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Tag: श्रीमती लिली संजय डावर

आ अब लौट चलें
कविता

आ अब लौट चलें

श्रीमती लिली संजय डावर इंदौर (म .प्र.) ******************** आ अब लौट चलें.... संकट के इस समय में फुरसत के इन पलों में आओ मिलकर सोचें और विचार करें कि... इस जीवन का आदि क्या था? अंत कहाँ कैसा होगा ? जिस रस्ते से चलकर आये क्या वहीं पुनः जाना होगा? कितने शूल-फूल के पथ से ये जीवन आया होगा, अब तक का जो सफर किया क्या आगे भी वैसा होगा? क्यों कि.. अब मंज़िल अनजानी है कठिन हुई जिंदगानी है, कदम कदम पर खतरा है ये दुनिया तो फानी है। जाना कहाँ है...समझ ना आये लेकिन इतना जान लिया, कि जीवन तो एक यात्रा है सच्चाई को मान लिया। अब तक जो मनमानी की मर्ज़ी की जिंदगानी जी, उसमें अब परिवर्तन होगा चिंतन और मनन होगा। पाषाण युग से चलते चलते हम जा पहुंचे अंतरिक्ष तक, जंगल की गुफाओं में रहते रहते आशियाना बना लिया मंगल तक। एक वानर जाति के जीव से होमोसेपियंस, आधुनिक मानव बनने का सफर तो तय हो गया, और अब मानव .... विक...
चुनौती
लघुकथा

चुनौती

श्रीमती लिली संजय डावर इंदौर (म .प्र.) ******************** अच्छा बच्चों अब हम कल नया पाठ पढ़ेंगे...कहते हुए नीलिमा ने मोबाइल ऑफ कर दिया। नीलिमा हायर सेकेंडरी स्कूल में रसायन शास्त्र व्याख्याता के पद पर पदस्थ है और इस लॉक डाउन के समय में मोबाइल पर ज़ूम एप के माध्यम से बच्चों को विज्ञान, केमिस्ट्री,बायोलॉजी आदि विषयों के पाठ पढ़ा रही है। मम्मी-मम्मी आपका फ़ोन दो ना, मुझे गेम खेलना है कहते हुए मिनी ने नीलिमा के हाथ से मोबाइल ले लिया, मिनी नीलिमा की बिटिया है जिसे अभी नौंवी कक्षा में जनरल प्रमोशन मिला है। ठीक है थोड़ी देर गेम खेलकर कुछ देर साइंस भी पढ़ लेना बेटा, नीलिमा ने मिनी को समझाते हुए कहा। ओके मम्मा,कहते हुए मिनी फ़ोन पर गेम खेलने लगी, नीलिमा किचन में जाकर खाने की तैयारी करने लगी, थोड़ी ही देर में मिनी आकर नीलिमा से बोली मम्मा ये फेस बुक पर चारु आंटी का चैलेंज है आपके लिए साड़ी में फ़ोटो डा...
देश राग
लघुकथा

देश राग

श्रीमती लिली संजय डावर इंदौर (म .प्र.) ******************** तेरी मिट्टी में मिल जावां, गुल बनके मैं खिल जावां.. इतनी सी है दिल की आरज़ू.... .. दीदी आज तो आपने सबको भावुक कर दिया, आप कितना मीठा गाती हो, प्रीति का गाना पूरा होते ही पास में खड़े बिट्टू ने प्रीति से कहा और सभी ने अपने अपने घरों से तालियां बजायीं। प्रीति कॉलेज में प्रोफेसर है, गरीब बस्तियों के बच्चों की शिक्षा पर भी काम करती है साथ ही अच्छी गायिका भी है। लॉक डाउन के दौरान आसपास वालों की फरमाइश पर वो रोज शाम को अपने घर के सामने ट्रैक पर माइक और स्पीकर लगाकर सभी को गाने सुनाती है। आज जब उसने ये गीत गाया तो सभी लोग देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत होकर भावुक हो गए। गाते गाते प्रीति की आंखें भी भीग गयीं, दीदी मुझे भी गाना सीखना है, आप मुझे सिखाओगी, बिट्टू ने माइक और स्पीकर उठाते हुए पूछा, हाँ हाँ बिट्टू क्यों नहीं? जरूर, प्रीति ने...
अंतर्मन
लघुकथा

अंतर्मन

श्रीमती लिली संजय डावर इंदौर (म .प्र.) ******************** आंटी आंटी हमारी बॉल अंदर आ गई, प्लीज् दे दीजिए ना, दीप्ति ने खिड़की से झांककर देखा तो कॉलोनी में खेलते हुए बच्चे उसके घर के गेट पर खड़े होकर आवाज़ दे रहे थे, दीप्ति एक लेखिका और समाजसेवी है। आज रविवार होने से वह घर पर ही अपने लैपटॉप पर कोई आर्टिकल लिख रही थी। जिसका शीर्षक था "अंतर्मन"। दीप्ति ने बाहर निकलकर बच्चों को बॉल दी और फिर आकर लिखने बैठ गयी। तभी कॉलोनी की सफाईकर्मी मालती भाभी ने दरवाजा खटखटाया, दीप्ति के पूछने पर उसने कहा कि बेटी को कॉपी और पेन की जरूरत है और कल जन्मदिन है तो वो नए कपड़ों की जिद कर रही है। दीप्ति ने उसे कॉपी पेन देते हुए कहा की भाभी ऐसे ही बिटिया की पढ़ाई पर ध्यान देना और जो भी जरूरत हो आकर बात देना। दीदी आपकी बजह से ही तो मेरी बिटिया पढ़ रही है, अगर आप फीस नही भरती, स्कूल में एडमिशन नही दिलाती तो हमारी हैस...
जुदाई
कहानी

जुदाई

श्रीमती लिली संजय डावर इंदौर (म .प्र.) ******************** सुनो, मैं आज तुम्हारी पसंद की मलाई कोफ्ते की सब्जी बनाता हूँ, तब तक तुम दूसरे काम निपटा लो, रंजन ने अपनी पत्नी सलोनी से कहा। देखो रंजन मैंने आज वो पुराने गानों के कैसेट्स और सीडीस निकाली हैं जो तुमने मुझे समय समय पर गिफ्ट की, रंजन की बात के जवाब में सलोनी रंजन को वो बॉक्स खोलकर दिखाते हुए बोली। सलोनी अब इनकी क्या जरूरत अब तो हर गीत नेट से सुन सकतें है, रंजन ने फ्रिज में से आलू निकालते हुए कहा, नही रंजन बात सिर्फ गीतों की नही, इन कैसेट्स और सीडीज़ में तुम्हारी स्नेह युक्त भावनाएं छिपी हुई हैं, सलोनी ने प्यार भरी निगाहों से रंजन की ओर देखते हुए कहा। रंजन और सलोनी दोनो इनकम टैक्स विभाग में अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं, उनके दोनो बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहें है, कोरोना वायरस से सुरक्षा के चलते पूरे देश मे लॉक डाउन है। रंजन जो बहुत अ...
अदृश्य शत्रु बनाम साहस
आलेख, कविता

अदृश्य शत्रु बनाम साहस

श्रीमती लिली संजय डावर इंदौर (म .प्र.) ******************** आज सोशल मीडिया के माध्यम से घर बैठे स्क्रीन पर दृश्य देख देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो पूरा विश्व थम गया है, संसार का कारवां रुक गया है। प्रकृति का सबसे ताकतवर जीव इंसान..... आज बेबस है, असहाय है, मजबूर है, स्तब्ध है, डरा हुआ है , रुका हुआ है सहमा हुआ है, अपनों के पास होकर भी अपनों से दूर है, अपने ही घर मे,अपनी ही मर्ज़ी से, कैद है , किसके कारण ? एक ऐसे "अदृश्य शत्रु "के कारण जिसे सीधे आंखों से देखा भी नहीं जा सकता, जिसका कोई अस्तित्व नही, जिसके पास मस्तिष्क नही, जिसके पास बाहुबल नही, जिसके पास शस्त्र नही, जिसकी कोई जात नही, जिसका कोई धर्म नही, जो किसी देश का नागरिक नही, जिसका कोई मित्र या शत्रु नहीं। आज एक अदने से अदृश्य शत्रु ने इंसान की दुनिया में तबाही मचा दी है, तूफान ला दिया है। इंसान -इंसान के बीच और उसके चारों ओर पहरा लग...