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Tag: शिवांकित तिवारी

उन्हें क्या ? वो तो राजनीति का खेल खेल रहे है…
कविता

उन्हें क्या ? वो तो राजनीति का खेल खेल रहे है…

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" आज हम आरक्षण का दंश झेल रहे है, उन्हें क्या ? वो तो राजनीति का खेल खेल रहे है, कुर्सी पर बैठ नचा रहे है जनता को, जो उठा रहा है हित के लिए आवाज़, उसको भेज जेल रहे है, उन्हें क्या ? वो तो राजनीति का खेल खेल रहे है, हर बार विकास के नाम पर वोट ले जाते है, फिर पांच सालों तक ना अपनी शक्लें दिखाते है, कभी राम मंदिर,कभी आरक्षण,कभी सेनाओं को मुद्दा बनाते है, हरबार जनता को मुद्दों के नाम पर कर ब्लैकमेल रहे है, उन्हें क्या ? वो तो राजनीति का खेल खेल रहे है, जनता को मिलता नहीं कुछ सिवाय झूठे वादों और आश्वासन के, भरते है सिर्फ अपनी जेबें अपने पांच सालों के शासन में, घोषणाएं लाखों करते अपने घोषणापत्रों और भाषण में, खुलेआम दंगे करा जनता को मौत के कुएं में ढकेल रहे है, उन्हें क्या ? वो तो राज...
पेड़ लगाओ – जीवन बचाओ
कविता

पेड़ लगाओ – जीवन बचाओ

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" प्रकृति को सहेजने को अब सब मिलके तैयार हो, विनाश ना हो प्रकृति का यह प्रयास बार - बार हो, जागो सभी बचाओं अब इस सृष्टि के आधार को, पेड़ लगाओ और बचाओ जीवन और संसार को, पेड़ कट रहें है अंधाधुंध अब  तेजी  से   चहुंओर, जंगल करके साफ फैक्ट्रियां लगाने में दे रहे जोर, धुआं निकल रहा है जानलेवा सांस भी लेना है दूभर, पर्यावरण क्षरण की ओर अब  मानव जाएगा  किधर, जिंदगी में जहर घोल रहा प्रदूषण से  मानव  परेशान है, जनजीवन और लोग प्रभावित जंगल खाली सुनसान है, पर्यावरण बचाकर  हमको इस जग  को  बचाना है, वृक्षारोपण करके मानव जीवन को सुखी बनाना है,   लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म...
खुद की खोज जारी रखो
कविता

खुद की खोज जारी रखो

======================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" खुद की खोज जारी रखो, मरनें की रोज तैयारी रखो, कब कौन कहां बदल गया, इसकी पूरी जानकारी रखो, खुद पर यकीन करना सीखो, नियत सच्ची और जुबां प्यारी रखो, वहम और अहम मत पालों कभी, चुनिंदा लोगों से हरदम यारी रखो, हक के लिए सदा आवाज़ उठाओं, अपनी बातों  में  वजनदारी  रखो, अपने मां-बाप को कभी धोखें में मत रखो, उनके साथ हरदम ईमानदारी रखो, लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.) है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश) में बसेरा है। आपने कक्षा १२ वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है, और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में...
तो फिर क्यों आ रहे हो
कविता

तो फिर क्यों आ रहे हो

======================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" मुझे क्यों आजमाने आ रहे हो, बताओं क्या जताने आ रहे हो, तुम्हीं ने मुझको ठुकराया था एक दिन, तो फिर क्यों अब मुझे वापिस मनाने आ रहे हो, क्यों पिंजरें में रखा था तुमने अब तक कैद करके, क्यों पिंजरें से मुझे अब तुम छुड़ानें आ रहे हो, गिराया था मुझे तुमने कभी नीचा दिखाकर, तो फिर क्यों आज तुम ऊँचा उठाने आ रहे हो, तुम्हीं ने था रुलाया मुझको पहले जख़्म देकर, तो अब क्यों जख़्म में मरहम लगाने आ रहे हो, तुम्हीं ने तो कहा था तुम न कोई काम के हो, तो फिर क्यों आज मेरी उपलब्धियाँ गिनानें आ रहे हो, मैं मतलब से नहीं मिलता न मतलब से मेरा रिश्ता, तुम्हीं थे मतलबी जो हाथ मुझसे फिर मिलाने आ रहे हो,   लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवा...