तुम मेरी ज़द से
विवेक सावरीकर मृदुल
(कानपुर)
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तुम मेरी ज़द से अक्सर जरा-सी कम रही
कोशिशें पर मैंने की ये खुशी भी कम नहीं
औरों की बेबसी पर आती है उनको हँसी
झेल सकें हालात दो पल को भी दम नहीं
उनपे हौसला न था, हम किस्मत के मारे थे
वगरना हमने पेशनगोई, की कोई कम नहीं
कब तलक रोते रहोगे, जख्म़ सहलाते हुए
मुस्कुराओ इससे, बढ़कर कोई मरहम नहीं
नेकियों का साथ मिल रहा है मुसलसल
बदी करने वालों तुम इतने भी तुर्रम नहीं
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परिचय :- विवेक सावरीकर मृदुल
जन्म : १९६५ (कानपुर)
शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा
हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये,
उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दो...