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Tag: ललित शर्मा

डिजीटल पर मानव अटल
कविता

डिजीटल पर मानव अटल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आज का आधुनिक युग मानव कदापि रहा न रुक बेहिसाब काम के बोझ में डिजीटल में गया खुद झुक ।। डिजीटल क्या आ गया युग का दैनिक बदला काम कर लिया सब खूब आसान खूब बदल लिया काम ।। डिजीटल पर भरोसा फर्स्ट डिजीटल पर खूब है व्यस्त डिजीटल प्यारा घर परिवार सगे सम्बन्धी पड़ोसी का कोरा दिखावटी है स्नेह प्यार ।। है डिजीटल कहता है मानव खुद खुश व्यस्त और मस्त कौन है अपना कौन पराया डिजीटल का है स्वाद पाया मानव का मन डिजीटल ने चुंबक से ज्यादा चिपकाया ।। दुख सुख की सारी चिंता का डिजीटल को दुख दर्द बताया दुनिया में मानव खुद मानव से जिंदगी को डिजीटल है बनाया ।। शिक्षित क्या अशिक्षित कलम कागज छोड़ा हाथ के बजाय सबकुछ डिजीटल के भरोसे नोकरी व्यापार कारोबार डिजीटल से उपार्जन रोजगार दो जून रोटी जुगाड़ करने समूचा रिश्ता न...
गांधी व स्वच्छता
कविता

गांधी व स्वच्छता

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** देश के हर कोने में, जागरूकता में जारी स्वच्छता का वृहत अभियान गाँधीजी के जन्मदिन पर, तूल पकड़ रहा जोरो पर देशभर के हर कोने कोने में स्वच्छता का वृहत अभियान देशवासियों ने हर जगह बढ़ा दिया स्वच्छता का मान सन्मान, स्वच्छता की कमी न रखने का किया जा रहा है, गांव से शहर तक देशभर की जनता में ऐलान जारी है जारी रखो स्वच्छता का यह वृहत अभियान गाँधी जी स्वयं स्वच्छता में बढ़चढ़कर खुद समर्पित रहकर किये योगदान देशवासियो ने अब समझ लिया गाँधी जी ने बताया चलाया स्वच्छता का कितना आवश्यक है काम स्वच्छता का यह वृहत अभियान चपरासी से अधिकारी जुड़कर सफल बना रहा है झाड़ू पकड़कर देशव्यापी स्वच्छता का सफल स्वच्छता का यह वृहत अभियान गाँधी जी के जन्मदिनपर हर गली मोहल्ले में चलता है यह अभियान जोरो पर जुटते है हर तबके के ल...
आत्मशुद्धि कराता दसलक्षण ब्रत
भजन

आत्मशुद्धि कराता दसलक्षण ब्रत

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आत्मशुद्धि की पवित्रता का आता हर वर्ष दशलक्षण पर्व दस सोलह बत्तीस दिन भक्तिभजन सत्संग ध्यान में एकाग्रता में लीन कराता दशलक्षण व्रत पर्व तनमन से व्रत का पालन अन्नत्याग कर आंतरिकता से आध्यत्मिक भक्ति में आत्मशुद्धि की शक्ति खूब लाता अन्तर्मन के रग रग में दसलक्षण पर्व भाद्र पद का पवित्र महीना आराधना, उपासना और बन जाता साधना का आत्मशुद्धि की शरण में सिखलाता जीवन जीना सबजन को सिखलाता कितना है नियम कठिन बतलाता दसलक्षण पर्व अनर्गल आपाधापी त्यागकर अपनेआप को करता एकांत रहना है भक्तिभजन नियम में नियम धर्म की संगत में खुद हो जाता शांत ब्रत उपवास पालन करता मनाता दसलक्षण पर्व छोड़कर मोहमाया काया को देता आराम त्यागकर अंधाधुंध भागदौड़ ब्रत करता अन्तर्मन से ईश्वर से आत्मशक्ति की विनती करता कहता सफल...
हिंदी पखवाड़ा
कविता

हिंदी पखवाड़ा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सितंबर का यह महीना लो फिर आ गया भाई हिंदी दिवस, खूब मनेगा फिर नई खुशी फिर छाई सबका होगा फिर जमकर जमावड़ा जमकर हिंदी का मनुहार होगा जमकर चलेगा पखवाडा विकसित करने को हिंदी कामयाब करेंगे पखवाडा दिवस हिंदी पर लगाया जाएगा समृद्ध करने का गहरा झाड़ा हिंदी के समृद्ध की गहराई तनमन से ढूंढी जायेगी खुशियां अन्तर्मन में खूब जोरों पर हिंदी को प्रचारित प्रसारित की लहरायेगी हिंदी की तरक्की में दिमागी कसरतें नई नई तरकीबें कागज कलम में पखवाड़े में लिपिबद्ध होती आएगी हिंदी दिवस मनाने की याद दिल में सबजन को सितंबर में अक्सर सताती है कार्यशाला गोष्ठी प्रतियोगिता खूब दिलचस्प कर दी जाती है जमकर होता है आयोजन हिंदी को मजबूत करो हिंदी विकसित करो बोलो हिंदी करो समृद्ध जमकर भाषण में सारी बातें सबजन उठाते है जन ...
शिक्षक ज्ञान का संसार …
कविता

शिक्षक ज्ञान का संसार …

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** जब था हमारा विद्यार्थी जीवन विद्यालय जाने की चढ़ती धुन समय शिक्षक संग बिताते थे हम मित्रों और शिक्षको के संग कैसे हंसी खुशी बीत जाता बचपन कक्षा में बैठकर पढ़ने में लीन होने की धुन कभी नहीं होती थी हममें कम पढ़ने की चढ़ती थी उमंग तरंग कतार में खड़े होकर नियमित प्रार्थना गाते थे हम तनमन से शिक्षक के समक्ष कुर्सी पर बैठ जाते थे हम घण्टी बजते ही शिक्षक खाता लेकर कक्षा में आते आते ही सम्मान करते, खड़े हो जाते हम हाजरी वे सबसे पहले लगाते, अपनी उपस्थिति हम बताते बचपन में वो हमें अक्षर ज्ञान के पाठ सिखने को संग बिठाते, पढ़ाने में लीन कराते अन्तर्मन से अक्षर बचपन में खूब समझाते पढ़ने की हर जिज्ञासा को पल में अन्तर्मन में रमाते रटा रटा कर लिखना पढ़ना हम बच्चो को खूब सिखाते नए नए ज्ञान की नितप्रतिदिन जीवन घुं...
आजादी पाने को
कविता

आजादी पाने को

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आजादी पाने को देशवासियों की ताकत कभी नहीं थी डगमगाई देश की खातिर लड़ने को देशवासियो ने क्रांति बढ़ाई आजादी की एकता आई देशवासी लड़े आजादी की लम्बी लड़ाई।। देश की खातिर मर मिटने की देशवासियो ने हिम्मत बनाई हौसले बढ़ाकर लड़ने की देशवासियों ने सचमुच कसम खाई और लडने की ताकत दिखलाई।। देश के हर कोने में जागरूकता देशवासी ने खूब फैलाई गुलामी की लड़ाई में बुनियाद मजबूत बनाई कंधा से कंधा मिलाया देशवासियों में नया जोश आया आश्चर्यजनक हिम्मत आई मन मस्तिष्क बाजुओं में गुलामी से मुक्त होने की अटल जिद्द चली आई अंग्रेजो के खिलाफ कमजोर नहीं कामयाबी की राह मजबूत बनाई।। गुलामी से आजादी पाने की कूट -कूट भरी थी अद्भुत शक्ति कठिन डगर कठिन सफर थी वो घड़ियां चारो पहर समस्या थी तमाम विचारधारा थी देशवासियों में समान ...
बढ़ती दुनिया
कविता

बढ़ती दुनिया

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आज का आधुनिक युग डिजीटल युग में बेहिसाब सा बदल गया बेहिसाब लोगों का बेहिसाब दैनिक कामकाज डिजीटल युग की प्रक्रियाओं में सरल कर रहा डिजीटल का भरोसा बढ़कर सम्पर्क अब खूब बढ़ सा रहा कामकाज का रूप बेहिसाब सबका एक नया अध्याय खड़ा कर रहा डिजीटल की दुनिया में कामकाज का नमूना खूब बदल गया शिक्षित क्या अशिक्षित हाथ से लिखने की आदत से हट रहा कामकाजी रूप को डिजीटल खूब कर रहा हाथों के कामकाज को विराम करने में भलाई समझ रहा डिजीटल के भरोसे दैनिक काम मानव खूब लगन से कर रहा कलम पकड़ने का मन प्रायः लोगो का नहीं रहा कागज में लिखने का प्रायःमन हट सा गया डिजीटल में मानव कामकाज का रूप खूब सरल करता ख़ुद स्मार्ट और डिजीटल कर रहा समय की बचत करता डिजीटल में मानव का सबसे सम्पर्क चंद मिनट में हो रहा रोजगार पर्यटन व्या...
शिक्षा की गहराई
कविता

शिक्षा की गहराई

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** शिक्षा में ही है अनन्त ज्ञान की  गहराई यह बुनियाद जिसने है मजबूत   बनाई समझ, बुद्धि, बढ़ी, चिंताएं नहीं   सताई  शिक्षित से प्रगति खुशियाँ महक  आई जीवन में अति उत्कृष्ट है    शिक्षाज्ञान पढ़लिख कर अर्जित करे   शिक्षाज्ञान दिलाती बढ़ाती सन्मान      शिक्षाज्ञान उजियारा का दीप जलाती  शिक्षाज्ञान शिक्षित जीवन से ही सर्वोत्तम   आराम जाति समाज देश का खूब कराता ज्ञान अनन्त सुख समृद्धि में कराता पाठदान दीपक बुझे नहीँ शिक्षा का पाएँ सन्मान कोई ना राखे कभी कहीं   त्रुटि उत्तम ज्ञान है शिक्षा की    घुंटी बाल्यकाल जीवन से ही    बूंटी राहत की यही है संजीवनी बूंटी पिलाने का सर्वजन रचाओ   संसार खुलेमन से सब मिलकर करें  प्रसार शिक्षितजनों का बढ़े विस्तृत   संसार खोले अनपढ़ अवरुद्ध शिक्षा का द्वार शिक्षा की रोशनी से करे ...
आईना दिखाती कविताएँ
कविता

आईना दिखाती कविताएँ

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आईना दिखलाती कविताएँ अलंकृत शब्दों के भावों में रचती जाती कविताएं कवियोँ के कोमल हृदय से भावों में भर जाती कविताएं बैठे बैठे सोचते सोचते कवियों की कलम से लिख ली जाती है कविताएं भावों से भरी रहती अन्तर्मन को छू जाती है कविताएं समाज देश जाति में शब्दों की भाषा में आईना दिखलाती कविताएं समस्तजनो को रसास्वदन कराती है कविताएं प्रकृति से प्रेम करने की पथ प्रदर्शक बन जाती कविताएं बुराइयों से मुक्त रहने की विचारधारा बढ़ाती कविताएँ संस्कृति शिक्षा भाषा कला का बेबाक ज्ञान दिलाती कविताएं उदासीनता तोड़कर हंसाती है कविताएँ हंसने हंसाने मुस्कुराने की जड़ी बूंटी बन जाती कविताएँ रसों में रसदार फल से ज्यादा रसपान कराती कविताएँ सुधारने के आयाम बताती है कविताएँ बैचेन को चैन देती है अनमोल कविताएँ संपर्कता की सीढ़ी त्वरित र...
तलाश सच्ची खुशी की
कविता

तलाश सच्ची खुशी की

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** तलाशने चले खुशियां, पर कोसों दूर निकल पड़ी और हुई चूर, जीवन में चकनाचूर सी जीवन की खुशियां मिलने जुलने की रीत प्रीत बिना हुई जीवन में अंधकार सी जीवन की खुशियां आज मानव भटकती जीवनशैली में जीवन की मिलनसारिता के अभावों पर अद्भुत द्रष्टा देता दर्शाता अक्सर पूछता है खुद से हूँ व्यस्त जरूर जीवनशैली में कब कहाँ कैसे किस मोड़ पर मिलेगी सच्ची खुशियां उदासीनता सी झुलसियां में आपा-धापी के चकाचोंध चेहरे में मुस्कुराहटें ले ली करवटें झलकती झुलसियां और उदासीनता गुल बस हुई तो, बस हृदयानंद की खुशियां बांधे अनर्गल बोझ का सेहरा गवांकर मौका सुनहरा पूछता है मानव ओरों से कहाँ छुपी है कहाँ बिछुड़ी जीवन की खुशियां अनमोल खुशियां जुटाने की हिम्मत तलाशते तलाशते अन्तर्मन से सिमटती सिमट रही अनमोल अन्तर्मन की...