बाप के वचन की खातिर, खुद बनवास को जाता है। और आधा जीवन अपना, वन में स्वंय बिताता है।। पुत्र मोह क्या होता है, में बाप का बतलाता हूँ। अंधा होते हुए भी, खुद राजा बन जाता है। फिर पुत्र मोह में वो महाभारत करवाता है। और अपने कुल का विनाश, कुल वालो से ही करवाता है।। कलयुग के पुत्रों का भी, में किस्सा सबको सुनता हूँ। एक बाप चार पुत्रो को, आसानी से पालपोश कर काबिल इंसान बना देता है। पर चार पुत्र होकर भी, बाप को नही संभाल पाते है। पर फिर भी वो पुत्र कहलाते है। अपनी आजादी की खातिर, बृद्धाश्रम में छोड़ आते है। और बड़ी शान से पुत्र होने का दावा करते है। और अ...
क्या थे क्या बना दिया
कविता

क्या थे क्या बना दिया

********** संजय जैन मुंबई मैं करू क्या अब जब अपनो ने ही धोका दे दिया। क्या जबाब दे उन लोगो को जो कर रहे है मुझ पर व्यंग की तुम्हारे खास के होते हुए ये क्या हो गया।। . अब क्या करे और क्या बोले। उन लोगो को जो उतार रहे है। मेरी और उसकी समझ नही आ रहा। और क्या कहे क्या न कहे । जब पाला है सांप हमने आस्तीन में। तो कभी न कभी वो हमे काटेगा ही।। . तमन्ना तो बहुत थी कुछ करके दिखाने की। पर अब क्या करे जब तोड़ दिया दिल अपने ने । और डस लिया अपने ने अपना बन के।। . जीवन के अंतिम मोड़ पर मजाक बनाकर रख दिया। पूरी जिंदगी की मेहनत का, क्या मिला फल देख लिया। कैसे खुद को समझाए ये सब होने पर, की मैंने क्या किया ऐसा ? जिसकी मिली केरियर के,  अंत मे शर्मनाक सजा।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मै...
क्यो छोड़ दिया साथ
कविता

क्यो छोड़ दिया साथ

********** संजय जैन मुंबई कितना लूटोगे तुम अपना बनकर। कितना और सताओगे अपना बनकर। कभी तो तुमको शर्म आयेगी वे गैरत इंसान। या काटोगे उसी डाली को जिस पर बैठा करते थे कभी तुम।। सफलता तुमको मिल है, बहुत खुशी की ये बात है। परन्तु अपनी सफलता में तुम इतना मत इतराओ। की जिन्होंने तुम्हे पहुंचाया है शिखर पर। कही वो ही तुम्हारे पतन का कारण न बन जाये।। इसलिए संजय कहता है एक सही बात। बनाकर तुम चलो सदा अपनो के साथ। नही तो छोड़ देंगे तुम्हे तुम्हारे ही अपने लोग। फिर तुझे एहसास होगा की क्या खोया क्या पाया है।। सफलता की चकाचौन्ध  में, तुझे हो गया था घमंड। अब आ गया वही जहां से तू उठता था कभी। तुझे अपने असलियत अब पता चल गया। क्योकि छोड़ दिया तेरा साथ अपनो ने ही।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिट...
कलम का कमाल
कविता

कलम का कमाल

********** संजय जैन मुंबई लिखता में आ रहा, गीत मिलन के में। कलम मेरी रुकती नही, लिखने को नए गीत। क्या क्या में लिख चुका, मुझको ही नही पता। और कब तक लिखना है, ये भी नही पता। लिखता में आ रहा.....।। . कभी लिखा श्रृंगार पर। कभी लिखा इतिहास पर। और कभी लिख दिया,  आधुनिक समाज पर। फिर भी आया नही, सुधार लोगो की सोच में।। लिखता में आ रहा...।। . लिखते लिखते थक गये, सोच बदलने वाली बाते। फिर नही बदले लोगो के विचार। इसे ज्यादा क्या कर सकता, एक रचनाकार।।  लिखता हूँ सही बात, अपने गीतों में... अपने गीतों में......।। . .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का...
क्या जानते हो
कविता

क्या जानते हो

********** रचयिता : संजय जैन मन की बात मन जानता है। दिल की बात दिल जानता है। मोहब्बत को मोहब्बत, करने वाला पहचानता है। अरे ये तो दिल लगी कि बाते है। जो प्यार मोहब्बत में जीने वाला जानता है।। उदासी भरी जिंदगी क्या होती है। ये मोहब्बत में चोट खाने वाले से पूछो। कि तन्हा में जिंदगी जीना क्या होता है। एक लुटा हुआ इंसान, कैसे जिंदगी जीयेगा। यदि आदत हो मोहब्बत में रहने की।। गमे जिंदगी की शाम क्या होती है। ये गम में रहने वाला ही जानता है। आदत हो यदि पीने की, तो पीने वाला जानता है। बाते है ये सब मदहोशी में जीने वालो की। जो मोहब्बत पर लिखने वाला, शायार जानता है। और इस जमाने की, आदत को पहचानता है।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रि...
कल और आज की सोच
कविता

कल और आज की सोच

********** रचयिता : संजय जैन कल ने कल से कहाँ, कल मिलोगे क्या तुम। आज सुनकर कल पर हंस पड़ा। कल ने पूछा आज से तुम क्यो हंसे ? तो आज ने कल से कहाँ यही सुनते आ रहे वर्षो से। पर जिंदगी में कल कभी आता ही नही। और तुम कल मिलने को बुला हमे रहे।। इस कल कल के चक्कर में पड़कर। न जाने कितने लोग ने दम तोड़ दिया। और न जाने कितने लाइन में है खड़े। पर कल तेरा कल कभी नही आयेगा।। आज में जीने वाला आज में जीता है। तभी तो खुशाल वो सदा रहता है। कल वाला काल की चक्की में। पिस्ता रहता हैं कल के चक्कर में। इसलिए आज कल को, देखकर बहुत मुस्कराता है।। कल को छोड़ो तुम आज को देखो तुम। कल न किसी का हुआ और न कल होगा। इसलिए आज में ज्यादा होता है वजन। और जिंदगी कल से, आज में खुश होती है।। इसलिए आज में जीने वाले छूते है, सफलता की हर मंजिल को।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में क...
दिल है तो लगेगा ही
कविता

दिल है तो लगेगा ही

********** रचयिता : संजय जैन दिल रब ने दिया है तो। किसी न किसी से तो मिलेगा। प्यार की कश्ती में ये दिल बैठेगा। तभी तो दो दिलो का मिलन होगा।। . दिलो की बात दिलवाले समझते है। प्यार करना परवाने जानते है। मिलती है जब किसी से नजरे। तभी तो ये दिल धड़कता है।। . गलत फेमी के कारण, मोहब्बत रुठ जाती है। जुड़े हुए दिल टूट जाते है। मोहब्ब्त की दुनिंया उजड़ जाती है। दो जवा दिल, तन्हा हो जाते है।। . तन्हा में हम सोचते है कि, टूटे हुए दिल कभी तो खिलेंगे। बिछड़े हुए दिल कभी तो मिलेंगे। हो रहा है अहसास गलतियों का, तो किसी को झुकना पड़ेगा। तभी दिलो का मिलन हो पायेगा। और प्यार के रिश्तों को बचा पायेगा।। . .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन मे...