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Tag: विरेन्द्र कुमार यादव

ये देखो कैसा आया जमाना है।
कविता

ये देखो कैसा आया जमाना है।

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** घराती को पानी खरीद कर लाना है, ये देखो कैसा अब आया जमाना है। बारात में यदि खाना हमें खाना है, तो खाना खड़े होकर ही खाना है। रसोई में खाना खड़े-खड़े बनाना है, ये कैसा देखो अब आया जमाना है। खुद थाली व खाना लेकर आना है, खड़े-खड़े सबको खाने को खाना है। ये देखो कैसा अब आया जमाना है, प्लेट कूड़ेदान के ठिकाने लगाना है। पानी स्वयं निकाल कर ही पीना है, चाहे शादी का कोई भी महीना है। खड़े खाना व खड़े ही पानी पीना है, भला व्यक्ति का जीना कोई जीना है। अब बारात नौटंकी नाच के बिना है, बारात में अब केवल नाच नगीना है। ये देखो कैसा अब आया जमाना है, खड़े-खड़े ही सबको खाना खाना है। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक ह...
बजरंगबली का गुणगान
कविता

बजरंगबली का गुणगान

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** हमारे वीर महाबली बजरंगबली की है यही पहिचान, लाय संजीवनी बचाये श्री राम के प्यारे लखन की जान। ये इस दुनियाँ में है बुद्धिमान, बलवान और महान, मेरे इस महाबली बजरंगबली को पूजे सारा जहाँन। हिमालय पर जाकर जिसको संहारे वह था माल्यवान, नदी में मगरमच्छ का करके संहार उसे गये जान। हमारे हिंदु, हिंदी और हिंदुस्तान की है ये शान, इनको पूजे सदा हिन्दुस्तान की सारी नर-नारी, ये बजरंगी संकट में हमेशा रक्षा करे हमारी। बजरंगबली सीता जी की खोज करके श्रीराम को बतलाये, प्रभु श्री राम ने हनुमंत को अपने सह्रदय गले लगाये। ये बजरंगली सीता जी लंका से लाने की कसम खाये, बानरी सेना हनुमान जी व श्रीराम का जयकारा लगाये। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह ...
मानव की मानवता
कविता

मानव की मानवता

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** मानव की मानवता का हो गया पतन, इसलिए बीमार है विश्व व सारा वतन। खो रहे है सभी अपने चयन व अमन, मानव ही ने किये सारे दूषित ये पवन। जंगल काट बनाये कारखाने व भवन, कोरोना बीमारी के जिम्मेदार है कवन। मानव आंक्सीजन के स्रोत करे गमन, कैसे बचाये मानव स्वयं का ये जीवन। प्राकृति से बधि है हमारी जीवन डोर, कोरोना ही कोरोना फैला चारों ओर। हे!मानव तुम हैवानियत को दो छोर, निकाल दो मन से छिपा है जो चोर। चल नहीं रहा है मानव का कोई जोर, हे! मानव मानवता ही धर्म-कर्म मोर। सच्चाई से मानव आप मुख न मोड़, प्राकृति से सच्चा रिश्ता लो तुम जोड़। लौट आयेगा सबका चयन और अमन, खुशहाल हो उठेगा अपना सारा वतन। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना...
हाय रे ये कोरोना
कविता

हाय रे ये कोरोना

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** कोई कहे ऐसा करोना, कोई कहे वैसा करो ना। कोई कहे यहाँ आओ ना, कोई कहे वहाँ जाओ ना। कोई कहे ये अब खाओ ना, कोई कहे ये आप पीओ ना। कवि कहे प्रकृति पर करे विश्वास, सभी लगाये प्रकृति से सम्पूर्ण आस। ये प्रकृतिक पेड़-पौधे है हमारी साँस, पेड़-पौधों पर आप सभी करे विश्वास। प्रकृति ही है सम्पूर्ण जीवन की आस, पीपल, अशोक, तुलसी से मिले साँस। पेड़-पौधे दे सबको आंक्सीजन मुफ्त, ये सम्पूर्ण शिष्टि के लिए होते उपयुक्त। ये जीवन यदि हम सभी को है बचना, हर एक को मात्र एक पौधा है लगाना। पेड़-पौधे को लगाने की ले जिम्मेदारी, तब जाकर जीवन बच पायेगी हमारी। चाहे कोई नर हो या कोई हो वो नारी, सभी ले मात्र एक पौधे की जिम्मेदरी। जिन्दगी को सभी करने चले बेहतर, पेड़-पौधे को काट बनाये अपना घर। अब सता रहा सबको जीवन का डर, चाहे वो गाँव हो या हो वो कोई शहर। चारों तरफ...
ये कोरोना बीमारी
कविता

ये कोरोना बीमारी

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** ये कोरोना बीमारी जो बनी महामारी, केवल मनुष्य पर क्यों पड़ रही भारी। इसके जन्म की व्यक्ति है जिम्मेदार, कोरोना इसलिए व्यक्ति को रहा मार। क्यो? जीव-जन्तु नहीं हो रहा बीमार, व्यक्ति स्वयं इस बीमारी का शिकार। इसमें क्या करे इस सृष्टि के रचनाकार, व्यक्ति स्वयं है बीमारी का जिम्मेदार। जब व्यक्ति कन्द, मूल व फल खाये, हर व्यक्ति हर वर्ष एक पौधे लगाये। इसके बदले में शीतल मंद हवाएँ पाये, सुखी व आनन्दमय वो जीवन बिताये। पीपल, आम, महुआ का पौधा लगाये, स्वादिष्ट, मीठे व ताजे-ताजे फल खाये। अब ज्यादा से ज्यादा लोग खाये गोश, इस बीमारी का दे किसको हम दोष। वातावरण में व्यक्ति ने प्रदूषण फैलाये, व्यक्ति खुद जीवन में बीमारी है लाये। लगा है जल्दी से करोड़पति बन जाये, दुनियाँ के सबसे धनी व्यक्ति हो जाये। हाय रे पैसा हाय! रे ह...
मित्रों सुने पैगाम हमारा
कविता

मित्रों सुने पैगाम हमारा

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** सुने प्रिय मित्रों एक पैगाम हमारा, देखो कोरोना देश में आया दुबारा। यदि जरुरी है आपको बाहर जाना, सामाजिक दूरी को जरुर अपनाना। घर में सैनेटाइजर को भूल न जाना, मुख पर मास्क अवश्य ही लगाना। अब न चलेगा आपका कोई बहाना, पड़ेगा नियम-निर्देशों को अपनाना। चाहते है आपको देना न पड़े जुर्माना, बिन मास्क लगाये बाहर नहीं जाना। जो व्यक्ति करेगा ज्यादा ही मनमानी, उसे है पुलिस के डंडे की मार खानी। तब पुलिस का डंडा याद दिलाए नानी, दुबारा ये व्यक्ति कभी न करे मनमानी। स्वयं को कोरोना बीमारी से है बचानी, सरकारी निर्देशों को पड़ेगी अपनानी। जो-जो अपनी ईमुनिटिपावर बढ़ाये, उसके पास कोरोना बीमारी न जाये। स्वयं बचे और परिवार को भी बचाये, बिना मास्क लगाये बाहर नहीं जाये। लांकडॉउन के नियमों को अपनाये, स्वस्थ्य, सुखमय आप जीवन बिताये। यही है कवि विरेन्द्र की...
होली गीत
कविता

होली गीत

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** इस साल की होली हम नये अंदाज में मनायेगे, झूमेगे-गायेगे गाल पर गुलाल सस्नेह व प्यार से लगायेगे। इस साल की होली हम नये अंदाज में मनायेगे, भिन्न-भिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान भी बनवायेगे। मित्रों के गाल पर रंग व गुलाल स्नेह व प्यार का लगायेगे, इस साल की होली हम नये अंदाज में मनायेगे। फूलों वाली होली मनाने राधे-कृष्ण के बरसाने हम जायेगे, इस साल की होली के त्यौहार को नये अंदाज में मनायेगे। झुमेगे-गायेगे, गोझिया-गुलगुला खायेगे और मित्रों को खिलायेगे, सभी मिल खुशी-खुशी होली को यादगार हम सब बनायेगे। इस साल की होली के त्यौहार को हम नये अंदाज में मनायेगे, झुमेगे-गायेगे रंग-गुलाल गोरे गाल पर प्यार से लगायेगे। इस बार की होली हम नये अंदाज में मनायेगे, इस साल की होली हम नये अंदाज में मनायेगे। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी...
महाशिवरात्रि
गीत, भजन

महाशिवरात्रि

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** चलो भक्तों शिव के शिवाले, शिवलिग पर जल चढ़ाले। शिव शंभू को मनाने शिवाले चले, चलो सभी चले जल चढ़ाने चले। चलो भोले बाबा को मनाने चले, शिवलिग पर सभी जल चढ़ाने चले। गंगधारी बम भोले को मनाने चले, चलो भोले भंडारी को मनाने चले। मस्ती में झूमते गाते नंगे पैर चले, चलो भक्तों त्रिपुरारी के धाम चले। सुबह चले, दोपहर चले और शाम चले, हम शिव-भक्त लगातार झूमते चले। आओ चले जटाधारी को मनाने चले, जब निकले, भोले का ही नाम निकले। भक्तों चले भोले-बाबा को मनाने चले, झूमते-गाते हम शिव के शिवाले चले। औघड़दानी को, भोले को मनाने चले, चलो शिव-भक्तों हम जल चढ़ाने चले। त्रिपुरारी, त्रिशूलधारी को मनाने चले, चलो भक्तों शिवाले जल चढ़ाने चले। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह ...
ऋतुराज बसंत
कविता

ऋतुराज बसंत

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** जब हुआ जग के सृष्टि का प्रारम्भ, जग के सृष्टिकर्ता है भगवान बह्म। खास रुप से मनुष्य की किये रचना, परंतु स्वयं को ही न जची ये संरचना। तब ब्रह्मा ने किया बिष्णु का आवाहन, जो प्रयोग करते गरुणपंक्षी का वाहन। विष्णु लिये शक्ति की देवी को बुलाये, शक्तिदेवी,विष्णु दिये नयी देवी बनाये। ये नयी देवी जीवो में वाणी दी जगाय, नव देवी माता सरस्वती देवी कहलाय। ये देवी धारण की अपने कर में वीणा, वो पलभर में हरती जगत की पीड़ा। वीणा बजाकर वीणावादीनी कहलाई, शारदे ने सबको ज्ञान का पाठ पढ़ाई। आज माँ सरस्वती की जाती है पूजा, शारदे के अतिरिक्त नाम न आये दूजा। हिन्दू मनाये बसंंत पंचमी का त्यौहार, बना के रखे अपना आपसी व्यवहार। प्रकृति बहुरंगी रुप धर सबको लुभाये, आम पेड़ की डाल पर बौर लग जाये। सरसों के पीले रंग देख मनमुग्ध हो भाई, लगे नयी दुल्हन पीली ओ...
बेटी
कविता

बेटी

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** आधुनिक बेटीयाँ पढ़ लिखकर छू रही आसमान, बेटी किसी की भी हो उनका करो हर समय सम्मान। आधुनिक समाज में दानव बनता जा रहा दहेज, दहेज का बढ़ता जा रहा कलयुग में तेजी से क्रेज। दुल्हन को सदा समझे पढ़े-लिखे युवा दहेज, अपने समाज से दहेज के दानव को दे दूर भेज। बेटियाँ होती सदा हर घर-परिवार का गहना, बेटियाँ मानती सदा परिवार के सभी सदस्यों का कहना। सभी बेटियाँ होती बहुत ही कीमती व अनमोल, समाज बेटियों को दहेज के रूप में दूसरों को देता तोल। शादी के बाद वही बेटी दूसरे परिवार में बहू बन के जाय, नित्य प्रतिदिन ससुराल में भी सबको पिलाये वह चाय। सभी बहु-बेटियों का समाज में करे मान सम्मान, दहेज के कारण किसी भी बेटी का न जाने पाये जान। देश, समाज की बेटीयों को बचाओ! मानव सृष्टि विलीन होने से बचाओ! परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस...
भारतीय संविधान
कविता

भारतीय संविधान

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** भारतीय संविधान है सर्वोच्च विधान, संविधान निर्माण पर दिये जो ध्यान। वे थे डाँ. भीमराव अम्बेडकर महान, उन्हे था संविधान का सम्पूर्ण ज्ञान। जिसने भारतीय संविधान को बनाये, वेअंबेडकर प्रधान वास्तुकार कहलाये। विश्व में सबसे लम्बा लिखितसंविधान, लिखा आ. भीमराव अंबेडकर महान। संविधान सभा में २६ नवम्बर १९४९ को किया पूर्ण रूप से पारित, २६ जनवरी १९५० को सम्पूर्ण रूप व प्रभावी ढंग से किया जारित। इसमें अंबेडकर ने सरकार के संगठन के सिद्धांत का किया वर्णन, इस निर्मित संविधान को भारतीय संविधान सभा ने किया धारण। इसमें कार्यपालिका,न्यायपालिका व विधायिका की रचना व कार्यों का वर्णन है विस्तारित, जिसका भारतीय संविधान सभा द्वारा किया जाता पारित। इसमें नागरिकों के साथ उनके सम्बंध, अधिकार तथा कर्तव्य के बारे में स्पष्ट है लिखा, परंतु हम सभी के बीच ...
कैसा रहा साल २०२०
कविता

कैसा रहा साल २०२०

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** २०२० की पहली रात खौफ आया, रात १२ बजे से पूरे देश को जगाया। जो वर्ष की पहली रात में सो जायेगा, सुबह वो स्वयं को पत्थर बना पायेगा। वर्ष के प्रारंभ में हुदहुद सुनामी आया, पूरे देश में वह अपना दहशत फैलाया। मार्च २०२० को कोरोना देश में आया, पूर्णरूप से विश्व में हाहाकार मचाया। माह बीतने जाने वाले को हैं अब दस, मैने अब तक एक भी बनाये नहीं बस। हम सभी आपस में मिल करते चरचा, धन्य ये कम्पनी जो दे रही हमें खर्चा। समुद्री तुफान भी त्रासदी खूब मचाया, हवाई अड्डे में ज्यादा पानी घुस आया। दिसंबर बीतने वाला है डियूटी के बिन, अभी तक नहीं बना कोरोना वैक्सीन। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां...
ठंढी की कहानी
कविता

ठंढी की कहानी

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** बेजुबान कढ़ाके ठंढी की कहानी, कई हजारों साल की है ये पुरानी। ठंढी के दिन की शुरुआत जब होये, सभी ढूढे अपने गर्म कपड़े जो खोये। किसान गेहूँ का बीज,खाद सब जोहे, कड़ाके की ठंढ़ में खेत में गेहूँ बोये। नंगे पाँव वह खेत में गेहूँ सिचने जाये, उसे ठंढ़ की चिंता बिल्कुल न सताये। ठंढ जनवरी में इतनी ज्याद बढ़ जाये, सूरज ठंढ में बर्फ का गोला बन जाये। पानी सब लोग पिये गरमाय-गरमाय, ठंढ में खीर-पूड़ी,पकवान सब खाय। गरम समोसा पैक करके घर ले आय, कई गरम जिलेबी दुकान पर ले खाय। कोई स्वैटर व जाकिट पहिन ठिथुराय, कोई उलेन का पैंट-शर्त रहा बनवाय। फिर भी सबको ठंढ रहा बहुत सताय, गर्मकर रहा हाथ कोई लकड़ी जलाय। फिर भी ठंढ नहीं रही किसी की जाय, पीये काफी कोई पीये चाय पर चाय। फिर भी ठंढ रहा सबको बहुत सताय, फिर भी ठंढ रहा सबको बहुत सताय। परिचय ...
जय जवान! जय किसान!
कविता

जय जवान! जय किसान!

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** जय हिंदुस्तान! जय किसान, आप हो भारतवर्ष की शान। आबाद रहे सदा देश हिंदुस्तान, हरा-भरा रहे सदा खेत-खलिहान। किसान को कर्ज लेने की नौबत न आये कभी, सुखी, खुशहाल व सम्पन्न किसान हो जाये सभी। किसानों को समय से सही कीमत में बीज व खाद मिले, जिससे खेतों में समय से बोकर किसान का चेहरा खिले। लहराती फसलों को देख हर किसान खुशी से झूम उठे, बदहाली व भूखमरी से हमेशा-हमेशा के लिए पीछा छुटे। देश किसानों के लिए ऐसी कृषि विकास की योजना लाये, जिससे किसान की हालत अच्छी हो एवं आय बढ़ जाये। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रका...
कार्तिक पूर्णिमा
कविता

कार्तिक पूर्णिमा

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** कार्तिक पूर्णिमा स्नान का दिन है भाई, चलकर अयोध्या सरजू नदी में लो डूबकी लगाई। व्यक्ति के जीवन का सब पाप धुल जाय, जो लेगा पवित्र नदी गंगा में नहाय। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के नाम से भी प्रसिद्ध है भाई, वाणारसी में आज ही गंगा घाट पर देव दीपावली जाय मनाई। शाम के समय दीपक जलाकर गंगा जी में प्रवाहित किया जाये, देश-विदेश के लोगों का मन गंगा घाट की मनमोहक दृश्य लुभाये। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाये, आज के ही दिन भगवान भोलेनाथ से त्रिपुरासुर का अन्त हुआ भाये। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में जो नहाये, उसके जीवन सम्पूर्ण पाप व कष्ट दूर हो जाये। आज ही के दिन सिख धर्म के गुरु नानक देव का जन्म मनाया जाये, इनके जन्म दिन को प्रकाशोत्सव के रूप में भी जाना जाये। सिख धर्म के लोग गुरु ना...
जय जवान जय किसान
कविता

जय जवान जय किसान

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** जय जवान जय किसान हरा भरा जो करे खेत और खलिहान, यही है देश के सच्चे किसान की पहि चान। देश में नहीं है पानी की कमी, फिर भी क्यों सूखी रहती देश की जमी। जिसे जानना है वो जाने, जिसे पहचानना हो वो पहिचाने। किसान ही उपलब्ध कराये देश को खाने के दाने, जो खेती-बारी हैं देखे, वही किसान को पहिचाने। किसान देश का है अन्न-दाता, लेकिन खुद भूखा है रह जाता। कर्ज के बोझ के तले वह है दब जाता, फिर भी किसान का देश व परिवार से है अटूट नाता। किसान धरती माँ का बेटा कहलाता, किसान का ही बेटा देश की सीमा पर सैनिक बनके है जाता। वह सहर्ष देश की रक्षा में अपने को कर देता कुर्बान, गर्मी हो या सर्दी आधी हो या तुफान। करते देश की सेवा देकर अपनी जान, क्या देश उनको दे पाता पूरा इज्जत व सम्मान। जो दे देते हंसते-हंसते अपने देश के लिए जान।। कहाँ है वे देश के लाल...
मिट्टी की दीया
कविता

मिट्टी की दीया

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** मिटटी की बनी ये जो कुम्हार का दीया है, हमारी सांस्कृति तथा परम्परा को जीवित किया है। दीया हमारी सास्कृति विरासत की ढाल है, तमसो मां ज्योति की कायम मिसाल है। मिट्टी की दीया हम भारतीय की पहली पसंद है, आधुनिक युग में भी दिया का प्रयोग नहीं बंद है। दीये से आती हमारी मातृ भूमि की सोधी-सोधी सुगंध है, हम सब का इस दीये से बहुत पुराना सम्बंध है। दीयों का पर्व मन भावनी दीपावली आई है, हर घर-घर की सफाई और रंगाई कराई है। टूटे-फूटे पुराने बर्तनों को नये में बदलवाई है, मिट्टी के दिये हम सभी के मन को लुभाई है। माताए और बहने मिट्टी के दीये खरीद कर लाई हैं, घर को खूब अच्छे से खूबसूरत सजाई हैं। मिट्टी के दीये से अपने घर में प्रकाश फैलायेगी, दीपावली के पावन पर्व को हँसी-खुशी मनायेगी। दीपावली दीपो का पर्व बहुत नजदीक है, ये मिट्टी के दीये हमारी...
दीपावली त्यौहार
कविता

दीपावली त्यौहार

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** दीपावली त्यौहार का आगमन आने वाला दीपावली का त्यौहार है, वीरेन्द्र यादव का सादर नमस्कार है। जो दीपावली का त्यौहार आ जाये, सबके चेहरे पर खुशियाँ छा जाये। दीपावली के बोनस का सबको है इन्तजार, देखों आने वाला है दीपावली खुशियों का त्यौहार। जो दीपावली का बोनस सबका आ जाये, सबका मन प्रसन्नऔर प्रफुल्लित हो जाये। दियों की रोशनी से सज जाता हमारा घर-द्वार, हम एक-दूसरे को खुशी-खुशी बांटते हैं उपहार। यह त्यौहार भाई-चारे का सौहार्दपूर्ण व्यवहार बनाये, एक-दूसरे को गले से गले मिलना सिखलाये। सब बच्चे मिल फुलझडियाँ छुडाये, खुशी-खुशी एक-दूसरे को मिठाई खिलाये। इस त्यौहार में जो करे पटाखो से मनमानी, उसको वो याद दिला दे उसकी नानी। जो पटाखे फोड़ने से पहले पास रखे पानी, वही है सच्चे व अच्छे माँ-बाप होने की निशानी। हम इस दिन बच्चों को बिल्कुल नहीं डा...
हाय रे पैसा
कविता

हाय रे पैसा

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** पैसे के लिए तु दिन-रात काहे को जागे, पैसे के पीछे काहे बार-बार तु भागे। माना कि तु पैसे से बढ़ जाता सबसे आगे, काहे तुमने छोड़ दिये पैसे के कारण मानवता के रिस्तेऔर धागे। काहे तु बार बार पैसे के पीछे भागे, काहे तु पैसे के लिए दिन-रात जागे। माना कि पैसे से तु बन जाता धनवान, फिर भी इस दुनिया में सबसे बड़ा है भगवान। काहे तु पैसे के लिए अधर्म पे अधर्म करता जाये, सबसे बड़ा है मानव धर्म तु उसको काहे को भुलाये। मानव तु पैसे के लिए दिन-रात जागे करता हाय-हाय, एक दिन सब कुछ छोड़ के चल दोगे करके टाटा बाय-बाय। काहे तु पैसे के पीछे भागा जाये, काहे तु पैसे के पीछे भागा जाये। अति से किसी का कभी भी हुआ नहीं भला, दिन-रात मानव तु पैसे के पीछे-पीछे क्यू चला। अति भला न पैसे कमाना,अति भला न पैसे का खर्चाना, अति तुम कभी किसी का करना ना, न...
नेत्रदान महादान
कविता

नेत्रदान महादान

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** दस जून को हर साल मनाया जाता दिवस नेत्रदान, साधरण व्यक्ति नेत्रदान करने से हो जाता महान। नेत्रदान है व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा दान, नेत्रदान कराता है मानवता धर्म का ज्ञान। यदि दुनियाँ से जाने के बाद भी अमर रहना चाहता है इन्सान, तो संकल्प लें मृत्यु के बाद करेगा नेत्र- दान। तू हो जायेगा इतिहास में अमर व महान, यदि तू मृत्यु के बाद मानव करेगा नेत्र- दान। केवल दुनियाँ को अनुभव करने वाला इन्सान, कर पायेगा तेरी आँखों से दुनियाँ का दर्शन व पहिचान। तुम हो जाओगे इस संसार में व्यक्ति महान, तुम्हारी होगी तब तक दुनियाँ में गुण- गान। जब तक जिन्दा रहेगा वह नौजवान।। चले जायेंगे जब इस संसार से कफन ओढ़कर , हमारे बाद हमारी नेत्रदान की गई आँखे देखेगी दुसरे की ज्योति बनकर। आओ नेत्रदान करने का मृत्यु के पहले संकल्प करें, मृत्यु के बाद दिव्या...
तुम कहाँ हो?
कविता, भजन

तुम कहाँ हो?

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** माँ तुम यहाँ हो कि वहाँ हो, माँ तुम इस संसार में कहाँ-कहाँ हो। मैने सुना माँ तुम इस संसार के कण-कण में हो, माँ तुम कहाँ हो, माँ तुम कहाँ हो। माँ करके सिंह सवारी, माँ लगे सारे संसार को प्यारी। माँ पहने चुनर-साड़ी, जग को लगे तू माँ प्यारी। माँ तुम्हे पूँजे जग के सब नर-नारी, तुमपे वारी-वारी जाये ये जनता सारी। पंडित जी लो मैया की नजर उतारी।। कोई बेचे माँ गली-गली घूम-घूम तरकारी, कोई करे माँ की कृपा से नौकरी सरकारी। मुझे चाहिये माँ कृपा तुम्हारी, सदा बनी रहे हमारे ऊपर दयादृष्टि तुम्हारी। माँ तुम यहाँ हो माँ तुम वहाँ हो, माँ तुम सारे जहाँ के कण-कण में हो। माँ तुम हर गाँव-गाँव और शहर-शहर में हो, माँ तुम हर एक के मन मंदिर में हो। माँ तुम इस नौरातम में गली-गली डगर-डगर के पंडालो में सजी हो, हर गाँव-गाँव शहर-शहर में माँ तुम्ही ही तुम्ह...
दुल्हन ही दहेज है
कविता

दुल्हन ही दहेज है

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** वास्तव में दहेज का अर्थ स्वेच्छा से दिया गया उपहार होता है, लड़की के मां-बाप का उस उपहार में स्नेह और प्यार होता है। समाज के कुछ लोभी और लालची ने स्नेह व प्यार के उपहार को व्यापार का बना दिया, भारतीय समाज में दहेज रुपी अभिश्राप फैला दिया। देश के कानून ने दहेज लेना व दहेज देना दोनों अपराध बना दिया, फिर भी समाज ने इसे देना-लेना बन्द नहीं किया। मानव तुने अपने ही समाज में ये कैसी कुप्रथा फैला दिया, दहेज लोभी को अपनी बेटी देकर उसको आत्महत्या करने पर विवष कर दिया। हर व्यक्ति की मानसिकता को इस समाजिक कुप्रथा ने बदल दिया, बहुमुल्य उपहरो के साथ बहू घर में आई तो समाज ने अच्छा मान-सम्मान बढ़ा दिया। मेरी बहू महंगे-महंगे उपहार घर में लाई है, समाज में मेरा मान-सम्मान बढ़ाई है। जबकि घर बहू के अच्छे संस्कार व कुशल व्यवहार से चलता है, ...
कोरोना से बचाव ही ईलाज है।
कविता

कोरोना से बचाव ही ईलाज है।

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कर लो आप सर-सफाई, स्वंय और परिवार को लो कोरोना बीमारी से बचाई। सर्वप्रथम घर के रोज उपयोग वाली चीजों का करोआप रोज-रोज सफाई, तभी आप और आपका परिवार का कोरोना बिमारी से बचाव हो पाई। स्कूल-कालेज वाले करावे रोज सेने-टाईजर का छिड़काव और सफाई, समाजिक दुरी बना के करे सावधानी से पढ़ाई। कोरोना बिमारी उसको कभी न लगे भाई, जो कोई करे रोज-रोज सर-सफाई। सर्वप्रथम अपने घर-परिवार के प्रति सकारात्मक सोच रखे भाय, सभी को दो कोरोना संक्रमरण से बचाव के उपाय से अवगत कराय। जो कोई नातेदार-रिस्तेदार घर आय, आप दो कोरोना से बचाव के उपाय समझाय। पड़ोसियो से मिल कोरोना से उतपन्न आपातकालीन स्थिति का योजना लो बनाय, कोरोना संक्रमित या बीमारो की सूची लो बनकर औरलोगों को दो अवगत कराय। अगले कुछ दिनों तक कोरोना संक्रमित से मिलने ...
आधुनिक मानव
कविता

आधुनिक मानव

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** पूर्व मानव समाज में एकता गाव-गाव घर-घर रहे भाय, दादा बाबा के समय में पिता जी अकेले कमाय। एक बड़ा परिवार का खर्चा पिता जी के कमाने से चल जय। एक दूसरे के दुख-सुख को रहे मिल-जुल बटाय। दस पंद्रह सदस्यों का भोजन एक जगह रहे पकवाय। कृषन सुदामा के बचपन के मित्रता को कभी नहीं दिये भुलाय। द्वारिकाधीश होने पर भी सुदामा को लिए गले लगाय। आधुनिक मानव तुने ये मानव समाज दिये कैसा बनाय। आधुनिक मानव कितना मतलबी हुआ जाय। अपने बड़े-बड़े घर को दिये तुने चिड़िया का घोसला बनाय। बिन स्वार्थ के कोई किसी का हाल-चाल भी न पुछे भाय। आधुनिक मानव तू कितना मतलबी हुआ जाय। माँ-बाप को तूने क्यो दिया भूलाय। जो माँ-बाप तुम्हे बड़ी मेहनत से पढ़ाय। पल भर में तुमने क्यो दिये भूलाय। मानव तुने आधुनिक मानव समाज ये कैसे दिये बनाय। एक-दूसरे मित्र की मित्रता को दिये...
ज़िन्दगी
कविता

ज़िन्दगी

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** ज़िन्दगी जिन्दगी एक उददेश्य होती है, बिन उददेश्य की जिन्दगी बेकार होती है। जिन्दगी धूप होती है , जिन्दगी छाँव होती है। जिन्दगी में एक सपना होता है, कोई अपना होता है। कोई पराया होता है, कोई रिश्तेदार होता है। कोई दोस्त-यार होता है, कोई ना समझ और कोई समझदार होता है। कोई जिन्दगी में मझधार में रोता है, कोई पहुँच के उस पार हँसता है। जिन्दगी सुखों-दुखों का संगम है, हमको आपको चलते रहना हरदम है। जिन्दगी प्यार का गीत है हर एक को गुनगुनाना पड़ेगा, जिन्दगी गम का सागर भी है हर एक को उस पार जाना पड़ेगा। परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय...