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Tag: रामसाय श्रीवास “राम”

कई रुप है नारी के
कविता

कई रुप है नारी के

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कई रुप है नारी के, हर रुप में नारी महान। पुत्री भगिनी पत्नी, जननी है देवी समान।। बेटी बनकर आती, स॑ग में है खुशी लाती । बाप की ऑंखो में, ममता ये बरसाती।। गुंजती घर ऑंगन में, किलकारी मधुर मुस्कान कई रुप है नारी के हर रुप में नारी महान।। भैया की प्यारी है, बहना ये दुलारी है। इसकी मिठी बातें, इस जग से न्यारी है।। मिलकर खेलें कूदें, लगते हैं बड़े नादान कई रुप है नारी के हर रुप में नारी महान फिर ये पत्नी बनतीं, जीवन भर संग रहती। सुख हो या दुख जो भी, मिलकर है सब सहती।। बहू रुप में पाती है, ससुराल में ये सम्मान कई रुप है नारी के हर रुप में नारी महान।। माता का रुप महान, दूजा नहीं इसके समान। ममता की ये मूर्ति, करुॅणा की है ये खान।। ऑचल की छांव तले, पाते सुख है भगवान कई रुप है नारी के ...
सुघ्घर माघ के महिना
आंचलिक बोली, गीत

सुघ्घर माघ के महिना

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी लोकगीत बड़ नीक महिना माघ के, आगे वसंत बहार। खुशी मनावव संगवारी, करके खूब श्रृंगार। सुघ्घर मऊरे हे आमा हर, महर महर ममहावय। अमरइया मं बइठे कोइली, सुघ्घर गीत सुनावय।। आज खुशी ले झूमत हावय, ये सारा संसार बड़ नीक महिना माघ के आगे वसंत बहार हरियर हरियर खेत खार हे, सुघ्घर हे फुलवारी। बड़ नीक लागे रूख छाँव हर, जइसे हे महतारी।। धरती दाई के कोरा मा, सब सुख हावय अपार बड़ नीक महिना माघ के आगे वसंत बहार किसिंम किसिंम के फूल फूले हे, देख के मन हरषावय। लाली लाली परसा फूल गे, आगी घलव लजावय।। सुरूर सुरूर पुरवाही सुघ्घर, गावय राग मल्हार बड़ नीक महिना माघ के आगे वसंत बहार चार दिन के जिनगानी हे, जादा झन इतरावव। ये वसंत के बेर मा संगी, जुर मिल खुशी मनावव।। राम कहे झन भूलव मन मा, करल...
कहाँ तुम चले गए
गीत

कहाँ तुम चले गए

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** वो याद बहुत आते वो याद बहुत आते, जो हमसे दूर हुए। हम ये ना जान सके, क्यों कर वे दूर हुए।। जीवन एक दरिया है, उठते हैं यहाँ लहरें। कोई कैसे शांत रहे, पग पग है यहाँ खतरे।। हलचल से भरी दुनिया, इसने कई रूप लिए वो याद बहुत आते गम का कितना साया, मंडराता रहा सर पर। कब तक यूं जी पाएं, जीवन में डर डर कर।। सहते ही रहे अब तक, इसने जो जख्म दिए वो याद बहुत आते हमने ये न जाना था, ये दिन भी आएगा। यादें उसकी हमको, रह रह तड़पाएगा।। कुछ बोल नही पाए, रहे खून के घूंट पिए वो याद बहुत आते जी लेंगे जैसे भी, हम तेरी जुदाई में। हमने खूब दर्द सहा, तेरी रुसवाई में।। थे राम सुहाने दिन, हमने जो साथ जिए वो याद बहुत आते परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) ...
छत्तीसगढ के सुघ्घर तिहार
आंचलिक बोली

छत्तीसगढ के सुघ्घर तिहार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** हमर संस्कृति अऊ हमर संस्कार। नदावत जावत हे छेर-छेरा तिहार।। कतको तिहार के धरती हावय, ये छत्तीसगढ महतारी। ये मन ल बचाके रखना हावय, हम सबला संगवारी।। धर के टुकनी अऊ धरें बोरा, लइकामन चलें बिहनिहा बेरा। खोल गली बने गझिन लागय, कहत जावंय छेर छेरा ,छेर छेरा।। टुकना मा घर के मुंहटा मा, धर के बइठे रहे धान। वो घर के रहे जेहर, सबले बड़े सियान।। रंग-रंग के ओनहा पहिरे, लइका मन बड़ सुख पांय। छेर-छेरा मांगे खातिर, जम्मो घरो घर जांय।। पढ़े लिखे लइका मन ला, अब लागथे लाज। समय हर बदलत हावय, देखव का होवत हे आज।। अपन सुघ्घर तिहार के, परंपरा ला भुलावत हावंय। गांजा दारू के नशा मा, रात दिन सनावत हावंय।। हमर छत्तीसगढ के संस्कृति ला, हमन ल रखना हावय जिंदा। ये सुघ्घर तिहार मन के, झन करव भुला के निंद...
जिंदगी मिल गई
ग़ज़ल

जिंदगी मिल गई

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** तू मिली तो हमे जिंदगी मिल गई । जिंदगी में हमें हर खुशी मिल गई ।। इस जहाँ में अकेले थे हम अब तलक । साथ तेरा मिला तो जहाँ मिल गई ।। हमने सोचा नहीं था ये दिन आयेगा । इस जहाँ में हमे कोई मिल पायेगा ।। रब ने चाहा तो ऐसा समय आ गया । राह में इस कदर हमसे टकरा गई ।। हम थे किस्मत के मारे भटकते रहे । मुश्किलें जो भी आया वो सहते रहे ।। चैन था दिन में ना रात में थी सूकून । वक्त मुठ्ठी से मानो फिसलती गई ।। दर्द किससे कहें अपना किसको कहें । कब तलक हम अकेले सिसकते रहें ।। दिल था रहता सदा गम में खोया हुआ । आँख से मानो आंसू भी सूख सी गई ।। उस विधाता का दिल से दुवा मांगता । जब भी मांगा तो उससे यही मांगता ।। हम सफर मेरा कोई नही है यहाँ । कब मिलायेगा मुझको उमर बीत गई ।। तू मिली तो हमे जिंदगी मिल गई परिचय :...
उम्मीदों का आसमान
कविता

उम्मीदों का आसमान

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** बीता यह पल जैसा भी, सहा सभी है हमने। खट्टे मिठे अनुभव सारे, किया सभी है हमने।। जीवन है अनुभव शाला, सब कुछ यही सिखाता है। होते हैं नित नई परीक्षा, समय बदलता जाता है।। उम्मीदों का आसमान भी, सदा रखा है हमने बीता यह पल जैसा भी सहा सभी है हमने कभी धूप कभी है छाया, है यह रीत निराली। सुख दुख है उसकी माया, कभी दशहरा दिवाली।। चार दिन की इस जीवन में, देखा सभी है हमने बीता यह पल जैसा भी सहा सभी है हमने आए कुछ ऐसे पल भी, याद रहेंगे जो हमको। कुछ खोया कुछ पाया है, भूल नहीं सकते उसको।। जैसा भी अवसर आया, उसका मान किया हमने बीता यह पल जैसा भी सहा सभी है हमने उम्मीदों के आसमान में, सदा उड़ाने भरना। सीखा है हालातों से, सदा खुशी से रहना।। राम लगा आना जाना, सदा नहीं है रहने बीता यह पल जैसा भी स...
बाबा गुरु घासीदास
कुण्डलियाँ

बाबा गुरु घासीदास

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** बाबा घासीदास हैं, दया धरम के मूल । आए हैं संसार में, सबके हरने शूल ।। सबके हरने शूल, ज्ञान का दीप जलाए । सत्य मार्ग पर आज, हमे चलना सिखलाए ।। कहे *राम*कर जोर ,बना लें हिय को ढ़ाबा । चलें सभी उस ओर ,दिखाए पथ जो बाबा ।। ज्ञानी हैं संसार में, सबमें उनका नाम । आए इस कलिकाल में, करने सुंदर काम ।। करने सुंदर काम, सत्य का मार्ग दिखाया । दिया सभी को ज्ञान, प्रेम का फूल खिलाया ।। कहे *राम*मतिमंद ,शुद्ध है इनकी वाणी । बाबा घासीदास, परम हैं यह तो ज्ञानी ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानि...
वीर शहीद
कुण्डलियाँ

वीर शहीद

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ********************                           (१) वीरों के बलिदान को, कैसे भूलें देश । देते हैं निज प्राण वे, खुद सहकर के क्लेश ।। खुद सहकर के क्लेश, देश की लाज बचाते । तन मन सब कुछ वार, मौत को गले लगाते ।। हैं शहीद वे लाल, देश के असली हीरो । रखें देश की भाल, सदा ऊँचे ये वीरों ।। (२) धरती माता के हुए, हैं सपूत कुछ लाल । लाज बचाने देश की, वरण किए वे काल ।। वरण किए वे काल, जहाँ में अमर हुए हैं । हो शहीद वर माल, गले में पहन लिए हैं ।। उनके यश की गान, आज भारत माँ करती । वीरों की सम्मान, सदा करती है धरती ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं ...
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
गीत

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** बेटी को मत मार कोख में, जब यह घर में आती है। यह अपने संग मात पिता के, घर में खुशियाँ लाती है।। ईश्वर की वरदान है बेटी, उसकी नेमत है प्यारी। कुदरत की अनमोल कृति यह, सबसे है सुंदर न्यारी।। इसकी भोली सूरत सबके, मन को कितना भाती है यह अपने संग मात पिता के घर में खुशियाँ लाती है मात पिता की आँखो की बस, होती यही दुलारी है। घर आँगन में फिरती बनके, जैसे राजकुमारी है।। कुछ भी हो पर मात पिता को, यह ना कभी सताती है यह अपने संग मात पिता के घर में खुशियाँ लाती है शिक्षा का अधिकार इन्हें भी, अब तो पूरा देना है। इनको भी आगे बढ़ने की, अब तो मौका देना है।। नहीं किसी से पीछे रहना, अब इनको कब भाती है यह अपने संग मात पिता के घर में खुशियाँ लाती है सीमा पर बेटी रहकर अब, करती सबकी रखवाली। पर्वत...
अपना संविधान
कविता

अपना संविधान

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** श्रेष्ठ बना अपना संविधान । लगता है यह खूब महान ।। इस पर हम सबको है नाज । है संविधान दिवस यह आज ।। कड़ी साधना से बन पाया । इसको हम सबने अपनाया ।। भारत का यह मान बढ़ाता । हम सब का इससे है नाता ।। चलती है सरकार इसी से । ऊपर है संविधान सभी से ।। नीति धर्म और न्याय इसी में । नही बात ये अन्य किसी में ।। भीमराव अम्बेडकर जी थे । मुखिया इस संविधान सभा के ।। छब्बीस नवंबर का दिन प्यारा । पूर्ण हुआ संविधान हमारा ।। सन् था उन्नीस सौ उन्चास । सबके मन में जागी आस ।। अपना देश अपना संविधान । गाएँ भारत माँ का गान ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षि...
दीपावली पर्व पर कुण्डलियाँ
कुण्डलियाँ

दीपावली पर्व पर कुण्डलियाँ

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** लाई है दीपावली, खुशियों की सौगात। माता लक्ष्मी कर रहीं, कृपा की बरसात।। कृपा की बरसात, भरे खुशियों से झोली। भर देती भंडार, द्वार जिसने है खोली।। कहे राम कर जोर, मनाओ मन से भाई। रिद्धि-सिद्धि शुभ लाभ, मातु है संग में लाई।। जैसा यह त्योहार है, वैसा इसका नाम। जगमग इस संसार को, करना इसका काम।। करना इसका काम, अंधेरा दूर भगाए। मन के सारे क्लेश, दिवाली पर्व मिटाए।। कहे राम कवि राय, करो मिलकर कुछ ऐसा। देख जिसे संसार, करें सब उसके जैसा।। गोवर्धन पूजा करें, मिलकर सारे लोग। नाना विध ब्यंजन बना, देते छप्पन भोग।। देते छप्पन भोग, द्वारिकाधीश पधारे। नंदनंदन घनश्याम, यही हैं ईष्ट हमारे।। कहे राम मतिमंद, करें सब इसका वर्धन। मन में रख गोपाल, करें पूजा गोवर्धन।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बारा...
सुघ्घर कातिक के महिना
आंचलिक बोली

सुघ्घर कातिक के महिना

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भाखा म लोक गीत के रचना हावय भिनसरहा के बेर मा, कर कातिक असनान । पूजन कर भगवान् के, कर ले ओकर ध्यान ।। सूरूज ला दे के अरघ, कर जीवन उजियार । इही सनातन धर्म के, बने हमर संस्कार ।। जल दे के शिव के करें, हाथ जोर परनाम । बिगरे सबो संवारहीं, पूरन करहीं काम ।। कच्चा दूध अऊ बेल के, ले के पाती हाथ । शिव शंकर ला ले मना, अपन नवा के माथ ।। पूजा तुलसी मात के, फूल पान के संग । जिनगी मा सुख के संगी, भर जाही सब रंग ।। धनतेरस शुभ वार हे, धनवंतरि महराज । माँ लक्ष्मी पूरन करें, सबके बिगरे काज ।। देवारी के रात मा, जगर बगर परकास । माटी के दियना बरे, करे जगत उजियास ।। गोवर्धन पूजा करें, बइला भात खवांय । जतको घर परिवार के, मिल के भोग लगाएं ।। महिमा पुन्नी के संगी, कतका करंव बखान । अंवरा रूखुवा...
पुष्पांजलि
कुण्डलियाँ

पुष्पांजलि

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** माता लेकर आ गई, खुशियों का अंबार। भक्तों के हित के लिए, रहती हैं तैयार।। रहती हैं तैयार, लुटाती हम पर ममता। साधक सिद्ध सुजान, इसे है अनुभव करता।। कहे राम कर जोर, बनालो उनसे नाता। देती शुभ आशीष, सभी को देवी माता।। माता रानी आ गई, शैलपुत्री के रूप। नवदुर्गा में है प्रथम, करती कृपा अनुप।। करती कृपा अनुप ,बड़ी है ये वरदानी। ममता मयी माता, यही है जग कल्याणी।। कहे राम कर जोर, न कोई इनसा दाता। रखलो मुझको पास, शरण में अपनी माता।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि रा...
भारत के भाग्य विधाता
कविता

भारत के भाग्य विधाता

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** भारत के भाग्य विधाता, हे बापू तुम्हे नमन। दिला गये आजादी हमको, करके खूब जतन ।। भारत के भाग्य विधाता हे बापू तुम्हे नमन दो अक्टूबर का वह शुभ दिन, गांधी जी ने जन्म लिया। पोरबंदर गुजरात प्रांत में, मातृभूमि को मान दिया।। खुशियाँ छाई भारत भू पर, हर्षित धरा गगन भारत के भाग्य विधाता हे बापू तुम्हे नमन देश गुलामी की जंजीरों, में जकड़ा था सदियों से। क्रंदन करती भारत माता, नीर बहाती अंखियों से।। देख दशा भारत की तेरा, ब्यथित हुआ तन मन भारत के भाग्य विधाता हे बापू तुम्हे नमन सत्य अहिंसा को तुमने, अपना हथियार बनाकर। किये संगठित जन जन को, भारत की ब्यथा सुनाकर।। चिंगारी जल उठी क्रांति की, बनकर खूब अगन भारत के भाग्य विधाता हे बापू तुम्हे नमन सत्याग्रह की राह में चलना, हम सबको सिखलाया। एक लकड़ी की लाठी...
आया शुभ दिन क्वांर का…
कुण्डलियाँ

आया शुभ दिन क्वांर का…

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** आया शुभ दिन क्वांर का, ले पितरों को साथ । इन्हे मनालो प्रेम से, चरणों में धर माथ ।। चरणों में धर माथ, श्राद्ध तर्पण सब कर लो । इनका शुभ आशीष, शीश पर अपने धर लो ।। कहे राम कर जोर, मिले नित इनका साया । यह शुभ अवसर आज, खुशी लेकर के आया ।। पाया हमने पुण्य से, मानव का तन सार । नीति धर्म संस्कार का, करलें खूब विचार ।। करलें खूब विचार, नेक राहों पर चलना । ऐसा हो ब्यवहार, सदा अनुशासित रहना ।। कहे राम कर जोर, प्रभु की सब है माया । यह उसका उपहार, आज है हमने पाया ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अ...
जग के पालन हार
भजन

जग के पालन हार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** सजल- मात्रा- २२ जग के पालन हार धरा पर आये हैं । सांवरिया सरकार धरा पर आये हैं ।। द्वापर में था दुष्टों का आतंक बड़ा । यमपुर उन्हे पठाने को वे आये हैं ।। भव के सारे बंधन को जो हरते हैं । आज वही कारागृह में खुद आये हैं ।। भक्तों के भगवान् देवकी के लाला । मानव तन धर लीला अजब दिखाये हैं ।। बाल लीला दिखलाये जाकर के ब्रज में । नंद यशोदा के कान्हा कहलाये हैं ।। ग्वाल बाल संग खेले यमुना के तट में । बैठ कदंब तरू मुरली मधुर बजाये हैं ।। माखन खूब चुराये ग्वालों के संग में । गोकुल के गलियों में उधम मचाये हैं ।। संग सखाओं के जाते गइया लेकर । वृंदावन में मोहन गऊ चराये हैं ।। चीर हरण कर दुनिया को वे सीख दिये । सखियों के संग में वे रास रचाये हैं ।। दुष्ट अनेकों का उनने संहार किया । भक्तों को ...
राखी का त्योहार
कविता

राखी का त्योहार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी  बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** राखी का त्योहार सभी को प्यारा है। प्रेम बहन भाई ने इस पर वारा है।। तिथी पूर्णिमा सावन की लेकर आया। खुशियों की सौगात सभी से न्यारा है।। युग युग से है चली आ रही ये रश्मे। इसे मानता आज भी जहां ये सारा है।। रेशम की डोरी में इतनी है शक्ति। बड़े बड़े शूरमों ने इस पर हारा है।। राखी बांध बहन भाई के हाथों में। नीर नयन से बहती नेह की धारा है।। रोली अक्षत चंदन टीका माथे पर। करी आरती रीत निभाया सारा है।। भाई की खुशियां मागी उसने रब से। एक वही तो उसका बड़ा दुलारा है।। भाई बहन की प्रीत निराली है सबसे। सारे जहां में इसका अलग नजारा है।। मिलकर यह त्योहार मनायें आओ हम। *राम*मिला ये अवसर हमको प्यारा है।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्त...