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नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान
कविता

नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना अपनी क्षमताओं को पहचानकर, विस्तृत गगन में उड़ान भरना तुम। आत्म-सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीवन जीना तुम। अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिये, स्वतन्त्रता की उड़ान भरना तुम। ये उड़ान सभी के लिये सुखद हो, ऐसा प्रयास करना तुम। उड़ान में बाधा आने पर, जरा भी विचलित ना होना तुम। आँधी और तुफान में भी, अपनी उड़ान जारी रखना तुम। दुसरों की सहायता हमेशा करना, सत्य का साथ ना छोड़ना तुम। स्वतन्त्रता तो भाती है सभी को इसका सदुपयोग करना तुम। लेकिन स्वच्छन्दता को ना अपना लेना तुम, ये भ्रम है छलावा है ये तो ‘पर’ काट देती है। स्वतन्त्रता और स्वच्छन्दता के महिन अन्तर को समझकर, अपनी उड़ान को सफल बनाना तुम।। ...
दर्द
कविता

दर्द

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कतरा कतरा टूटती क्यू ज़िन्दगी हर पल दर्द में डूबी हुई क्यू ज़िन्दगी उन पलों में जिनमें हंसना चाहिए था खिलखिलाकर, अश्क की धारा बनी क्यू ज़िन्दगी हर पल दर्द में डूबी हुई क्यू ज़िन्दगी भोर की पहली किरण मेरी कभी होगी कही, पूर्णिमा की चांदनी भी मुझको अपनी सी लगेगी, स्वप्न में ही बस मुझे क्यू ये बताती ज़िन्दगी, हर पल दर्द में डूबी हुई क्यू ज़िन्दगी तेरी स्नेह ज्योति से जीवन को पाकर ज़िन्दगी सबको बांटा करूगी, ये सपना मेरा अगर सच होता तो कतरा कतरा टूटती ना ज़िन्दगी हर पल दर्द में डूबी हुई क्यू ज़िन्दगी। परिचय :- श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव जन्म दिनांक : ५/११/१९६२ निवासी : महाकाल वाणिज्य केंद्र उज्जैन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं...