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Tag: रामेश्वर दास भांन

चांँद लगती हो तुम
कविता

चांँद लगती हो तुम

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** मेरी परवाह करती हो तुम हर रोज़, रखती हो व्रत करती हो तुम दुआ, मैं जीता रहूंँ उम्र भर स्वस्थ रहूंँ, प्यार करूंँ तुझ से तेरे साथ रहूंँ, मैं भी रखता हूंँ हर-पल ख़्याल तेरा, तूं कुछ पल ना दिखे हो जाता है बेहाल मेरा, सजना-संवरना और करना नखरे तेरा, और खूबसूरत बनाता है ये हुस्न तेरा, मुझे तो हर रोज़ ही चांँद लगती हो तुम, साथ रहकर रोशन जीवन कर देती हो तुम परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ...
बच्चे देश का भविष्य
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बच्चे देश का भविष्य

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** बच्चे हैं हमारे देश का भविष्य, हमें मिलकर इनका बचपन बचाना है, स्कूल में भेज बच्चों को, काबिल उन्हें बनाना है, बाल मजदूरी से बचपन, उबर नहीं कभी पाता है, शारीरिक मानसिक बच्चे को, बड़ा आघात लग जाता है, हैं खेलने, पढ़ने के दिन जो, दुस्वार यह हों जातें हैं, बाल मजदूरी से बच्चों के, जीवन तबाह हो जाते हैं, गांँव शहर ए मेरे देश के लोगों, बाल मजदूरी पर रोक लगानी है, बच्चों का जीवन खुशहाल बने ऐसी व्यवस्था मिलकर हमें बनानी है, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करव...
ज़िंदगी कभी
कविता

ज़िंदगी कभी

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** ज़िंदगी कभी गमों में रूलाती है, ज़िंदगी कभी खुशी के पल बिताती है, ज़िंदगी कभी खुद से रूठ जाती है, जिंदगी कभी खुद ही खुद को मनाती है, जिंदगी कभी उल्लास मनाती है, जिंदगी कभी आंसू भी लाती है, ज़िंदगी कभी अपनों संग बांधे रखती है, जिंदगी कभी अपनो से दूर निकल जाती है, ज़िंदगी कभी भरपुर हंसाती है, जिंदगी कभी जम कर रूलाती है, जिंदगी कभी मिट्टी सी बन जाती है, ज़िंदगी कभी आसमां को छुं जाती है, ज़िंदगी हम से संघर्ष करवाती है, ज़िंदगी हमें जीना सिखाती है, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र...
वो शख़्स दूर होने लगा
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वो शख़्स दूर होने लगा

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** उसकी शोहरत में इजाफा जो होने लगा, वो हमसे अब दूर होने लगा, छा गया नशा शहर की चकाचौंध का उस पर, मेरे गांँव से अब वो शख़्स दूर होने लगा, बदल लिए हैं उसने अपने दोस्त अब सारे, नये दोस्तों का खुमार उस पर होने लगा, भूल गया है साथियों को अब वो पुराने, उसको तो बस दौलत से प्यार होने लगा, पहचानता नहीं है पुराने किसी यार को अपने, जो नई-नई दौलत का गुमान उसे होने लगा, तोड़ दिए हैं ख़्वाब सीधे-सादे साथियों के उसने, नई-नई शोहरत का नशा उस पर होने लगा, मिला था उसका भाई मुझे गाँव के चौराहे पर, पुछा उसके बारे तो उसे याद कर वो रोने लगा, उम्मीद छोड़ दी हम ने उस शख़्स से अब तो, जो अपनों करीबियों से भी अब दूर होने लगा, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर...
यों इल्ज़ाम लगाना ठीक नहीं
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यों इल्ज़ाम लगाना ठीक नहीं

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** तेरा हमें यों अपनी, बेरूख़ी दिखाना ठीक नहीं, हमारी फ़िक्र में अपना, दिल जलाना ठीक नहीं, हमनें झेले हैं रास्तों पर कांटे, अब दर्द नहीं होता, हमें गिराने में, तेरा खुद गिर जाना ठीक नहीं, क्यों अकड़ते हो तुम, किस बात को लेकर, फिर अपनी सफाई भी, बताना ठीक नहीं, हमें बेपरवाह रखा ख़ुदा ने, अनजान रास्तों पर भी, बेकसूर को तेरा, इतना भी सताना ठीक नहीं, माना की तुम खास हो, खुद के ही आईने में, हम पर तेरा, यों इल्ज़ाम लगाना ठीक नहीं, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित कर...
खुद को, खुद से ही समझाया जाए
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खुद को, खुद से ही समझाया जाए

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** रख कर दिल में, जज़्बात अपने, ना किसी और को, बताया जाए, दर्द जो उसने दिया, दिल को मेरे, अब खुद ही इसे, तड़पाया जाए, वादे तो हमसे, हसीन किए थे उसने, मगर उन सबको, अब भुलाया जाए, दिया है ग़म उसने, तो ग़म ही सही, अपने दर्द को अब, दिल में समाया जाए, ज़माने से कह, हसीं उड़वानी है अपनी, ज़ख्म जो मिले, खुद ही मरहम लगाया जाए, उसने तो जो किया, समझ है उसकी, अब खुद को, खुद से ही समझाया जाए, बड़ा दर्द दिल में, दे जाता है प्यार करना, आंसुओं को अब, ज़माने से छिपाया जाए परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अप...
क्या मैं इतना बुरा हूंँ
कविता

क्या मैं इतना बुरा हूंँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** क्या मैं आज इतना बुरा लगने लगा हूंँ, जो आज सत्ता मुझे कभी दीवार बनाकर तो कभी शामियानों के कपड़ों की दीवार बनाकर छिपाने का भरसक काम करती है, क्योंकि उन्हें मेरी मुफ़लिसी पसंद नहीं, मेरा चेहरा उन्हें भाता ना हो, उनकी चकाचौंध के लिए तो मेरा शरीर सदैव सेवा में तैयार रहता है, कभी मुझे सड़क किनारे अपनी फटी पुरानी चादर या मेरी टूटी-फूटी रेहड़ी पर कुछ रखकर बेचने से रोका जाता है तो लाठी-डंडों से और ना सुनने वाली गालियां देकर पिटवाया जाता है, कभी मेरी घास-फूंस की झोपड़ियों को तहस-नहस कर भगाया जाता है, आखिर क्यों ये राजसत्ता मुझे अपनाने को तैयार क्यों नहीं ? हाँ मुझे एक जगह बहुत खुश करने का बहुत काम होता है और वो है राजनेताओं का मेरी ग़रीबी और मुफ़लिसी को दूर करने का भाषण, चुनाव के समय सब मेरे इर्द-गिर्द गिद्धों...
युवाओं की झोली भर दो
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युवाओं की झोली भर दो

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** सरकारी पद पड़े जो खाली देश में, उसको भर दो ए देश की सरकार, बेरोज़गारी कम होगी देश में हमारे, युवाओं को मिल पाऐगा रोज़गार , वादे जो तुमने किये सत्ता में आकर, वो भी कुछ पुरे हों जाएंगे, उम्मीद जगी थी जो युवाओं में, उनके चेहरे, दिल भी खिल जाएंगे, मजबूत होंगे जनता के संस्थान, सरकार भी मजबूती पाएगी, ना करो देश का प्राइवेटाइजेशन, देश की सम्पत्तियां बिक जाएंगी, शिक्षा, स्वास्थ बस मुफ्त तुम कर दो, हर घर रोशनी से यहांँ तुम भर दो, देकर रोज़गार युवाओं को देश में उनकी झोली ए मेरी सरकार भर दो, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्री...
जीने के कुछ सवाल
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जीने के कुछ सवाल

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** वो शख़्स आज भी, उसी गली पर मिलता है, गांव जाता हूंँ जब, वो शख़्स मुझे वहीं मिलता है, जानता हूंँ उसे अपने, बचपन के दौर से, आज भी मगर वो, उसी हाल में मिलता है, तंग रखा है शुरू से, मुफलिसी ने उसको, उससे निकलने की वो शख़्स, जिद्द लिए मिलता है, पढ़ते थे साथ तब कहता था, बदलेगी तक़दीर, मगर आज भी वो शख़्स, वो ही ख़्वाब लिए मिलता है, तोड़ दिए हैं सब सपने, हालातों ने उसके, अब तो बस जीने के, कुछ सवाल लिए मिलता है परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...
सबको सबका अधिकार मिला
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सबको सबका अधिकार मिला

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** लागु हुआ जब संविधान हमारा, हुआ गणतंत्र भारत देश हमारा, लिखा जब बाबा आंबेडकर ने संविधान, जिससे देश को प्रगति का आगाज़ मिला, जीने का एक नया उत्साह हुआ, सबको वोट का अधिकार मिला, एक सूत्र में बंधा देश हमारा, चैन से जीने का रास्ता मिला, बंटी हुकुमतों से छुटकारा हुआ, मार-काट लुट-पाट से निजात मिला, इन्सानों के अधिकार सुरक्षित हुए, महिलाओं को देश में सम्मान मिला, गरीब मजलूमों का जीवन सुधरा, पढ़ने- लिखने में उनको स्थान मिला, गणतंत्र हुआ जब देश हमारा, सबको सबका अधिकार मिला, देश गणतंत्र होने के बाद ही, भारत को नया स्थान मिला परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आ...
संवारना भी चाहा किस्मत वही रही
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संवारना भी चाहा किस्मत वही रही

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** सोचा था पुरी होगी, वो बात पुरी ना हो सकी, मन की बात अपने, मन में ही रही, कोशिशों में रहा हूँ, पूरी कर पाऊं उसे, उम्र जैसे बढ़ती गई, वो हौंसले तोड़ती रही, सोचा था पाने का उसको, स्कूलों के दौर से, वो अब तलक भी हमसे, दूर ही रही, कभी लगता था आसान, पा लेंगे उसको हम, करीब भी पहुंचे, वो और आगे चलती रही, जुड़े थे बहुत सारे ख्वाब, ज़िंदगी के उससे, संवारना भी चाहा, मेरी किस्मत वहीं रही, उठ गया हैं यकीन, अब तो उसको पाने का, दिन बीतते गए और उम्र निकलती रही, जी लेंगे अब तो जिंदगी, समझौतों के साथ अपनी, जो सोचा था खुद के लिए, वो सोच अब जाती रही परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
गुहार लगा रहीं हैं बेटियांँ
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गुहार लगा रहीं हैं बेटियांँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** देश का परचम लहराने वालीं, तिरंगे की शान बढ़ाने वालीं, न्याय-न्याय पुकार रहीं हैं, बेटियांँ वो कुश्ती में नाम कमाने वालीं, एक दांव से जो चित कर देतीं, देश के लिए जो जान झोंक देतीं, बजवा कर राष्ट्रीय गान देश का, भारत का गौरव ऊंँचा कर देतीं, सफ़ेद पोशोकों में छिपे उन भेड़ियों के, काली करतूतों के किस्से के सुना रहीं हैं, अपना सम्मान बचाने के खातिर बेटियांँ, देश चलाने वालों तुमसे गुहार लगा रही हैं, ए, देश की सत्ता के रहनुमाओं, कुछ तो शर्म-हया दिखाओ, जो नारा तुमने दिया देश को, उस नारे की तो तुम लाज बचाओ परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ...
जोशीमठ की त्रासदी
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जोशीमठ की त्रासदी

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** तपस्थली रहा है जो महात्माओं की, ऐसा है आस्था और भक्ति का ये स्थान, राजधानी रहा है कत्यूरी राजाओं की, ऐसा खुबसूरत है ये पावन स्थान, छः ऋतुएं बन जाती हो दिन में जहां, ऋतुंभरा के नाम से जाना जाता है ये स्थान, इन्सान की चकाचौंध वाली जिंदगी से, हार गया है अब ये पावन स्थान, लाखों लोगों को जीवन दिया जिसने, आज जमींदोज हो रहा है ये स्थान, जिसकी धरती कांप रही हो, सिसक रहा हो सीना जिसका, अब प्रकृति की त्रासदी, दिखा रहा है ये स्थान, जंगलों को जी भर कर काटा, जल की है धारा बदली हमने, उसी नादानी के कारण अब, रौद्र रूप दिखा रहा ये स्थान, रो रहे पशु पक्षी मानुष, उजड़ रहा बसैरा जिनका, जीवन गुज़र बसर के लिए, मदद की गुहार लगा रहा ये स्थान, आज त्रासदी भारी झेल रहा, लेकर अपने सीने पर, जोशीमठ देवभूमि उत्तराखंड का, ये पावन प...
मेरा संसार है वो
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मेरा संसार है वो

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** सबके सुबह उठने से पहले उठ जाती है वो, सबको खिलाने के बाद खाती है वो, सबको सुलाने के बाद सोती है वो, घर के हर सदस्य का ध्यान रखती है वो, पति से प्रेम बच्चों से प्यार करती है वो, घर में बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करती है वो, ना कभी चेहरे पर थकान लाती है वो, साल में ना कभी छुट्टी मनाती हैं वो, ममता, करूणा, धैर्य की मूर्त है वो, प्यारी सी एक सुंदर सुरत है वो, बच्चों को दुलार, संस्कार देती है वो, हर सामाजिक रिश्ते से रखती है सरोकार वो, मेरे जीवन में लाई बहार हैं वो, मेरे लिये मेरा संसार है वो परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
ज़िन्दगी मुश्किल भरी बनाई हैं
कविता

ज़िन्दगी मुश्किल भरी बनाई हैं

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** बढ़ रही ब्याज दरें देश में अब हमारें हैं, महंगाई के रिकार्ड टूट रहे अब सारे हैं, दस लाख करोड़ से ज्यादा बट्टे खाते में डाले हैं, हजारों करोड़ों डकारने वालों के दिन खुशहाल कर डाले हैं, आम जनता को सिलेंडर,पेट्रोल खरीदने के पड़े हैं लाले हैं, महंगाई से जनता के निकले हैं पड़े दिवाले हैं, बरोजगारों की देश में फ़ौज बढ़ती है जा रही, धीरे धीरे बात अब जनता के समझ में है आ रही, मध्यम परिवार के लिए दिन आफ़त भरे आएं हैं, हर महीने बढ़ाकर ई एमआई जनता के दिल दुखाएं हैं, पढ़ाई हो रही दिनों-दिन महंगी अंकुश ना सरकार का, भुखमरी में करवा दिया विश्व पटल पर आंकड़ा सौ के पार का, पढ़ो-लिखों पकोड़े तलों की स्कीम सरकार ने चलाई है, अब तो पकोड़े तलनें वालों की बाढ़ देश में आई है, क्या टीवी की नफ़रत वाली डिबेटों से पेट भर जाए...
मर रहीं हैं जिंदगी जीने के लिए
कविता

मर रहीं हैं जिंदगी जीने के लिए

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** साथ रहकर कर कुछ महिने मेरे, अब छोड़ दिया है तूने हाल पर मेरे, तन्हाइयों को तूने मेरी ज्यादा किया, दूर जाकर इस दिल से मेरे, बड़ा अहम रोल रहा घर का तेरे, जिसने झूठा अहम भरा मन में तेरे, तूने भी कुछ नहीं सोचा खुद के बारे, अब कैसे आऊं मैं दर पर तेरे, लेकर आया था संदेशा घर पर, उस थाने का थानेदार मेरे, कुछ उल्टा सीधा लिखा था उसमें, जो शिकायत खिलाफ दी मेरी तूने, बात यहां तक भी रहती सुलझ जाती, अब बुलाने लगी है कोर्ट भी मुझे, तूने एक बार अपना घर नहीं समझा, मां बाप तेरे भी तों हैं जैसें हैं मेरे, इल्ज़ाम लगाएं है बेतुके तुने, किस किस का जवाब दूं तूझे किस लिए, मैंने लगा दिया है सब कुछ दांव पर, घर की इज्ज़त अब बचाने के लिए, तू जीत रही है हर बार मुझसे, मैं तुझ से हार रहा हूं अपने घर के लिए, सामान तो उठवा ल...
सुरक्षा के संग करो सफ़र
कविता

सुरक्षा के संग करो सफ़र

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** सुरक्षा के संग करो सफ़र, ये कर्तव्य सबका हो, सड़क सुरक्षा ही अपनी सुरक्षा का ध्येय सबका हो, छोटे- छोटे बच्चों को ना देना साधन अपने चलाने को, कुछ सब्र करो ए इन्सान, उम्र उसकी बढ़ जाने को, शराब पीकर ना कभी बाईक, कार, ट्रक चलाना तुम, हो जायेगी अनहोनी, उससे बचकर रहना तुम, अपनी सावधानी में ही अपना व दूसरों का बचाव है, नियम कायदों के साथ चलो, कहता ये संविधान है, बिन मौत ही मर जाते दुर्घटना में, हजारों-लाखों लोग यहां, सबक लेकर घर से निकलो, ए मेरे देश के लोग यहां, सिर पर हैल्मेट बाईक पर, सीट बैल्ट का गाड़ी में रखो ध्यान, मुसीबत पड़ने पर आएंगी, ये सब चीजें तेरे काम, रफ़्तार देख कर रखो, कुछ निकला नहीं जाता है, बेसब्री से जायेगी जान, हाथ फिर कुछ नहीं आता है, यदि रूकना रास्ते पर साईड में साधन लगाओ तुम, अपना ...
क्या हो गया ज़माने को
कविता

क्या हो गया ज़माने को

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** क्या हो गया है इस ज़माने को, होड़ लगी है ज़्यादा पाने को, क्या हो गया .... भूल गये हैं अपने पराये को यहाँ, ज़िद्द लगी है अब दूर जाने को, क्या हो गया .... खो गया है आदमी अपनी ही चाल में, समा कर खुद में, भूल गया है ज़माने को, क्या हो गया .... लालच में पड़कर, लालच की बात करता है यहांँ, अब भूल गया है आदमी साथ रहने के तरानों को, क्या हो गया .... धर्म के नाम पर बंटता ही जा रहा हैैं यहांँ, खून तो एक ही है, लगा दिया है पैमाने को, क्या हो गया .... परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाच...
बिटिया जब अपना मुकाम बनाओगी
कविता

बिटिया जब अपना मुकाम बनाओगी

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** प्यारी-प्यारी बिटिया प्यारी, तुम हो जग में न्यारी-न्यारी, हंसती खेलती दुनिया तेरी, सबकी हो तुम दुलारी, मम्मी-मम्मी रखती हो तुम, पापा की हो सबसे प्यारी, तुम बिटिया मेरी आंखों की दुनिया हो, जग में मेरे लिए हो न्यारी-न्यारी, पढ़ना-लिखना जाकर स्कूल, बन कर रहना होशियार है तुम, एक दिन अफ़सर बन जाओगी, अपना नाम फिर कमाओगी, हमारा सीना चौड़ा होगा जायेगा, बिटिया जब अपना मुकाम बनाओगी, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविता...
दिल से प्यार क्या करते
कविता

दिल से प्यार क्या करते

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** दिल भला बेकरार क्या करते, हम तेरा इंतजार क्या करते, तुम तो उड़नेे वाला परिंदा हो, हम भला तेरा ऐतबार क्या करते, यादों से परे हो गये जब तुम मेरी, हम फिर तेरा इज़हार क्या करते, हो बेवफा तुम ये मालूम था हमें, हम ये दिल तलबगार क्या करते, दुनियाँ की भीड़ में खो गये हो तुम, हम तुम्हें दिल से प्यार क्या करते, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
मेरा नाज़ुक सा दिल है
कविता

मेरा नाज़ुक सा दिल है

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** मेरा नाज़ुक सा दिल है, कोई पत्थर तो नहीं, चोट इतनी ना दे मुझे, कि टुकड़ों में बिखर जाऊं, ना बना मुझको अनजान पहेली, कि फिर मैं कभी सुलझ ना पाऊं, धीरे-धीरे से दर्द दे मुझको, एक साथ सहने की हिम्मत तो नहीं, मेरा नाज़ुक सा दिल है, कोई पत्थर तो नहीं, वक्त क्या था जब साथ थे तुम मेरे, अब घेरे रहते हैं मुझको ये अंधेरे, कुछ रहम खा कुछ तरस रख मुझ पर, प्यार ही तो किया था कोई दगा तो नहीं, मेरा नाज़ुक सा दिल है, कोई पत्थर तो नहीं, गम देते हो क्यों मुझको रूलाकर, क्या मिलता है मेरा दिल दुखाकर, क्यों दिया था भरोसा साथ रहने का मुझको, अब मैं कहां जाऊं ये बता तो सही, मेरा नाज़ुक सा दिल है, कोई पत्थर तो नहीं परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करत...
चैन से जीने की वो …
कविता

चैन से जीने की वो …

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** दौलत-शौहरत पास से सब, अब जाती रही, थी उम्मीद जिससे, वो उम्मीद भी अब जाती रही, गमगीन माहौल बना दिया, वक्त ने अब तो चारों और, तबीयत खराब रहने से, जीने की रोशनी भी अब जाती रही, दूर हो गये हैं सभी अपने,हालात देखकर अब यहांँ, आकर मिलने की उम्मीद, उनसे अब जाती रही, बनाई थी जो पहचान उम्र भर, ज़माने में यहाँ, वो पहचान भी पास से, दूर अब जाती रही, कभी हौंसला होता था, देखकर उनको भान, हालात देख उनके, मेरी हवा भी अब जाती रही, गम मुझे भी है ये सब हो गया, नज़रों के सामने, मेरे दिल की भी वो उमंग, अब जाती रही, ना कर्जदार बनाना, ए ख़ुदा ज़माने का कभी, चैन से जीने की वो फितरत भी, अब जाती रही, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मे...
बाल-विवाह
कविता

बाल-विवाह

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** बाल-विवाह है सामाजिक कुरीति, जड़ से इसे हमें मिटाना है, जला कर मशाल गांव-शहर में, सबको जागरूक बनाना है, बच्चियों के जीवन से, खिलवाड़ यहांँ पर होता है, छोटी उम्र में शादी के कारण, शारीरिक, मानसिक शोषण होता है, थे खेलने- पढ़ने के दिन जिनके, लाचार बना कर अब छोड़ा है, कम उम्र में कर शादी कर, बीमार बना कर छोड़ा है, अनगिनत लड़कियां यों ही, बेमौत ही मारी जाती है, है अभिशाप बाल- विवाह, इसकी भट्टी में जल जाती है, उठो जागो ए माताओं- बहनों, जागो मेरे देश के युवाओं, देश में अब अलख जगानी है, बाल -विवाह ना हो भारत में, इस पर मिलकर रोक लगानी है, लेकर दीये -मशाल हाथ में, संदेश घर-घर फैला दो, बाल- विवाह ना हो भारत में, इस पर अब रोक लगा दो परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्...
उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने
कविता

उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने मयखानों में खो गई  है जिंदगी अब तो उसकी, लाखों की पी गया जो अब तक शराब वो यहांँ, आता है हर रोज़ शराब के नशे में घर अपने वो, बच्चे- पत्नी रहते हैं डर के  साये में उसके यहांँ, खुद का  होश  ना उसे पता अपने शरीर का, लड़खड़ाते कदमों से चला आता है वो यहांँ, रहने को ढंग का घर नहीं बनाया उसने अब तक, फिर भी नशें से  दिल लगाता है वो हर दिन यहांँ, बना ना सका बच्चों के नहाने,शौच की जगह वो, बस पीने का ही ख़्याल  रहता है उसको तो यहांँ, जिंदगी नर्क बना ली अपनी व बच्चों की उसने, संगती में  रख रखे हैं  अपने जैसे दो- चार यहांँ, उजाड़  दिये  है  बहुत  सारे घर इस शराब ने, देखता है वो हर तरफ ना सोचता अपने बारे में यहांँ परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घो...
खुश रहो चहेरे से अपने यहाँ
कविता

खुश रहो चहेरे से अपने यहाँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** मेरे होंसलो को यों कम ना कर, मैं चल रहा हूंँ दिल में तूफान लिए, बदल जाए जीवन का ढ़ग सारा, बढ़ रहा हूंँ दिल में अरमान लिए, रूकावटें तो रास्तों पर बहुत आयी मेरे, कर रहा हूंँ इंतजाम मंजिल पर पहुंँचने के लिए, ख़ामोश रहकर गुज़र जाए ये दिन, गमों को सीने से लगा लिया है ज़िन्दगी के लिए, खुश रहो चेहरे से अपने यहांँ दुनियाँ में, अंदर कौन ज़ख्म देखता है किसके लिए, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्र...