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Tag: रामकिशोर श्रीवास्तव ‘रवि’

कलुष-कल्मष हृदय से
गीतिका

कलुष-कल्मष हृदय से

रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि कोलार रोड, भोपाल (म.प्र.) ******************** यदि कलुष-कल्मष हृदय से त्यागना है. हो अगर संकल्प दृढ़ सम्भावना है. राष्ट्र का गौरव बढ़े हो नाम जग में, मन-हृदय में शुभ्र मंगल कामना है. स्वर्ण चिड़िया था कभी भारत हमारा, चमचमायेगा पुन: प्रस्तावना है. मोह-मत्सर दम्भ-लालच त्यागकर अब, सत्य का दामन सभी को थामना है. नित्य कर चिंतन-मनन निज दोष देखें, इंद्रियाँ संयम-नियम से माँजना है. पाठ पूजा हो न हो सेवा जरूरी, कर्मनिष्ठा प्रेम ही तो साधना है. देश में हो एकता मिलकर रहें हम, 'रवि' परम प्रभु से यही बस प्रार्थना है. परिचय :- रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि' निवासी : कोलार रोड, भोपाल (म•प्र•) * २००५ से सक्रिय लेखन। * २०१० से फेसबुक पर विभिन्न साहित्यिक मंचों पर प्रतिदिन लेखन। * विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित। * लगभग १० साझा संकलनों मे...
देश की माटी
गीतिका

देश की माटी

रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि' कोलार रोड, भोपाल (म.प्र.) ******************** आधारछंद-विधाता (मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी- १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ समांत- अन, अपदांत हमारे देश की माटी~~~~हमारे माथ का चंदन बहे गंगा नदी पावन तरें सब भक्त कर मज्जन सजे मंदिर-महल गलियाँ सजी हैं झांकियाँ घर-घर, कन्हैया-अष्टमी आई~~~~~पधारे नंद घर नंदन. नहीं है देश भारत सा~~~जहाँ मठ धाम तीरथ हैं, लिए हैं ईश ने अवतार ~~~करने को असुर मर्दन लगे जब ध्यान ईश्वर में~नहीं फिर मन भटकता है, विरागी भाव जाग्रत हों~~न इच्छा कामिनी-कंचन तरसते देवता भी जिस~~मनुज तन को यहाँ पाने, उसे सत्कर्म सेवा में लगा ~~ करलें सफल जीवन नहीं संसार में आसान~~~~~दुर्लभ वस्तुएं पाना, मिले तब ही मधुर नवनीत~जब दधि का करें मंथन. सदा ही सोचकर बोलें ~ किसी का दिल न दुख जाये, निकल जाये कटुक वाणी त्वरित 'रवि' कीजिए खंडन परिचय :- रामकिशोर श्रीवास्तव 'रव...
भाव-सागर को मथाती लेखनी
गीतिका

भाव-सागर को मथाती लेखनी

रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि' कोलार रोड, भोपाल (म.प्र.) ******************** भाव-सागर को ~ मथाती लेखन। काव्य का अमृत ~ पिलाती लेखन। शारदे माँ की अगर कवि पर कृपा, ज्ञान-रस-आनंद ~ लाती लेखन। रोज दुनिया में ~ घटित जो हो रहा, पूर्ण जस का तस दिखाती लेखन। जानते हैं सब कलम की शक्ति को, राज सिंहासन ~ डिगाती लेखन। सत्य हो या झूठ ~ छिप सकता नहीं, छद्म के परदे ~ हटाती लेखन। देश सर्वोपरि ~ जिएँ हम देशहित, बोध समता का ~ कराती लेखन। गीत-कविता-लेख ~ सुख आनंद दें, 'रवि' तभी जग को ~ सुहाती लेखन। परिचय :- रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि' निवासी : कोलार रोड, भोपाल (म•प्र•) * २००५ से सक्रिय लेखन। * २०१० से फेसबुक पर विभिन्न साहित्यिक मंचों पर प्रतिदिन लेखन। * विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित। * लगभग १० साझा संकलनों में सहभागिता। सम्प्रति : पुस्तक प्रकाशन की तैयारी, छंदबद्ध रचनाओं में विशेष रुचि, गीत, ग...
वतन महान के लिए
कविता

वतन महान के लिए

रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि' कोलार रोड, भोपाल (म•प्र•) ******************** हैं सभी समान एक ज्ञानवान के लिए। मानता सदैव ईश के विधान के लिए। वक्त की पुकार है कि भेदभाव भूलकर, भारतीय एक हों वतन महान के लिए। कौन व्यक्ति है सही कृतित्व देखिए सदा, एक वोट खास है सही रुझान के लिए। राष्ट्र के हितार्थ अब कदम बढ़ें रुकें नहीं, शंखनाद कीजिए नये विहान के लिए। सोचिए कि देशद्रोह-रोग क्यों पनप रहा, खोजिए उपाय रुग्णता निदान के लिए। हौसले बढ़े रहें भले दुरूह मार्ग हों, कष्ट भी सहें अनेक कीर्तिमान के लिए। आन-बान-शान का हमें सदैव ध्यान हो, 'रवि' करें सदैव श्रेष्ठ कार्य मान के लिए। परिचय :- रामकिशोर श्रीवास्तव 'रवि' निवासी : कोलार रोड, भोपाल (म•प्र•) * २००५ से सक्रिय लेखन। * २०१० से फेसबुक पर विभिन्न साहित्यिक मंचों पर प्रतिदिन लेखन। * विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित। * लगभग १० साझा संकलनों में ...