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Tag: संजय जैन

पुरानी यादे
कविता

पुरानी यादे

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कैसे भूलूँ में बचपन अपना। दिल दरिया और समुंदर जैसा। याद जब भी आये वो पुरानी। दिल खिल जाता है बस मेरा। और अतीत में खो जाता हूँ। कैसे भूलूँ में बचपन अपना।। क्या कहूं उस, स्वर्ण काल को। जहां सब अपने, बनकर रहते थे। दुख मुझे हो तो, रोते वो सब थे। मेरी पीड़ा को, वो समझते थे। इसको ही स्वर्णयुग कह सकते ।। मेरा रहना खाना और पीना। माँ बाप को, कुछ था न पता। ये सब तो, पड़ोसी कर देते थे। इतनी आत्मीयता, उनमें होती थी।। अब जवानी का, दौर कुछ अलग है । शहरों में कहां, आत्मीयता होती हैं। सारे के सारे, लोग स्वार्थी है यहाँ के। सिर्फ मतलब के, लिए ही मिलते है।। पत्थरो के शहर, में रहते रहते । खुद पत्थर दिल, हम हो गए है। किस किस को दे, दोष हम इसका। एक ही जैसे सारे, हो गए है।। अन्तर है गांव और शहर में। अपने और पराए में । वहां सब...
जीवन चक्र
कविता

जीवन चक्र

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** विधाता ने श्रृष्टि बनाई और उसके नियम बनाये। जिन्हें पृथ्वीवासियों को मानना सबका कर्तव्य है। अब हम माने या न माने ये सब पर निर्भर करता है। क्योंकि विधाता ने तो सब कुछ आपको दिया।। भावनाओं से ही भाव बनतें है। भावों से ही भावनाएं चलती हैं। जीवन चक्र यूँ ही चलता रहता है। बस दिलमें आस्थायें बनाये रखो।। जीवन बहुत अनमोल है। हर पल को जीना जरूरी है। मूल सिध्दांत ये कहता है। खुद जीओ औरों को जीने दो।। स्नेह प्यार से मिलाकर रहो। ऐसी वैसी बाते मत बोलो। जिससे पीड़ा हो दोनों को। मधुर वाणी से मुंह खोलो।। हमने जितना समझ है बस उतना ही लिखा। बाकी पाठकों पर छोड़ दिया। अब इसे सराहे या ठुकरायें। इस कविता का भविष्य आपके हाथ में हैं। हमें अपनी प्रतिक्रिया आप जरूर ही दें। ताकि आगे भी मैं और लिखा सकू।। ये ही सुख शांति का एक ...
खो देते है
कविता

खो देते है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मत पिलाओं अपने आँखों से इतना की हम उठा न सके। मत दिखाओ अपने हुस्न को कि हम नजर हटा न सके। जब भी होते है दीदार तुम्हारे खो देते है अपना सुध-बुध। और तुम्हें ही अपनी नजरो से देखते रहते है।। खोलकर उलझे हुए काले बालों को जब तुम सुलझती हो। ऐसा लगता है जैसे काली घटायें घिर आई हो आंगन में। अपने हाथो से जब तुम बालों को सहलती हो। तब कभी-कभी चाँद सा सुंदर चेहरा दिख जाता है।। भले क्यों न हो अमावस्या की रात पर उसमें भी पूनम का चाँद दिखते हो। जो देखने वालो की दिलकी धड़कनो को बड़ा देती है। और अंधेरी रात में भी तुम चाँद सी खिल जाती हो। और चाहने वालो के दिल में मोहब्बत के दीप जला देते हो।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कं...
जाने दुनियां
गीत, भजन

जाने दुनियां

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** (तर्ज: चाँद सी मेहबूबा हो मेरी कब) आचार्य श्री से जाने दुनियाँ, ऐसे गुरु हमारे हैं I नयनों में नेहामृत जिनके, अधरों पर जिनवाणी है। करका पावन आशीष जिनका, कंकर सुमन बनाता है I पग धूली से मरुआंगन भी, नंदनवन बन जाता है। स्वर्ण जयंती मुनिदीक्षा की, रोम रोम को सुख देती I सारे भेद मिटा, जन जन को, सुख शांति अनुभव देती।। आचार्य श्री से जाने दुनियाँ, ऐसे गुरु हमारे हैं I नयनों में नेहामृत जिनके, अधरों पर जिनवाणी है।। अकिंचन से चक्रवर्ती तक, चरण शरण जिनकी आते I कर के आशीषों से ही बस, अक्षय सुख शांति पाते I योगेश्वर भी, राम भी इनमें, महावीर से ये दिखते I सतयुग, द्वापर, त्रेता के भी, नारायण प्रभु ये दिखते I युग युग तक रज चरण मिले, यही संजय मन नित मांगे। आचार्य श्री विद्यासागर का, सदा हो आशीष मम माथे।। आचार्य श्री से जाने दुनियाँ, ऐसे गुरु हमारे हैं I...
माँ
कविता

माँ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** एक अक्षर का शब्द है माँ, जिसमें समाया सारा जहाँ। जन्मदायनी बनके सबको, अस्तित्व में लाती वो। तभी तो वो माँ कहलाती, और वंश को आगे बढ़ाती। तभी वह अपने राजधर्म को, मां बनकर निभाती है।। माँ की लीला है न्यारी, जिसे न समझे दुनियाँ सारी। ९ माह तक कोख में रखती, हर पीड़ा को वो है सहती। सुनने को व्याकुल वो रहती, अपने बच्चे की किलकारी।। सर्दी गर्मी या हो बरसात, हर मौसम में लूटती प्यार। कभी न कम होने देती, अपनी ममता का एहसास। खुद भूखी रहती पर वो, आँचल से दूध पिलाती है। और अपने बच्चे का, पेट भर देती है।। बलिदानों की वो है जननी। जब भी आये कोई विपत्ति, बन जाती तब वो चण्डी। कभी नहीं वो पीछे हटती, चाहे घर हो या रण भूमि। पर बच्चों पर कभी भी, कोई आंच न आने देती।। माँ तेरे रूप अनेक, कभी सरस्वती कभी लक्ष्मी। माँ देती शिक्षा और संस्कार, तभी बच्चों का होता बेड़ाप...
बंधन रिश्तों का
कविता

बंधन रिश्तों का

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** रिश्तों का बंधन कही छूट न जाये। और डोर रिश्तों की कही टूट न जाये। रिश्ते होते है बहुत जीवन में अनमोल। इसलिए रिश्तों को हृदय में सजा के रखे।। बदल जाए परस्थितियां भले ही जिंदगी में। थाम के रखना डोर अपने रिश्तों की। पैसा तो आता जाता हैं सबके जीवन में। पर काम आते है विपत्तियों में रिश्ते ही।। जीवन की डोर बहुत नाजुक होती है। जो किसी भी समय टूट सकती है। इसलिए संजय कहता है रिश्तों से आंनद वर्षता है। बाकी जिंदगी में अब रखा ही क्या है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती ह...
सब पा लिया
गीत

सब पा लिया

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** (तर्ज: मैं कही कवि न बन जाऊ..) तेरा प्यार पा के हमने सब कुछ पा लिया है। तेरे दर पर आके हमने सिर को झुका लिया है।। तेरा प्यार पा के हमने सब कुछ पा लिया है।। आवागमन की गालियाँ न हत बुला रही थी..२। जीवन मरण का झूला हमको झूला रही थी। अज्ञानता की निद्रा हमको सुला रही थी। नजरे नरम हुई है तेरा आसरा लिया जब।। तेरा प्यार पा के हमने सब कुछ पा लिया है..।। तेरे प्यार वाले बादल जिस दिनसे घिर गये है.. २। दूरगुण के निसंक के पर्वत उस दिन से गिर गये है। रहमत हुई है तेरी मेरे दिन फिर गये है। तेरी रोशनी ने सदगुरु रास्ता दिखा दिया है।। तेरा प्यार पा के हमने सब कुछ पा लिया है..।। संजय का ये गीत गुरु प्रभु को हैं समर्पित..२। अपनी कृपा हे गुरुवर मुझ पर बनाये रखना। अपने चरणो में मुझको थोड़ी जगह जरूर देना। अज्ञानी हुई मैं गुरुवर मुझे ज्ञान आप देना।। तेरा प्यार ...
मोहब्बत ने सीखा दिया
कविता

मोहब्बत ने सीखा दिया

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तेरी मोहब्बत ने मुझे, लिखना सीखा दिया। लोगों के मन को, पढ़ना सीखा दिया। बहुत कम होंगे जो मुझे, पढ़ने की कोशिश करते है। क्योंकि जमाने वालो ने तो, मुझे पागल बना दिया था। न धोका हमने खाया है, न धोका उसने दिया है। बस जिंदगी ने ही एक, नया खेल खेला है। जो न कह सकते है, और न सह सकते है। बस बची हुई जिंदगी को, जीने की कोशिश कर रहे है। और लोगों को मोहब्बत की परिभाषा समझा रहा हूँ।। चिराग जलाया करते थे, अंधेरों में रोशनी के लिए। तभी तो जिंदगी ने अब, अंधेरा कर दिया। देखकर रोशनी को, अब हम डर जाते है। की कही अंधेरों से भी, अब नाता न छूट जाये।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं र...
गुलाब हो या दिल
कविता

गुलाब हो या दिल

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गुलाब हो या मेरा या उसका तुम हो दिल। तुम ही बतला दो अब ये खिलते गुलाब जी।। दिल में अंकुरित हो तुम। इसलिए दिल की डालियों, पर खिलाते हो तुम। गुलाब की पंखड़ियों कि, तरह खुलते हो तुम। कोई दूसरा छू न ले, इसलिए कांटो के बीच रहते हो तुम। पर प्यार का भंवरा कांटों, के बीच आकर छू जाता है। जिसके कारण तेरा रूप, और भी निखार आता है।। माना कि शुरू में कांटो से, तकलीफ होती हैं। जब भी छूने की कौशिश, करो तो चुभ जाते हो। और दर्द हमें दे जाते हो। पर तुम्हें पाने की, जिद को बड़ा देते हो। और अपने दिल के करीब, हमें ले आते हो।। देखकर गुलाब और, उसका खिला रूप। दिल में बेचैनियां बड़ा देता हैं और मुझे पास ले आता है। और रातके सपनो से निकालकर। सुबह सबसे पहले, अपने पास बुलाता है। और अपना हंसता खिल खिलाता रूप दिखता है।। मोहब्बत का एहसास, कराता है गुलाब। महफिलों की शान, ब...
अजनबी पर दोस्त
कविता

अजनबी पर दोस्त

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** ज़रा सी दोस्ती कर ले.., ज़रा सा साथ निभाये। थोडा तो साथ दे मेरा ..., फिर चाहे अजनबी बन जा। मिलें किसी मोड़ पर यदि, तो उस वक्त पहचान लेना। और दोस्ती को उस वक्त, तुम दिल से निभा देना।। वो वक़्त वो लम्हे, कुछ अजीब होंगे। दुनिया में हम शायद, खुश नसीब होंगे। जो दूर से भी आपको, दिल से याद करते है। क्या होता जब आप, हमारे करीब होते।। कुछ बातें हमसे सुना करो, कुच बातें हमसे किया करो..। मुझे दिल की बात बता डालो, तुम होंठ ना अपने सिया करो। जो बात लबों तक ना आऐ, वो आँखों से कह दिया करो। कुछ बातें कहना मुश्किल हैं, तो चहरे से पढ़ लिया करो।। जब तनहा तनहा होते हो तुम। तब मुझे आवाज दे देना। मैं तेरी तन्हाई दूरकर दूंगा। बस दिल से याद हमे करना।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई मे...
पैगााम
गीत

पैगााम

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** रेत पर नाम लिखने से क्या होगा। क्या उनको संदेशा तुम दे पाओगें। जब वो आये यहां पर घूमने को। उसे पहले कोई लहर आ जायेगी। और जो तुमने लिखा था संदेशा। उसे लहर बहा कर ले जाएगी। रेत पर नाम लिखने से क्या होगा।। अगर करते हो सही में मोहब्बत तुम। तो पत्थर पर क्यों सन्देश लिखते नहीं। जब भी वो आयेगे यहां पर। संदेशा तुम्हारा पड़ लेंगे वो। यदि होगी मोहब्बत तुमसे अगर उन्हें। नीचे अपना पैगाम वो लिख जाएंगे।। रेत पर नाम लिखने से क्या होगा।। एक दूसरे के संदेश पढ़कर के। सच में दोनों को मोहब्बत हो जाएगी। इसलिए कहता हूँ मैं आज तुम से। पत्थरों में भी मोहब्बत होती है जनाब।। रेत पर नाम लिखने से क्या होगा।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यर...
भारत प्यारा
गीत

भारत प्यारा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** देश हमारा प्यारा हैं सबका बहुत दुलारा हैं। तभी अनेकता में एकता हम सब का नारा है। देश हमारा प्यारा हैं..।। बहु भाषाएँ होकर भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक। भारत देश हमारा हैं जो प्राणो से भी प्यारा हैं। जहाँ जन्मे राम कृष्ण और उन पर लिखने वाले संत। तभी तो यह पावन भूमि हम सबको बहुत भाता हैं।। तभी तो हमें भारत देश प्राणो से भी प्यारा हैं।। अमन चैन से रहते हमसब होली ईद दिवाली पोंगल और मनाते किस्मस आदि। हर त्यौहारों मे हिस्सा लेते हर जाती और महजब सारे। ऐसा प्यारा देश हमारा प्राणो से भी है सबको प्यारा। सबसे न्यारा सबसे प्यारा विश्व में है भारत हमारा।। भारत हमारा भारत हमारा।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक ...
मोहब्बत का नशा
कविता

मोहब्बत का नशा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मोहब्बत का नशा बड़ा अजीब सा होता है। जब मोहब्बत पास हो तो दिल मोहब्बत से घबराता है। और दूर हो तो मिलने को बार बार बुलाता है। और दिलों में एक आग सी जलाये रखता हैं।। दूर होकर भी दिल के पास होने का एहसास हो। मेरे दिलकी तुम ही साँस हो। तभी तो ये पागल है और तुम्हें याद करता है। तुम जहां से गये थे मुझे अकेला छोड़कर। हम आज भी खड़े है वही पर तुम्हारे लिये।। जिंदगी भी क्या है कभी हंसती है तो। कभी अपनो के लिए रोती है। और जीने की जिद्द करती है। जबकि उसे पता है कि अकेले ही जाना है। फिर भी साथ रहने की जिद्द करती है।। चाँद जब भी निकलता है चंदानी उसे खोज लेती है। फिर आँखों ही आँखों से आपस में कुछ कहते है। और दोनों की आँखों से मोती जैसे आँसू बहते हैं। और रात की हरियाली पर सफेद चादर बिछा देती हैं। और मेहबूबा को मेहबूब से सुहानी रातमें मिला देते हैं।। ठं...
रिश्तें
कविता

रिश्तें

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कभी रिश्ते बनाते है कभी उनको निभाते है। कभी रिश्ते बचाते है कभी खुदको बचाते है। इन दोनों कर चक्कर में अपनो को खो देते है। फिर न रिश्ते रहते है और न अपने रहते है।। जो रिश्तों को दिलो में संभलकर खुद रखते है। और लोगों को रिश्तों के सदा उदाहरण देते है। और रिश्तें क्या होते है परिभाषा इसकी बताते है। और रिश्तों के द्वारा ही घर परिवार बनाते है।। कई माप दण्ड होते है हमारे रिश्तों के लोगों। कही माँ बाप का तो कही बहिन भाई का। किसी किसीके तो पड़ोसी इनसे भी करीब होते है। जो सुखदुख में पहले अपना रिश्ता निभाते है।। रिश्तों का अर्थ स्नेह और मैत्री भाव से समझाते है। और रिश्तों की खातिर समान भाव रखते है। और अपने रिश्तों को अमर करके जाते है। और अमर हो जाते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५...
रंगो से प्रेम करके देखो
कविता

रंगो से प्रेम करके देखो

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** प्रेम मोहब्बत से भरा, ये रंगों त्यौहार है। जिसमें राधा कृष्ण का जिक्र बेसुमार है। तभी तो आज तक अपनो में स्नेह प्यार है। इसलिए रंगों के त्यौहार को, हर मजहब के लोग मनाते है।। होली आपसी भाईचारे और प्रेमभाव को दर्शाती है। और सात रंगों की फुहार से, 7-फेरो का रिश्ता निभाती है। साथ ही ऊँच नीच का भेद मिटाती है। और हृदय में सभी के भाईचारे का रंग चढ़ती है।। सात रंगो के ये रबिरंगे रंग सभी को भाते है। और अपनो के दिलो से कड़वाहट मिटाते है। रंगो में रंग मिलकर नये रंग बन जाते है। आपस में रंग लगाकर नये नये दोस्त बनाते है। और नये भारत का निर्माण मिल जुलकर करते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्र...
मोक्ष पथ के सूत्र
कविता

मोक्ष पथ के सूत्र

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** दर-दर का मारा भी प्रभु भक्ति से बन गया। सभी की आंखों का तारा। और प्रभु भक्त कहलाया।। सवाल यह नहीं है कि भगवान है या नहीं ? अपितु सवाल यह है कि तुम्हारे हृदय में भगवान को। विराजमान के लिये क्या कुछ स्थान है या नहीं।। दुराग्रह एवं आलस्य से मूर्खता तथा दुर्भाग्य का जन्म होता है। गुरुभक्ति और प्रभुभक्ति से शुभफल का उदय होता है। तभी घर में सुखशांति और धर्म की प्रभावना बहती है। और घर का वातावरण फिर स्वर्ग जैसा बन जाता है।। सीखना कभी न छोड़िये, क्योंकि जिंदगी में हमेशा। परीक्षा देना पड़ती है इसलिए स्वाध्यावी बने। विध्दमानों के प्रवचन सुने और नियमित मंदिर जाये। आपका पुण्य उदय बढ़ेगा और जीवन सफल बनेगा। जो पाप से संचित किया जाता है वह परिग्रह है और। जो पुण्योदय से प्राप्त होता है वह सम्पदा है। इसलिए पाप से बचे और पुण्य के लिए परिग्रह को त्यागे। और ...
गाँव की होली
कविता

गाँव की होली

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** होली आते ही मुझे याद गाँव की आ गई। कैसे मस्ती से गाँव में होली खेला करते थे। और गाँव के चौपाल पर होली की रागे सुना थे। अब तो ये बस सिर्फ यादे बनकर रह गई।। क्योंकि मैं यहां से वहां वहां से जहां में। चार पैसे कमाने शहर जो आ गया।। छोड़कर मां बाप और भाई बहिन पत्नी को। चार पैसे कमाने शहर आ गया। छोड़कर गाँव की आधी रोटी को। पूरे के चक्कर में शहर आ गया। अब न यहाँ का रहा न वहाँ का रहा। सारे संस्कारो को अब भूल सा गया।। चार पैसे कमाने....। गाँव की आज़ादी को मैं समझ न सका। देखकर शहर की चका चौन्ध को। मैं बहक कर गाँव से शहर आ गया। और मुँह से आधी रोटी भी मानो छूट गई।। चार पैसे कमाने...। सुबह से शाम तक शाम से रात तक। रात से सुबह तक सुबह से शाम तक। मैं एक मानव से मानवमशीन बन गया। फिर भी गाँव जैसा मान शहर में न पा सका।। चार पैसे कमाने यहाँ वहाँ भटकता रहा...
होली का रंग
कविता

होली का रंग

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तुम्हें कैसे रंग लगाएं, और कैसे होली मनाएं? दिल कहता है होली, एक-दूजे के दिलों में खेलो क्योंकि बहार का रंग तो, पानी से धुल जाता है पर दिल का रंग दिल पर, सदा के लिए चढ़ा जाता है॥ प्रेम-मोहब्बत से भरा, ये रंगों का त्यौहार है। जिसमें राधा कृष्ण का, स्नेह प्यार बेशुमार है। जिन्होंने स्नेह प्यार की, अनोखी मिसाल दी है। और रंग लगा कर, दिलों की कड़वाहट मिटाते हैं॥ होली आपसी भाईचारे, और प्रेमभाव को दर्शाती है। और सात रंगों की फुहार से, सात फेरों का रिश्ता निभाती है। साथ ही ऊँच-नीच का, भेदभाव मिटाती है। और लोगों के हृदय में, भाईचारे का रंग चढ़ाती है॥ परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इ...
विश्व जल दिवस
गीत

विश्व जल दिवस

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** नदिया न पिये, कभी अपना जल। वृक्ष न खाए, कभी अपना फल। सभी को देते रहते, सदा ही फल जल। नदिया न पिये कभी...।। न वो देखे जात पात, और न देखे छोटा बड़ा। न करते वो भेद भाव, और न देखे अमीरी गरीबी। सदा ही रखते समान भाव, और करते सब पर उपकार। नदिया पिये कभी.....।। निरंतर बहती रहती, चारो दिशाओं में नदियां। हर मौसम के फल देते, वृक्ष हमें सदा यहां। तभी तो प्रकृति की देन कहते, हम सब लोग उन्हें सदा। नदिया न पिये कभी...।। जय जिनेन्द्र देव संजय जैनविश्व जल दिवस* विधा : गीत नदिया न पिये, कभी अपना जल। वृक्ष न खाए, कभी अपना फल। सभी को देते रहते, सदा ही फल जल। नदिया न पिये कभी...।। न वो देखे जात पात, और न देखे छोटा बड़ा। न करते वो भेद भाव, और न देखे अमीरी गरीबी। सदा ही रखते समान भाव, और करते सब पर उपकार। नदिया पिये कभी.....।। निरंतर बहती रहती, चारो दिशाओं मे...
शरमा जाते है
कविता

शरमा जाते है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** रोज सजने संवरने को दर्पण के समाने आते हो। देख कर तेरा ये रूप दर्पण खुद शरमा जाता हैं।। रोज बन संवरकर तुम घर से जब निकलते हो। देख कर कुंवारे लड़के बहुत शरमा जाते हैं।। अपने आँखो से तुम जब निगाहें घूमाती हो। तब कुंवारों का दिल डगमगाने लगता है।। हँसते हुए चेहरे पर जब चश्मा लगाती हो। देखकर ये अदाये तेरी लड़को की आँखे शर्माती है। होठों की तेरी लाली तेरे चेहरे पर खिलती हैं। बोलती हो तुम कुछ भी मानो फूल झड़ रहे हो जैसे। खूबसूरती में तुम मेनका जैसी सुंदर लगती हो। तभी तो विश्वामित्रों की तपस्या भंग हो जाती हैं।। जिस पर भी तुम अपना ये हुस्न लूटाओगी। उसको साक्षात जन्नत जिंदगी में मिल जायेगी।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर ...
सोच बदलो गाँव बदलो
गीत

सोच बदलो गाँव बदलो

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** अपने-अपने गांवों से हम बहुत प्रेम करते हैं। इसलिए पड़ लिखकर हम गाँव में रहने आये।। अपने गाँव को हम सम्पन्न बनाना चाहते हैं। जिसे कोई भी गाँव वाले रोजगार हेतु शहर न जाये।। गाँव वालो से मिलकर हम कुछ ऐसा काम करें। ताकि अपने गांव को आत्म निर्भर बना पाये।। खुद के पैरों पर गाँव अपना खड़ा हो जाये। छोड़कर शहरों की जंजीरो को युवक गांवों में वापिस आये।। आत्म निर्भर अपने गाँव को करके हम दिख लाये। जिसे देखने को शहर वाले अपने गाँव में आवे।। गाँव के घर घर में काम अब सब करते हैं। गाँव की वस्तुये खरीदने को शहर वाले गांवों में आते है।। गाँव के सभी लोगों को शिक्षित किया जा रहा। बच्चें और बूड़े आजकल सभी स्कूलों में साथ पड़ते है।। गांधीजी के स्वच्छय भारत के सपनों को हम मिलकर पूरा कर रहे हैं। और गाँवों की संस्कृति को शहरो से जोड़ रहे हैं।। गाँव को हम अ...
सास बहू का रिश्ता
कविता

सास बहू का रिश्ता

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बहू सास का रिश्ता मैं तुम को समझता हूँ। हर घर की कहानी तुम को मैं सुनाता हूँ। सुनकर कुछ सोचना, और कुछ समझना। सही बात यदि मैंने कही हो तो बता देना।। सास बहू का रिश्ता बड़ा अजीब होता है। बहू सास को माँ कहे तो रिश्ता प्यारा होता है। सास अगर बहू को बेटी कहके पुकारे तो। ये रिश्ता मां और बेटी जैसा बन जाता है। सास बहू का रिश्ता बड़ा अजीब होता है। सास बहू को बहू ही समझे तो खटा होता है। बहू सास को सास माने तो झगड़ा होना है। न तुम न हम कम फिर घर अशांत होना है।। इन दोनो के तकरार में बाप बेटा पिसते है। बहुत दिनों तक दोनों मौनी बाबा बने रहते हैं। पर जिस दिन भी ये सब्र का घड़ा फूटता है। और उसी दिन से दो चुहलें घर में हो जाते है।। घर का माहौल सास बहू पर निर्भर करता है। सास को माँ और बहू को बेटी जैसा मानती है। वो घर द्वारा स्वर्ग जैसे स्वंय ही बन जाते है।...
सफल जन्म
कविता

सफल जन्म

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सफल जन्म मेरो भायो मानव जीवन पाकर। धन्य हुआ मानव जीवन माँ बाप के संग रहकर। कितना कुछ वो किये मुझे पाने के लिए। अब हमारा भी फर्ज बनता है उनकी सेवा आदि करने का।। सफल जन्म मेरो भायो मानव जीवन पाकर।। सब कुछ समर्पित किये वो लायक मुझे बनाने के लिए। कैसे अब में छोड़ दूँ उनको उनके हाल पर। नहीं उतार सकता मैं कर्ज उनका मरते दम तक। पर कुछ ऋण चुका सकता उन की औलाद बनकर।। सफल जन्म मेरा हो जायेगा पुत्र धर्म को निभाकर।। जब तू भी माँ बाप बनेगा पुन: यही दोहराया जायेगा। तेरे किये अच्छे कर्मो का तुझे फल यही मिल जायेगा। मात पिता से बड़कर इस जग में और कुछ हैं नहीं। ये बातें औलाद समझ जायेगी फिर ईश्वर की तरह तुझे पूजेगी।। सफल जन्म हमारा तब ये मानव जीवन हो जायेगा। ये मानव जीवन हो जायेगा।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई मे...
फैशन
गीत

फैशन

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** फैशन का यह दौर सुहाना लगता है। अच्छा खासा मर्द जनाना लगता है। पल भर में कैसे बदलते है नक़्शे। अब तो हर लड़का शबाना लगता है। फैशन का यह दौर सुहाना लगता है। अच्छा खासा मर्द जनाना लगता है।। कैसे कैसे वो परिधान को पहनता है। और कैसा कैसा करता है अपना श्रृंगार। फर्क समझा आता नहीं है इसमें लोगो को। कौन नर और कौन मादा है सही में। अब तो फैशन से बहुत डर लगता है। अच्छा खासा मर्द जनाना लगता है।। नाक-कान छिदवाकर वो बालो को बढ़ता है। पहनकर नारी परिधान आकर्षित करता है। बहुत गजब का आजकल का ये फैशन है। तभी तो अच्छा खासा मर्द जनाना लगता है।। फैशन का यह दौर सुहाना लगता है। अच्छा खासा मर्द जनाना लगता है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर क...
नारी का निश्चय
गीत

नारी का निश्चय

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गिरती रही उठती रही फिर भी चलती रही। कदम डग मगाए मगर पर धीरे धीरे चलती रही। और मंजिल पाने के लिया खुदसे ही संघर्ष करती रही। और अपने इरादो से कभी पीछे नहीं हटी।। गिरती रही उठती रही...।। ठोकरे खाकर ही मैं दुनियां को समझ पाई हूँ। हर किसी पर विश्वास का फल भी भोगी हूँ। लूट लेते हैं अपने ही अपने बनकर अपनो को। क्योंकि गैरो में कहाँ इतनी दम होती है।। गिरती रही उठती रही..।। दुनियांदारी का अर्थ तभी समझ आता है। जब कोई विश्वास अपना अपनो का तोड़ देता हैं। और अपने फायदे के लिए अपनो को ही डस लेता है। फिर इंसानियत की दुहाई देकर खुदको महान बना लेता है खुदको महान बना लेता है।। गिरती रही उठती रही फिर भी चलती रही..।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैन...