माँ की गोद में
रोहित कुमार विश्नोई
भीलवाड़ा, राजस्थान
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गरम पानी से नहलाकर ठण्ड में
माँ का हमें ऊपर ही धूप में बैठाना,
दीवाली की छुट्टियों में
सारे बिस्तर-कपड़े ऊपर सुखाना।
सर्दी की छुट्टियाँ के अन्धेरे रजाईयों में
और उजाले छतों पर बिताना,
जाड़े में ही स्कूल में भी मेडम का
छत पर ही क्लास लगाना।
एसी-हीटर वाले कमरे और
उनकी आलीशानता
अब हमारी यादों को बाहर बुहारती हैं,
घर की छत आज भी
पुराने दिनों को पुकारती है।।
दिल करता है ले आऊँ
एक बड़ी वाली सरसों के तेल की शीशी
बाजार से
और बोलूं माँ से
कि लो कर दो चम्पी और मालिश
अपनी गोद में मेरा सर रखकर,
जिन्दगी को फिर से जी लूँ मैं
माँ की गोद में
अपने उसी बचपने की छत पर।।
परिचय :- रोहित कुमार विश्नोई
स्नातकोत्तर - हिन्दी विषय (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा-उत्तीर्ण)
स्नातक - कला संकाय (हिन्दी, इतिहास, राजनीतिक विज्ञान)
स्नातक - अभियान्त्रिकि (यान्त...