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Tag: संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया

दो अक्टूबर दो पुष्प
कविता

दो अक्टूबर दो पुष्प

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** भारत-भू पर दो अक्टूबर। दो पुष्प अवतरित हो। भारत उपवन में खिले। पहले लाल बहादुर शास्त्री। दूजे महात्मा गांधी। दोनों पावन आत्माएं। भारत-भू पर श्रेष्ठ कर्म। करने आई, दोनों महान। विभूतियां दोनों का व्यक्तित्व। अद्भुत गुणों की खान। लाल बहादुर शास्त्री। विनम्र स्वभाव धनी। गुदड़ी के लाल। जय जवान जय किसान। नारा लगा दोनों का सम्मान। सदा किया। गांधीजी चले सत्य। अहिंसा मार्ग बापू कहलाए। करो या मरो नारा अपना। मौन रह सत्याग्रह कर। भारत स्वतंत्र करावाएं। अंग्रेजों की गुलामी से। अंग्रेजों को भारत से बाहर। खदेड़ भारत बापू बन गए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
बिटिया
कविता

बिटिया

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** बिटिया तू है, अपने। परिवार की राजकुमारी। तू परिवार की राजदुलारी। तू आज बगिया की सुंदर। कली सम कल तू तरूणी। आज तू कली सम देवकन्या। रूप धर धरा पर आई। तू है परमपिता परमात्मा। प्रदत्त अद्भुत रचना। बिटिया तेरे रूप अनेक। बिटिया इस धरा पर जब भी। कोई तुझे कुत्सित भाव। संवाद करें या कुदृष्टि डाले। तो तू ऐसे दुष्कर्म करने वाले। दुष्टो का संहार करने के लिए। तत्काल तू काली अरू रक्तदंतिका बन जाना। बिटिया तू ईश्वर की रचना हैं । तू कोमलांगी हैं परंतु जब। विषम परिस्थिति में लज्जा। संकट में हो तब दुष्टों का सर्वनाश कर देना। कुकर्म करने वाले दुष्टों को। निसंकोच अस्त्र-शस्त्र से काट। देना तनिक संकोच मत करना। तू आज की अबला नारी नहीं। आज की सबला नारी है। बिटिया तू ही दुर्गा, तू ही काली। तू ही जगद...
रामधारीसिंह दिनकर
कविता

रामधारीसिंह दिनकर

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** दिनकर कवि बङे निराले। बिहार भू जन्मे। मानो गगन मध्य दिनकर। उदित धरा पर अपनी अरुणिमा। फैला ऊषा का अभिनन्दन करें। जाके तात रवि अरू माता। मनरूप, दिनकर अल्पायु में ही पितु। छत्रछाया से हुए विलग। वेदना की बदली छाई। स्नातक पश्चात शिक्षा हुई। अवरूद्ध। हुए आरुढ़ विविध पदों पर। प्रधानाचार्य पद पाया। हिंदी विभाग के उपकुलपति। संसद के राज्यसभा सदन सदस्य भी भए। दिनकर की कलम कमाल। दिन प्रतिदिन दिखाती चली। हिंदी सलाहकार बने। असंख्य अनमोल रचनाएँ। रच-रच दिनकर कलम ने। रचनाओं के खजाने बनाएँ । जिनमें मुख्य रचना रेणुका। हुँकार, कुरुक्षेत्र महाकाव्य। नाम अपार छाया। भारत सरकार से पद्मभूषण पदवी, ज्ञानपीठ पुरस्कार पाया। दिनकर उर अपार हर्ष छाया। दिनकर कवि की कविताएं। बङी निराली आज भी सबके। उर उमंग सं...
शिक्षक की महिमा
कविता

शिक्षक की महिमा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** जो शिक्षा दे, शिक्षक कहलाता। शिक्षा की महिमा अपरंपार। शिक्षक की गरिमा गाथा। अति निराली इतिहास में प्रमाण। शिक्षक वर्णों का ज्ञान प्रारंभ कर। छात्रों को व्यापक ज्ञान की ओर। ले जाता। एक प्रेरणा स्त्रोत बन। प्रगति मार्ग पर प्रशस्त कर। छात्र को कुम्हार सम गढ। उसे लक्ष्य तक पहुंचाता। शिक्षक अमूल्य ज्ञान प्रदाता। रत्न है, जो अज्ञान चक्षु खोल। ज्ञान का दिव्य प्रकाश देता। शिक्षक नैतिकता निधि नित। प्रदान कर छात्रों को महापुरुष। महावीर श्रेष्ठ गुण युक्त नागरिक। निर्माण कर भारत राष्ट्र को। सौंपता शिक्षक पुरातन। काल से ही उत्तम चरित्रवान। छात्र प्रदान कर पर्वत सम। बाधाओं से सामना करना। सिखलाता, रामायण काल में। राम और महाभारत काल में। कौरव पांडव को विद्या। प्रदान करने में वाल्मीकि, द्रोणाचार्य। ...
कान्हा
कविता

कान्हा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मास भाद्रपद कृष्ण पक्ष। अष्टमी तिथि आई संग कान्हा जन्म दिवस की उमंग। उत्साह लाई, देवकी सुत जायो। कन्हैया के तात वसुदेव कहाए। आयो आयो आज कृष्ण। जन्म दिवस आयौ भारत-भू पर चहुँओर सबहि उर अपार हर्ष। उमंग छायौ सबहि शुभ मंगल। गीत गायौ अरू अनंत आनंद। पायौ, कृष्ण लीला अति न्यारी। जन्म कारागार घोर अंधेरी। निशा भयो, जन्म होते ही बंदी। गृह सबहि द्वारपाल अति गहन। निंद्रा सोवत कारागृह द्वार। सबहि लगे ताले स्वतः टूटे। कंस के अत्याचार से बचाने देवकी वसुदेव स्व संतान। जीवन बचाने चले नंद गाँव। कान्हा को डलिया में रखकर। उफनती यमुना नदी पार कर। पहुंचे नंद गांव माता यशोदा। निकट कान्हा सुलाए अरू। यशोदा की कन्या अपने संग। कारागृह ले आए कान्हा ने। अपने जन्म की ऐसी निराली। रचना रची,सकल भारतवासी। कान्ह ज...
मेरा प्यारा तिरंगा
कविता

मेरा प्यारा तिरंगा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मेरा प्यारा तिरंगा सबसे न्यारा तिरंगा अब पिचहतरवाँ। स्वतंत्रता दिवस अमृतमहोत्सव मनाऊंगा। सकल भारत घर-घर तिरंगा। फहराऊँगा अमृतमहोत्सव...मनाऊंगा। आज का संपूर्ण भारत तिरंगा मय हो तीन रंगों से सजा घर-घर तिरंगा लहरा रहा, मैं भी जय हिंद, जय हिंद बोलूंगा। अपने घर को तिरंगे से सजाऊंगा पूरा भारत तिरंगे से सजा हुआ पाऊंगा। तिरंगायुक्त भारत बन अमृत महोत्सव मना। स्वतंत्रता दिलाने वाले वीर बलिदानियों को स्मृत कर भारत मां के प्रति सम्मान गर्व संग कर रहा। सभी भारतवासी भारत मां का सम्मान गर्व संग करेंगे। मैं तो भारत मां की जय बोलूंगा...वंदे मातरम बोलूंगा। सकल भारतवासी वंदे मातरम भारत माता की जय बोलेगा। जय हिंद, जय हिंद बोल संपूर्ण भारत तिरंगा लहराएगा अरु स्वतंत्रता दिवस पर गर्व संग। स्वत...
स्नेह बंधन
कविता

स्नेह बंधन

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज रक्षाबंधन पर्व आया। चहुँओर अपार छाया। भाई बहनों उर उमंग लाया। संपूर्ण भारत रक्षा बंधन पर्व मनाया। रक्षाबंधन पर्व कोई बंधन नहीं। भाई बहन स्नेह पर्व है, एक छोटा सा रेशम धागा बांध। बहन-भाई प्रति प्रेम कर बांधती। भाई कलाई पर राखी बँधवा। रक्षासूत्र भाई कलाई पर बाँधते ही। भाई अभिभूत हो अनुभूत करता। बहन रक्षा हर पल करना। बहन अपने सर भाई स्नेह सदा। पाने की आस कर रक्षाबंधन पर्व पर। राखी भाई कलाई बांधने का हर संभव। प्रयत्न कर आगे बढ़ती निरंतर। भाई-बहन एक-दूजे प्रति अथाह स्नेह सिंधु हिलौरे उर उपजाता। बहन और भाई एक-दूजे मुख। हर्षित उमंग संग एक-दूजे के अधरों। पर मुस्कान लाता। भाई-बहन के अंतस में प्रेम का। झरना बहता जाता। यही है रक्षाबंधन का पर्व। स्नेह-बंधन से भर जाता। जन्म संग जन्मों का ...
भारत की सेना
कविता

भारत की सेना

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** भारत की सेना अमूल्य। धरोहर है, हमारी। एक-एक सैनिक भारत मां के भाल के मुकुट का सुंदर जड़ित हीरा है। भारत की सेना अमूल्य धरोहर है, हमारी। सेना का एक-एक सैनिक जोश, शौर्य, पराक्रम और वीरता की गाथा होता स्वयं मे। भारत की सेना अमूल्य। धरोहर है, हमारी भारत माँ का एक-एक सैनिक भारत मां के हृदय की धड़कन है, उसकी हर शवास-प्रशवास होती भारत के लिए। भारत की सेना अमूल्य धरोहर है, हमारी। भारत के सैनिकों के रक्त की एक-एक। बूँद भारत मां की रक्षा हेतु। बहती है। भारत की सेना अमूल्य। धरोहर हैं, हमारी दुश्मन देशो पर टूट पड़ती है कहर बन। भारत की सेनाअमूल्य धरोहर है हमारी। चीन की लद्दाख में सैन्य। झड़प में भारत के बीस सैनिकों ने भारत मां की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया। भारत की सेना अमूल्य धरोह...
सावन सोमवार
भजन

सावन सोमवार

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** सावन सोमवार आया। संग शिव भोला धरा पर आया। सकल भूवासी मन हर्ष छाया। सारी धरा भक्ति भाव भाया। सभी भक्त प्रति सोमवार। भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र, शमीपत्र अरू पुष्प, चंदन, अक्षत चढावै भोले को प्रसन्न। कर मनोवांछित फल पावै। सबहि भारत भूवासी उमंग। संग स्व उर भक्ति भाव भरि। ऐसे भक्ति करे मानो सबहि। भक्त सुधबुध खो शिव भक्ति। समा शिवमय हो गए, ऐसो लगे। ज्यों परमपिता परमात्मा अरू। प्रति आत्मा मिलन हो एक ज्योतिरबिन्दु प्रकाशपुंज आभा समस्त भू लोक पर आलौकिक प्रकाश किरणें व्याप्त करी। जगमग कर दिव्य प्रकाशमय। धरा करि शिव भोले। आशीर्वाद देने धरा पर। अवतरित हुए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचि...
सुरभि मुखरित पर्यावरण
कविता

सुरभि मुखरित पर्यावरण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हमारा प्यारा प्यारा सुरभित मुखरित पर्यावरण। संरक्षण करना कर्तव्य हमारा , सृष्टि कर्ता प्रकृति। अमूल्य खजाना , मानव को मिली अनमोल भेंट। प्रकृति का पाया प्रथम उपहार भू धारण करती, पालकी मानव को धरा धारण किए, हरे-हरे पत्र, पल्लव, लता, वृक्ष, पुष्प फसलों से लहलहाती। हर्षित मंत्रमुग्ध अंतस अनुभूत आनंद दाता पत्र-दल पुष्पदल सुवास बरसा सुगंधित बयार बही उर। आनंद संचार हुआ, सुरभित मुखरित पर्यावरण किया, पुष्प दलों पर तितलियां और भौंरे मंडरा-मंडरा रसपान। कर लुभाते, बसंत ऋतु नवअंकुर का अभिनंदन कर, प्रकृति का पाया द्वितीय उपहार सुंदर नभ-मंडल। सूर्य, शशि और तारे जहां स्थित धरा पर नदी, ताल, झरने कल-कल करती उर में अपनी अमित छाप छोड़ती, प्रकृति का पाया तृतीय उपहार शुद्ध पवित्र समीर, मानव। जीवों पशुओं को जीवनद...
गौ माता
कविता

गौ माता

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** गौ माता धन्य हो तुम। अन्नपूर्णा माता कहलाती हो। गृह लक्ष्मी गौ माता दुग्ध। दुह कर परिवार जन। दुग्ध पय करावे नित। पर देखो कैसी विडम्बना। गौ माता दुग्ध पान वंचित। गौ माता निज संतान। जबकि सर्वोपरी अधिकार। प्रथम दुग्धपान गौ माता। निज संतान बछड़ा हो। या बछड़ी। किंतु मानव स्व हित। गौमाता स्व संतान। मां दुग्ध ना पा सके। इक खूँटे बँधी अल्प। घास उदर पोषण हेतु मजबूर। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिया...
कुष्मांडा
स्तुति

कुष्मांडा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज नवरात्र चतुर्थ दिवस। आया चहुँ ओर दुर्गा चौथा। रूप कुष्मांडा छाया। मां अपनी मंद हंसी संग। ब्रह्मांड उत्पन्न कर। कुष्मांडा नाम पाया। चहुँ ओर व्याप्त अंधकार। ब्रह्मांड रचना कर हटाया। कुष्मांडा मां तू सृष्टि आदि स्वरूपा तू ही आदिशक्ति। तू अष्ट भुजाधारी। तेरे सप्त कर कमंडल, धनुष, बाण, पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र, गदा धारे। आठवें कर सकल सिद्धि। अरु निधिदायी जपमाला धारे। मां तू सिंह वाहन सवार हो। आती, जो कुष्मांडा मां। उपासना करें वह निश्चित। आयु,यश,बल, स्वास्थ्य। वृद्धि पाते। मां कुष्मांडा में कर जोड़ूँ। शीश नवाऊँ अरू करूं। प्रार्थना मुझ पर दया करो। महारानी क्षमा करो। मेरी नादानी। पिंगला ज्वालामुखी निराली। भीमा पर्वत पर डेरा तेरा। स्वीकारो प्रमाण मेरा। मेरे सकल कारज पूरे ...
चैत्र नवरात्रि
भजन, स्तुति

चैत्र नवरात्रि

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चैत्र नवरात्र आया। संग में दुर्गा उत्सव लाया। सबके उर अपार हर्ष छाया। प्रतिपदा तिथि नव वर्ष आया। नव विक्रम संवत लाया। नौ दिन नव दुर्गा पूजन हम। सब गुड़ी पड़वा आरंभ करे। सकल भारत प्रतिपदा तिथि आरंभ कर, नवमी तिथि तक। नौ दिन पूर्ण श्रद्धा संग उपवास। कर जो भी पूजन अर्चन वंदन। करें उसके उर भाव भक्ति। आत्मविश्वास पूर्ण शक्ति। भर जाता हम सब के दुख। संकट हर जाता। नौ दिन मां दुर्गा मनाओ। रोली, अक्षत, पुष्प अर्पित कर। मां आशीर्वाद भक्त सदा पाएगा घोर संकट जीवन से दूर हो। जावेगा, हम सबका जीवन। आनंदित हो जावेगा। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
सुन कान्हा फागुन आयो
गीत, भजन, स्तुति

सुन कान्हा फागुन आयो

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** सुन कान्हा फागुन आयो। संग होरी त्यौहार लायो। तू होरी पै मोय लाल, पीलो, हरो, नीलो रंग पिचकारी। भर-भर डारैगो। हां! राधा फागुन आयो। संग होरी त्यौहार लायो। तू भी होरी पै मो पै लाल, पीलो, हरो, नीलो रंग पिचकारी। भर-भर डारैगी। मैं और तू होरी रंगन। तै संग खेलेंगे, एक-दूजे के। नयन देखेंगे मैं तोरे नैनन में। तू मोरे नैनन में प्रेम रंग देखेगो। होरी ऐसी खेलेंगे ज्यो जल। मध्य उछरे त्यों हमारो। हिय प्रेम रंग होरी से गदगद। होय जात उमंग संग हर्षित हो। उर मयूर सौ नाचत अरू हम। द्वौ ऐसी प्रेम रंग होरी खेले। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
ईश्वर के रचना
कविता

ईश्वर के रचना

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हाँ मैं ईश्वर की रचना हूँ। सोकोमलांगी नारी हूँ। परंतु आज के युग की नारी हूं। मैं आज पुरूषों के सभी। कठोर, कठिन कार्य। करने में सक्षम हूं। हां मैं ईश्वर की रचना हूं। मैं कार,स्कूटर,मोटरसाइकिल। ऑटोरिक्शा, जहाज, हवाई जहाज, रेल, बस सब कुछ। चला सकती हूँ, चलाती भी हूं। हां मैं ईश्वर की रचना। सुकोमलांगी नारी हूं। मैं आज एक डॉक्टर,वकील। इंजीनियर, ज्योतिष सभी। कुछ हूँ, मुझमें ईश्वर ने सारी। शक्तियां समाहित की है। हां, मैं आज की नारी। ईश्वर की सुंदर अदभुत रचना हूँ। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय ...
कान्हा
भजन, स्तुति

कान्हा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** क्यों कान्ह तू। कब आवेगो। मोरे नैन तोरे दरस। तरस रहे। तू मोहे इक बार। सपन में ही बता जा। कान्हा तू कब आवैगो। मैं तोरे दरस को अति। व्याकुल मोए भोजन खावै। ना बनै, मोए प्यास। भी नाए लगै। कान्हा अब तो तू। आए जा मोहै दरस। दे जा, मोरै नैना तोरे । दरस अति तरसे। अब तू तनिक देर मत लगा। शीघ्र दरस दे जा। मोहै बता दे तू कब आवैगो। मैं तोरे अभिनन्दन की। तैयारी कर लूँ । मैं तोहै माखन मिश्री। भोग लगाऊँ। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
पापा की बेटी
कविता

पापा की बेटी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** पापा मैं तुम्हारी। नन्ही सी प्यारी सी बेटी हूं। अब बताओ तुम मुझे प्यार करोगे ना। पापा में तुम्हारी। नन्ही परी मैं तुम्हारे। आंगन में रोज अपने। पंख फैला कर ऊँची उड़ान। भर उड़ूगी अब बताओ। तुम मुझे प्यार करोगे ना। पापा मैं तुम्हारी। चुन-चुन करती चिड़िया हूँ। मैं तुम्हारे आंगन में चहकूंगी। अब बताओ तुम मुझे प्यार करोगे ना। पापा मैं तुम्हारे उपवन की। आज सबसे सुगन्धित कली हूँ। कल सबसे अधिक सुगन्धित पुष्प बन अपनी महक से। मैं तुम्हारी बगिया नित। सुवासित करूंगी। अब बताओ पापा तुम मुझे प्यार करोगे ना। पापा मैं तुम्हारी सबसे प्यारी सबसे न्यारी राज दुलारी। अब बताओ पापा तुम मुझे प्यार करोगे ना। पापा मैं तुम्हारे दीपक की। बाती हूं प्रकाश फैलाने आई हूं। मैं तम दूर करने आई हूं। अब बताओ तुम ...
पोती आई
कविता

पोती आई

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** छब्बीस नवंबर दो हजार। इक्कीस को पोती आई। कितनी प्यारी पोती आई। सबसे न्यारी पोती आई। मेरी पोती मेरे परिवार में आई। संग में ढेरों खुशियां लाई। हम सबके उर उमंग छाई। हमने प्रभु से अनमोल भेंट पाई। परिवार में दीप बन आई। परिवार में प्रकाश फैलाने आई। हमारे अंतस मधुर गीत गुनगुनाई परिवार में तारे सी टिमटिमाई। हमने तो पोती पा जन्नत पाई। परिवार को परी सी भाई। मैया उसकी हरषाई। मैया ने बेटी जाई। मैया गोद संतान सुख समाई। बेटे-बहू तपस्या सफल वर पाई। हमने दादा-दादी पदवी पाई। मात-पित नाना-नानी पद पाई। कोऊ मौसी,कोऊ भुआ-फूफा बन लज्जाई, शरमाई। मोहे आज परिवार लगे स्वर्ग सम, मेरे अंगना लक्ष्मी आई। पायल झंकार सुनाने। मेरा अंगना तेरे अधरों की मुस्कान से सुमन सा खिला। सुंदर उपवन सा बना। परिचय :-...
आया बालदिवस
कविता

आया बालदिवस

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चौदह नवंबर आया। बाल दिवस लाया। आओ आज हम सब। बच्चे बाल दिवस मनावै। हम सब बच्चे। मन के सच्चे, हम। सब बच्चे अक्ल के कच्चे। हम सबके उर आनंद उपजै। आओ आज हम सब बच्चे। मिलकर नाचै गावै। खुशियां मनावै। हम सब चाचा नेहरू। जन्म दिवस धूमधाम से मनावै। हम निर्मल पावन भाव उर धर। हर्षित हो मयूर सम नृत्य करें। चाचा नेहरू स्मृत कर। उनके गुण अपने। जीवन में धारण करें। आया-आया बाल दिवस। आया संग अपने अपार। हर्ष लाया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय...
धनतेरस आई
कविता

धनतेरस आई

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कार्तिक मास कृष्ण पक्ष। तेरस तिथि धनतेरस आई। संग अपार खुशियां लाई। भारत भू-वासी धनतेरस। पर्व मना अति हर्षित हो गाई। चहुँओर आनंद,उमंग छाई। धनतेरस दिवस समुद्र मंथन। काल वेदध धनवंतरी अमृत। कलश भारतावासी पाई। आज सकल जन धन्वंतरी। देव पूजन अर्चन कर। निरोगी काया आशीर्वाद पाई। सबहि निरोगी काया। वरदान पा उर हर्ष भायी। सबहि जन धन्य-धन्य हो जाई। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित कर...
करवा चौथ का चांद
कविता

करवा चौथ का चांद

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मैं करवा चौथ का चांद। आज मैं थोड़े नखरे संग। बादलों की ओट में छुप जाऊँगा। तो कभी बादलों की ओट से। बाहर आऊंगा। सभी सुहागन स्त्रियों को सताऊंगा। सताने में मुझे बड़ा। मजा आता है। सब सुहागिनों की मनुहार। पर मैं मान जाऊंगा। फिर मैं अपनी सुंदर सलोनी। छवि पूर्ण चांद सज धज। उज्जवल श्वेत रूप ले। धरा पर आऊंगा। कभी अपना ही प्रतिबिंब। मैं भी ताल, तलैया में देख। कभी शर्माऊँगा कभी। लजाऊंगा तो कभी। हर्षाऊंगा। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
जय हो माता महागौरी
भजन, स्तुति

जय हो माता महागौरी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्रि मां दुर्गा आठवीं शक्ति, तू महागौरी। कहलाती, मां तेरा रूप। अवर्णनीय, अतुलनीय तेरा। पूर्ण गौर वर्ण। मां तू शंख चंद्र अरू कुंद। पुष्प सम शश्वेत गौरवर्ण कांतिमान शोभित। मां तेरे सकल वस्त्र, आभूषण। शश्वेत धवल, दिव्य जगमग करें। मां तू बैल पीठ सवार विराजित। मां तू चतुर्भुजाधारी। ऊपर दाँया कर अभय मुद्रा। नीचे दाँया कर अरू मुद्रा संग अति शांत मुद्रा सोहै। मां ऊपर बाँये कर डमरु अरु। नीचे बाँये कर वर मुद्रा सोहै। मां तेरी शक्ति अमोघ फलदाई। तेरी आराधना उपासना। हम सब को पाप मुक्त करें। तेरा भक्त पावन अक्षय पुण्य। अधिकारी बने। तू जगत माता हम सबकी। मां तू महाकाली दुर्गा रूप। शरण आने वाले का तू। संकट मिटावै। शनिवार तेरी पूजन जो करै। उसके बिगड़े कारज सुधारै। जय हो माता महागौरी तेरी। ...
शैलपुत्री
भजन, स्तुति

शैलपुत्री

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्र प्रारंभ प्रथम। दिवस माता शैलपुत्री। भारत भू आगमन। हम सब करें पूजन वंदन। तुम माता शैलराज। हिमालय पुत्री शैलपुत्री। कहलाए तुम संग दुर्गा पूजा। प्रारंभ तुम्हारा वाहन वृषभ। जिस पर विराज तुम आई। दाहिने कर त्रिशूल अरु बाँए। कर कमल पुष्प सोहे। प्रथम दिवस उपासना में योगी। स्व मन मूलाधार चक्र स्थित कर। योग साधना आरंभ कर। माता शैलपुत्री सुमिरै। रोली, अक्षत लगा भोग लगा। मां शैलपुत्री मनावे। आशीर्वाद पावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्...
दो अक्टूबर दो पुष्प
कविता

दो अक्टूबर दो पुष्प

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** भारत-भू पर दो अक्टूबर। दो पुष्प अवतरित हो। भारत उपवन में खिले। पहले लाल बहादुर शास्त्री। दूजे महात्मा गांधी। दोनों पावन आत्माएं। भारत-भू पर श्रेष्ठ कर्म। करने आई,दोनों महान। विभूतियां दोनों का व्यक्तित्व। अद्भुत गुणों की खान। लाल बहादुर शास्त्री। विनम्र स्वभाव धनी। गुदड़ी के लाल। जय जवान जय किसान। नारा लगा दोनों का सम्मान। सदा किया। गांधीजी चले सत्य। अहिंसा मार्ग बापू कहलाए। करो या मरो नारा अपना। मौन रह सत्याग्रह कर। भारत स्वतंत्र करावाएं। अंग्रेजों की गुलामी से। अंग्रेजों को भारत से बाहर। खदेड़ भारत बापू बन गए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
मैं एक शिक्षक हूं
कविता

मैं एक शिक्षक हूं

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज मैं एक शिक्षक हूं । शिक्षा देने का दायित्व है । मुझ पर मैं अपने । दायित्व का निर्वाह । पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से । कर रही हूं । मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं । मुझे शिक्षक होने पर । बहुत गर्व है,ईश्वर ने मुझे विद्यार्थियों का जीवन । संवारने का अवसर । प्रदान किया । मेरे शिक्षक बनने के पीछे । मुझे ज्ञान प्रदान करने वाले । समस्त शिक्षकों को मैं शत-शत। नमन करती हूं,जिन्होंने मेरे । जीवन में ज्ञान का प्रकाश भर । मुझे शिक्षक पद योग्य बनाया । शिक्षक से बचपन में डांट भी । खाई अब समझ आया। मेरे शिक्षक मुझे और मेरे जीवन । गढ़ने का भरपूर प्रयास करते थे । मेरे जीवन में आए समस्त शिक्षकों का। मैं हृदय तल से बहुत-बहुत आभारी हूं । मेरे शिक्षकों की निस्वार्थ । ज्ञान भरने का परिणाम । मेरे सम्मुख है...