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Tag: श्याम सुन्दर शास्त्री

ऋतु चक्र
कविता

ऋतु चक्र

श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) ******************** घनघोर घटाओं का अंबर में विचरण, बारिश से पुरित धरा, आंगन। विदाई का आ गया क्षण, शीत से हुई बदन की ठिठुरन। सूर्य का मकर में आगमन, हर्षित हुआ जन मन। पतंग का आकाश में उड्डयन, हिलोरें ले रहा है तन। जैसे आकांक्षाओं का गगन में भ्रमण, पुलकित हो रहा चमन सुमन। वसंत प्रवेश के बता रहा लक्षण पादप करेंगे नव पल्लव आवरण। रंगों से सराबोर होगा तन वसन, ग्रीष्म से होगा फिर काया तपन। प्रकृति का अद्भुत यह रचन, ऋतुओं का यह चक्रण। . परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर ...
डिजिटल इण्यिया
कविता

डिजिटल इण्यिया

श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) ******************** जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा सड़क में गड्ढे हो या पड़े दरार बन जाए चाहे पगडंडियां डिजिटल हो इण्डिया मंगल मूर्ति मोरया ... किसानों की सूखे फसल, या करे आत्म हत्या सूख जाये चाहे भिण्डियां डिजिटल हो इण्डिया मंगल मूर्ति मोरया ... सलमा आशा की जाए जान बदहाल हो चाहे हिन्दुस्तान अस्पताल पर पड़ जाए घुण्डियां डिजिटल हो इण्डिया मंगल मूर्ति मोरया ... बाढ़ से डूबे घर चाहे मरे बिहारी खुश रहें मुरारी यही है देश सेवा डिजिटल हो इण्डिया मंगल मूर्ति मोरया जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा . परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय...
पर्यटन
कविता

पर्यटन

श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) ******************** पर्यटन है नही कोई व्यसन खानपान का अनुशासन सहयोग, समत्व, सौहार्द धैर्य, शांति अनुशीलन प्रकृति का सानिध्य आनन्द मय वातावरण वंदन, चिंतन, मनन हो रहा कल्याण मय जीवन सहबन्धूओ का स्नेह, प्रेम जैसे उदित हो रही नव प्रभात किरण भजन, कीर्तन से हो रहा अंतर्मन शोधन इतिहास, संस्कृति मय पर्यावरण समावेश कर रहा नव यौवन चंचल, चपल मन स्थित हो रहा निज भुवन . लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं...
शिक्षा
कविता

शिक्षा

श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) ******************** शिक्षा  नहीं है कोई भिक्षा, गुरु से ली गई दीक्षा धैर्य की परीक्षा जीवन में संघर्ष की समीक्षा कर्म के परिणाम की करना है थोड़ी प्रतीक्षा जब मन में हो कोई अभिप्सा ईश्वर से मिलती तितिक्षा यदि हमने प्रकृति की नहीं  की उपेक्षा आहार विहार, रहन-सहन संसाधन, पर्यावरण से मिलती रहेंगी हमें सुरक्षा, जीजिविषा की है यदि हमें अपेक्षा करें ध्यान, प्राणायाम  सुबह-शाम रखें सत्य, अहिंसा और नैतिक शिक्षा मुमुक्षा की यदि है अभिलाषा करों न जग में कोई तमाशा . लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित ...
नदी बहती नहीं, है कुछ कहती
कविता

नदी बहती नहीं, है कुछ कहती

********** श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) नदी बहती नहीं, है कुछ कहती शब्द बोलते नहीं, है आपका दिमाग तौलते बिल्ली रास्ता काट, काटती है आपका अपशकुन। मुसीबत है आती अकेली नहीं, सफलता का मार्ग लाती है साथ अपने। मुहावरे का मतलब, नहीं मुंह आवारा वह तो गागर में है सागर सारा। कहावत नहीं है कोई शिकायत, वह तो है जन की हिफाजत । एक चना भाड़ फोड़ता नहीं, चिंगारी की आग का नहीं मोल। दोस्त,दुश्मन से बड़ा होता है, हर काम में आगे खड़ा होता। अपनी लकीर बढ़ी है करना, प्रगति के पथ पर है चलना। प्रकृति के अनुशासन को स्वीकार करे वसुधैव कुटुंबकम् को अंगीकार करे स्वालंबन ही है जीवन, निज पथ में कुछ करें समर्पण .... . लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन मे...
बचपन
कविता

बचपन

********** श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) ब्रम्ह का अद्भुत यह सृजन नौ माह तक हुआ मात कोख  में पोषण अवतरित हुआ धरा पर  नटखट चंचल,चपल तन-मन माता पिता का लुभा रहा मन परिभाषित किया समाज ने जिसे  बचपन शाला में धीरे से हुआ आगमन गुरु से पाता स्नेह, ज्ञान, आशिर्वचन . लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ...
आव्हान
कविता

आव्हान

********** श्याम सुन्दर शास्त्री (अमझेरा वर्तमान खरगोन) युग शिखर तुम चढ़ो सोपान बन मैं खड़ा हूं जिनकी कल तक बोलती थी हस्तियां आज डगमगा रही उनकी कश्तियां इस तूफान में , मैं मनु की नाव बन चल पड़ा हूं . कुरुक्षेत्र में कृष्ण अर्जुन का संवाद भक्ति, ज्ञान,कर्म  योग से ,मिटा वह विषाद सत्यमेव जयते का संदेश बन पड़ा है . दु:शासन से द्रौपदी का चीर हरण तोड़ रहा है नारी का दामन दर्पण भारतीय मानस को झकझोर रहा है . कर रहा हूं मन की बात, बिन संग्राम का यह संवाद अखण्ड भारत का स्वप्न जोड़ रहा हूं . दृढ़ता व जीवटता, अविरल, अबाध जैसे हो रहा दिनकर से प्रभात युग की इस धारा को मोड़ रहा हूं . लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं,...
हिंदी रक्षक  मंच तुम्हें नमन
कविता

हिंदी रक्षक  मंच तुम्हें नमन

============================= रचयिता : श्याम सुन्दर शास्त्री हिंदी रक्षक  मंच तुम्हें नमन करते हम अभिनन्दन विश्व पटल  भारत धरा पर स्थित तेरा सदन लेखक,कवि, रचनाकार का हो रहा यहां सम्मिलन वेद ऋचाओं से जहां होता पूजन ,हवन मातृ , पितृ, देवों का जहां होता चरण वंदन गद्य,पद्य , साहित्य रचना  तुम्हें सुमन समर्पण नव उपवन सृजन पाता छत्रछाया में मार्गदर्शन सब पाते सम्मान अलंकरण, पुलकित जन मन लेखक परिचय :- श्याम सुन्दर शास्त्री, सेवा निवृत्त शिक्षक (प्र,अ,) मूल निवास:- अमझेरा वर्तमान खरगोन शिक्षा:- बी,एस-सी, गणित रुचि:- अध्यात्म व विज्ञान में पुस्तक व साहित्य वाचन में रुचि ... आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करन...
मां
कविता

मां

============================= रचयिता : श्याम सुन्दर शास्त्री  मेरी कविता हो तुम मन विचार की सरिता हो तुम विष्णु की रमा, शिव की उमा कृष्ण की राधिका ,जगत जननी जगदम्बा हो तुम रिश्ते, परिवार, आचार विचार जग के सारे व्यवहार की शुचिता हो तुम जाति-धर्म, संस्कृति , संस्कार आगत स्वागत ,विगत विचार दुनिया नहीं दुहिता हो तुम वेद पुराण , बाइबिल, कुरान सांई, नानक, गुरु ग्रंथ आख्यान ज्ञान विज्ञान की गीता हो तुम गंगा-यमुना, सरस्वती सती, गौरी या पार्वती रामायण की जनकनंदिनी सीता हो तुम यम , नियम, आसन , प्राणायाम क्षिति, जल , पवन,समीर आसमान हृदय कमल की सविता हो तुम नव जीवन सृजन पालन पोषण स्नेह, वात्सल्य, प्रेम, आलिंगन ज्ञान की गायत्री गरिमा हो तुम सप्तवर्ण, वार , सप्तर्षि, सप्तसागर,सप्तविवाह संस्कार सप्तलोक,सप्तस्वर की रचयिता हो तुम लेखक परिचय :- नाम - श्याम सुन्दर शास्त्री सेवा निवृत्त शिक्ष...