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Tag: संजय जैन

अभिमान के कारण
कविता

अभिमान के कारण

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मान अभिमान के कारण में, उजड़ गए न जाने कितने घर। हँसते खिल खिलाते परिवार, चढ़ गये इसकी भेंट। फिर न मान मिला, न ही सम्मान मिला। पर आ गया अभिमान, जिसके कारण रूठ गये परिवार।। हमें न मान चाहिए, न सम्मान चाहिए। बस आपस का, प्रेम भाव चाहिए। मतभेद हो सकते है, फिर भी साथ चाहिए। क्योंकि अकेला इंसान, कुछ नहीं कर सकता। इसलिए आप सभी का, हमें साथ चाहिए।। यदि आप सभी आओगें, एक साथ एक मंच पर। तो मंच पर चार चाँद, निश्चित ही लग जायेंगे। भिन्न भाषाओं और क्षैत्र जाती, होने के बाद भी। जब एक साथ मिलेंगे, तभी हम हिंदुस्तानी कहलायेंगे।। छोड़ दे जो तू अभिमान तो तेरी ये काया बदल जायेगी। मन प्रसन्न और दिल खिला हुआ होने से नया स्वरूप दिखेगा। तब तेरी जीवन शैली सच में तुझसे कुछ नया करवाएगी। जिसके कारण ही तुझे समाज में मान सम्मान...
कृष्ण अवतार
गीत, भजन

कृष्ण अवतार

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण। सिर्फ एक बार मुझे चरण को छू लेने दो। हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण।। रोज सपने में दिखते हो मुझे प्यारे कृष्ण। कहाँ है पर है नहीं तेरा ठिकाना मेरे कृष्ण। किस जगह की छवि मुझे रोज दिखते हो। उस जगह पर मुझे तुम बुला लो कृष्ण।। हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण।। अपनी आँखों से तुम देखते हो जग से। हर किसी पर तेरे दृष्टि रहती है कृष्ण। मेरे आँखों में भी दिव ज्योति दे दो। ताकि मैं सुबह शाम तेरे दर्शन कर सकूँ।। हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण।। अपनी लीलाएं दिखाकर सबको लूभाते हैं। खेल-खेल में अंत राक्षको का कर दिया। और कंस मामा को भी संदेश देते गए। फिर एक दिन क्रीड़ा के द्वारा ही कृष्ण ने। कंस का वध करके मथुरा को मुक्त किया।। हम तेरे दर्शन को आये है बहु...
बहिन ने मांगा तोहफा
कविता

बहिन ने मांगा तोहफा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इस राखी पर भैया मुझे, बस यही तोहफा देना तुम। रखोगे ख्याल माँ-बाप का, बस यही एक वचन देना तुम , बेटी हूँ मैं शायद ससुराल से रोज़ न आ पाऊंगी। जब भी पीहर आऊंगी, इक मेहमान बनकर आऊंगी। पर वादा है ससुराल में संस्कारों से, पीहर की शोभा बढाऊंगी। तुम तो बेटे हो इस बात को न भुला देना तुम। रखोगे ख्याल माँ बाप का बस यही वचन देना तुम। मुझे नहीं चाहिये सोना-चांदी, न चाहिये हीरे-मोती। मैं इन सब चीजों से कहां सुःख पाऊंगी। देखूंगी जब माँ बाप को पीहर में खुश। तो ससुराल में चैन से मैं भी जी पाऊंगी। अनमोल हैं ये रिश्ते, इन्हें यूं ही न गंवा देना तुम। रखोगे ख्याल माँ बाप का, बस यही वचन देना तुम। वो कभी तुम पर या भाभी पर गुस्सा हो जायेंगे। कभी चिड़चिड़ाहट में कुछ कह भी जायेंगे। न गुस्सा करना न पलट के कुछ कहना तुम। उम्र का तकाजा...
धर्म आस्था और फल
कविता

धर्म आस्था और फल

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सृष्टि के निर्माता ने उसे बनाया ही कुछ ऐसा था। जिसमें सभी लोगों का समावेश होना था। ऊपर से लाखों देवी और देवताओं का समावेश। और सबकी अलग अलग सोच और विचारधारा। कौन कैसे और कब प्रसन्न हो जाते है। और खुश होकर देते अपने भक्तों को वरदान। फिर वरदानों को पाकर करते पृथ्वी पर अत्याचार। और भक्तजन फिर करते प्रभु से बचाने की गुहार। तभी तो रामायण महाभारत और भी... रचना पड़ा उस निर्माता को। जिससे बची रहे आस्था धर्म और मानव का कर्म। और पापीयों को मिले उनकी करनी का दंड। तभी सुख शांती से रह पायेंगे पृथ्वी पर सबजन।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं र...
लेखक पाठक और श्रोता का रिश्ता
कविता

लेखक पाठक और श्रोता का रिश्ता

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सागर से भी गहरा है हमारा आपका रिश्ता। आसमान से भी ऊंचा है हमारा आपका का रिश्ता। मैं दुआ करता हूँ ईश्वर से, की ऐसा ही बना रहे ये रिश्ता।। समर्पण का दूसरा भाव हैं आपका हमारा रिश्ता। विश्वास की अनूठी गाथा हैं लेखक पाठक का रिश्ता। स्नेह प्यार की मिसाल हैं हम दोनों का रिश्ता। तभी तो माँ वीणा की कृपा बनी रहती है लेखक पर।। दिलकी गहराई से दुआ दी है आप लोगों ने मुझे। इसी तरह से आगे भी प्रतिक्रियां आप देते रहे। नज़र ना लगे कभी हम दोनों के इस रिश्ते को। चाँद-सितारों से भी लंबा साथ बना रहे लेखक पाठक का।। कभी ख़ुशी कभी गम ये स्नेह हो न कभी कम। हम लिखते रहे आप पड़ते रहो लेखक पाठक के रिश्तों को और मजबूत करो। तभी देश में गुलाब की तरह दोनों महकते रहोगें।। लेखक के भावों को समझकर शायद आपको सुकून मिलेगा। बुझते हुए दिलो...
आजादी
कविता

आजादी

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** न हम हिन्दू न हम मुस्लिम और न सिख ईसाई हैं। हिंदुस्तान में जन्म लिया है तो पहले हम हिंदुस्तानी हैं। आजादी की जंग में इन सब ने जान गमाई थी। तब जाकर हमको ये आजादी मिल पाई थी। कैसे भूल उन सब को वो भी हमारे बेटे थे।। पर भारत माँ अब बेबस है और अंदर ही अंदर रोती है। अपने ही बेटों की करनी पर खून के आंसू पीती है। धर्म निरपेक्षय देश हम सबने मिलकर बनाया था। पुनः खण्ड खण्ड कर डाला अपने देश बेटों ने।। क्या हाल बना दिया अपनी भारत माँ का अब।। कितनी लज्जा कितनी शर्म आ रही है अपने बेटों पर। भारत माँ रोती रहती एक कोने में बैठकर। क्या ये सब करने के लिए ही हमने आजादी पाई है। और धूमिल कर डाले आजादी के उन सपनों को। और मजबूर कर दिया अपनो की लाशों पर रोने को।। चल कहाँ से थे हम कहाँ तक आ पहुंचे। और कहां तक गिरना है तुम बत...
आज का दौर महान
कविता

आज का दौर महान

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** आज का दौर कुछ अलग तरह का है। न इसमें रिश्ते और न अपनापन बचा है। चारो तरफ शोर सरावा और दिखावा है। होड़ लगी है सबमें हम सबसे श्रेष्ठ है।। मैं अपने में पूर्ण नहीं हूँ ये मुझे पता है। होड़ाहोड़ी में पढ़कर गलत कर जाता हूँ। फिर दुख बहुत होता है पर क्या करें। कलयुग में सबकी अपनी चिंताएं है।। बैठ शांत भाव से जब सोचा करते थे। तब मन में सदा अच्छे भाव आते थे। और सभी संगठित होकर साथ रहते थे। इसलिए समाज का बजूत होता था। कहने करनी में कितना अंतर आया है। कहकर मुकर जाए ये पाठ पढ़ा है। जब भी मौका मिला ऐसे लोगों को। तो सस्ती लोक प्रियता हासिल की है। पर कुछ दिनोंमें इनकी लंका जली है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेज...
वो सलामत रहे
कविता

वो सलामत रहे

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** आना जाना जीवन में लगा रहता है। हर रंग का आनंद जीवन लेता है। कौन कब कहाँ अपना मिल जाए। और वर्षो के पुराने किस्से याद करा दे।। हम तो आपके दिल में कब से हैं। आपने कभी दिलको टटोला ही नहीं। और दिल की हर बातें जान के। जनाब हम आप पर लिखते हैं।। हम यूं ही शब्दों की कविता को पन्नों पर उतारकर नहीं लिखते। हम अपने उस अजीज को दिलकी गहराइयों से समझते है। इसलिए बेपनाहा मोहब्बत करते है। और सलामती की दुआएं मांगते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती है...
मन नहीं लगता
कविता

मन नहीं लगता

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सावन निकले जा रहा, दिल भी मचले जा रहा। कैसे समझाये दिल को, जो मचले जा रहा। लगता है अब उसको, याद आ रही उनकी। जिसका ये दिल अब, आदि सा हो चुका है।। हाल ही में हुई है शादी, फिर आ गया जो सावन। जिसके कारण हमको, होना पड़ा जुदा जो। दिल अब बस में नहीं है, राह देख रहा है उनकी। कब आये वो यहां पर, लेने के लिए हमको।। कितने जल्दी हो जाता, प्यार एक अजनबी से। मानो उनसे करीब अब, कोई दूजा नहीं है। पल भर में कैसे बदल, गया ये दिल हमारा। अब जी नहीं सकती, उनके बिना एक दिन। कर क्या दिया उन्होंने, जो उनमें समा गये हम। दो जिस्म होते हुये भी, एक जान बन गये हम।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री...
गुरुदेव की भक्ति
गीत, भजन

गुरुदेव की भक्ति

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** भक्ति मैं करता तेरे साझ और सबेरे। चरण पखारू तेरे साझ और सबरे। चरण पखारू तेरे साझा और सबरे। तेरे मंद-मंद दो नैन मेरे मनको दे रहे चैन। तेरे मंद-मंद दो नैन...। क्या ज्ञान क्या अज्ञानी जन, आते है निश दिन मंदिर में। एक समान दृष्टि तेरी पड़ती है उन सब जन पर। पड़ती है दृष्टि तेरे उन सब पर। तेरे कर्णना भर दो नैन मेरे मनको दे रहे चैन। तेरी कर्णना भरे दो नैन मेरे मनको दे रहे चैन।। त्याग तपस्या की ऐसे सूरत हो। चलते फिरते तुम भगवान हो। दर्शन जिसको मिल जाये बस। जीवन उनका धन्य होता। जीवन उनका धन्य होता। तेरा जिसको मिले आशीर्वाद। उसका जीवन हो जाये कामयाब। तेरा जिसको मिले आशीर्वाद। उसका जीवन हो जाये कामयाब।। ऐसे गुरुवर विद्यासागर के चरणों में संजय करता उन्हें वंदन, करता उन्हें शत शत वंदन।। परिचय :- बीना ...
खत का क्या महत्व
कविता

खत का क्या महत्व

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** क्या होते थे उस समय के खत हमारे और तुम्हारे लिए। पर समय परिवर्तन ने किया कुछ इस तरह का खेल। बंद होने लगे पत्रों को लिखने का वो दौर। क्योंकि आ गये है अब संचार के नये उपकरण। जिसके कारण स्नेह प्रेमभाव और आत्मीयता मिट रही है।। क्या दौर हुआ करता था जब दिलकी बातें कहने। सुख दुख और बातें बताने के लिए हाथ से खत लिखते थे। और लिखने से पहले बहुत सोचा करते थे। फिर सब समाचारों को क्रमश: खत में लिख पाते थे। और खत लिखते हुए उन्हें अपने करीब पाते थे।। खास बात तो ये होती थी। कि लिखने और पाने वाले को। खत आने का इंतजार रहता था। इसलिए डांकिया की प्रतिक्षा करते थे। और घर के अंदर बहार बारबार आके देखते थे।। खत को पाकर और पढ़कर जो जो चैंन और सकून मिलता था। उसे हम व्यां नहीं कर सकते बस ख़तको दिलसे लगाते थे। और उसे बार बार पढ़...
नया नबेला है
कविता

नया नबेला है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कभी दिल की सुनकर देखो। उसकी धड़कनो को पहचानो। फिर संजय के दिलको सुनो। शायद तुम्हारा दिल पिघल जाये। और दिल में मोहब्बत जग जाये।। दिल को दिल में देखो। सोये प्यार को जगा के देखो। चाँद तारों के बीच में दिल चमकता दिखेगा। तब तुम्हें मोहब्बत होने का पता चलेगा।। मोहब्बत वो होती है जो लबों से निकलकर। दिल दिमाग में बैठ जाती है सांसें बनकर दिल धड़कती है। और अंदर ही अंदर मोहब्बत होने का एहसास करवाती है। और प्रेमीयों को बुला के मिलने का साहस देती है।। तुम अब तक मोहब्बत को खेल समझ रही थी। और दिल की भवानाओं से खेल रही थी। जब मोहब्बत का काँटा स्वयं के दिल को चुभा। तो कांटे से ज्यादा तुम खुद रो रही थी।। जो मेहबूब का इंतजार करते है दिल से उसे प्यार करते है। लाख कांटे बिछे हो मेहबूब की राह में। फिर भी उन पर चलकर मेह...
जनसंख्या नियंत्रण
कविता

जनसंख्या नियंत्रण

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सुनो सुनाता हूँ देश की कहानी। जिस में सबसे बड़ी समस्या है जनसंख्या बृध्दि। जिसके कारण देश की व्यवस्था लड़ खड़ा जाती है। बचानी है अर्थ व्यवस्था तो जनसंख्या पर नियंत्रण करना पड़ेगा।। करो पालन परिवार नियोजन के तरीको का। और पहला बच्चा लोगो जल्दी नहीं। और दूसरे में अंतर रखो तीन साल का। इस मंत्रको अपनाओगें तो जनसंख्या पर नियंत्रण पाओगें।। जिस तरह से हुआ देश का विकास। रुक गई अकाल मृत्युएं इसे कहते है देश की प्रगति। पर इसके कारण ही बड़ गई देश की जनसंख्या बृध्दि। तो परिवार नियोजन को जीवन में अपनाना पड़ेगा।। साथ एक और सुझाव जनसंख्या नियंत्रण का है। करो निर्माण देश में एक शिक्षित समाज का। जो देश की प्रगति में भी अपनी भूमिका निभायेगा। और शिक्षित होने के कारण स्वयं इस पर नियंत्रण हो जायेगा।। परिचय...
लिखने आऊंगा
कविता

लिखने आऊंगा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** जो मोहब्बत को दूर से देखता है। उसे ये बहुत अच्छी लगती है। और जो मोहब्बत करता है उसे ये जन्नत लगती है।। जिंदगी का सफर यूँ ही कट जायेगा। जीवन का उतार चढ़ाव भी पुरुषार्थ से निकल जायेगा। पढ़ना है यदि खुदको तो दर्पण के समाने खड़े होना। और स्वयं की मंजिल को अपने अंदर बार बार देखना।। आज के दौर में सबको राम श्याम चाहिए। पर खुद सीता राधा और मीरा बनने को तैयार नहीं। वाह री दुनियां और इसे लोग कुर्बानी सामने वाले से चाहिए। और यश आराम खुद को बिना परिश्रम के चाहिए।। मेरी दिलकी पीड़ा को कभी पढ़कर देखो। दिलकी गहाराइयों में तुम उतरकर देखो। तुम्हें प्यार की जन्नत और बिछी हुई चांदनी। हरेभरे बाग में खिले हुये गुलाब नजर आयेंगे।। किसी दिल वाले से दिल लगाकर देखो। अपनी भावनाओं को उसे बताकर तुम देखो। वो प्यार के सागर में ...
दगा न देना…
कविता

दगा न देना…

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बरखा का आना दिलको बहलाना जिंदगी होती रंगीन। दिलकी उमंगो से दिलकी तरंगो से महक जाता है यौवन। हो..बरखा का आना...........।। रुख जिंदगी ने मोड़ लिया कैसा। हमे सोचा नहीं था कभी ऐसा। होता नहीं यकीन खुद पर ये क्या हो गया। किस तरह से ये दिल बेबफा हो गया। इंसाफ कर दो मुझे माफ कर दो। इतना तो कर दो मुझे पर तुम रेहम।। हो...बरखा का आना....।। अवरागी में पड़कर बन गया दिवाना। मैंने क्यों तेरे भावनाओं को न जाना। चाहत क्या होती ये तूने मुझे दिखलाया। प्यार में जीना मरना तूने ही सिखलाया। चैंन मेरा ले लो खुशीयाँ मेरी ले लो और दे दो अपने गम।। हो.. बरखा का आना.....।। मेरे अश्क कह रहे मेरी कहानी। इन्हें अब तुम न समझो पानी। रो रो के आंसूओ से मेरे दाग धूल गये है। अब इनमें बफा के रंग भरने लगे है। खुशियाँ मैं दूंगा तुमको हर...
सच्चे अच्छे है
कविता

सच्चे अच्छे है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** दिलके आंगन में कुछ तो बातें है। जिसमें कभी खुशी तो कभी गम है। इन गमो को दूर करने दोस्त होते है। जो स्नेह प्यार से दुखदर्द हर लेते है।। कुछ तो है तुम्हारी बेचैनी का राज। जो तुम्हारे चेहरे पर झलक रहा है। हम से कहो तुम अपने दिल की बात। ताकि तुम्हारे चेहरे की उदासी को मिटा सके।। अपने दिल पर तुम परते मत जमाओं। दिल की बात दिल वालो को बताओं। दिल वाले तो रेत पर आशियाना बना लेते है। और खुद को मीरा और कान्हा मान लेते है।। जो भी है बात खुलकर कह दीजिये। और अपने दिल को हल्का कर लीजिये। हम है वो शिल्पकार जो तुम्हें तराश देंगे। और निर्जीव मूर्ति को बोलता हुआ बना देंगे।। हम उन्हें ढूँढ़ते है जो सच्चे और अच्छे है। भले ही हमने उन्हें कभी देखा नहीं। पर रिश्तों में वो बहुत सच्चे होते है।। परिचय :- ब...
तरस रही हूँ
कविता

तरस रही हूँ

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मोम की तरह पूरी रात दिल रोशनी से पिघलता रहा। पर वो इस हसीन रात को नहीं आये मेरे दिल में। मैं जलती रही और नीचे फिर से जमती रही। फिर से उनके लिए जलने और उनके दिल में जमाने के लिए।। हर रात का अब यही आलम है वो निगाहें और वो दरवाजा है। देखती रहते है निगाहें दरवाजे को शायद वो आज की रात आ जाए। इसलिए सज सबरकर बैठी हूँ चाँद के दीदार करने के लिए। और कब उनके स्पर्श से अपने आपको इस रात में महका सकू।। इस सुंदर यौवन शरीर का क्या करू जो उन्हें आकर्षित नहीं कर सका। लाख मुझे लोग रूप की रानी और स्वर की कोकिला कहे पर। ये सब अब मेरे किस काम का है जो उन्हें अपनी तरफ लगा न सका। इसलिए हर शाम से रात तक और फिर पूरी रात जलती और जमती हूँ।। ये मोहब्बत है या वियोग या और कुछ हम आप इसे कहेंगे।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के...
कही लगता नहीं
कविता

कही लगता नहीं

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सीने से लगाकर तुमसे बस इतना ही कहना है। की मुझे जिंदगी भर तुम अपनी बाहों में रखना।। मेरी साँसों में तुम बसे हो दिलपे तुम्हारा नाम लिखा है। मैं अगर खुश हूँ मेरी जान तो ये एहसान तुम्हारा है...।। मुझे आँखो में हरपल तेरी ही एक तस्वीर दिखती रहती है। दिल दिमाग पर तू ही तू हर पल छाई रहती है।। भूलकर भी मुझे छोड़ने का तुम कभी इरादा मत करना। वरना मेरी मौत का पैग़ाम तुझे जल्दी ही मिल जायेगा।। देख नहीं सकता तुझे मैं अब किसी और के बाहों में। क्योंकि ये दिल अब तेरे बिन कही और मेरा लगता नहीं।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंद...
एक पिता
कविता

एक पिता

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** अंदर ही अंदर घुटता है, पर ख्यासे पूरा करता है। दिखता ऊपर से कठोर। पर अंदर नरम दिल होता है। ऐसा एक पिता हो सकता है।। कितना वो संघर्ष है करता पर उफ किसी से नही करता। लड़ता है खुद जंग हमेशा। पर शामिल किसी को नही करता। जीत पर खुश सबको करता है। पर हार किसी से शेयर न करता। ऐसा ही इंसान हमारा पिता होता है।। खुद रहे दुखी पर, घरवालों को खुश रखता है। छोटी बड़ी हर ख्यासे, घरवालों की पूरी करता है। फिर भी वो बीबी बच्चो की, सदैव बाते सुनता है। कभी रुठ जाते मां बाप, कभी रुठ जाती है पत्नी। दोनों के बीच मे बिना, वजह वो पिसता है। इतना सहन शील, पिता ही हो सकते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यर...
क्या भूला क्या याद
कविता

क्या भूला क्या याद

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** हम जिन्हें चाहते है वो अक्सर हमसे दूर होते है। जिंदगी याद करें उन्हें जब वो हकीकत में करीब होते है।। मोहब्बत कितनी रंगीन है अपनी आँखो से देखिये। मोहब्बत कितनी संगीन है खुद साथ रहकर के देखिये।। है कोई अपना इस जमाने में जिसे अपना कह सके हम। और दर्द जो छुपा है दिलमें उसे किसी से व्यां कर सके।। दिलका दर्द छुपाये नहीं छुपता है आज नहीं तो ये कल दिखता है। इसलिए आजकल मोहब्बत का भी जमाने के बाजार में दाम लगता है।। अब तक यही करता आ रहा था पर अब उन्होंने साथ छोड़ दिया। चारो तरफ अंधेरा सा छा गया जहाँ मैं हूँ वहाँ थोड़ा उजाला है।। तरस है जब काली घटाये चारो ओर छा जाती है। तब अंधेरे में अपनी प्यारी मेहबूबा चाँद सी दिखती है।। जब तक चाहत थी उन्हें तब तक दिल जबा था। उम्र के डालाव पर आके वो न जाने क्यों कतराते है।। ...
रूठ न जाए
गीत

रूठ न जाए

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इस बात का डर है, वो कहीं रूठ न जायेंI नाजुक से है अरमान मेरे, कही टूट न जायें।। फूलों से भी नाजुक है, उनके होठों की नरमी। सूरज झुलस जाये, ऐसी सांसों की गरमी। इस हुस्न की मस्ती को, कोई लूट न जायें। इस बात का डर है, वो कहीँ रूठ न जायें।। चलते है तो नदियों की, अदा साथ लेके वो। घर मेरा बहा देते है, बस मुस्कारा के वो I लहरों में कही साथ, मेरा छूट न जायें I इस बात का डर है, वो कहीं रूठ न जायें I। छतपे गये थे सुबह, तो दीदार कर लिया I मिलने को कहा शामको, तो इनकार कर दिया I ये सिलसिला भी फिरसे, कहीं टूट न जायें। इस बात का डर है, वो कहीं रूठ न जायें I। क्या गारंटी है की फिरसे, कही वो रूठ न जाएं। मिलने का बोल कर कही भूल न जाये। हम बैठे रहे बाग़ में, उनका इंतजार करके। वो आये तो मिलने पर देखकर हमें चले गये।।...
मेरी प्यारी बेटी
कविता

मेरी प्यारी बेटी

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बेटी को जन्मदिन की दिल से शुभ कामनाएं और देता हूँ शुभ आशीष। प्रगति के पथ पर चलकर करो नाम अपना रोशन। सबकी प्यारी सबकी दुलारी तभी हृदय में सबके बसती। और ख्याल सभी का बेटी जो तुम दिल से रखती हो।। घर आने पर दौड़कर पास आ जाती हो। सीने से लिपटकर प्यारी बेटी। तुम दिलको खुश कर देती हो। और अपनी प्यारी बातों से दिल मेरा जीत लेती हो।। थक जाने पर, स्नेह प्यार से। माथे को सहलाती हो, और अपने स्नेह प्यार से तुम थकन मिटा देती हो।। कभी न कोई जिद की किसी बात को लेकर। कल दिला देंगे, कहने पर मान जाती हो। और छोड़कर जिद्द अपनी, फिर सबके संग खेलने लगती हो।। रोज़ समय पर माँ को दवा की याद दिलाती हो। और अपने हाथो से अपनी मम्मी को खिलाती हो। उसका दुख दर्द हर लेती हो। और मम्मी की प्यारी बेटी तुम बन जाती हो।। घर को मन से औ...
आत्म विश्वास
कविता

आत्म विश्वास

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मुसीबत का पहाड़, कितना भी बड़ा हो। पर मन का यकीन, उसे भेद देता है। मुसीबतों के पहाड़ों को, ढह देता है। और अपने कर्म पर, जो भरोसा रखता है।। सांसारिक उलझनों में, उलझा रहने वाला इंसान। यदि कर्म प्रधान है तो, हर जंग जीत जायेगा। और हर परस्थितियों से बाहर निकल आएगा।। लिखता है कहानियाँ, सफलता की इंसान। गिरा देता है पहाड़ो को, अपने आत्म विश्वाव से। और यही से निकलता, बहुमूल्य हीरा को। और यह काम इंसान ही अपने बूते पर करता है।। रखो यकीन अपने, आत्मबल पर तुम। यकीन से में कहता हूं, बदल जाएगी तेरी किस्मत। न हो यकीन अगर तुमको, तो कुछ करके काम देखो, सफलता चूमेगी तेरे कदमो को।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मै...
जिंदा रहे यादें
कविता

जिंदा रहे यादें

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मेरी आँखों में क्यों तुम आँसू बनकर आ जाते हो। और अपनी याद मुझे आँखों से करवाते हो। मेरे गमो को आँसुओं के द्वारा निकलवा देते हो। और खुशी की लहर का अहसास करवा देते हो।। मुझे गमो में रहने और उनमें जीने की आदत है। पर हँसते हुए लोगों को दुआएँ देना मेरी आदत है। तुम रहो सदा खुशाल अपनी नई जिंदगी में। मैं तुम्हें खुश देखकर अपने गम भूल जाती हूँ।। बदलते हुये इस जमाने में कुछ तो नया होना चाहिए। अपनी मोहब्बत का अहसास दूर होकर भी होना चाहिए। भले ही उन्हें मोहब्बत का अहसास आज न हो । पर जमाने की नजरो में तो इसे जिंदा रहनी चाहिए।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में ...
फूलों का हाल
कविता

फूलों का हाल

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गये थे आज मंडी में लेने को कुछ फूल। वहां जाकर देखा तो एकदम दंग रह गए। की जो फूल लेने को हम यहाँ आये है। वो फूल पहले से ही पैरों में पड़े हुए है। अब मैं कैसे उन्हें लू प्रभु चरणों के लिये।। लगता है हमें आजकल किसी की भी कीमत नहीं। हर चीज को लोगों ने व्यापार जो बना लिया। तभी फूल जैसा नाजुक पड़ा है लोगों के पैरों में। जब प्रभु को भी नहीं बख्शा, तो हम सब की औकात हैं क्या।। इसलिए इस कलयुग में नहीं दिखते है प्रभु। क्योंकि मंदिरों को भी लोगों ने व्यापार बन लिया। अब रहेगी कैसे आस्था प्रभु में लोगों की। क्योंकि पूजा की सूचीयाँ लगा दी है जो मंदिरों में।। गए थे फूल लेने को, पर खाली हाथ आ गये। नहीं चढ़ाना अब प्रभुको, फूल पैसे आदि। जो करते थे खर्च हम, इन सब चीजों में। अब उन पैसों से, हम बच्चों को पढ़ायेंगे। और उन्ह...