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कृषि पुत्र
कविता

कृषि पुत्र

वाणी ताकवणे पुणे (महाराष्ट्र) ******************** ना है उनको वस्त्र का भान ना है कोई भी अभिमान लहू से अपने सिचतें खेती अनाज उगाने में लगा दी जान भारत माँ के है कृषि पुत्र अन्नदाता यह हमारे भगवान ना है लालसा कभी पैसों की खुशियाँ देना है इनका दान हर मौसम में कष्ट उठायें निस्वार्थ है हमारे ये किसान आशीर्वाद है अन्नपूर्णा का इनपर पालनहारे यह हमारी है शान परिचय :- वाणी ताकवणे निवासी : पुणे (महाराष्ट्र) वर्तमान में : शिक्षिका, कवि, गीतकार और लेखिका साहित्यिक योगदान : "बंधन", 'श 'से शायरी, "क्वीन ऑफ होम", "Treasure and Rainbow", "दिल ढुंढता है", "ऊन दिनों की बात" नामक किताबों में सह लेखिका घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय ए...