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प्रेम
कविता

प्रेम

विकास कुमार शर्मा गंगापुर सिटी (राजस्थान) ******************** प्रेम- १ शक्कर की तरह घुलना और मिठास दूसरों को देना है प्रेम। शिव की तरह विष पीना और मुस्कुराना है प्रेम। प्रेम- २ मेले में कुछ ना खरीदना तवे पर जलती हुई उंगलियों को याद करना और हामिद के द्वारा अपनी अम्मा के लिए चिमटा खरीदना है प्रेम। काबुली वाले के सूखे मेवे और मिनी का प्रतीक्षा रत रहना है प्रेम। प्रेम- ३ भक्ति भाव में डूबी हुई प्रेम दीवानी मीरा का इकतारा, कृष्ण की मुरली गोपियों की दही की हांडी और राधा का उलाहना है प्रेम। परिचय :- विकास कुमार शर्मा निवासी : गंगापुर सिटी (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करव...