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Tag: श्रीमती शोभारानी तिवारी

राम का चरित्र
कविता

राम का चरित्र

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** राम राम से सुबह, राम से ही शाम है, राम से बड़ा जग में, राम का नाम है। माता पिता की आज्ञा से, राजपाठत्याग दिया, रघुकुल की रीत निभाई वन जाना स्वीकार किया, धर्म की रक्षा की, अहिल्या का उद्धार किया, अहंकारी रावण को, युद्ध में परास्त किया, तो दशरथ के राम, पुरुषों में महान है। राम-राम से सुबह, राम से ही शाम है । हनुमान के दिल में, धड़कन की हर श्वास में निर्धन की कुटिया में, केवट के विश्वास में, शबरी के जूठे फल में, दर्द के एहसास में, धरती के ज़र्रे ज़र्रे में, राम हैं आकाश में तुलसीदास के नायकको, बारंबार प्रणाम है। राम -राम से सुबह, राम से ही शाम हैं। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई. व्यवसाय - शासकीय शिक्षक सन्...
अब और नहीं
कविता

अब और नहीं

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** न्याय की गुहार लगाई थी, निर्भया की मां, दरिंदों को बचाने की पैरवी भी हुई, झूठ बोले गए, सत्य के दरबार में, अंधेरा बहुत हो चुका, अब और नहीं। वहशी दरिंदे बहुत बढ़ गए, बेटियों की अस्मिता को तार-तार किया, घाव इतने दिए उनके शरीर पर, कि मानवता को शर्मसार कर दिया, दर्द बहुत है सहे, अब और नहीं। अब कोई कलियां चमन से न टूटे, गुड़िया कभी भी किसी की न रूठे, न्याय व्यवस्था इतनी मजबूत हो, की प्यारी लाडो किसी की न छूटे जिंदा जलाया था, अब और नहीं। देर से ही सही, पर न्याय तो मिला, निर्भया बेटी को, इंसाफ मिला, फांसी के फंदे पर झूल गए दरिंदे, महिलाओं को आज सम्मान तो मिला, हमारी आवाज दबाई गई, अब और नहीं। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्र, ...
होली खेलूं कैसे
कविता

होली खेलूं कैसे

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** तुम बिन मांग सूनीहुई, सूना दिन सूनी रात, आंखें गंगा जमुना बहती, बुझ गई सारी मन की आस, रंगीन दुनिया बेरंग हुई, अपने मन को बहलाऊँं कैसे? किसे रंग लगाऊँ सजनवा? बताओ होली खेलूं कैसे? कहा था होली पर आऊंगा, सब के लिए कुछ ना कुछ ना, लाऊंगा, मुन्नी के लिए गुड़िया, तुम्हारे लिए चूड़ियां लाऊंगा, आए तो तीन रंग में लिपटे, मन को ढांढस बंधाऊँ कैसे? मैं होली खेलूं कैसे? पापा तो जैसे पत्थर हो गए, शून्य में देखा करते हैं, उदासी चेहरे पर छाई, मुंह से कुछ ना कहते हैं, गर्व है शहादत पर उनके, पर दिल को समझाऊं कैसे? मैं होली खेलूँ कैसे? मैं होली खेलूँ कैसे....? . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई. व्यवसाय - शासकीय शिक्षक सन् १९७७ ...
नारी
कविता

नारी

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** नारी से सारा विश्व जगत, नारी से नर नारायण है, नारी है जग का गौरव, नारी गंगा सी पावन है। नारी ममता का वह सागर, जिसमें संपूर्ण समर्पण है, नारी का पद नर से ऊपर, नारी समाज का दर्पण है। नारी कुदरत का ऐसा तोहफा, जो प्रगति का संबल है, मृदुवाणी और परोपकारीवह, उसमें स्वयं का आत्म बल है, नारी कल्पतरु की छाया, जिसके नीचे सुख ही सुख है, नारी का जीवन वह मीठा फल, जिसके बिना अधूरा नर है। कुल की मर्यादा की खातिर, विष का प्याला पी जाती है, सुख-दुख में परछाई बन चलती, अर्धांगिनी वह कहलाती है। जिन पुरुषों को जन्म दिया उन्हीं के हाथों चली जाती है, कभी त्याग की बलि चढ़ी तो, कभी जलाई जाती है। किसी ने वजूद को उसके, दांव पर लगा ललकारा है, किसी ने भोग्या समझा उसकी इच्छाओं को मारा है। कर्ज चुकाया नारी होने का, सीता भी कलंक से बची नहीं अग्नि परीक्षा द...
प्रेम
कविता

प्रेम

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** प्रेम संस्कार है, प्रेम एक विचार है, अतिथियों का सत्कार, अपनों का प्यार है, जीवन का सार है, प्रेम ऊंकार है, वीणा के सरगम में, खुशियों की झंकार है। प्रेम संस्कार है। प्रेम वृंदावन, कृष्ण की भक्ति है, मन के भावों की, सुंदर अभिव्यक्ति है, सृष्टि के कण-कण में, प्रेम विद्यमान है, वशीकरण मंत्र है, जीवन की शक्ति है, प्रेम के कारण, जूठे बेर स्वीकार है। प्रेम संस्कार है, प्रेम एक विचार है। प्रेम ईश्वर है, प्रेम शुद्ध साधना, प्रेमसुख का मंत्र है, प्रेम है आराधना दिल के क्यारियों में, खुशबुओं का खजाना, प्रेम है समर्पण, प्रेम सच्ची भावना, हर रंग के फूल यहां, बसंत बहार है, प्रेम संस्कार है, प्रेम एक विचार है। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए सम...
अभिनंदन वसंत का
कविता

अभिनंदन वसंत का

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मंद मंद शीतल पवन है, फूलों से भरा चमन है, खुश है धरा, खुश नीलगगन है, वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... जब प्रकृति ने ली अंगड़ाई, चहुं ओर छटा अलौकिक छाई, बसंती चोला पहना धरती ने, दुल्हन जैसी वह शरमाई, घुल रहा नशा नस-नस में, बहका-बहका सावन है। वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... उषा के किरणों की लाली, लहराते फसलों की बाली, हाथों में पूजा की थाली, कोयलिया गाये मतवाली, खुशबू से महका उपवन है , वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... भंवरे के दिलकश तराने से, मन में सारंगी सी बजती, रोम-रोम पुलकित हो जाता, धड़कने तेजी से चलती , पतझड़ का मौसम आनंदित होकर, बहारों को देता निमंत्रण है, वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्र...
मकर संक्रांति
कविता

मकर संक्रांति

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मकर संक्रांति का पर्व आया मिलजुलकर पर्व मनाएंगे। तिल गुड़ की मीठास संग, हम खुशी जताएंगे। मौज-मस्ती करेंगे हम, मन में विश्वास जगायेंगे, रंग बिरंगी पतंग डोर संग, आसमान में उड़ाएंगे। स्वर्णिम किरणों को छूने, लहराकर ऊपर चढ़ जाए, इंद्रधनुष रंगों में रंगकर, तूफानों में नाच दिखाएं। मंजिल का तो पता नहीं, नील गगन की रानी कहलाए, आसमान में बेखबर, आजादी संग उड़ती जाए। जब जब पेच लड़ा वह भी , लड़ने में जुट जाए , कट जाए या लूट जाए , तो वह निराश हो जाए। ऊंचाइयों का सपना, दिल ही दिल में रह जाता, अपने अस्तित्व को बचाने, फिर से धरती पर आ जाए। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानि...
अभिनंदन
कविता

अभिनंदन

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** नए वर्ष का करें अभिनंदन, आओ मिलकर खुशी मनाएं, शुरू करें फिर से नवजीवन, बीते कल को भूल जाएं। हर रंग के फूल यहां पर, यह धरती एक बगीचा है, एक विधा की परछाई हम, ना कोई ऊंचा नीचा है, स्वर्णिम किरणें आसमान से, रोली लेकर आई हैं, प्रकृति ने अपने हाथों से, इस धरती को सींचा है। विश्वास के कदमों से, पूरा आकाश झुकाएं। शुरू करें फिर से नव जीवन, बीते कल को भूल जाएं। कर्म हमारा हो भलाई, धर्म हमारा प्यार हो, कथनी करनी में ना अंतर नैतिकता हथियार हो, दुख-सुख तो धूप-छांव हैं, लेकिन समव्यवहार हो, ऊंचाई पर पहुंचे लेकिन, धरती ही आधार हो, तो कर्म भक्ति का हो अनु गुंजन गीत खुशी के गाएं, शुरू करें फिर से नव जीवन, बीते कल को भूल जाएं। नए वर्ष की नूतन बेला में, संकल्पों की बात करें, बेटियों की अस्मिता तार-तार ना हो, इस पर हम विचार करें, निर्भया और दिशा की क...
पेट की आग
लघुकथा

पेट की आग

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मैं बिलासपुर स्टेशन से इंदौर आई। जैसे ही मैं स्टेशन पर ट्रेन से नीचे उतरी। एक बूढ़ा व्यक्ति जिसकी कमर झुकी हुई थी, आंखों में मोटे ग्लास का चश्मा था, मुंह में झुर्रियां पड़ गई थीं, वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। मेरे पास जल्दी-जल्दी आया और बोला मैडम आपको कहां जाना है? मैं आपको छोड़ देता हूं, और मेरे कुछ कहने से पहले ही मेरा सूटकेस लेकर चलने लगा मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगी, जब मैं उसके रिक्शे में बैठी तो उसने रिक्शा खींचना शुरू किया, कुछ ही दूर जाकर उसका श्वास फूलने लगा। वह पसीना पसीना हो गया मैं तुरंत उसके से उतर गई और सौ का नोट उसके हाथ में रख दिया। बड़ी हिम्मत करके मैने पूछ ही लिया, कि बाबा आप बूढ़े हो गए हो, और आपकी उम्र रिक्शा चलाने की नहीं आराम करने की है। तुम्हें इस उम्र में रिक्शा में रिक्शा नहीं चलाना चाहिए। क्या करूं मेडम...
उतरन
लघुकथा

उतरन

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** देवकी सुनो, जी दीदी चलो मेरी मदद करो। दीपावली की साफ सफाई करनी में, चलो पहले मेरा कमरा साफ करते हैं। ऐसा करो मेरी अलमारी पहले साफ कर दो। अलमारी के सारे कपड़े निकाल लो, और जो पुराने हैं उन्हें अलग रखना, और जो नये हैं उन्हें अलग। फिर आवाज आई, देवकी देख तो यह सलवार सूट कितना सुंदर है? हाँ दीदी बहुत सुंदर है। तो ऐसा कर इसे अपनी बेटी ममता के लिए ले जा। इसे पहनकर ममता बहुत सुंदर लगेगी। और यह उसे  आ भी जाएगा। मैं तो केवल एक-दो बार ही पहनीं हूं। दीदी पर अरे ! पर वर कुछ नहीं, प्यार से दे रही हूं ना तो रख ले। यह  बात नहीं  है दीदी, मैं तो आपकी दी हुई हर साड़ी पहन लेती हूं, कभी मना नहीं करती। पर अपनी बेटी को उतरे हुए कपड़े नहीं पहनाऊंगी दीदी। देवकी के मुंह से यह बात सुनकर प्रभा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवा...
मृत्युदंड क्यों नही
आलेख

मृत्युदंड क्यों नही

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** पता चला है कि हैदराबाद में फिर एक बेटी के साथ हैवानियत करने के बाद भी दरिंदों का मन नहीं भरा। तो उसकी लाश को ट्रक के पीछे बांधकर दूर ले जाकर जला दिया गया, तब प्रशासन क्या कर रहा था। क्या नेताओं और समाज के ठेकेदारों का कोई कर्तव्य नहीं बनता? एक तरफ तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगवाया जाता है, और दूसरी तरफ हर रोज बेटियाँ दरिंदों की हवस का शिकार बनती जा रही हैं। क्या गलती थी डॉ प्रियंका की? क्या औरत अपना जिस्म लुटाने के लिए ही बनी है? कि जिसका जब मन किया उसे अपने हवस का शिकार बना ले। क्या उसके जीवन का कोई अर्थ नहीं? बड़ी-बड़ी बातें करने वाले हमेशा बेटियों की गलतियां निकालते हैं कि कपड़े छोटे पहनना होगें अपना जिस्म दिखा रही होगी। फिर बताइए कि जो बच्ची मां का दूध पी रही है उसके साथ भी क्यों हैवानियत होती है उसे भी दरिंदे नहीं छोड़ते...