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Tag: श्रीमती मीना गौड़ मीनू माणंक

तलाश
लघुकथा

तलाश

========================================== रचयिता : श्रीमती मीना गौड़ "मीनू माणंक" ४ बज गई ..... सभी सहेलियाँ एकता के घर पहूँच गई थीं ,,,,, आशा :- अरे अन्नू ,,,,, शीला नहीं आई ,,,, हाँ, आशा भाभी, वो अपनी बेटी के घर गई है। सुधा :- अरे कुछ समय पहले ही तो गई थी ,,,,,, पूरे २० दिन में आई थी। क्या करे बैचारी, खुशी ढूंढती रहती है। गहरी सांस लेते हुऐ रमा ने कहा। मैं नहीं मानती ,,, अरे घर हमारा है ,,, तो हम क्यों छोड़े अपना घर ,,,,,,, भाई पूरी ज़िंदगी का निचोड़ है ये आज ,,,,,, अब तो सुख भोगने के दिन है। कल कि आई लड़की के लिए तुम क्यों अपना घर छोड़ती हो ,,,,, यहाँ तो शीला ही गलत है, बेटा हमारा है, फिर क्यों हम किसी ओर से उम्मीद रखें ----- बड़े आत्म विश्वास के साथ आशा ने कहा था ,,,,,,, बैग में कपड़े रखते हुए आशा को ये सारी बातें याद आ रही थी ,,,,,,, अब समझ में आ रहा था कि ,,,,, भरा-पूरा...
डाकबाबू
कविता

डाकबाबू

========================================== रचयिता : श्रीमती मीना गौड़ "मीनू माणंक" मोटा चश्मा आँखों पर, कांधे पर चिट्ठियों का बूलदां। सुबह-शाम आते सायकल पर, डाकबाबू ले कर संदेशा।। जोर लगा कर मारते पेडल, फिर भी धीरे चलती सायकल। हो गई थी पूरानी। नहीं रुकते कभी डाकबाबू चिलचिलाती धूप हो , या बारीश का पानी।। बांटते सभी को चिट्ठी...... किसी में होती खुशियों की सोग़ात। तो किसी में आता, ग़म का संदेशा।। जब बुढ़ी माँ को ये देते संदेश, हो गया बेटा शहीद देश पर। तो आँखें भर आती, हटा के ऐनक, पोंछ लेते आँसु ग़म के।। अगले ही पल लिये मुस्कान चेहरे पर, देते शुभ संदेश,,,,,, ख़ुशियाँ बांटो ताऊजी, कुल दीपक आया है। छ्ट गई बदली निराशा की, दादा तुम्हें बनाया है।। बैठी हूँ आस लगाए, पुराने दिन लोट आए। खो गए कहीं डाकबाबू , संदेशा, अब कौन लाए।। लेखिका परिचय...
आओ खो जायें
कविता

आओ खो जायें

========================================== रचयिता : श्रीमती मीना गौड़ "मीनू माणंक" आओ खो जायें, गुज़रे ज़माने में। कुछ यादों में, कुछ ख्बों में। चांद-तारों में, वो ढ़लती शामों में। खिड़की-झरोखों में, गुपचुप इशारों में।। कुछ खट्टी-मिट्टी नोक झोक में। वो प्रीत भरी सौग़ातों में।। खुशियों भरी शहनाईयों में। सुहानी उन रातों में।। अपने वा बैग़ानों के साये में। जो खुशियाँ बाँटी प्यार में।। परिवार की खुशियों में। बच्चों की किलकारीयों में।।   लेखिका परिचय :-  नाम - श्रीमती मीना गौड़ "मीनू माणंक" सदस्य - इंदौर लेखिका संघ शुभ संकल्प (पंजीकृत) - कई प्रतिष्ठित अखबारों में रचनाओं का प्रकाशन, व विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ में लेख वा रचनाऐं प्रकाशित लेखन विधा - कहानीयाँ, कविता, लेख, लघुकथा, हायकू ,बालसाहित्य। प्रकाशित रचनाएं  लेख - देश की गुल्लक, वीर जवान आदि। ...
पापा मेरे
कविता

पापा मेरे

========================================== रचयिता : श्रीमती मीना गौड़ "मीनू माणंक" पापा हर्ष मेरे, मैं खुशी पापा की ... पापा धड़कन मेरे, मैं जान पापा की ... पाप गुलिस्तान मेरे, मैं खुश्बू पापा की .. पापा सागर मेरे, मैं सीप का मोती पापा की ... पापा ज़ागीर मेरे, मैं ज़मीर पापा की ... पापा विश्वास मेरे, मैं उम्मीद पापा की ... पापा विशाल अंबर मेरे, मैं उड़ान पापा की ... पापा अटल पर्वत मेरे, मैं चोटी पर्वत की ... पापा ढाल मेरे, मैं दोधारी तलवार पापा की ... पापा समर्थन मेरे, मैं सहास पापा की ... पापा आँखें मेरी, मैं सपना पापा की ... पापा भगवान मेरे, मैं लक्ष्मी बिटीया पापा की .... पापा हर्ष मेरे, मैं खुशी पापा की ... बेटा हर्ष मेरा, खुशी पोती मेरी दौनों ही है जान मेरी ...।   लेखिका परिचय :-  नाम - श्रीमती मीना गौड़ "मीनू माणंक" सदस्य - ...