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तुम आओगे बस आंखों में ये ख्वाब पालते रहते हैं
कविता

तुम आओगे बस आंखों में ये ख्वाब पालते रहते हैं

********** वंदना शर्मा झालावाड़ (राजस्थान) यादों का बिछौना करके हम, दिन -रात तड़पते रहते हैं। तुम आओगे बस आँखों में, ये ख्वाब पालते रहते हैं।। माना कि मैं सुन्दर तो नहीं, तुम चाहो जिसे मैं वो भी नहीं। मैं मीराँँ सी दीवानी नहीं और गोपियों सी मस्तानी नहीं। फिर भी मन-मंदिर में प्रियतम, हम तुझे सजाते रहते है।। तुम भूल गए उन यादों को, पहली बरसात की बूँदों को । वो मिलना -जुलना छुप-छुपकर, सावन के प्यारे झूलों को । हम आज तलक उन झूलों पर, बस तुम्हें झुलाते रहते हैं।। तुझको जो दिए उन वचनों पे, अब तक भी यार समर्पित हैं। सास-ससुर ,परिवार की सेवा, में हर स्वाँस समर्पित है। तुझको जो थी कसम सदा, हम दिल से निभाते रहते हैं।। आँखों के अश्रु जमते गए, जम जमकर प्रिय पहाड़ बने। इस पर्वत से नदियां निकलेगी ,और बाड़ कहीं आ जाएगी । बनके मोरनी बिलख-बिलख बादल को निहारा करते हैं।। हम भोर सँवर कर के प्रियतम, हर रोज...