Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: शशांक शेखर

आज तीज है तुम्हारा
कविता

आज तीज है तुम्हारा

*********************** रचयिता : शशांक शेखर अच्छा आज तीज है तुम्हारा निर्जल उपवास रखोगी मेरी लम्बी उम्र के लिए तो इसके बदले उपहार चाहिए तुम्हें व्रत के बहाने मेरी जेब ढीली चाहिए तुम्हें उपहार में सदमा दूँ तुम्हें हृदय को बेधड़क कर दूँ तुम्हारी चलो रहने दो तुम्हारे पापा को हृदय रोग है कहीं अनुवंशिकता हुयी और कुछ हो गया तुम्हें तब तो मेरे बुढ़ापे की शाम अधूरी रह जाएगी क्या करूँ बहुत पेट में दर्द हो रहा है इच्छा हो रही है बता ही दूँ तुम्हें अपने पेट का दर्द कम कर ही लूँ अच्छा सदमे की तरह नहीं कहानी की तरह सुनाता हूँ तुम्हें एक बात बतानी है हौले से बता ही देता हूँ तुम्हें तुम्हें याद हैं चलचित्र निर्माता यश चोपड़ा जिनकी कई अनमोल कृतियाँ हैं सिलसिला अभिमान और ना जाने कितनी उनमें से एक है दिलवाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे भी है हमारे किशोरावस्था के चलचित्र यूँ तो हम हम हैं ...
मसाज
कविता

मसाज

============================================================= रचयिता : शशांक शेखर तुम गए सुबह और दिन गए और हम ओस बन कर घास पर बिछ गए और हम आसमान से टपकते रहे आँसू बनकर और हम आज भी बारिश की बूँदे छतरी से टकराती हैं गीत कोई तुम्हारे नाम की गाती हैं और हम भागते हैं यहाँ से वहाँ तुम्हारी तलाश में और हम सायों को पकड़ते हैं जैसे चिढ़ा कर हमें तुम चुप गयी हो कहीं ओट में और हम उँगलियाँ शाम की थामे हुए पुकारते हैं तुम्हें मासूम का चेहरा तुम्हारा आवाज़ देता है हमें और दूर से धड़कन अपनी आप ही सुनते हैं और हम   लेखक परिचय :- आपका नाम शशांक शेखर है आप ग्राम लहुरी कौड़िया ज़िला सिवान बिहार के निवासी हैं आपकी रुचि कविताएँ आलेख पढ़ने और लिखने में है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित क...
तुम गए
कविता

तुम गए

रचयिता : शशांक शेखर ============================================================= तुम गए सुबह और दिन गए और हम ओस बन कर घास पर बिछ गए और हम आसमान से टपकते रहे आँसू बनकर और हम आज भी बारिश की बूँदे छतरी से टकराती हैं गीत कोई तुम्हारे नाम की गाती हैं और हम भागते हैं यहाँ से वहाँ तुम्हारी तलाश में और हम सायों को पकड़ते हैं जैसे चिढ़ा कर हमें तुम चुप गयी हो कहीं ओट में और हम उँगलियाँ शाम की थामे हुए पुकारते हैं तुम्हें मासूम का चेहरा तुम्हारा आवाज़ देता है हमें और दूर से धड़कन अपनी आप ही सुनते हैं और हम   लेखक परिचय :- आपका नाम शशांक शेखर है आप ग्राम लहुरी कौड़िया ज़िला सिवान बिहार के निवासी हैं आपकी रुचि कविताएँ आलेख पढ़ने और लिखने में है।...