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Tag: विकास गंगराड़े

कड़वा सच
कविता

कड़वा सच

********** रचियता : विकास गंगराड़े जब फैली हो चारो और बुराई, तो अच्छाई को जगह कहां  मिलेगी | इस बेमतलब की झूठी दुनिया मै, सच्चाई को जगह कहां  मिलेगी || . एक सच्चे इंसान को जिंदगी गुजारने के लिए, चाहिए  सुख  शांति की जगह | मगर इस खून-खराबे-आतंकवाद की दुनिया मै, जिंदगी को भी जगह कहां मिलेगी || . अपनी इच्छाओ को पूरा करने के लिए इंसान, जा रहा है अंधकार गहरे कुऐं मै | जहां पर एक कतरा रोशनी नहीं, वहां उजाले को जगह कहां मिलेगी || . आज दोस्त-दोस्त से भाई-भाई से बेटा-माँ से पिता खुद की लड़की से कर रहा है खिलवाड़ | अगर मन और आत्मा को ही तुम बना लोगे हैवान, तो भगवान को भी जगह कहां मिलेगी || . कहता हूँ मै कड़वी बातें, क्यूकि सच तो हमेशा कड़वा ही लगता है | बदल लो तुम आज  अभी अपने विचार, क्यूकि दोबारा जिंदगी तुम्हें भी कहां मिलेगी || . लेखक परिचय :-  नाम - विकास गंगराड़े निवास - इंदौर मध्यप्रदेश ...