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Tag: रुमा राजपूत

जीवन का खेल
कविता

जीवन का खेल

रुमा राजपूत पटियाला पंजाब ******************** कुछ खोना है, कुछ पाना है। जीवन का खेल, पुराना है। जब तक सांस, चलेगी हम में, हम को चलते, ही जाना है। यह झूठ का, ज़माना है। यहां सच्च को, दबाया जाता है। जब तक सच्च, बोले तो हम को, मार ही खाना है। कुछ खोना है, कुछ पाना है। जीवन का खेल, पुराना है। यह मुकाबला का, ज़माना है। यहां हारना और, जीतना है। जब तक सांस, चलेगी हम को, संघर्ष करते रहना है। कुछ खोना है, कुछ पाना है। जीवन का खेल, पुराना है। यहां कुछ ऐसे, प्राणी मिलते हैं। जो प्रेम भाव, से रहते हैं। जब तक प्रेम, भाव रहेगा। नफ़रत खत्म, होते जाना है। कुछ खोना है, कुछ पाना है। जीवन का खेल, पुराना है। जब तक सांस, चलेगी हम में, हम को चलते, ही जाना है। परिचय :- रुमा राजपूत निवासी : पटियाला पंजाब घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
बाल विवाह
कविता

बाल विवाह

रुमा राजपूत पटियाला पंजाब ******************** एक नन्ही सी कली। एक गांव में पली। घर की अट इक लौटी बेटी, जहां बाल-विवाह की प्रथा चली। हो ग‌ई थोड़ी-सी बड़ी, आ गई मुसीबत की घड़ी। गुड़िया के साथ खेलती, अपनी सखियों के साथ, रहती कुछ न बोलती, जो कहते, वो करती। दस वर्ष की आयु में, बैठा दिया विवाह के मंडप में, खेल कहकर करा दिया विवाह, उस लड़के के साथ में दोस्त कहकर। भेज दिया माता-पिता ने अपनी बेटी को, जहां नहीं जानती थी किसी को, कह दिया माता-पिता ने अपनी बेटी को, मिलेगी बहुत खूब सारी खुशियां तुझ को। पता नहीं थी उस को कोई दुनियादारी, जो सौंप दी इतनी बड़ी जिम्मेदारी। कर दी उसकी शादी, हो गई जिंदगी की बरबादी। परिचय :- रुमा राजपूत निवासी : पटियाला पंजाब घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...