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Tag: राम स्वरूप राव “गम्भीर”

देश का पर्व
कविता

देश का पर्व

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** शपथ करेंगे आन करेंगे, वूथ पे जा मतदान करेंगे। पाँच वर्ष का कुंभ ये पावन, हम इसमें स्नान करेंगे। लोभ न लालच धौंस न धमकी, केवल होगी अपने मन की। लगा मुखौटे करें याचना, होगी न बस उनके मन की। योग्य व्यक्ति संधान करेंगे पाँच वर्ष का कुंभ ... हम जाऐं दो संग ले जाऐं, दिव्यांगों के मत डलवायें। उनको कोई मोल न ले ले, मत का मूल्य उन्हे समझायें। पुण्य सहित श्रम दान करेंगे। पाँच वर्ष का कुम्भ ये ... एक वोट की कीमत भारी, एक वोट होता चिंगारी। खुशहाली और बरबादी में एक वोट की जिम्मेदारी। हम सबसे आह्वान करेंगे पाँच वर्ष का कुंभ .... उंगली न दिखलाए कोई, वोट नहीं डाला है तुमने। सबको उंगली तुम दिखलाना, मत का दान किया है हमने। दूर सभी व्यवधान करेंगे। पाँच वर्ष का कुंभ .... मैं नहीं जाऊं तो क्य...
वीर सैनिक वंदना
कविता

वीर सैनिक वंदना

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** धुन - बाबुल की दुआएँ लेती जा... हे सैनिक देश की सेना के, है सौ- सौ बार प्रणाम तुम्हें| है गर्व हमें तुम पर वीरों, अभिनन्दन, नमन प्रणाम तुम्हें। ... हे सैनिक देश... तुम को भी खुशियाँ दीं प्रभु ने, वह रास न आईं तुम्हारे लिए | परिजन ने तुमको समझाया, था वतन से प्रेम तुम्हारे लिए। साहस से खड़े सीना ताने, है आशिष, प्रीत प्रणाम तुम्हें। ... हे सैनिक देश.... जब-जब दुश्मन ने फुंकारा, फन कुचला उसका पावों से। ऐसा मारा इतना मारा, छू भागा हमरे गांवों से। हे काल हमारे शत्रु के, जग विजयी वीर प्रणाम तुम्हें।.. हे सैनिक देश की... सीने पे लगती है गोली, जय हिन्द के घोष निकलते हैं। जब तक न गिरा दें शत्रु को, नहीं तन से प्राण निकलते हैं। है विजयी तिरंगा हाथों में, या तन पे कफ़न प्रणाम तुम्हें। ह...
पितृ आरती
गीत, भजन, स्तुति

पितृ आरती

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की श्राद्ध तिथि आज है जिनकी, दिवंगत कुल के अग्रज की क्वार पक्ष कृष्ण मनभावन, स्मृति अपनों हो पावन नयन जो दे गए सावन, यजन उनके चरण रज की आरती पूज्य पूर्वज की.... डाव, कुशघांस से अर्पण, दुग्ध तिल जौं का कर मिश्रण हो तर्पण मंत्र का पाठन, दोश हर मंगल कारज की आरती पूज्य पूर्वज की... श्राद्ध का शुभ दिवस आया, दिवंगत प्रिय की सुधि लाया दान उनके निमित्त भाया, आरती पूज्य की... श्राद्ध की षोडश तिथि न्यारी, ग्याजी हैं सरित सारी पितामह, तात, ताऊ, मातु, ताई, भाई-भावज की आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की पितृ देवाय च विद्महे, कुल अग्रजाय च धीमहि, तन्नो पूर्वज प्रचोदयात परिचय :- राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवासी : सिरोंज जि...
सु-स्वागतम्
कविता

सु-स्वागतम्

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आओ तुम्हारा स्वागत करते, वर्षा रानी आओ ना। तप्त हुआ धरती का कण-कण, तृप्त करो सरसाओ ना। पत्ता-पत्ता कुम्हलाया है, मुरझाया जन-जन का तन मन। सर सूखे सरितायें सूखी, राह तकें कब बरसेंगे घन। सरितायें तट तोड़ बहें तुम, इतना जल बरसाओ ना। आओ तुम्हारा स्वागत करते , वर्षा रानी आओ ना।। खेतों में फसलें लहरायें, पत्ते हर्षायें पेड़ों पर, चिड़ियाँ चहके भंवरे गाएं पशुधन उदर भरे मेंड़ों पर। हरी भरी धरती हो जाए, अमृत सा जल लाओ ना। आओ तुम्हारा स्वागत करते, वर्षा रानी आओ ना।। बादल भी आतें हैं घिर-घिर, और घटाएं आतीं काली, किन्तु यहाँ कुछ ध्यान न देते, नहीं बहाते छानी नाली। हम तो हैं दर्शन को आतुर हैं तुम "गम्भीर" हो जाओ ना। आओ तुम्हारा स्वागत करते, वर्षा रानी आओ ना।। परिचय :- राम स्वरूप राव "गम...
चेतावनी
कविता

चेतावनी

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** अभी समय है चेतो भाई, बिटियों को आने दो भाई। गरल नहीं, ये अमि हैं भाई, बिटियों को आने दो भाई। अभी जनम न देंगें इनको, बहु बना फिर लाएंगे किनको, तुम्हारी पत्नि, किसी की जाई, बिटियों को आने दो भाई। सृष्टि बगिया के दो माली, एक समान है लल्ला लाली। भिन्न करो मत इनको भाई, बिटियों को आने दो भाई। धन, बल से तुम जांच कराते, अवांछित को नष्ट कराते, पिता बनो, मत बनो कसाई बिटियों को आने दो भाई। जो करतीं ये कृत्य घिनौना, उनको भी है इक दिन रोना। लड़का क्वांरा, बहु न पायी, बिटियों को आने दो भाई। माना पुत्र से वंश चलेगा, क्या बिन पत्नि संभव कर होगा? घटिया सोच को बदलो भाई, बिटियों को आने दो भाई। शायद वे पानी देंगें मरने पर, ज़िंदा तब देता है कौन? चिंतन हो "गम्भीर" सा भाई, बिटियों को आने द...
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी
गीत

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** अब न आये ऐसी आफत, जैसी उनने झेली है। अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है।। जय- जय अमर शहीद मेरे, जय जय अमर शहीद। करते अपनी मेहनत, अपनी रोटी चैन से खाते हैं। बुंदेले -हरबोले, चारण जिनके गीत सुनाते हैं।। हम सोते हैं सुख नींदों में उनकी ही सौगातें हैं। जो उनकी थी अंतिम रात्रि, हमको शुभ प्रभातें हैं। दीवाली हो रोशन, उनने खून की होली खेली है।। अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है। जय-जय अमर शहीद मेरे जय- जय अमर शहीद उनका भी परिवार खड़ा था, उनकी भी थी अभिलाषा। किन्तु रगों का गर्म लहू रखता था उनसे कुछ आशा। एक ध्येय था, एक लालसा एक थी उनकी परिभाषा। इंकलाब के नारे मुँह पर वन्दे मातरम् की भाषा। जौहर के समतुल्य समर हो, स्वयं आहूति दे ली है।। अपनी आजादी की खातिर वक्ष पे गोली ले ली है। जय- जय अ...
आह्वान
कविता

आह्वान

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता विषय "हिन्दी और हम" में प्रेषित रचना। हिन्दी में ही लिखो हिन्दी में ही गुनगुनाओ रे। मातृभाषा हिन्दी, मृत भाषा न बनाओ रे।। रक्षा करो इसकी यह है माई अपने देश की। नारी शक्ति बहु-बेटी के सदृश देश की।। देसी भाषा चाहो, और विदेशी ठुकराओ रे। मातृभाषा हिन्दी मृत भाषा न बनाओ रे।। नव ग्रहों में सूर्य ऐसी भाषा अपनी हिन्दी है। पूनम का चांद, माथे बिन्दी जैसी हिन्दी है।। ऋतुओं में बसंत, संत इसे अपनाओ रे। मातृभाषा हिन्दी मृत भाषा न बनाओ रे।। मंथन करोगे तो पाओगे ज्ञान अमृत। अध्ययन करोगे मान पाओगे ही अनवरत।। यह है रत्न सिन्धु, डूबो शुद्ध मोती पाओ रे। मातृभाषा हिन्दी मृत भाषा न बनाओ रे।। सम्बन्ध हिन्दी हिन्द का, अटूट है, अभिन्न...
देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम
स्तुति

देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | मातु नर्मदे तुम्हे प्रणाम || अर्चन वंदन आठों याम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | शिव तनुजा, गणपति की अनुजा | तारणी देव, दनुज अरु मनुजा || दर्शन से पूरण सब काम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | कल-कल, छल-छल बहतीं रहतीं | हरित वसन वसुधा को देतीं || शुभ्र शिशोभित तट, तरू ग्राम देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम| जल तेरा है पावन निर्मल | स्वार्थ हमारे से है घायल || गहन चिकित्सा महती काम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | तुम पौराणिक सरित, सुदर्शनी| तीर्थ, तटों पर पर्व प्रदर्शनी || सुखदायक वरदायक नाम, देवी नर्मदे तुम्हे प्रणाम | अमृत, गरल हो रहा बहता | स्वच्छ करो कल-कल स्वर कहता सहज नहीं, "गंभीर" है काम, देवी नर्मदे तुम्हें प्रणाम || परिचय :- राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवास...
उठो देव
कविता

उठो देव

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** ऐसा लगता सदीं बीत गयीं, देव तुम्हारे सोने में| उठो देव हम बाट निकाले, मन मंदिर के कोने में|| तुम सोए तो सो गए कारज, भाग्य सोए यूवाओं के | दिन तो कटें तिथि गिनने में, रात कटे तारे गिनके|| तय संबंध हुए हैं उनके, बस कमी है फेरे लेने में || ऐसा लगता सदी बीत गयी, देव तुम्हारे सोने में || गन्ने के मंडप में विनती करते, क्वांरे युव -युवती | रिश्ते मधुर रहें गन्ने से, करें दण्डवत यह विनती || आशा पूर्ण करोगे हमरी, बस देर रहे न गौने में | ऐसा लगता सदीं बीत गयी, देव तुम्हारे सोने में|| कोरोना के कारण शादी ब्याह रहे सब फींके से | नहीं बरात का आनंद आया, भोज नहीं स्वरुचि के से|| तैयारी करनी है ढेरों तुम "गम्भीर" हो सोने में| ऐसा लगता सदीं बीत गयी, देव तुम्हारे सोने में|| परिचय :-राम स्वरूप र...
सबकी इक दिन इति होती है
कविता

सबकी इक दिन इति होती है

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** सबकी इक दिन इति होती हैं। निश्चित सबकी मिती होती हैं।। आसमान पर उड़ने वाले। इतिश्री क्षिति पर होती हैं।। सबकी इक... अरे तुझे समझाऊँ मैं क्या। जाने सब बतलाऊं मैं क्या।। स्थिर की भी गति होती हैं।। सबकी इक... जब जिसके दुर्ददिन आते हैं। उसको अपने कब भाते हैं।। उलटी उसकी मति होती हैं।। सबकी इक... परोपकार के काम करो तो। धर्म नीति का मान करो तो।। जीवनी उसकी कृति होती हैं।। सबकी इक... दस इंद्री पर विजय करो यदि। सत्य वचन पर अडिग रहो यदि।। राम की सी संतति होती हैं।। सबकी इक... जो अपने को मानें सब कुछ। सब जिसकी नजरों में न कुछ।। प्रतिफल में दुर्गति होती हैं। सबकी इक दिन इति होती हैं।। सबकी इक... परिचय :-राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवासी : सिरोंज जिला- विदिशा घोषणा पत...