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Tag: राम रतन श्रीवास

मिट्टी के दीप सजाओ
कविता

मिट्टी के दीप सजाओ

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** चाहता हूंँ सबके घर दीप जले, पर मेरे घर भी दीप जलाओ। इस मिट्टी के दीप बने जो, तुम अपने घर में सजाओ।। कितनी मेहनत से हमने, मिट्टी रौंदा चाक घुमाया। तपती धूप जली अंगारा, तन-मन हमने झुलसाया।। दीपक के न मोल लगाओ, पर मेरे घर भी दीप जलाओ। ममता भरी कहानी कहती, बेटी तुम मिट्टी के दीप बनाओ।। कुबेर घरों में सजेंगे लड़ियां, चका-चौंध की है दुनिया। इस मिट्टी के मोल हैं क्या, कहती है ये सारी दुनिया।। इसकी शुद्धता जो जाने, रोग रहित परिवेश हो मानें। आर्यावर्त संस्कृति दिखे, इस मिट्टी के दीप से मानें।। धर्म परंपरा में दिखे विज्ञान, दीपोत्सव में छुपे ज्ञान से। कहे कवि "राधे" मनसे, मिट्टी के दीप जलाओ मनसे।। चाहता हूंँ सबके घर दीप जले, पर मेरे घर भी दीप जलाओ। इस मिट्टी के दीप बने जो, तुम अपने घर में सजाओ।। पर...
श्री गणेश स्तुति
भजन, स्तुति

श्री गणेश स्तुति

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** गौरी नंदन शंकर सुत, हे गजानन महराज। देव संग आन पधारो, पूरन कर दो काज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. प्रथम पुज्य हो गणपति, लंबोदर महराज। मूषक वाहन चढ़ा करें, हे मंगलमूर्ति काज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. एकदंत हे भालचंद्र, हे सिद्धि विनायक नाथ। वक्रतुंड मृत्युंजय, नमस्तुते हे नाथ।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. पीतांबर भूषण सजे, मोदक लगे हैं प्यार। हे बुद्धिनाथ कृपा करें, भक्तों पर हर बार।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. हे विघ्नराज संकट हरन, चतुर्भुज गणराज। वरद विनायक वर दे, मनवांछित फल आज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान :...
मजदूर
कविता

मजदूर

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं? मानव विकास की हर ओ गाथा लिखूं। या मजबूरी भरी व्यथा की कथा लिखूं।। हर तड़पती पेट की ओ ज्वाला लिखूं। या जीवन संघर्ष की ओ दास्तां लिखूं।। हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं? चिलचिलाती धूप देह से गंगा जैसी धार लिखूं। या कड़कड़ाती ठंड ललाट की ओस बूंद लिखूं।। हर उम्र मजदूरी और मजबूरी के ओ साख लिखूं । या किसी मजदूर शासक तसल्ली की बात लिखूं।। हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं? मजदूर के गगनचुंबी इमारत में योगदान लिखूं। या परिवार भरण पोषण में सहयोग लिखूं।। हर गरीबी शिक्षा में मजदूर के आधार लिखूं। या नसीब में मजदूरी नियति को साफ लिखूं।। हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं? हर असहाय जनों के तुम्हारा वरदान लिखूं। या बिन योग्यता के तेरी हर पहचान लिखूं।। हर ओ शक्श के बेरो...
शुभाषित
कविता

शुभाषित

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** हर आंगन में खुशियों का संसार हो। विश्व में अमन शान्ति का व्यव्हार हो।। जैसे प्रकश से तिमिर का नाश है। हे प्रभु ऐसे हमें वर का भंडार दे।। अच्छे कर्म का मन में प्रभाव हो। स्नेह भरे जीवन में स्वभाव हो।। जैसे गंगा की धारा पवित्र है। हे प्रभु ऐसे हमें वर का भंडार दे।। हर पल में नव ऊर्जा का संचार हो। सभी सुखी सभी निरोगी जीवन हो।। जैसे फुलों में खुशबू की बौछार है। हे प्रभु ऐसे हमें वर का भंडार दे।। परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान : कोरबा मितान सम्मान २०२१ (समाजिक चेतना एवं सद्भाव के क्षेत्र में) शिक्षा : हिन्दी साहित्य (स्नातकोत्तर) अतिरिक्त : रेल परिवहन एवं प्रबंधन में डिप्लोमा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित ...
मधुमास
कविता

मधुमास

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** प्रकृति बसंत बौछार, मधुप गूंजे कलीयन कली रे अली। प्रेम डगर आसान नहीं, श्वेत दंत मुस्कान चली रे अली।। गजगामिनी पदचाप धरे, नेह भरें मादकता चली रे अली। कलीयन सब फूल खिले, गुंजन मिलिंद सब अली रे अली।। सुरभि बयार जोबन सखी, हास करत संचार चली रे अली। कुसुम तारुणाई भयी, मकरंद भरी महक चली रे अली।। यौवन मंजरी अंत चली अफवाह चली अली रे अली। काल के कपाल में, राम नाम सत्य अली रे अली। एही भांति मानव मधुमास, चार चरण जीवन चली रे अली।। प्रकृति बसंत बौछार, मधुप गूंजे कलीयन कली रे अली।। परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान : कोरबा मितान सम्मान २०२१ (समाजिक चेतना एवं सद्भाव के क्षेत्र में) शिक्षा : हिन्दी साहित्य (स्नातकोत्त...
मांँ बचाओ अब नरसंहार
स्तुति

मांँ बचाओ अब नरसंहार

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** जीव जगत रण चंडिका, करते नमन विश्व जगदंबिका। कष्ट हरो भव पार लगाओ, नाकाम करो कोरोना को हराओ।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... त्राहि मची है जंग छिड़ी है, शत्रु अदृश्य आन पड़ी है। विनाश लिए लक्ष्य खड़ी है, जगत में विपदा आन पड़ीं है।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... हे त्रिपुरसुंदरी ,अष्ट भवानी, हे काल रात्रि , जगत कल्यानी । तुझमें शक्ति तुझमें भक्ति, तू ही बलिदान, आत्म सम्मान।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... मांँ की आंचल पुत्र सुरक्षा, ब्याधी हटाओ कर दो रक्षा। आरत वाणी तुम्हें पुकारे, राम तुम्हारी जय जय कार करें।। मांँ बचाओ अब नरसंहार.... परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान : कोरबा मितान सम्मान २०२१ (समाजिक चेतना एवं सद...
हवा से एक मुलाकात
कविता

हवा से एक मुलाकात

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** हवा से एक मुलाकात हुई, उसने अपनी व्यथा सुनाई। जो बहता था मंद सुगंध, कहते हैं हवा में वायरस समाई।। मुझसे जीवन मुझमें आश, कौन बुझाएगा मेरी प्यास। वृक्ष कटी हुआ प्रदूषित, वायुमंडल हुई अव्यवस्थित।। धरा प्रकृति हो रही धराशाई, भूतल पर ये विपदा आई। कैसे हो रही राम तेरी गंगा मैली, जल संरक्षण की मैली मैली।। चारों ओर आवाजों की शोर, डी जे जैसे हृदय झंकृत शोर। ध्वनि प्रदुषित का है आलम, मेरी ब्यथा कैसे होगा अंतिम।। हवा की बातें सुन हुआ सशंकित, राम तेरे राज में कैसे खिलेंगे पुष्पित। चारों ओर न कोलाहाल होंगा, प्रेम,अमन,शांति का आलम होंगा। वृक्ष लगाएंगे होगी वर्षा, सुख के बादल बरसेंगे। प्रकृति की श्रृंगार होगी, फिर जीवन हर्षित होंगे।। हरे भरे होंगे वन उपवन, प्रसन्न रहेगा मानव मन। मनु प्रगति के नई सोपान, श...
गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ
कविता

गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** शिक्षक या गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ, गागर में सागर के ओ बात लिखूँ। जीवन में हर सोपान बहुत , ज्ञान के अजस्त्र प्रकाश लिखूँ ।। गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ.... हर शब्द में ताप के विवेक लिखूँ, सामान्य विषय के संवाद लिखूँ। जीवन में गणित के विभाग रहे, या जीव उत्पत्ति के सार लिखूँ।। गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ.... प्रिज्म के ओ सब रश्मि लिखूँ , पदार्थ तत्व में गुरु के ज्ञान लिखूँ। इस जहांँ में भूगोल के भाग रहे, इतिहास के ओ विशेषज्ञ लिखूँ।। गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ.... नागरिकता में उनके प्रतिभा लिखूँ, राजनीति के ओ आख्यान लिखूँ । अंतस के हर बसंत शाख में, गुरु बिन ज्ञान कैसे सौभाग्य लिखूँ।। गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ.... ललित कलित हर बात लिखूँ, हर खेल के हर दांव लिखूँ। नयन के बदले हर भाव बहुत, गुरु के नेह भरे स्वभाव लिखूँ।। ग...