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Tag: संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया

कान्हा को जन्मदिन आयौ
भजन

कान्हा को जन्मदिन आयौ

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कान्हा को जन्मदिन आयौ कान्हा को जन्मदिन हम। सबकौ लगे प्यारो अरू अति न्यारो। हम सबके उर उमंग। उल्लास भी। संग में लायौ। कान्हा को जन्मदिन आयौ। मैं तो बहु नाचूंगी गाऊगी। बहु खुशियां मनाऊंगी। कान्हा कौ जन्मदिन आयौ। मौरो कान्हा आएगो। बांसुरी बजाएगौ, हम सब। बासुरी धुन सुन कान्हा प्रेम। मगन हो सुध-बुध खो जावेगै। कान्हा आवैगो हम सबकी पीरा। हरेगो, हम सबकी इच्छा पूरी करेगो। कान्हा को जन्मदिन आयौ। कान्हा हम सबन कौ दर्शन देवेगो। कान्ह आवेगो हम सबको करोना। मुक्त करेगो वो हम सबको सादो। जीवन वापस करेगो। कान्हा को जन्मदिन आयौ। अति प्यारौ अरू। अति न्यारो हम सब के उर। उमंग उल्लास लायौ, मै तो बहु नाचूँगी। गाऊँगी, कान्हा को जन्मदिन मनाऊँगी। कान्हा के दरस पा सुध-बुध। खो वाए। एकटक अपलक न...
मैं देश के प्रहरी को राखी बांधूगी
कविता

मैं देश के प्रहरी को राखी बांधूगी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आया रक्षा बंधन पर्व। मैं तो सर्वप्रथम अपने भारत। देश के समस्त प्रहरियों को राखी। बांधूगी, मेरा रक्षा बंधन पर्व तभी। पूर्ण होवेगा। जब मैं थल, जल और वायु तीनों। सेनाओ के सैनिकों को जो। भारत के प्रहरी बन हमारी। रक्षा करते हैं, मैं उन्हें राखी बांधूगी। भारत देश के प्रहरियों के कारण ही। हम सब भारतवासी अपने देश में। अपने घरों में सुरक्षित हैं। देश के प्रहरी हमारी रक्षा। दिन और रात जाग कर माइनस। डिग्री तापमान में खड़े रहकर। हमारी रक्षा करते हैं। अपने परिवार को छोड़। भारत देशवासियों की रक्षा रखते। सर्वोपरि, इसलिए मैं उन सब। प्रहरी भाईयों को सर्वप्रथम। रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधूगी। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि ...
रक्षाबंधन पर्व पर हमें गर्व
कविता

रक्षाबंधन पर्व पर हमें गर्व

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** देखो-देखो सावन मास। पूर्णिमा दिवस आया। रक्षाबंधन पर्व संग लाया। अपार हर्ष रक्षाबंधन पर्व पर। प्रति भारतीय उर होता। अपार गर्व। रक्षाबंधन पर्व हर्षोल्लास। सहित मनाते बहन-भाई। बहन भाव स्नेह धागे की । राखी बांधे भाई को रोली-अक्षत। तिलक लगाकर कर नारियल। माथे वसन डाल दीर्घायु । कामना अभिलाषा करें। भाई अपनी बहन को। आशीर्वाद देवे सदा रक्षा करने। अरू खुश रहने का भाई प्रतिवर्ष। प्रतिक्षा करे रक्षाबंधन पर्व पर। बहन का भाई गृह आना। भाई-भाभी प्रतिवर्ष बहन का। वंदन अरू अभिनन्दन। करते हर्ष संग मनाते रक्षाबंधन। पर्व और करते गर्व। ऐसा आता रक्षाबंधन पर्व। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक...
आज आया स्वतंत्रता दिवस
कविता

आज आया स्वतंत्रता दिवस

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** देखो-देखो आज आया कितना। पावन पर्व असंख्य माताओं के पुत्र। बलिदान पशचात गुलामी से। हम सब भारतवासी हुए आजाद। आज आया स्वतंत्रता दिवस। पावन पर्व आया संग अपने। अपार खुशियां लाया,स्वतंत्र। भारत देश की महिमा अपरंपार। आज आया स्वतंत्रता दिवस। भारत वासियों के उर छाया। हर्ष अपार स्वतंत्रता दिवस। गाथा बलिदानियों का भंडार। जिनमें अल्पायु में ही भारत। आजाद कराने प्रबल रक्त उबाल। आज आया स्वतंत्रता दिवस। सकल भारतवासी सादर नमन करें। उन सभी मातृभूमि भक्त। बलिदानियों को जिनकी। एकता ने भारत को। स्वतंत्र करा स्वतंत्रता दिवस पर्व। मनाने का अवसर दिलाया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं ...
तिरंगे का मान
कविता

तिरंगे का मान

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** तिरंगे का मान रखना है। आया-आया स्वतंत्रता दिवस का। त्योहार आया आओ-आओ हम सब। मिलकर झूमे,नाचे,गाए। स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाए।१। कदम कदम बढ़ाए जाओ। स्वतंत्रता दिवस की खुशी के। गीत गाए जाओ। स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा। तीन रंगों का फहराना है। हमारा तिरंगा हमारी शान है।२। हमारा तिरंगा संपूर्ण विश्व में। हमारा मान है। तिरंगे के मान और शान में। कभी कमी ना होने देंगे। चाहे हमें मान'शान बचाने में। प्राण ही क्यों ना देने पड़े।३। आया-आया स्वतंत्रता दिवस आया। आओ-आओ हम सब मिलकर। झूमे,नाचे,गाए स्वतंत्रता दिवस। धूमधाम से मनाए। तिरंगे का मान रखना हैं।४। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...
मित्र
कविता

मित्र

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मित्र शब्द श्रवण । कर्ण करते ही मित्र का । चित्र मुख सम्मुख उपस्थित । हो उर अति उमंग भरता । अंतर भावविभोर हो शीतल । निर्झर हिलोरे ले मंद-मंद मुस्कान व्याप्ति,मित्र एक सुखद अनुभूति विश्वास मधुरता युक्त । मित्र प्रति स्थिति,परिस्थिति संग। संबल देता अटूट दृढ स्तंभ सम। ज्यो कर्ण अरू दुर्योधन मित्रता । कृष्ण-सुदामा सम सखा । मित्रता विशाल वृक्ष सम छाया । ज्यो राम-सुग्रीव मित्रता । यत्र-तत्र-सर्वत्र मित्र कथा । पौराणिक कथा प्रमाण । सुख-दुख में संग-साथ निभाना । प्राप्त हुए,मित्र संसार की अमूल्य निधि है,अनमोल धरोहर । मित्रता की महिमा । निराली अरू बहु सरस । मित्रता पावन सुगंध चंदन सम । परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती ह...
हर कोई रंज में डूबा जैसा
कविता

हर कोई रंज में डूबा जैसा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मुल्क का मंजर ऐसा। हर कोई रंज में डूबा जैसा। हर कोई अरज करे ऐसा, मरज दूर हो जैसा। मुल्क पर कोरोना खंजर ऐसा। हर कोई लहू में डूबा जैसा। मुल्क पर कोरोना अंगार ऐसा। हर कोई आग में जल रहा जैसा। मुल्क पर कोरोना की धुंध छाई ऐसी। हर कोई आग में जल रहा जैसा। मुल्क पर कोरोना की धुंध छायी ऐसी। हर कोई तड़प रहा चंद सांसों के लिए जैसा। मुल्क पर कोरोना विपदा बस्ती पर ऐसी। हर कोई अपनी डूबती कश्ती बचा रहा जैसा। मुल्क पर कोरोना की गंध ऐसी। हर कोई अपने घर बंदी बना जैसा। मुल्क का मंजर ऐसा कई मइयते देखी ऐसी। हर कोई कोरोना तपन में जलने लगा जैसा। मुझे मेरे मुल्क पर गुरुर ऐसा। मेरा मुल्क मेरा चमन जैसा। मेरे मुल्क पर कोरोना। इनायत कर ऐसे। मेरा मुल्क गुलशन बनेगा जैसे। मेरे मुल्क में कोरोना का इलाज होगा ऐसे। एक ...
चिरैया की प्यास
कविता

चिरैया की प्यास

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कैसो कलयुग आयो। मानव दुष्कर्म सजा। आज पक्षी भुगत रहा। नदी,ताल,तलैया,पोखर। धरातल पर हुए नष्ट। चिरैया स्व प्यास बुझाने। भटके दर-दर सूखे कंठ संग। अति प्यास से व्याकुल हो। नल की बंद टोंटी में इक। जल बूँद स्व मुख ले कंठ। तर करने की आस लिए। जुगत लगाने जुट कर। बारम्बार श्रम कर सोचे। कब मेरे मुख जल बूँद टपके। मेरो सूखो कंठ कब तर हो जाए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेत...